Uttar Pradesh

StateCommission

CC/239/2017

Mahendra Singh - Complainant(s)

Versus

Ansal Properties and Infracture Ltd - Opp.Party(s)

M.Effendi

19 Sep 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/239/2017
( Date of Filing : 04 Jul 2017 )
 
1. Mahendra Singh
Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. Ansal Properties and Infracture Ltd
Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 19 Sep 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

परिवाद संख्‍या-239/2017

(सुरक्षित)

MAHENDRA SINGH, ADULT

S/O- SRI JAIRAM SINGH

ADDRESS-E-3/13, VINAY KHAND

GOMTI NAGAR, LUCKNOW.                

                                    ....................परिवादी

बनाम

ANSAL PROPERTIES & INFRASTRUCTURE LTD

GOUND FLOOR, YMCA CAMPUS

13, RANA PRATAP MARG

LUCKNOW-226001 THROUGH

ITS MANAGING DIRECTOR

                                     ...................विपक्षी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री मुजीब एफेंडी,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री मानवेंद्र प्रताप सिंह,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 02-11-2018

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह परिवाद परिवादी महेन्‍द्र सिंह ने धारा-17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत विपक्षी अंसल प्रापर्टीज एण्‍ड इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0 के विरूद्ध राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

1. that this Hon’ble Forum may be pleased to order the Opp parties to refund to the Complainant a  sum

 

-2-

of RS 12,46,190/- along with an interest at the rate of 18% per annum from the date of their respective deposits till the date of actual payment.

2. that a sum of Rs1,00,000/- may also be awarded to the Complainant against the Opp party on account of Compensation for mental tension and agony as inflicted due to deficient services of Opp party.

3. that the cost of suit amounting to Rs 25000/= may also be awarded to the Complainant against the Opp

party.

4. That any other relief deemed fit and appropriate under the facts and circumstances of the case may also be awarded to the Complainant against the Opp party.

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षी ने वर्ष 2011 में सुशान्‍त गोल्‍फ सिटी, सुलतानपुर रोड लखनऊ में पाइनवुड विला नाम से ग्रुप हाउसिंग परियोजना शुरू की और आवासीय विला की बिक्री आमंत्रित की। अत: परिवादी ने अपने व्‍यक्तिगत जरूरत के लिए विला हेतु विपक्षी से सम्‍पर्क किया             तब विपक्षी ने परिवादी को निर्मित विला संख्‍या–O/2/287, 40,57,000/-रू0 मूल्‍य में एलाट करने की सहमति व्‍यक्‍त किया, जिसका क्षेत्रफल 194 वर्ग गज था। तदनुसार विपक्षी ने बिल्‍ट  अप

 

-3-

एग्रीमेन्‍ट, जो परिवाद का संलग्‍नक 1 है, निष्‍पादित किया। बिल्‍ट अप एग्रीमेन्‍ट के अनुसार विला के मूल्‍य 40,57,000/-रू0 का भुगतान कान्‍सट्रक्‍शन लिंक प्‍लान के अनुसार करना था और कान्‍सट्रक्‍शन एल0डी0ए0 से सैंक्‍सन प्राप्‍त होने की तिथि से सम्‍भावित था। विपक्षी के अनुसार उसे सैंक्‍शन प्राप्‍त हो चुका था।

पेमेन्‍ट प्‍लान के अनुसार परिवादी ने विपक्षी को कुल 12,46,190/-रू0 का भुगतान किया है, जिसका विवरण परिवाद पत्र की धारा-4 में अंकित है।

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी के एलाटमेन्‍ट के बाद मौके पर निर्माण कार्य रुका है और विपक्षी द्वारा निर्माण कार्य शुरू करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। परिवाद प्रस्‍तुत करने तक करीब 06 साल बीत गए, परन्‍तु विपक्षी ने PINEWOOD परियोजना का कार्य प्रारम्‍भ कर निर्माण पूरा नहीं किया। अत: परिवादी ने जमा धनराशि ब्‍याज सहित रिफण्‍ड करने का अनुरोध विपक्षी से            दिनांक 13.01.2017 को किया, जिस पर विपक्षी ने कुछ महीनों का समय चाहा, परन्‍तु पांच महीना बीतने के बाद भी परिवादी की जमा धनराशि वापस नहीं की। अत: परिवादी ने परिवाद राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत कर उपरोक्‍त अनुतोष चाहा है।

     विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया है और कहा है कि परिवादी ने केवल भूमि का मूल्‍य अदा की गयी किस्‍तों से अदा किया है। उसने भूमि के विकास हेतु किस्‍तें अदा नहीं की हैं। अत: निर्माण या विकास  कार्य  में  विलम्‍ब  की

 

 

-4-

बावत वह नहीं कह सकता है। इसके साथ ही विपक्षी ने कहा है कि करार की शर्त के अनुसार लगतार तीन किस्‍त एलाटी द्वारा अदा न किये जाने पर एलाटमेन्‍ट स्‍वत: निरस्‍त हो जायेगा।  

