(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
परिवाद संख्या : 279/2017
Raksha Singh, aged about 31 years, wife of Amit Kumar Singh, resident of House No. 104, Kaushall Puri Khargapur, Gomti Nagar, Lucknow.
बनाम्
- Ansal Properties & Infrastructure Limited, registered office situated at 115, Ansal Bhawan, 16, Kasturba Gandhi Marg, New Delhi, through its Director.
- Ansal Properties & Infrastructure Limited, First Floor YMCA, Campus 13 Rana Pratap Marg, Lucknow, through its Managing Director.
- Anuj Maurya, Proprietor Hyperlink Realtor (Business Associates), First Floor YMCA Campus 13 Rana Pratap Marg, Lucknow.
- .विपक्षीगण
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष ।
उपस्थिति :
परिवादी की ओर से उपस्थित- श्री सर्वेश कुमार शर्मा।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक 31-05-2019
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मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवादी Raksha Singh ने यह परिवाद विपक्षीगण Ansal Properties & Infrastructure Limited व दो अन्य के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है :-
- Direct the opposite parties to deliver the physical possession of the fully developed polt No. 561, situated at Sushant Golf City ad measuring 340 square yards with all the basic amenities and to pay an amount of Rs. 13 Lakhs towards the reduced area of this plot in an eventuality the plot ad measuring 294 square yards is offered to the complainant.
- Direct the opposite parties to pay interest at the rate of 18% on Rs. 13 Lakhs with effect from 25.03.2017 till the date of the payment in an eventuality the plot offered for possession is less in area about 46 square yards.
- Direct the opposite parties to pay interest on the amount deposited by the complainant with effect from the respective dates of deposits till the date of possession of the plot as this Hon’ble Commission may deem it fit proper and judicious under the circumstances of the case.
- Direct the opposite parties to pay an amount of Rs. 20000/- towards rent with effect from 23-05-2017 till the date of the possession of the plot.
- Direct the opposite party No.3 to pay the demanded compensation, damages, cost ete. Along with the opposite party nos. 1 and 2.
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- Direct the opposite parties to pay appropriate compensation and damages which this Hon’ble Commission may deem it just and proper in the facts and circumstances of this case.
- Direct the opposite parties to pay Punitive Damages to the complainant which this Hon’ble Commission may deem it just and proper in the facts and circumstances of this case.
- Allow the complaint and direct the opposite parties to pay a sum Rs. 1,00,000/- towards cost of the case.
- Any other order which this Hon’ble State Commission may deem fit and proper in the circumstances of the case may also be passed.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण प्लाट/फ्लैट व यूनिट्स का निर्माण व विकास का व्यवसाय करते है। विपक्षी संख्या-3 विपक्षीगण संख्या-1 व 2 का business associate है और उनके सहयोग से निर्माण का कार्य करता है। विपक्षीगण अपने सभी क्रेताओं को यह आश्वासन दिया कि सक्षम अधिकारी से आवश्यक अनुमति प्राप्त कर ली गयी है और प्लान सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत है। इस पर विश्वास कर श्रीमती शोभा अग्रवाल ने विपक्षीगण की योजना में एक रिहायसी प्लाट लेने का निश्चित किया और उन्हें प्लाट संख्या-561, सुशांत गोल्फ सिटी में आवेदन पत्र पर वायर एग्रीमेंट दिनांक 19-09-2007 के द्वारा आवंटित किया गया जिसका क्षेत्रफल 284 स्क्वायर मीटर 340 स्क्वायर गज है और मूल्य रू0 6,000/- प्रति स्क्वायर गज है इस प्रकार आवंटित प्लाट का कुल तय मूल्य 20,40,000/- था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसे प्लाट की आवश्यकता थी इसलिए उसने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 के
