(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद सं0- 124/2019
पायल मदान उम्र लगभग 34 वर्ष पत्नी श्री सनी मदान, निवासी-आसियाना के-1270, नियर सेन्ट्रल अकेडमी स्कूल- कानपुर रोड लखनऊ, पोस्ट-एल0डी0ए0 कालोनी लखनऊ, जनपद- लखनऊ।
.........परिवादिनी
बनाम
अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0, प्रथम तल वाईएमसीए विल्डिंग, 13 राणा प्रताप मार्ग लखनऊ- 226001 द्वारा अधिशासी निदेशक।
.........विपक्षी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री बी0के0 उपाध्याय,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 03.09.2020
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवादिनी पायल मदान ने यह परिवाद विपक्षी असंल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0 के विरुद्ध धारा- 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
(1) यह कि विपक्षी को आदेश दिया जाय टावर सी 2 का भूमि जो खाली रखा है उसका निर्माण तत्काल प्रारम्भ कर यथा शीघ्र फ्लैट संख्या-सी2/307 तृतीय तल पर कब्जा देकर विक्रय विलेख सम्पादित करे। कार्य प्रारम्भ से कार्य समाप्त तक अनुबन्धित पेमेन्ट प्लान के तहत धनराशि परिवादिनी से प्राप्त करे। मेरे जमा धनराशि 5,80,945/-रूपये पर जमा तिथि से विक्रय विलेख निष्पादन तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करे।
(2) यह कि यदि टावर सी 2 का निर्माण नहीं करता है तो वर्तमान समय में फ्लैट खरीदने में हुयी उपरोक्तानुसार बढोत्तरी के लिए कम से कम 10,00,000-00रू0 क्षतिपूर्ति प्यूनीटिव डैमेजेज के रूप में विपक्षी से परिवादिनी को दिलाया जाय तथा साथ ही साथ परिवादिनी के जमा 5,80,945-00 रू0 एवं इस पर जमा तिथि से वास्तविक भुगतान तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित भुगतान विपक्षी से परिवादिनी को दिलाया जाय।
(3) यह कि विपक्षी से वाद व्यय अधिवक्ता फीस के मद में 25,000-00 रूपया तथा मानसिक, शारीरिक कष्ट के मद में 1,00,000-00 रूपया परिवादिनी को दिलवाया जाये।
(4) यह कि माननीय आयोग की नजर में कोई अन्य अनुतोष जो मुझे दिलवाया जाना आवश्यक हो उसे भी विपक्षी से परिवादिनी को दिलवाया जाये।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी के प्रचार-प्रसार से आकर्षित होकर उसने विपक्षी के सुशांत गोल्फ सिटी लखनऊ के बसेरा इंक्लेब अपार्टमेंट में फ्लैट सं0-सी 2/307 के लिए दि0 29.03.2012 को आवेदन पत्र 70,000/-रू0 जमा कर दिया और बुकिंग की। तदोपरांत परिवादिनी और विपक्षी के बीच अनुबन्ध पत्र निष्पादित किया गया। फ्लैट का बेसिक मूल्य 18,79,983/-रू0 था और भुगतान अनुबंध के पेमेंट प्लान के अनुसार किया जाना था। अनुबंध पत्र के अनुसार परिवादिनी ने पेमेंट प्लान की प्रविष्टि 1-6 की किस्तों का भुगतान दि0 24.01.2013 तक विपक्षी को कर दिया। परन्तु विपक्षी ने आवंटित फ्लैट का निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं किया। न ही ले आउट प्लान के अनुसार टावर निर्माण हेतु चिन्हित किया।
मौखिक तौर पर भूमि विवाद की बात विपक्षी द्वारा बतायी गई, परन्तु लिखित रूप में कोई सूचना परिवादिनी को नहीं दी गई, जब कि विपक्षी के अन्य टावर बन गये हैं और बहुत से आवंटियों को विक्रय विलेख भी सम्पादित किया जा चुका है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि अनुबंध के तहत फ्लैट निर्माण करने का समय बिल्डिंग प्लान स्वीकृत की तिथि से 36 माह बताया गया था, परन्तु परिवाद प्रस्तुत करने तक परिवादिनी को आवंटित फ्लैट का निर्माण शुरू ही नहीं किया गया है।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी जानबूझकर परिवादिनी को आवंटित फ्लैट के टावर का निर्माण नहीं कर रहा है। इसके पीछे उसकी मंशा यह है कि बाद में टावर बनाकर ऊँचे दर पर बेचा जाए। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि परिवादिनी को आवंटित फ्लैट की कीमत वर्तमान में 40,00,000/-रू0 तक विपक्षी द्वारा ली जा रही है।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्तुत किया गया है। परिवादिनी ने मात्र पॉंच स्टालमेंट का भुगतान किया है जो जमीन की कीमत है। उसने भूमि के विकास हेतु आगे की किस्तों का भुगतान नहीं किया है। इस कारण भूमि के विकास में विलम्ब हुआ है। विलम्ब हेतु परिवादिनी स्वयं उत्तरदायी है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि परिवादिनी ने रियल इस्टेट बिजनेस से लाभ अर्जित करने के लिए फ्लैट बुक किया है और वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत उपभोक्ता नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि वह परिवादिनी की जमा धनराशि अर्नेस्ट मनी की कटौती कर बिना ब्याज के वापस करने को तैयार है। वह अपनी इसी परियोजना में वैकल्पिक फ्लैट या प्लाट भी परिवादिनी को देने को तैयार है।
परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादिनी पायल मदान ने अपना शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया है।
विपक्षी की ओर से श्री आशीष सिंह अथराइज्ड सिग्नेचरी का शपथ पत्र लिखित कथन के समर्थन में प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता श्री बी0के0 उपाध्याय और विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह उपस्थित आये हैं।
हमने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता ने निम्न न्यायिक निर्णयों को संदर्भित किया है:-
1- IV(2019) CPJ 206 (NC) Sahara Prime City Ltd. & Ors. Versus Tapasya Palawat.