     लिखित कथन के अनुसार परिवादी ने भुगतान समय से नहीं किया है। अत: विलम्‍ब हेतु वह स्‍वयं उत्‍तरदायी है।

     लिखित कथन में कहा गया है कि वाद हेतुक वर्ष 2012 में परिवाद के अनुसार उत्‍पन्‍न हुआ है। अत: परिवाद कालबाधित               है।

     लिखित कथन में कहा गया है कि करार के अनुसार विपक्षी वैकल्पिक भवन देने को तैयार है। करार के अनुसार परिवादी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। यदि परिवादी अवशेष धनराशि जमा करे तो विपक्षी ब्‍याज में छूट देने को तैयार है।

     लिखित कथन में विपक्षी ने यह भी कहा है कि परिवादी इन्‍वेस्‍टर है। अत: वह उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं है।

     परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी महेन्‍द्र सिंह ने अपना शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है।

     विपक्षी ने लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया है।

     परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री मुजीब एफेंडी और विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री मानवेंद्र प्रताप सिंह उपस्थित आए हैं।

 

-5-

     मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।

      परिवाद पत्र का संलग्‍नक 1 बिल्‍ट अप एग्रीमेन्‍ट है, जो अविवादित है। इसका Schedule I पेमेन्‍ट प्‍लान है, जिसके अनुसार परिवादी ने Interest Free Installment Plan चुना है, जिसके अनुसार एलाटमेन्‍ट के समय दिनांक 29.10.2011 को 2,01,850/-रू0, एलाटमेन्‍ट के दो महीना के अन्‍दर दिनांक 28.12.2011 को 2,01,850/-रू0, एलाटमेन्‍ट के चार माह के अन्‍दर दिनांक 26.02.2012 को 2,01,850/-रू0, एलाटमेन्‍ट के छ: माह के अन्‍दर दिनांक 26.04.2012 को 2,01,850/-रू0 और एलाटमेन्‍ट के आठ माह के अन्‍दर दिनांक 25.06.2012 को 4,03,700/-रू0 परिवादी ने जमा किया है। उसके बाद की किस्‍तों का भुगतान निर्माण कार्य शुरू होने पर होना है। परिवादी के अनुसार मौके पर एलाटमेन्‍ट के बाद निर्माण कार्य बन्‍द है। विपक्षी ने परिवादी के कथन का स्‍पष्‍ट खण्‍डन नहीं किया है और न ही स्‍पष्‍ट रूप से यह कहा है कि निर्माण शुरू होने पर डिमाण्‍ड लेटर परिवादी को भेजा गया है, परन्‍तु परिवादी ने भुगतान नहीं किया है। अत: निर्माण कार्य शुरू होना और परिवादी द्वारा किस्‍तों के भुगतान में चूक किया जाना जाहिर नहीं होता है। आवंटन करार वर्ष 2011 में हुआ है। परिवादी ने उपरोक्‍त किस्‍तों का भुगतान दिनांक 25.06.2012 तक किया है। एलाटमेन्‍ट करार के करीब सात साल बीतने के बाद भी निर्माण प्रारम्‍भ न होना  और  निर्माण  पूरा  न  किया  जाना

 

-6-

अनुचित व्‍यापार पद्धति है। विपक्षी की वैकल्पिक भवन की आफर स्‍वीकार करने को परिवादी तैयार नहीं है। अत: परिवादी की जमा धनराशि जमा की तिथि से ब्‍याज सहित वापस दिलाया जाना ही उचित है। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा प्रभात वर्मा व एक अन्‍य बनाम यूनिटेक लिमिटेड व एक अन्‍य III (2016) CPJ 635 (NC) के वाद में दिए गए निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए ब्‍याज दर 18 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित किया जाना उचित है। परिवादी को 10,000/-रू0 वाद व्‍यय दिया जाना भी उचित है।

     परिवादी ने विला की बुकिंग वाणिज्यिक उद्देश्‍य से की है यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है। वाद के ऊपर अंकित तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए परिवाद में कदापि मीयाद बाधक नहीं                   है।

     परिवादी की जमा धनराशि ब्‍याज सहित वापस दिलायी जा रही है। अत: परिवादी द्वारा याचित अन्‍य अनुतोष प्रदान करने की आवश्‍यकता नहीं है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर परिवाद अंशत: स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी की जमा धनराशि 12,46,190/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ परिवादी को वापस करे। साथ ही उसे 10,000/-रू0 वाद व्‍यय प्रदान             करे।

 

 

 

-7-

     उपरोक्‍त धनराशि का भुगतान विपक्षी दो मास के अन्‍दर करेगा। यदि विपक्षी इस अवधि में भुगतान नहीं करता है तो परिवादी वसूली की कार्यवाही विधि के अनुसार करने हेतु स्‍वतंत्र होगा।

 

                     (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                       अध्‍यक्ष                               

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

  

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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