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अधिकृत एजेन्ट विपक्षी संख्या-3 के माध्यम से श्रीमती शोभा अग्रवाल से सम्पर्क किया और सभी विपक्षीगण ने उसे आश्वासन दिया कि भूमि पर कोई भार नहीं है और आवासीय उद्देश्य से उचित है। इस पर विश्वास कर परिवादिनी ने श्रीमती शोभा अग्रवाल को भुगतान किया और प्लाट सं0-0561 परिवादिनी के नाम दिनांक 08-11-2016 को अन्तरित कर दिया गया तथा अन्तरण पत्र पर विपक्षी संख्या-3 एवं विपक्षी संख्या-1 व 2 ने हस्ताक्षर किये और परिवादिनी से 340 स्क्वायर गज के हिसाब से रू0 21,42,000/- जमा करने के लिए कहा। उसके बाद विपक्षीगण ने उससे रू0 1,22,400/- फ्री होल्ड चार्ज, सर्विस चार्ज एवं अन्य चार्ज के रूप में लिया है।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण ने उसे दिनांक 23-05-2017 को पत्र के द्वारा कब्जे का आफर दिया परन्तु प्लाट का क्षेत्रफल कम कर 294 वर्ग गज कर दिया जबकि उन्होंने 340 वर्ग गज का भुगतान उससे प्राप्त किया है। अत: परिवादिनी ने विपक्षीगण को इस संदर्भ में सूचित किया और प्रोटेस्ट लेटर दिनांक 01-06-2017 देकर रू0 13,00,000/- वापस करने और 340 वर्ग गज क्षेत्रफल पर कब्जा देने हेतु कहा। उसके पुन: बाद परिवादिनी ने विपक्षीगण को पत्र दिनांक 16-06-2017 भेजा, परन्तु विपक्षीगण ने कमी पूरी नहीं की । इस प्रकार परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण ने अनुचित व्यापार पद्धति अपनाई है और सेवा में कमी की है। विपक्षीगण ने न तो कोई धनराशि वापस किया और न ही आवंटित भूखण्ड का कब्जा दिया। अत: विवश होकर परिवादिनी ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कहा है कि परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधान के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है। परिवादिनी इन्वेस्टर है और वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है। लिखित कथन में विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने कहा है कि परिवादिनी ने प्लाट संख्या-0561 सेक्टर-ए पाकेट-4 सुशांत सिटी लखनऊ में आवंटन हेतु आवेदन
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दिया। परिवादी ने 284 वर्ग मीटर का प्लाट बुक किया जिसका मूल्य रू0 6,000/- प्रति वर्ग गज था इस प्रकार प्लाट का कुल मूल्य रू0 20,40,000/- था।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 व 2 ने कहा है कि परिवादिनी और उनके बीच दिनांक 19-09-2017 को करार पत्र निष्पादित किया गया जिसमें अंकित शर्तों के अनुसार विपक्षीगण संख्या-1 व 2 अर्थात डेवलपर द्वारा विकास कार्य पूर्ण करने और कब्जा देने हेतु युक्तिसंगत समय की बढ़ोत्तरी की जा सकती है यदि अपरिहार्य कारणों से फोर्स मिज्योर की स्थिति में आवश्यक हो।
लिखित कथन में विपक्षी ने कहा है कि प्रश्नगत प्लाट के विकास कार्य में विलम्ब अपरिहार्य (फोर्स मिज्योर) कारणों से हुआ है। ऐसी स्थिति में विपक्षी संख्या-1 व 2 को समय बढाने का अधिकार है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि विपक्षी द्वारा परिवादिनी को दी गयी सेवा धारा-2(1)(ओ) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत सेवा नहीं है1 लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 व 2 की ओर से कहा गया है कि प्रश्नगत यूनिट का निर्माण कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है और जल्द ही पूरा कर दिया जायेगा तथा निर्माण कार्य पूरा होने पर विपक्षी संख्या-1 व 2 की कम्पनी द्वाराकरार पत्र के अनुसार एलाटीज को कब्जा दिया जायेगा।