2- IV(2019) CPJ 202 (NC) Alok Kumar Versus Golden Peacock Residency Private Limited & Anr.
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन एवं विपक्षी के अथराइज्ड सिग्नेचरी के शपथ पत्र में यह कहा गया है कि विपक्षी परिवादिनी की जमा धनराशि अर्नेस्ट मनी की कटौती कर बिना ब्याज के वापस करने को तैयार है। इसके साथ ही विपक्षी, परिवादिनी को इसी टाउनशिप में वैकल्पिक भवन या प्लाट उपलब्ध करने को तैयार है।
परिवाद पत्र की धारा 2 में परिवादिनी ने कहा है कि अनुबंध पत्र के अनुसार फ्लैट का बेसिक मूल्य 18,79,983/-रू0 था, जिसमें अनुबंध पत्र के पेमेंट प्लान के अनुसार प्रविष्टि 1 ता 6 की किस्तों का भुगतान उसने दि0 24.01.2013 तक विपक्षी को कर दिया है। परिवाद पत्र की धारा 2 को लिखित कथन में विपक्षी ने स्वीकार किया है। इसके साथ ही विपक्षी ने परिवादिनी की जमा धनराशि से अर्नेस्ट मनी काटकर बिना ब्याज के वापस करने हेतु अपनी स्वीकृति दिखायी है। अत: पेमेंट प्लान के अनुसार प्रविष्टि 1-6 तक की किस्तों का भुगतान परिवादिनी द्वारा विपक्षी को किया जाना अविवादित है। पेमेंट प्लान की प्रविष्टि 7 की किस्त का भुगतान On Excavation of Tower in which unit is booked पर किया जाना था और प्रविष्टि 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16 व 17 की किस्त का भुगतान उसके बाद निर्माण के विभिन्न स्तरों पर व कब्जा के समय किया जाना था। परिवादिनी के अनुसार विपक्षी ने परिवादिनी को आवंटित टावर का निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं किया है। इस संदर्भ में परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र की धारा 3 में किये गये कथन को विपक्षी के लिखित कथन की धारा 4 में स्वीकार किया गया है। अत: यह स्पष्ट है कि परिवादिनी को आवंटित फ्लैट व उसकी टावर का निर्माण कार्य विपक्षी ने प्रारम्भ नहीं किया है। न ही विपक्षी ने पेमेंट प्लान की प्रविष्टि 6 व उसके बाद की किस्तों के भुगतान हेतु परिवादिनी को कोई नोटिस भेजा है। फ्लैट एग्रीमेंट के क्लाज 22 में यह उल्लेख है कि विपक्षी एलाटी को अपार्टमेंट का पोजेशन बिल्डिंग प्लान सैक्सन की तिथि से 36 महीने के अन्दर ऑफर करेगा। परिवादिनी और विपक्षी के बीच प्रश्नगत फ्लैट का करार वर्ष 2012 में हुआ है, परन्तु अब तक फ्लैट का निर्माण कर कब्जे ऑफर परिवादिनी को नहीं किया गया है न ही फ्लैट के टावर का निर्माण कार्य प्रारम्भ कर पेमेंट प्लान की प्रविष्टि 6 व उसके बाद की किस्तों की धनराशि की मांग हेतु विपक्षी ने परिवादिनी को नोटिस प्रेषित की है। विपक्षी ने परिवादिनी को आवंटित फ्लैट के टावर का सैक्सन प्लान प्रस्तुत कर यह दर्शित नहीं किया है कि प्लान कब और किस तिथि में सैक्सन हुआ है या अभी नहीं हुआ है।
बिना सैक्सन प्लान के फ्लैट का आवंटन किया जाना और आवंटन के आठ साल बाद भी फ्लैट का निर्माण कार्य प्रारम्भ न किया जाना निश्चित रूप से विपक्षी की सेवा में कमी है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों व परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत हम इस मत के हैं कि विपक्षी की सेवा में कमी मानने हेतु उचित आधार है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों एवं परिवाद पत्र में याचित अनुतोष पर विचार करने के उपरांत विपक्षी को आदेशित किया जाना उचित है कि वह छ: महीने के अन्दर या तो परिवादिनी को आवंटित फ्लैट का निर्माण पूरा कर एलाटमेंट लेटर के अनुसार धनराशि प्राप्त कर उसे दे या