(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद सं0- 23/2019
Smt. Shailja singh W/o Sri N.K. singh R/o A-1014, Indira nagar, Lucknow, Uttar Pradesh
……Complainant
Versus
1. Ansal properties & Infrastructure ltd., Second floor, Shopping square-2, Sector-D, Sushant golf city, Shaheed path-Sultanpur road, Lucknow-226030 Through it’s Vice President.
2. Ansal properties & Infrastructure Ltd., Registered Office- 115, Ansal bhawan, 16, Kasturba Gandhi marg, New Delhi-110001 Through it’s Managing Director.
……..Opposite Parties
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री राम गोपाल,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : मानवेन्द्र प्रताप सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 18.03.2020
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादिनी श्रीमती शैलजा सिंह ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत विपक्षीगण अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0, लखनऊ और अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0 रजिस्टर्ड ऑफिस, नई दिल्ली के विरुद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
(i) Direct the opposite parties to pay 18% interest per annum on the deposited amount of Rs. 14, 59,000/-, to the complainant from their respective date of deposits till the actual date of payment.
(ii) Direct the opposite parties to pay an amount of Rs. 5,00,000/- to the complainant as compensation for physical and mental harassment.
(iii) Direct the opposite parties to pay an amount of Rs. 5,00,000/- to the complainant for financial loss due to not getting possession of the allotted plot in time and escalation of price of residential land in Lucknow.
(iv) Direct the opposite parties to pay Rs. 55,000/- as cost of litigation of the instant case to the complainant.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षीगण अविकसित भूमि को विकसित कर पूर्ण विकसित भूमि 320 वर्ग गज उपलब्ध कराने की योजना के अंतर्गत परिवादिनी से 10,00,000/-रू0 3,125/-रू0 प्रति वर्ग गज की दर से सितम्बर 2010 में प्राप्त किये और एक करार पत्र परिवादिनी व विपक्षीगण अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा दि0 22.09.2010 को निष्पादित किया गया, जिसके अनुसार विपक्षीगण ने परिवादिनी को आश्वासन दिया कि एग्रीमेंट की तिथि से 18 महीने के अन्दर प्लाट उसे एलाट किया जायेगा, परन्तु वे इस अवधि में परिवादिनी को प्लाट एलाट कर उपलब्ध नहीं कराये।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि दि0 23.01.2014 को विपक्षीगण ने परिवादिनी को पत्र प्रेषित किया और सूचित किया कि उसे प्लाट नं0- T-03/0029 सेक्टर T में विपक्षीगण की उपरोक्त परियोजना में आवंटित किया गया है। इस पत्र के द्वारा विपक्षीगण ने परिवादिनी को 4,59,000/-रू0 24 वर्ग गज अधिक क्षेत्र हेतु 19,125/-रू0 प्रति वर्ग गज की दर से मनमानी तौर पर मांगा, फिर भी परिवादिनी को भूमि की आवश्यकता थी। अत: उसने यह धनराशि RTGS के माध्यम से दि0 30.01.2014 को जमा कर दी और विपक्षीगण को सम्पूर्ण मूल्य की धनराशि अदा कर दी। केवल कुछ चार्जेज जो विक्रय पत्र के निष्पादन के समय अदा किये जाने थे वही अवशेष बचे, फिर भी विपक्षीगण अपना वादा पूरा करने में असफल रहे हैं और परिवादिनी को आवंटित प्लाट का कब्जा देने व विक्रय पत्र निष्पादित करने में असफल रहे हैं। वे झूठा आश्वासन इस संदर्भ में देते रहे हैं और समय बढ़ाते रहे हैं। परिवादिनी ने विपक्षीगण से अनेकों शिकायतें की और उनके साइट ऑफिस पर गई, फिर भी उन्होंने झूठा आश्वासन दिया। अत: दि0 23.01.2018 को उसने अपनी जमा धनराशि रिफण्ड करने हेतु आवेदन पत्र विपक्षी सं0- 1 के यहां प्रस्तुत किया जिसकी प्राप्ति की रसीद विपक्षी सं0- 1 ने दि0 02.06.2018 को तब दिया जब परिवादिनी, विपक्षी सं0- 1 के कार्यालय अपने रिफण्ड प्रार्थना पत्र की स्थिति जानने हेतु गई। उसके बाद परिवादिनी ने दि0 23.07.2018 को रजिस्टर्ड डाक से विपक्षी सं0- 2 को अपनी जमा धनराशि ब्याज सहित रिफण्ड करने हेतु पत्र भेजा, परन्तु कोई उत्तर नहीं मिला। अंत में विपक्षीगण की सेवा में कमी से विवश होकर परिवादिनी ने यह परिवाद राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है। लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि विपक्षीगण, परिवादिनी को वैकल्पिक प्लाट देने को तैयार हैं। अपरिहार्य कारणों से जो विपक्षीगण के नियंत्रण से बाहर है प्लाट विकसित कर कब्जा परिवादिनी को देने में विलम्ब हुआ है।
परिवादिनी ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन के समर्थन में कोई शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। दि0 25.06.2019 को विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने परिवादिनी की जमा धनराशि 14,59,000/-रू0 परिवादिनी को 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से वापस करने का प्रस्ताव रखा है, परन्तु परिवादिनी ने 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज की मांग की है।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह उपस्थित आये हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवादिनी को आवंटित प्लाट पूर्ण रूप से विकसित कर उसका कब्जा अब तब विपक्षीगण ने परिवादिनी को नहीं दिया है यह तथ्य निर्विवाद है। परिवादिनी की जमा धनराशि 14,59,000/-रू0 है यह भी अविवादित है। लिखित कथन में विपक्षीगण ने परिवादिनी को वैकल्पिक प्लाट देने का प्रस्ताव रखा है, परन्तु वैकल्पिक प्लाट हेतु परिवादिनी तैयार नहीं है। विपक्षीगण ने परिवादिनी को उसकी जमा धनराशि 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से रिफण्ड करने का भी प्रस्ताव रखा है, परन्तु परिवादिनी ने 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज की मांग की है।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा Civil Appeal No(S). 3948 of 2019 (@ SLP (C) 9575 of 2019) M/s Krishan Estate Developers Pvt. Ltd. Versus Naveen Srivastava में पारित आदेश दि0 15 अप्रैल 2019 को दृष्टिगत रखते हुए उचित प्रतीत होता है कि विपक्षीगण के यहां परिवादिनी की जमा धनराशि 14,59,000/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक परिवादिनी को तीन मास के अन्दर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करने का अवसर विपक्षीगण को दिया जाये और इस अवधि में वे परिवादिनी की जमा धनराशि 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस न करें तब परिवादिनी की सम्पूर्ण जमा धनराशि 14,59,000/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ परिवादिनी को वापस करने हेतु विपक्षीगण को आदेशित किया जाये।
परिवादिनी को 10,000/-रु0 वाद व्यय दिलाया जाना भी उचित प्रतीत होता है।
परिवादिनी को दी जा रही उपरोक्त अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए परिवाद पत्र में याचित अन्य अनुतोष प्रदान करना उचित नहीं प्रतीत होता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी की जमा धनराशि 14,59,000/-रू0 इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ परिवादिनी को वापस करें। यदि इस अवधि में परिवादिनी की जमा धनराशि उपरोक्त प्रकार से ब्याज के साथ वापस नहीं की जाती है तब विपक्षीगण, परिवादिनी की जमा धनराशि 14,59,000/-रू0 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्याज के साथ परिवादिनी को वापस करेंगे।
विपक्षीगण, परिवादिनी को 10,000/-रु0 वाद व्यय भी देंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1