विपक्षी संख्या-3 ने भी अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कहा है कि परिवादिनी उसकी उपभोक्ता नहीं है। वह विपक्षी संख्या-1 व 2 के अथराइज्ड एजेन्ट है। उसका कार्य ग्राहकों को बिल्डर की सम्पत्ति बेचने और खरीदने का है। उसने परिवादी और श्रीमती शोभा अग्रवाल की मुलाकात विपक्षी संख्या-1 व 2 से 340 वर्ग गज के प्लाट के लिए कराया था। जिसका मूल्य 90 लाख रूपया पक्षों के बीच तय हुआ और परिवादिनी ने रू0 90 लाख रूपया श्रीमती शोभा अग्रवाल को 340 वर्ग गज की खरीदने के लिए अदा किया था। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-3 ने कहा है कि परिवादिनी ने उसे इस तथ्य से अवगत नहीं कराया है कि उसे 340 वर्ग गज के प्लाट के स्थान पर
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294 वर्ग गज का प्लाट दिया जा रहा है। अत: इस बात की उसे कोई जानकारी नहीं है। उसकी सेवा में कोई कमी नहीं है।
परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। मूल शपथ पत्र के अतिरिक्त उसने अपना पूरक शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया है।
विपक्षी संख्या-3 ने लिखित कथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा उपस्थित आए। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया।
मैंने परिवादी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवादी और विपक्षी संख्या-1 व 2 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है।
परिवादिनी ने पूरक शपथ पत्र प्रस्तुत कर यह स्वीकार किया है कि उसने प्रश्नगत भूखण्ड हेतु 90 लाख रूपया श्रीमती शोभा अग्रवाल को अदा किया है। परिवाद पत्र से स्पष्ट है कि प्रश्नगत प्लाट की मूल आवंटी श्रीमती शोभा अग्रवाल थी जिनसे परिवादिनी ने आवंटन अपने नाम अन्तरित कराया है। प्रश्नगत प्लाट का क्षेत्रफल 284 वर्गमीटर, 340 वर्ग गज श्रीमती शोभा अग्रवाल एवं विपक्षीगण के बीच निष्पादित बायर एग्रीमेंट में अंकित है। विपक्षीगण संख्या-1 व 2 दोनों ने परिवादिनी के नाम प्रश्नगत यूनिट का जो अन्तरण पत्र दिनांक 08-11-2016 जारी किया है उसमें भी प्रश्गनत भूखण्ड का रकबा 284 वर्गमीटर अंकित है।
विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने जो परिवादिनी को पत्र दिनांक 23-05-2017 कब्जा के लिए भेजा है उसमें यूनिट नम्बर अंकित है। क्षेत्रफल अंकित नहीं है।
परिवादिनी ने विपक्षीगण संख्या-1 व 2 को प्रेषित पत्र दिनांक 01-06-2017 जो परिवाद के साथ संलग्न किया गया है में कहा है कि
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रजिस्ट्री के समय उसे ज्ञात हुआ कि भूखण्ड का क्षेत्रफल 294 वर्ग गज है। भूखण्ड का बयनामा प्रस्तुत नहीं किया गया है। भूखण्ड पर मौका पर कब्जा देने का उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं है। अत: उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है कि प्रश्नगत भूखण्ड का रकबा विपक्षीगण ने 340 वर्ग गज से कमकर 284 वर्गगज किया है। इसके साथ ही उल्लेखनीय है कि प्रश्नगत भूखण्ड का बायर एग्रीमेंट के अनुसार मूल्य 20,40,000/- है जबकि परिवादिनी ने यह भूखण्ड श्रीमती शोभा अग्रवाल को रू0 90,00,000/-देकर अपने नाम अन्तरिम कराया है और रकबा में कमी के आधार पर 13,00,000/-रू0 उसी दर पर वापस मांगा है जिस दर पर श्रीमती शोभा अग्रवाल को भुगतान किया है। बढ़ी दर पर भुगतान श्रीमती शोभा अग्रवाल ने प्राप्त किया है। श्रीमती शोभा अग्रवाल परिवाद में पक्षकार नहीं है और परिवादिनी एवं श्रीमती शोभा अग्रवाल के बीच प्रश्नगत संव्यवहार के संबंध में परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत ग्राह्य होगा यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
उपरोक्त विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों व साक्ष्यों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ कि वर्तमान परिवाद में तथ्य व विधि के जटिल प्रश्न निहित है जो व्यवहार न्यायालय द्वारा ही निर्णीत किया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद परिवादिनी को सक्षम व्यवहार न्यायालय में वाद प्रस्तुत करने की छूट के साथ निरस्त किया जाता है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0