राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-135/2017
(सुरक्षित)
QUAZI FAIZAN AHMAD, ADULT
PRESENT ADDRESS-203-B, HALWASIA LOREPUR BUILDING
NEW HYDRABAD, DR BAIZNATH ROAD
LUCKNOW
PERMANENT ADDRESS-VILL-NIDURA
POST-KUREBHAR
DISTT-SULTANPUR
....................परिवादी
बनाम
1. ANSAL PROPERTIES & INFRASTRUCTURE LTD
GOUND FLOOR, YMCA CAMPUS
13, RANA PRATAP MARG
LUCKNOW-226001 THROUGH
ITS MANAGING DIRECTOR
2. ABHISHT DEVELOPERS & BUILDERS PVT LTD
2nd FLOOR, JAI HIND COMMERCIAL CENTER
B.N ROAD, LALBAGH
LUCKNOW, THROUGH ITS MANAGING DIRECTOR
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री मुजीब एफेंडी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री मानवेंद्र प्रताप सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं02 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 02-11-2018
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मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादी काजी फैजान अहमद ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0 और अभीष्ट डेवलपर्स एण्ड बिल्डर्स प्रा0लि0 के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
1. that this Hon’ble Forum may be pleased to order the Opp parties to refund to the Complainant a sum of RS 15,58,721/- along with an interest at the rate of 18% per annum from the date of deposit till the date of actual payment.
2. that a sum of Rs5,00,000/- may also be awarded to the Complainant against the Opp parties on account of Compensation for mental tension and agony as inflicted due to deficient services of Opp parties. The Opp parties may also be directed to pay to the Complainant rent of house from the date of booking @ 15000/- per month (average rent) by way of damages which the Complainant has paid due to deficiency in services of the Opp parties.
3. that the cost of suit amounting to Rs 25000/= may also be awarded to the Complainant against the Opp
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parties.
4. that any other relief deemed fit and appropriate under the facts and circumstances of the case may also be awarded to the Complainant against the Opp parties.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि वर्ष 2011 में विपक्षीगण ने ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत सेलीब्रिटी मीडोज नाम से सुशान्त गोल्फ सिटी, सुलतानपुर रोड लखनऊ में परियोजना शुरू की और उक्त परियोजना में फ्लैट की बिक्री आमंत्रित की तथा यह आश्वासन दिया कि फ्लैट का निर्माण बुकिंग/एलाटमेंट की तिथि से 36 महीने के अन्दर कर दिया जाएगा। परिवादी को भी अपने आवास हेतु भवन की आवश्यकता थी। अत: वर्ष 2013 में उसने विपक्षीगण से एक अपार्टमेंट के एलाटमेंट के लिए सम्पर्क किया। इस पर विपक्षीगण ने उसे फ्लैट नं0-एम/07/02 सेलीब्रिटी मीडोज में आंवटित करने की इच्छा व्यक्त की और बताया कि उन्हें यह फ्लैट पूर्व आवंटी श्रीमती पायल अग्रवाल से अंतरण के द्वारा आवंटित किया जाएगा। इस फ्लैट का मूल आवंटन श्रीमती पायल अग्रवाल के नाम से मई 2013 में हुआ है। इसके साथ ही विपक्षीगण ने परिवादी को यह आश्वस्त किया कि अंतरण से एलाटमेंट होने पर वह मूल आवंटी की जगह पाएगा और उसे देय सभी लाभ उसे मिलेगा। इसके साथ ही विपक्षीगण ने यह भी आश्वस्त किया कि स्कीम 2011 में लांच की गयी है और
