(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
परिवाद संख्या : 318/2017
Smt. Sukana Singh, Age Years C/o Sri D.C.Singh, CP-9, Vijayant Khand, Gomtinagar, Faijabad Road, Lucknow.
बनाम्
Ansal Properties & Infrastructure Ltd., Ist Floor YMCA Campus, 13 Rana Pratap Marg, Lucknow.226
- .विपक्षीगण
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष ।
उपस्थिति :
परिवादी की ओर से उपस्थित- श्री अम्बरीश कुमार पाण्डेय।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित- श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह।
दिनांक : 31 -05-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवादिनी Smt. Sukana Singh ने यह परिवाद विपक्षी Ansal Properties & Infrastructure Ltd. के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है :-
- To give possession of the alternative flat No.-K-6, 7th Floor, Sector-K, Sushant Golf City, Sultanpur Road Lucknow, within reasonable period as per specifications given in the brochure, to be specified by the Hon’ble
-
commission or refund the entire amount paid by the complainant that is Rs. 9,47,576 with 24% interest from 06.09.2013 till its actual, entire payment to the complainant, to enable the complainant to pay off the loans taken and also to provide for accommodation to live the residual years of her life.
- To pay the complainant the house rent from the month of the promised possession of the flat by the respondents that is March 2016 at the rate of Rs. 5000/- per month till the complainant gets back the price of flat with interest.
- To Pay the complainant Rs. 50,000/- being expenses incurred in commuting from Basti to the office of Ansal’s in Lucknow for follow-UP.
- To pay the complainant a sum of Rs. 30,00,000/- as compensation for mental agony, harassment suffered including expenses incurred in payment of interest on personal loan taken by the complainant, and expenditure involved in preparation and filling of the present complaint case.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि वह 73 वर्ष की वयोबृद्ध महिला है। अपने पति की मृत्यु के बाद वह अपनी खेती की व्यवस्था कर पाने में कठिनाई महसूस कर रही थी, इस कारण उसने विपक्षी का विज्ञापन देखकर यह तय किया कि अपनी कृषि भूमि को बेचकर वह लखनऊ सिफ्ट हो जायेगी जहॉं उसके निकट संबंधी निवास करते हैं। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी की “Shushant Golf City, Lucknow, LIG flat BHAROSA’’ जिसका प्रारम्भिक मूल्य रू0 5,85,000/- है, के लिए वह योग्यता
-
मानदण्ड पूरा करती है अत: उसने अपने गॉंव की कृषि भूमि बेचकर विपक्षी की इस योजना में दिनांक 06-09-2013 को फ्लैट आवंटन हेतु आवेदन पत्र रू0 20,000/- रजिस्ट्रेशन धनराशि जमा कर प्रस्तुत किया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी ने अपने उपरोक्त फ्लैट का मूल्य रू0 5,85,000/- में मनमाने ढंग से बढ़ोत्तरी कर फ्लैट का मूल्य रू0 7,00,000/- निर्धारित कर दिया और परिवादिनी को रू0 20,000/- और बुकिंग धनराशि जमा करने हेतु विवश किया। उसके बाद पेमेन्ट शिड्यूल के अनुसार विपक्षी ने रू0 1,75,000/- की धनराशि की उससे मांग की और उसे सूचित किया कि उसका नाम लाटरी ड्रॉ में आ गया है, उसे पजेशन जल्द ही दिया जायेगा, तब जल्दी ही कब्जा देने के कथन पर विश्वास करते हुए परिवादिनी ने दिनांक 18 मई, 2015 को रू0 1,75,000/- जमा कर दिया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि पुन: विपक्षी ने रू0 5,85,000/- से बढ़ाकर नियत की गयी कीमत रू0 7,00,000/- में बढ़ोत्तरी की और अब फ्लैट की कीमत रू0 8,68,935.75 कर दिया, जिसका भुगतान परिवादिनी ने विपक्षी को कर दिया है। विवरण परिवाद पत्र की धारा-9 में अंकित है। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी Ansal Properties & Infrastructure Ltd. ने परिवादिनी को कब्जे के आफर का पत्र संख्या-A-56465 दिनांक 13-11-2015 भेजा और परिवादिनी को सूचित किया कि विकास कार्य Supply of Water, Electricity and Security सहित पूरा हो चुका है। यह पत्र परिवाद पत्र का संलगनक-8 है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी ने LIG flat No-K-6/A-17/0707 Block K-6, 7th Floor Golf City, Sultanpur Road, Lucknow का रजिस्ट्रेशन भी परिवादिनी के नाम दिनांक 22-03-2016 को किया, जिसमें रू0 78,640/- Stamp
-
Duty, Registry Fees and Advocates fees.Surroundings Electricity Connection, Sewer Connection
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी नियमित रूप से विपक्षी से फ्लैट का निर्माण पूरा करने के संबंध में जानकारी करती रही है। बाद में विपक्षी के कार्यालय के कार्यकताओं ने उसके साथ दुव्यर्वहार किया और विपक्षी के आफिस में उसके प्रवेश को निषिद्ध कर दिया ऐसी स्थिति में परिवादिनी ने विवश होकर परिवाद राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि परिवादिनी ने प्रश्नगत परियोजना में LIG flat No-K-6/A-17/0707 Block K-6, 7th Floor Golf City, Sultanpur Road, Lucknow दिनांक 22-03-2016 को बुक किया था जिसका विक्रय पत्र पूर्ण हो चुका है। लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि परिवादिनी ने समय से किश्तों का भुगतान नहीं किया है इस कारण फ्लैट के निर्माण में विलम्ब हुआ है। विपक्षी की सेवा में कोई कमी नहीं है। लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि परिवादिनी ने डिफाल्ट किया है और बकाया धनराशि को नियत समय में जमा नहीं किया है जिससे निर्माण में विलम्ब हुआ है, फिर भी यदि परिवादिनी अपनी जमा धनराशि का रिफण्ड चाहती है तो विपक्षी उसकी जमा धनराशि से अर्नेस्ट मनी की धनराशि की कटौती कर अवशेष धनराशि बिना किसी ब्याज के उसे वापस करने को तैयार है, इसके साथ ही उसी टाऊनशिप में दूसरा फ्लैट परिवादिनी को देने को भी विपक्षी तैयार है। लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद कालबाधित है और परिवादिनी ने अपनी धनराशि लाभ
-
हेतु रियल स्टेट बिजनेस में इन्वेस्ट किया है अत: वह उपभोक्ता नहीं है और परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत ग्राह्य नहीं है। लिखित कथन में कहा गया है कि परिवादिनी ने आवेदन पत्र पर छपी नियम व शर्त को पढ़कर एग्रीमेंट करार निष्पादित किया है जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि परिवादिनी को बुक प्लाट/फ्लैट में परिवर्तन किया जा सकता है साथ ही डिलीवरी डेट में भी परिवर्तन किया जा सकता है।
विपक्षी ने लिखित कथन में कहा है कि दिनांक 22-03-2016 को परिवादिनी को प्रश्नगत फ्लैट का पंजीयन किया जा चुका है।
