सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या- 462/2017
1. Smt. Asha Lata Misra, Aged about 63 years, W/o Ashutosh Kumar Misra, Adult, Flat No.402, Chaitali Cooperative Housing Society Plot No. 13, Sector-4, Kharghar, 410210, Panvel Mumbai.
2. Ashutosh Kumar Misra, Aged About 70 years, S/o Kamleshwar Prasad Misra, Flat No. 402, Chaitali Cooperative Housing Society Plot No. 13, Sector-4, Kharghar-410210, Panvel Mumbai.
परिवादीगण
बनाम
1- Ansal Properties & Infrastructure Ltd., 115, Ansal Bhawan, 16, Kasturba Gandhi Marg, New Delhi, through its Managing Director.
2. Ansal Properties & Infrastructure Ltd., YMCA Campus, 13, Rana Pratap Marg, Lucknow, through its Branch Head.
विपक्षीगण
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित: विद्वान अधिवक्ता, श्री मुजीब एफेण्डी
विपक्षीगण की ओर से : विद्वान अधिवक्ता, श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह
दिनांक -06-03-2020
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान परिवाद, परिवादिनी श्रीमती आशा लता मिश्रा और आशुतोष कुमार मिश्रा की ओर से विपक्षीगण, अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0, 115, अंसल भवन, कस्तूरबा गांधी मार्ग, न्यू दिल्ली द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर और अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0 YMCA Campus, 13, राणा प्रताप मार्ग लखनऊ द्वारा ब्रांच हेड के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण
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अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है और निम्न अनुतोष चाहा गया है:-.
- That this Hon’ble Commission may Kindly be pleased to order the Opp. Parties to allot any alternate flat to the Complainant which is fineshed in all respect bearing same cost and specification and also to pay interest on the deposited amount at the rate of 24% from the date of deposit till the actual delivery of physical possession.
or
That this Hon’ble Commission be pleased to direct the Opp. Parties to refund to the Complainant a sum of Rs. 23,94,742/- along with interest at the rate of 24% per annum on the deposited amount of Complainant from the date of deposit till the actual date of refund.
- That a sum of Rs. 1,00,000/- may also be awarded to each of the complainants against the Opp. parties on account of Compensation for mental tension and agony as inflicted due to deficient services of Opp. Parties.
- That the cost of suit amounting to Rs. 25,000/-may also be awarded to the Complainants against the Opp. Parties.
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- That any other relief deemed fit and appropriate under the facts and circumstances of the case may also be awarded to the Complainants against the Opp. Parties.
परिवाद-पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण ने वर्ष 2012 में लखनऊ में ग्रुप हाउसिंग योजना के अन्तर्गत OLYMPUS LAKE VIEW APARTMENT नाम से परियोजना सुशान्त गोल्फसिटी, सुल्तानपुर रोड, लखनऊ में शुरू किया और आवासीय फ्लैट की बिक्री इस वचन के साथ आफर किया कि फ्लैट का कब्जा बुकिंग/एलाटमेंट के 36 महीने के अन्दर दिया जाएगा, जिससे प्रभावित होकर परिवादीगण ने विपक्षीगण की उपरोक्त परियोजना में एक फ्लैट के लिए 1,71,004/-रू० जमा कर रजिस्ट्रेशन कराया और इस रजिस्ट्रेशन के अनुक्रम में दिनांक 14-07-2012 को विपक्षीगण ने परिवादीगण को यूनिट नं० 2B/R नम्बर- 3571-OLY-M/B1-1204 अपनी परियोजना OLYMPUS LAKE VIEW APARTMENT सुशान्त गोल्फसिटी, सुल्तानपुर रोड लखनऊ में आवंटित किया जिसका मूल्य 34,20,062.29/-रू० था और क्षेत्रफल 1301 Sqft. था। भुगतान कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान के अनुसार होना था।