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ऐसी स्थिति में फ्लैट का कब्जा आवंटियों को जल्द ही दिया जाएगा। अत: विपक्षीगण के आश्वासन पर परिवादी ने सभी औपचारिकतायें अंतरण हेतु पूरी की और अंतरण चार्ज 29,530/-रू0 दिनांक 20.12.2013 को विपक्षीगण को अदा किया। तब उसे उपरोक्त फ्लैट अंतरण के माध्यम से आवंटित किया गया, जिसका कुल मूल्य 59,10,000/-रू0 था और क्षेत्रफल 3000 वर्ग फीट था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उपरोक्त फ्लैट के आवंटन के बाद मूल बायर एग्रीमेंट, जो विपक्षीगण और उपरोक्त श्रीमती पायल अग्रवाल के मध्य निष्पादित किया गया था, का अंतरण परिवादी के नाम विपक्षीगण द्वारा किया गया तथा फ्लैट के मूल्य की उपरोक्त धनराशि 59,10,000/-रू0 कांस्ट्रक्शन लिंक प्लान के अनुसार परिवादी को अदा करनी थी।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने पेमेंट प्लान के अनुसार विपक्षीगण की मांग पर कुल 15,58,721/-रू0 अदा किया है, परन्तु मौके पर फ्लैट का निर्माण बन्द है और बिल्डिंग की नींव भी नहीं पड़ी है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि पेमेंट शिड्यूल के अनुसार फ्लैट के मूल्य का 10 प्रतिशत टावर की नींव की खुदाई के समय देय है, परन्तु नींव की खुदाई किए बिना विपक्षीगण ने दिनांक 06.01.2014 को 6,40,189/-रू0 परिवादी से चार्ज किया है, जो उसकी सेवा में दोष है और अनुचित व्यापार पद्धति है।
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परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि अनेकों साल बीतने के बाद भी विपक्षीगण ने परियोजना का निर्माण पूरा नहीं किया है और अपना वादा नहीं निभाया है, जबकि परिवादी से उन्होंने भारी धनराशि प्राप्त की है। अत: परिवादी ने कोई और विकल्प न देखकर दिनांक 13.01.2016 को विपक्षीगण से अपनी जमा धनराशि ब्याज सहित वापस करने का अनुरोध किया, परन्तु उन्होंने उसकी जमा धनराशि ब्याज सहित वापस नहीं की है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद राज्य आयोग के समक्ष विपक्षी के विरूद्ध प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि परिवादी स्वच्छ हाथों से आयोग के समक्ष नहीं आया है। उसने वास्तविकता को छिपाया है। विपक्षी संख्या-1 का वर्तमान सेलीब्रिटी मीडोज के टावर के निर्माण से कोई सम्बन्ध नहीं है। विपक्षी संख्या-1 मात्र इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट्स जैसे रोड, सीवर व टाउनशिप की अन्य सुविधाओं हेतु उत्तरदायी है। परिवादी के प्रश्नगत फ्लैट के निर्माण हेतु विपक्षी संख्या-2 अभीष्ट डेवलपर्स एण्ड बिल्डर्स प्रा0लि0 उत्तरदायी है। इसके साथ ही लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने भुगतान में चूक की है। इस कारण निर्माण में विलम्ब हुआ है। यदि परिवादी जमा धनराशि का रिफण्ड चाहता है तो विपक्षी संख्या-1 जमा धनराशि से अर्नेस्ट मनी घटाकर अवशेष धनराशि बिना ब्याज के वापस करने को तैयार है। इसके साथ ही
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विपक्षी संख्या-1 परिवादी को इसी टाउनशिप में वैकल्पिक फ्लैट देने को भी तैयार है। विपक्षी संख्या-1 की ओर से कोई अनुचित व्यापार पद्धति नहीं अपनायी गयी है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादी ने करार पत्र दिनांक 01.10.2013 के अन्तर्गत अपना दायित्व नहीं निभाया है और किस्तों का भुगतान समय से नहीं किया है। उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद ग्राह्य नहीं है और वह कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।
परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी काजी फैजान अहमद का शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण की ओर से साक्ष्य में कोई शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मुजीब एफेंडी और विपक्षी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मानवेंद्र प्रताप सिंह उपस्थित आए हैं। विपक्षी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने परिवादी एवं विपक्षी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपने लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने यह कहा है कि परिवादी के फ्लैट के निर्माण हेतु विपक्षी संख्या-2 अभीष्ट डेवलपर्स एवं बिल्डर्स उत्तरदायी है। वह टाउनशिप की सुविधा जैसे रोड, सीवर आदि के लिए उत्तरदायी है, परन्तु इसके साथ ही लिखित
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कथन की धारा-11 में उसने कहा है कि सुलतानपुर रोड पर लखनऊ में सुशान्त गोल्फ सिटी हाईटेक टाउनशिप दोनों विपक्षीगण विकसित कर रहे हैं। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने यह भी कहा है कि यदि परिवादी अपनी जमा धनराशि वापस चाहता है तो अर्नेस्ट मनी घटाकर विपक्षी वापस करने को तैयार है।
परिवाद पत्र का संलग्नक-2 एलाटमेंट लेटर है। एलाटमेंट लेटर का Schedule II Schedule of Payment है, जिसके अनुसार परिवादी को भुगतान करना था। इस पेमेन्ट शिड्यूल के अनुसार बुकिंग के समय 3,00,000/-रू0, बुकिंग के 90 दिन के अन्दर 5,91,000/-रू0 और टावर की नींव की खुदाई के समय 6,21,000/-रू0 जमा करना था। यह तीनों धनराशि परिवादी ने जमा की है। उसने कुल 15,58,721/-रू0 जमा किया है यह तथ्य अविवादित है। परिवादी का कथन है कि मौके पर निर्माण कार्य बन्द है। निर्माण कार्य प्रगति पर है यह विपक्षीगण साबित नहीं कर सके हैं। इसके विपरीत विपक्षी संख्या-1 ने परिवादी की जमा धनराशि अर्नेस्ट मनी की धनराशि घटाकर वापस करने की सहमति व्यक्त की है। अत: उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों से स्पष्ट है कि परिवादी को आवंटित फ्लैट का निर्माण प्रगति पर नहीं है। परिवादी ने फ्लैट अपनी आवासीय आवश्यकता के लिए बुक किया है। अत: उसके लिए इतना लम्बा इन्तजार सम्भव नहीं है। अत: उसे उसकी जमा धनराशि विपक्षीगण से वापस कराया जाना न्याय की दृष्टि से आवश्यक है। परिवादी को जमा धनराशि के
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रिफण्ड की मांग निर्माण में विलम्ब के कारण करनी पड़ी है, जिसके लिए विपक्षीगण उत्तरदायी हैं। अत: विपक्षीगण द्वारा परिवादी की जमा धनराशि से अर्नेस्ट मनी की कटौती करना उचित नहीं है। सम्पूर्ण तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विचार करते हुए परिवादी को उसकी जमा धनराशि ब्याज सहित वापस दिलाया जाना उचित है। माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा प्रभात वर्मा व एक अन्य बनाम यूनिटेक लिमिटेड व एक अन्य III (2016) CPJ 635 (NC) के वाद में दिए गए निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए ब्याज दर 18 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित किया जाना उचित है।
परिवादी को 10,000/-रू0 वाद व्यय दिलाया जाना भी उचित है।
परिवादी की जमा धनराशि ब्याज सहित वापस दिलायी जा रही है। अत: परिवादी द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद अंशत: स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी की जमा धनराशि 15,58,721/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ परिवादी को वापस करें। साथ ही उसे 10,000/-रू0 वाद व्यय प्रदान करें।
उपरोक्त धनराशि का भुगतान विपक्षीगण दो मास के अन्दर करेंगे। यदि विपक्षीगण इस अवधि में भुगतान नहीं करते हैं तो
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परिवादी वसूली की कार्यवाही विधि के अनुसार करने हेतु स्वतंत्र होगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1