परिवादिनी की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादिनी का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन के समर्थन में नंद किशोर, सीनियर मैनेजर का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवादिनी की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादिनी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अम्बरीश कुमार पाण्डेय तथा विपक्षी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह उपस्थित आए है।
मैंने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है। मैंने परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
परिवादिनी ने रू0 8,68,935.75 के भुगतान को प्रमाणित करने हेतु रसीदें प्रस्तुत की है जो परिवाद पत्र का संलग्नक-2,4,5,6,7,9 व 10 है।
परिवादिनी की जमा धनराशि से विपक्षी ने इंकार नहीं किया है। विपक्षी का कथन मात्र यह है कि परिवादिनी ने पेमेन्ट प्लान के अनुसार धनराशि जमा करने में विलम्ब किया है।
परिवाद पत्र का संलग्नक-3 विपक्षी द्वारा प्रश्नगत परियोजना और फ्लैट के संबंध में प्रकाशित विवरण पुस्तिका है जिसके अनुसार परिवादिनी के फ्लैट BHAROSA की पंजीकरण धनराशि रू0 20,000/- अंकित है और अनुमानित विक्रय मूल्य रू0 5,85,000/- अंकित है। इस
-
विवरण पुस्तिका में बिन्दु संख्या-12 भवनों के कब्जा के संबंध में है जिसमें यह अंकित है कि विकासकर्ता कम्पनी द्वारा अपनी सुविधानुसार अनुबंध के पश्चात निबंधन/कब्जा हेतु कभी भी आमंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही यह भी अंकित है कि अनुबंध/लीज डीड 03 माह तक निष्पादित न होने पर विकासकर्ता कम्पनी के ई0डी0ओ0 को आवंटन निरस्त करने का अधिकार होगा। उपरोक्त विवरण पुस्तिका में भवन का कब्जा देने हेतु कोई निश्चित समय अंकित नहीं किया गया है।
परिवाद पत्र के उपरोक्त कथन से स्पष्ट है कि परिवादिनी ने प्रश्नगत फ्लैट की बुकिंग दिनांक 06-09-2013 को रू0 20,000/- जमा कर की है और उसके बाद पुन: विपक्षी ने उससे रू0 20,000/- और बुकिंग के मद में जमा करवाया है। तदोपरान्त विपक्षी द्वारा परिवादिनी को सूचित किया गया है कि उसे लाटरी सिस्टम से फ्लैट आवंटित किया गया है और वह रू0 1,75,000/- जमा करे, कब्जा उसे शीघ्र दिया जायेगा। तब परिवादिनी ने दिनांक 18 मई, 2015 को रू0 1,75,000/- जमा किया है, जिसकी रसीद परिवाद पत्र का संलग्नक-5 है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि एलाटमेंट के बाद दिनांक 18 मई, 2015 को परिवादिनी ने रू0 1,75,000/- की धनराशि जमा किया है। परिवादिनी ने विपक्षी को अंतिम भुगतान 18 मार्च, 2016 को रू0 1,81,343.75 का किया है जिसकी रसीद परिवाद पत्र का संलग्नक-10 है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि बुकिंग के बाद दिनांक 18 मई, 2015 से 18 मार्च, 2016 तक की अवधि में परिवादिनी विपक्षी को रू0 8,68,935.75 का भुगतान कर चुकी है।
विपक्षी के लिखित कथन की धारा-14 में कहा गया है कि परिवादिनी ने वर्ष 2011 में किश्त का भुगतान किया है और उसक बाद पेमेन्ट विकास कार्य न होने के कारण रोक दिया है। अत: वाद हेतुक वर्ष 2011 में उत्पन्न हुआ है, परन्तु परिवादिनी ने परिवाद वर्ष 2017 में प्रस्तुत किया है अत: परिवाद कालबाधित है।
-
लिखित कथन की उपरोक्त धारा-14 में यह भी कहा गया है कि वायर एग्रीमेंट के अनुसार बिल्डिंग प्लान सक्षम अधिकारी/अथारिटी से सेंकसन होने की तिथि से 36 महीने के अंदर कब्जा एलाटी द्वारापूर्ण भुगतान किये जाने पर देने का वायदा किया गया है और इसके साथ ही वायर एग्रीमेंट में यह प्राविधान है कि इस समय सीमा को बिल्डर फोर्स मिज्योर कारणों के आधार पर बढ़ा भी सकता है।