परिवाद पत्र के अनुसार उपरोक्त आवंटन के अनुसार परिवादीगण और विपक्षीगण के बीच फ्लैट बायर एग्रीमेंट दिनांक 6 सितम्बर 2012 को निष्पादित किया गया। फ्लैट बायर एग्रीमेंट के अनुसार विपक्षीगण ने परिवादीगण को फ्लैट का कब्जा बिल्डिंग प्लान के सेक्सन की तिथि से 36 महीने के अन्दर देने का वादा किया जो विपक्षीगण के अनुसार फ्लैट के एलाटमेंट के पहले ही मिल चुका था। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण
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का कथन है कि विपक्षीगण की मांग के अनुसार परिवादीगण ने उन्हें कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान के अनुसार 01 अक्टूबर 2015 तक 23,94,742/-रू० का भुगतान कर दिया जो कुल मूल्य का 70 प्रतिशत है। परन्तु 01 अक्टूबर 2015 को भुगतान लेने के बाद विपक्षीगण ने निर्माण कार्य रोक दिया और निर्माण कार्य पूरा करने का अपना वचन पूरा करने का प्रयत्न नहीं किया।
परिवाद पत्र के अनुसार पांच साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन निर्माण कार्य रूका हुआ है और निकट भविष्य में निर्माण पूरा होने की कोई सम्भावना नहीं दिखती है। इस प्रकार विपक्षीगण की सेवा में कमी से क्षुब्ध होकर परिवादीगण ने परिवाद राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और कहा गया है कि परिवादीगण ने गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादीगण ने लाभ अर्जित करने हेतु रियल स्टेट में धन लगाया है। अत: वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादीगण ने भुगतान में चूक किया है और नियत समय के अन्दर भुगतान नहीं किया है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि यदि परिवादीगण अपनी जमा धनराशि का रिफण्ड चाहते हैं तो अर्नेस्ट मनी की धनराशि की कटौती कर अवशेष धनराशि बिना किसी ब्याज के परिवादीगण को वापस करने को वे तैयार हैं। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि विपक्षीगण, परिवादीगण को वैकल्पिक फ्लैट/प्लाट का भी विकल्प देते हैं।
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परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादीगण ने अपना शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है।
लिखित कथन के समर्थन में विपक्षीगण की ओर से श्री नन्द किशोर, सीनियर मैनेजर, श्रीराम आफिस, सेकेण्ड फ्लोर, शॉपिंग स्क्वायर-2, सेक्टर-डी, सुशान्त गोल्फ सिटी, लखनऊ ने अपना शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है।
परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मुजीब एफेण्डी और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय-पक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
उभय-पक्ष के अभिकथन एवं उनकी ओर से प्रस्तुत अभिलेख से यह स्पष्ट है कि परिवाद पत्र में कथित फ्लैट का आवंटन विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को किया जाना अविवादित है। साथ ही परिवादीगण द्वारा कथित रूप से विपक्षीगण को भुगतान की गयी धनराशि का भी कोई विवाद नहीं है। उभय-पक्ष के अभिकथन से यह भी स्पष्ट है कि अभी तक परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निमार्ण कार्य पूरा कर उन्हें कब्जा नहीं दिया गया है। विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन के समर्थन में प्रस्तुत शपथ-पत्र में श्री नन्द किशोर, सीनियर मैनेजर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि विपक्षीगण, परिवादीगण को वैकल्पिक फ्लैट/प्लाट का विकल्प देने को तैयार हैं। अत: परिवाद पत्र के पैरा-19 में याचित अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षीगण को यह आदेशित किया जाना उचित है कि विपक्षीगण, परिवादीगण को उनके आवंटित फ्लैट के स्थान पर उसी मूल्य और क्षेत्रफल
