Uttar Pradesh

StateCommission

CC/165/2016

Raghawendra Pratap Singh - Complainant(s)

Versus

Ansal Properties and Infracture Ltd - Opp.Party(s)

H K Srivastava

01 Jul 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/165/2016
( Date of Filing : 27 Jun 2016 )
 
1. Raghawendra Pratap Singh
R/O Flat No. 4-C Tower -B Mahaveer Greens Apartment Sri Mahaveerji Temple U.P. College Road Ardali Bazar Varansi
Varanasi
Utter Pradesh
...........Complainant(s)
Versus
1. Ansal Properties and Infracture Ltd
115 Ansal Bhawan 16 Kasturba Gandhi Marg New Delhi 110001
New Delhi
Delhi
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 01 Jul 2019
Final Order / Judgement

 

                                                                                                                                                                                        (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

परिवाद सं0- 165/2016

Sri Raghvendra pratap singh, son of Sri Raj kishore singh, resident of flat no. 4-C, Tower-B, Mahaveer greens’ Apartment, Sri Mahaveerji Temple, U.P. College road, Ardali bazar, Varanasi.

                                      ……Complainant

 

                                                    Versus

  1. Chairman & Managing Director, M/s Ansal Properties & Infrastructure ltd., 115-Ansal bhawan, 16-Kasturba Gandhi marg, New Delhi-110001.
  2. General Manager (Ansal API), M/s Ansal Properties & Infrastructure ltd., Ist floor, YMCA Campus, 13- Ranapratap marg, Lucknow.  

                                   ……..Opposite Parties  

  

समक्ष:-   

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।   

परिवादी की ओर से उपस्थित     : श्री शरद द्विवेदी, विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

                  

दिनांक:- 31.07.2019  

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                                 

निर्णय

          परिवादी श्री राघवेन्‍द्र प्रताप सिंह ने यह परिवाद विपक्षीगण चेयरमैन एण्‍ड मैनेजिंग डायरेक्‍टर मै0 अंसल प्रापर्टीज एण्‍ड इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0 और जनरल मैनेजर अंसल एपीआई मै0 अंसल प्रापर्टीज एण्‍ड इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0 के विरुद्ध धारा- 17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और निम्‍न अनुतोष चाहा है :-

                   (i) To direct the opposite parties to make the payment of Rs. 30,28,880/- (which have been excessively deposited to opposite party) along with interest @ 18% per annum from the date 1.12.15 the date claiming the refund of excess amount through letter date 1.12.2015 P.S. no. 10) of the Complaint till its actual payment.

                   (ii) To direct the opposite parties to make payment of compensation of Rs 5.0 lakh towards harassment and mental agony caused to the complainant.

                   (iii) To allow the cost of the complaint in favour of the complainant.

                   (iv) To pass any order or direction which this learned Forum may deem just, fit and proper under the circumstances of the case.      

          परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण ने परिवादी को अपनी आवासीय योजना सेलीब्रिटी वुड्स में यूनिट नं0- 0536-0-B5/04/02 और फ्लैट नं0- B-5/04/02 आवंटित किया जिसके लिए परिवादी ने 3,59,489/-रु0 बुकिंग एमाउण्‍ट जमा किया था। आवंटित फ्लैट का कुल मूल्‍य 73,44,950/-रु0 था।

          परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण की टर्म्‍स एण्‍ड कंडीशन के अनुसार परिवादी को 22,71,588/-रु0 खुदाई का काम शुरू होने के पहले जमा करना था और यह धनराशि 3,78,600/-रु0 की किश्‍तों में जमा की जानी थी। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने उपरोक्‍त किश्‍तों का भुगतान शुरू किया, परन्‍तु अपनी माता की बीमारी के कारण वह एक किश्‍त समय से जमा नहीं कर सका जिसके लिए विपक्षीगण ने उससे 4,467.63/-रु0 पेनाल्‍टी की मांग की। परिवादी ने ब्‍याज की यह धनराशि मानवीय आधार पर विपक्षीगण से माफ करने का अनुरोध किया, परन्‍तु वे नहीं मानें। अत: परिवादी ने पत्र दि0 23.05.2014 के द्वारा ब्‍याज की धनराशि 10,268.82/-रु0 जमा कर दिया।

          परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उपरोक्‍त एक किश्‍त में विलम्‍ब को छोड़कर उसने सभी किश्‍तें समय से जमा किया है और उक्‍त किश्‍त के विलम्‍ब हेतु उसने पेनल इंट्रेस्‍ट भी अदा कर दिया है। इसके साथ ही उसने अग्रिम किश्‍तों के भुगतान में विलम्‍ब से बचने के लिए 30,28,880/-रु0 की अधि‍क धनराशि विपक्षीगण के यहां जमा किया जब कि यह धनराशि अभी देय नहीं थी, परन्‍तु विपक्षीगण ने उसे इस बात से अवगत नहीं कराया। अत: देय धनराशि से अधिक धनराशि का भुगतान करने की जानकारी होने पर उसने अधिक धनराशि 30,28,880/-रु0 की ब्‍याज सहित वापसी की मांग की, परन्‍तु विपक्षीगण ने उसकी मांग पर कोई ध्‍यान नहीं दिया। इस पर उसने विपक्षीगण को पत्र दि0 18.12.2015 और 16.01.2016 भेजा एवं अधिक जमा धनराशि वापस किये जाने की मांग की, परन्‍तु विपक्षीगण ने कोई ध्‍यान नहीं दिया। परिवादी व्‍यक्तिगत रूप से भी विपक्षीगण के अधिकारियों से मिला और अधिक जमा धनराशि वापस करने की मांग की, परन्‍तु विपक्षीगण ने उसकी अधिक जमा धनराशि वापस नहीं की। अत: विवश होकर दि0 28.03.2016 को उसने विद्वान अधिवक्‍ता के माध्‍यम से उपरोक्‍त धनराशि की वापसी हेतु नोटिस भेजा, परन्‍तु विपक्षीगण ने उसे अधिक अदा की गई उपरोक्‍त धनराशि वापस नहीं किया। अत: परिवादी ने परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध प्रस्‍तुत कर उपरोक्‍त अनुतोष चाहा है।

          विपक्षीगण सं0- 1 और 2 की ओर से संयुक्‍त लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और कहा गया है कि परिवादी द्वारा याचित अनुतोष की धनराशि 1,08,73,830/-रु0 है। अत: परिवाद राज्‍य आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार से परे है। इसके साथ ही विपक्षीगण ने लिखित कथन में कहा है कि विपक्षीगण ने सेवा में कोई कमी नहीं की है।

          परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है।

          विपक्षीगण की ओर से श्री नंद किशोर का शपथ पत्र साक्ष्‍य में प्रस्‍तुत किया गया है।

          परिवाद में अन्तिम सुनवाई के समय परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री शरद द्विवेदी उपस्थित आये हैं। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुनकर एवं सम्‍पूर्ण पत्रावली का अवलोकन कर गुण-दोष के आधार पर परिवाद का निस्‍तारण किया जा रहा है।

          मैंने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।

          परिवादी को आवंटित फ्लैट का मूल्‍य 73,44,950/-रु0 है। परिवादी द्वारा अपनी जमा धनराशि 30,28,880/-रु0 की वापसी की मांग ब्‍याज सहित की जा रही है। यह धनराशि फ्लैट के मूल्‍य 73,44,950/-रु0 की धनराशि है। फ्लैट के मूल्‍य से अलग यह धनराशि नहीं है। अत: यह कहना उचित नहीं है कि परिवाद का मूल्‍यांकन एक करोड़ रुपया से अधिक है। परिवाद राज्‍य आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार के अन्‍दर है।

          परिवाद पत्र के कथन से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी ने प्रश्‍नगत धनराशि 30,28,880/-रु0 स्‍वयं विपक्षी के यहां जमा किया है। परिवादी के अनुसार भविष्‍य में भुगतान में विलम्‍ब व ब्‍याज से बचने के लिए उसने स्‍वयं यह धनराशि पेमेन्‍ट प्‍लान के अनुसार देय होने के पहले जमा किया है। परिवादी द्वारा जमा यह धनराशि फ्लैट के तयमूल्‍य से अधिक नहीं है। आवंटन पत्र के साथ पेमेंट प्‍लान परिवादी को दिया गया था। अत: यह कहना उचित नहीं है कि विपक्षी ने यह धनराशि जमा करते समय परिवादी को नहीं बताया कि यह धनराशि अभी देय नहीं है। परिवाद पत्र में निर्माण में विलम्‍ब या कब्‍जा अंतरण में विलम्‍ब अभिकथित नहीं है और न ही निर्माण की वर्तमान स्थिति के सम्‍बन्‍ध में कोई अभिकथन है। परिवादी यह धनराशि वापस पाने की मांग मात्र इस आधार पर कर रहा है कि पेमेंट प्‍लान के अनुसार भुगतान देय होने के पहले ही उसने यह धनराशि जमा की है।

          चूंकि परिवादी ने स्‍वयं यह धनराशि विपक्षी के यहां स्‍वेच्‍छा से जमा किया है और यह धनराशि कुल तयमूल्‍य के अन्‍दर है तथा निर्माण या कब्‍जा में विलम्‍ब की कोई शिकायत परिवाद पत्र में अभिकथित नहीं है। अत: परिवादी द्वारा स्‍वयं स्‍वेच्‍छा से जमा की गई धनराशि को वापस करने हेतु विपक्षी को आदेशित किये जाने हेतु उचित आधार नहीं है।

                             आदेश

          परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

          उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।  

 

 

                  (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                               

                                      अध्‍यक्ष                           

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

         

           

 

 

 

 

 

 

 

 

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.