परिवाद पत्र का उपरोक्त कथन वर्तमान परिवाद के तथ्यों से भिन्न प्रतीत होता है। वर्तमान परिवाद की परिवादिनी ने दिनांक 06-09-2013 को रू0 20,000/-जमा कर बुकिंग कराया है उसके बाद उसे विपक्षी ने सूचित किया है कि लाटरी में उसका नाम आया है तब उसने रू0 1,75,000/- दिनांक 18-05-2015 को जमा किया है।
परिवाद पत्र का संलग्नक-12 आवंटन करार की प्रति है जिसमें यह उल्लिखित है कि एक सहमति पत्र लखनऊ डेवलपमेंट अथारिटी एवं विकासकर्ता के मध्य लखनऊ में हाइटेक टाऊनशिप के विकास हेतु निष्पादित हुआ है जिसके पूर्ण विवरण प्रोजेक्ट रिपोर्ट विकासकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया है। जो लखनऊ डेवलपमेंट अथारिटी द्वारा अनुमोदित है। उपरोक्त आवंटन करार पत्र के क्लाज-14 में उल्लेख है कि विकासकर्ता द्वारा घोषित समय में भवनों का निबंधन/कब्जा देने का यथा समय प्रयास किया जायेगा, परन्तु किन्हीं अपरिहार्य कारणों से विलम्ब होता है तो विलम्ब के आधार पर कोई दावा मान्य नहीं होगा। इस करार पत्र में कब्जा अन्तरण हेतु कोई स्पष्ट समय अंकित नहीं है, उपरोक्त सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह उचित और न्यायसंगत प्रतीत होता है कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी को प्रश्नगत फ्लैट के आवंटन के बाद प्रथम भुगतान की तिथि दिनांक 18 मई, 2015 से तीन साल का समय निर्माण कार्य पूर्ण कर कब्जा देने हेतु दिया जाये। परन्तु अब तक विपक्षी ने परिवादिनी को निर्माण पूरा कर कब्जा अन्तरित नहीं किया है।
उभयपक्ष के अभिकथन एवं सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि विपक्षी को प्रश्गनत
-
फ्लैट का निर्माण पूरा कर परिवादिनी को तीन मास के अंदर कब्जा देने का आदेश दिया जाये। और इस अवधि में प्रश्नगत फ्लैट का निर्माण पूरा कर कब्जा देने में असफल रहने पर विपक्षी से परिवादिनी को उसकी जमा धनराशि पर जमा की तिथि से एक वर्ष के अंदर कब्जा देने की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाये। यदि एक वर्ष के बाद भी विपक्षी परिवादिनी को प्रश्नगत निर्माण पूरा कर कब्जा देने में असफल रहता है तब ऐसी स्थिति में विपक्षी से परिवादिनी की सम्पूर्ण जमा धनराशि ब्याज सहित उसे वापस दिलाया जाना उचित है।
माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा प्रभात वर्मा व एक अन्य बनाम यूनीटेक लिमिटेड व एक अन्य III (2016) C.P.J. 635 N.C के वाद में पारित निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए ब्याज 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से दिलाया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को आवंटित फ्लैट का निर्माण पूरा कर तीन माह के अंदर उसे कब्जा दे।
यदि उपरोक्त तीन माह की अवधि में विपक्षी फ्लैट का निर्माण पूरा कर परिवादिनी को कब्जा देने में असफल रहता है तो ऐसी स्थिति में विपक्षी परिवादिनी को उसकी सम्पूर्ण जमा धनराशि पर जमा की तिथि से एक साल के अंदर कब्जा देने की तिथि तक विलम्ब हेतु 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करेगा।
यदि उपरोक्त 01 वर्ष की अवधि पूरी होने पर विपक्षी परिवादिनी को आवंटित फ्लैट का निर्माण पूरा कर कब्जा परिवादिनी को देने में असफल रहता है तो ऐसी स्थिति में विपक्षी परिवादिनी को उसकी सम्पूर्ण जमा धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करेगा। ऐसी स्थिति में
-
परिवादिनी विपक्षी से विलम्ब हेतु उपरोक्त 09 प्रतिशत की दर से ब्याज पाने की अधिकारी नहीं होगी।
विपक्षी परिवादिनी को रू0 10,000/- वाद व्यय भी अदा करेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0