उसी टाउनशिप में परिवादिनी को आवंटित फ्लैट के क्षेत्रफल व उसी स्तर का दूसरा फ्लैट उसी मूल्य पर एलाटमेंट लेटर के अनुसार अवशेष धनराशि प्राप्त कर परिवादिनी को उपलब्ध करावे और उसका विक्रय पत्र उसके पक्ष में निष्पादित करे। हम इस मत के हैं कि यदि उपरोक्त छ: मास की अवधि में विपक्षी, परिवादिनी को आवंटित फ्लैट या वैकल्पिक फ्लैट जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है का निर्माण कर उसी मूल्य पर एलाटमेंट अनुबंध पत्र के अनुसार अवशेष किस्तों की धनराशि का भुगतान प्राप्त कर परिवादिनी को कब्जा देने व विक्रय पत्र निष्पादित करने में असफल रहता है तो वह परिवादिनी की जमा धनराशि 5,80,945/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ उसे तीन मास में वापस करे।
फ्लैट की बुकिंग वर्ष 2012 में परिवादिनी ने की है और उपरोक्त धनराशि विपक्षी को एलाटमेंट अनुबंध के अनुसार अदा किया है। उसके बाद करीब आठ साल से अधिक समय बीत चुका है। ऐसी स्थिति में नया फ्लैट लेने में परिवादिनी को अब अधिक धन व्यय करना पड़ेगा और इसका कारण विपक्षी की सेवा में कमी है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि परिवादिनी को विपक्षी से उसकी जमा धनराशि वापस दिलाये जाने की दशा में उसे 5,00,000/-रू0 और क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है।
यदि उपरोक्त तीन मास में विपक्षी उपरोक्त आदेशित धनराशि का भुगतान परिवादिनी को नहीं करता है तब वह उपरोक्त आदेशित धनराशि 5,00,000/-रू0 पर भी 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से देगा।
हम इस मत के हैं कि परिवादिनी को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी दिलाया जाना उचित है।
सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचारोपरान्त हम इस मत के हैं कि परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपरोक्त प्रकार से स्वीकार किये जाने योग्य है।
परिवाद पत्र में अन्य याचित अनुतोष प्रदान किया जाना हमारी राय में उचित नहीं दिखता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से छ: माह के अन्दर परिवादिनी को आवंटित फ्लैट का निर्माण पूरा कर एलाटमेंट लेटर के अनुसार अवशेष धनराशि प्राप्त कर उसे कब्जा दे और यदि ऐसा सम्भव न हो तो उसी टाउनशिप में परिवादिनी को आवंटित फ्लैट के क्षेत्रफल व स्तर का दूसरा फ्लैट उसी मूल्य पर आवंटन करार पत्र के अनुसार अवशेष किस्तों का भुगतान प्राप्त कर उसे उपरोक्त छ: महीने के अन्दर ही उपलब्ध कराये और उसका कब्जा उसे देकर विक्रय पत्र उसके पक्ष में निष्पादित करे।
यदि उपरोक्त छ: माह की अवधि में विपक्षी, परिवादिनी को उसको आवंटित फ्लैट या वैकल्पिक फ्लैट जैसा कि ऊपर आदेशित किया गया है का कब्जा देने में असफल रहता है तो ऐसी स्थिति में वह परिवादिनी की जमा धनराशि 5,80,945/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी तक 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ उसे तीन मास में वापस करेगा तथा इसके साथ ही उसे 5,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति भी अदा करेगा।
यदि उपरोक्त तीन मास में विपक्षी उपरोक्त आदेशित धनराशि का भुगतान परिवादिनी को नहीं करता है तब वह उपरोक्त आदेशित धनराशि 5,00,000/-रू0 पर भी 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक करेगा।
विपक्षी, परिवादिनी को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी अदा करेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1