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एवं गुणवत्ता का दूसरा फ्लैट उसी परियोजना में इस निर्णय की तिथि से 6 माह के अन्दर पूर्ण रूप से तैयार कर परिवादीगण को आवंटित फ्लैट के मूल्य पर ही उन्हीं शर्तों के अधीन विक्रय करार-पत्र के अनुसार अवशेष धनराशि का भुगतान परिवादीगण से बिना किसी ब्याज के प्राप्त कर उन्हें कब्जा दें तथा विक्रय पत्र निष्पादित करें। यदि इस अवधि में विपक्षीगण, परिवादीगण को वैकल्पिक फ्लैट का कब्जा देने में असफल रहते हैं तब परिवादीगण की जमा धनराशि विपक्षीगण से ब्याज सहित वापस दिलाया जाना उचित होगा।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा Civil Appeal No.(S) 3948 of 2019 SLP(C) 9575 of 2019 M/s Krishna Estate Developers Pvt. Ltd. Vs. Naveen Srivastava व अन्य में पारित आदेश दिनांक 15-04-2019 को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षीगण को परिवादीगण की जमा धनराशि तीन महीने के अन्दर जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करने का अवसर दिया जाना उचित है और यदि इस अवधि में विपक्षीगण, परिवादीगण की जमा धनराशि उपरोक्त प्रकार से वापस नहीं करते हैं तब परिवादीगण की जमा धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज के साथ वापस करने हेतु विपक्षीगण को आदेशित किया जाना उचित है।
परिवाद पत्र में याचित अनुतोष एवं सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए उपरोक्त अवधि 6 महीने में परिवादीगण को वैकल्पिक फ्लैट का कब्जा विपक्षीगण द्वारा दिये जाने की दशा में विपक्षीगण द्वारा
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परिवादीगण को 1,00,000/-रू० क्षतिपूर्ति मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु दिलाया जाना भी उचित है। साथ ही परिवादीगण को 10,000/-रू० वाद व्यय दिया जाना भी उचित है।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए परिवाद पत्र में याचित अन्य अनुतोष प्रदान करने हेतु उचित आधार नहीं हैं।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादीगण को आवंटित प्रश्नगत फ्लैट के स्थान पर उसी स्तर एवं क्षेत्रफल का दूसरा वैकल्पिक फ्लैट उसी परियोजना में इस निर्णय की तिथि से 6 महीने के अन्दर आवंटित फ्लैट के मूल्य पर ही ऋण करार पत्र के अनुसार अवशेष धनराशि बिना ब्याज के प्राप्त करके परिवादीगण को कब्जा प्रदान करें तथा विक्रय पत्र निष्पादित करें। इसके साथ ही वे परिवादीगण को विलम्ब हेतु क्षतिपूर्ति के लिए उनकी जमा धनराशि 23,94,742/-रू० पर 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से दो वर्ष पहले की तिथि से कब्जा देने की तिथि तक अदा करेंगे। विलम्ब हेतु क्षतिपूर्ति की यह धनराशि परिवादीगण के जिम्मा अवशेष धनराशि में समायोजित की जा सकती है।
यदि उपरोक्त अवधि में विपक्षीगण परिवादीगण को वैकल्पिक भवन उपलब्ध कराने में असफल रहते हैं तब वे परिवादीगण की जमा धनराशि 23,94,742/-रू० जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक तीन महीने के अन्दर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ परिवादीगण को वापस करेंगे। यदि इस तीन महीने के अन्दर विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को यह धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक उपरोक्त ब्याज
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सहित वापस नहीं की जाती है तब विपक्षीगण, परिवादीगण की जमा धनराशि 23,94,742/-रू० जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ परिवादीगण को वापस करेंगे।
विपक्षीगण, परिवादीगण को 10,000/-रू० वाद व्यय भी अदा करेंगे।
यदि विपक्षीगण, परिवादीगण को उपरोक्त नियत अवधि 6 महीने के अन्दर वैकल्पिक फ्लैट पूर्ण रूप से तैयार कर उपरोक्त प्रकार से परिवादीगण को देने में असफल रहते हैं तब वे परिवादीगण की जमा धनराशि उपरोक्त प्रकार से ब्याज के साथ वे वापस करेंगे और ऐसी स्थिति में कब्जा में विलम्ब हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में आदेशित उपरोक्त ब्याज परिवादीगण पाने के अधिकारी नहीं होंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01