राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
परिवाद सं0-२२७/२०१७
१. श्री कार्तिक सहाय पुत्र स्व0 श्री भगवान सहाय,
२. श्रीमती निशा सहाय पत्नी स्व0 श्री भगवान सहाय,
दोनों वर्तमान निवासीगण फ्लैट नं0-३०१, स्कोटिया टावर, आमेक्स हाइट्स, विभूति खण्ड, लखनऊ-२२६०१०.
................... परिवादीगण।
बनाम
१. अंसल प्रौपर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0, रजिस्टर्ड हैड आफिस-११५, अंसल भवन, १६, कस्तूरबा गॉंधी मार्ग, नई दिल्ली-११०००१ द्वारा चेयरमेन।
२. अंसल प्रौपर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0, ब्रान्च आफिस :- फर्स्ट फ्लोर, वाई एम सी ए कैम्पस, १३, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ द्वारा डायरेक्टर।
.................... विपक्षीगण।
समक्ष:-
१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य ।
२.मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित :- श्री आलोक कुमार सिंह विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित :- श्री विकास कुमार वर्मा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : २६-०२-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद, परिवादीगण ने अपनी जमा धनराशि की मय ब्याज वापसी एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु विपक्षी के विरूद्ध योजित किया है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादीगण के कथनानुसार परिवादीगण ने विपक्षीगण द्वारा प्रकाशित प्रचार से आकर्षित होकर विपक्षीगण द्वारा संचालित अंसल ए पी आई गोल्फ सिटी, लखनऊ में एक ३ बी0एच0के0 फ्लैट आबंटन हेतु १,८२,५००/- दिनांक २९-०९-२०१० को जमा करके बुकिंग संयुक्त रूप से कराई तथा परिवादीगण को विपक्षीगण द्वारा अपनी परियोजना सेलेब्रिटी मीडोज में टावर की पॉंचवीं मंजिल पर फ्लैट आबंटित किया गया जिसे बाद में यूनिट नं0-३०१४-०-/के/०५/०१ प्रदान किया गया। इस फ्लैट का मूल मूल्य ३५,३५,६५०/- रू० निर्धारित किया गया तथा इस पर ०३ प्रतिशत
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नवारात्रि स्पेशल की छूट प्रदान की गई। परिवादीगण तथा विपक्षीगण के मध्य फ्लैट बायर एग्रीमेण्ट दिनांक २९-११-२०१० उपरोक्त यूनिट के सम्बन्ध में निष्पादित किया गया। इकरारनामे के समय विपक्षीगण द्वारा आश्वस्त किया गया कि यह परियोजना सक्षम अथारिटी द्वारा स्वीकृति की तिथि के ३६ माह के अन्दर पूर्ण हो जायेगी। इस प्रकार परियोजना की स्वीकृति से पूर्व ही परियोजना के अन्तर्गत फ्लैटों की बिक्री प्रारम्भ की गई। परिवादीगण ने उक्त फ्लैट के सम्बन्ध में विभिन्न तिथियों में कुल ३४,५२,२७०/- रू० का भुगतान किया। कुल ३४,५२,२७०/- रू० का भुगतान किए जाने के बाबजूद विपक्षीगण ने दिनांक २१-०४-२०१४ तक मात्र ईंटों का ढॉंचा तैयार किया और इसके उपरान्त निर्माण के सम्बन्ध में कोई प्रगति नहीं हुई। फ्लैट बायर एग्रीमेण्ट दिनांकित २९-११-२०१० के अनुसार प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा ३६ माह के अन्दर अर्थात् दिनांक २८-११-२०१३ तक दिया जाना था। ०४ वर्ष बीत जाने के बाबजूद तथा परिवादीगण द्वारा अपनी गाढ़ी कमाई की ३४.०० लाख रू० से अधिक धनराशि जमा किए जाने के बाबजूद विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा परिवादीगण को प्राप्त नहीं कराया गया जिससे मजबूर होकर २४,०००/- रू० प्रतिमाह किराए के मकान में पिछले कई सालों से रह रहे हैं। अत: परिवादीगण ०४ वर्ष का मकान किराया भी विपक्षीगण से प्राप्त करने के अधिकारी हैं। विपक्षीगण ने दिनांक २४-०५-२०१६ को ई-मेल द्वारा सूचित किया कि प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा ०६ माह के अन्दर अर्थात् नवम्बर/दिसम्बर २०१६ तक प्रदान कर दिया जायेगा किन्तु कोई निर्माण कार्य प्रश्नगत परियोजना में प्रारम्भ नहीं किया गया। अत: इस परियोजना के अन्तर्गत फ्लैट का कब्जा निकट भविष्य में मिल पाना सम्भव न हो पाने के कारण परिवादीगण द्वारा जमा की गई धनराशि की १८ प्रतिशत ब्याज सहित वापसी, ११,५२,०००/- रू० मकान किराए की धनराशि, ०५.०० लाख रू० मानसिक उत्पीड़न तथा ५०,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में दिलाए जाने के अनुतोष के साथ परिवाद योजित किया गया।
विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। विपक्षीगण के कथनानुसार परिवादीगण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिभाषित उपभोक्ता की श्रेणी में
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नहीं आते क्योंकि प्रस्तुत प्रकरण में उनके द्वारा लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से धन निवेशित किया गया। अत: परिवादीगण वस्तुत: निवेशक हैं, उपभोक्ता नहीं हैं। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि अपरिहार्य कारणों से प्रश्नगत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य सम्पन्न नहीं हो सका। यदि परिवादीगण जमा की गई धनराशि वापस प्राप्त करना चाहते हैं तो पक्षकारों के मध्य निष्पादित संविदा के अन्तर्गत कटौती के उपरान्त धनराशि उन्हें वापस की जा सकती है।
परिवादीगण की ओर से अपने कथन के समर्थन में परिवाद के साथ पक्षकारों के मध्य निष्पादित इकरारनामा दिनांकित २९-११-२०१० की नोटरी द्वारा प्रमाणित प्रति, विपक्षीगण को परिवादीगण द्वारा की गई अदायगी से सम्बन्धित खाते के विवरण की नोटरी द्वारा प्रमाणित प्रति, विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को ई-मेल के माध्यम से दिनांक २४-०५-२०१६ को भेजे गये सन्देश की नोटरी द्वारा प्रमाणित प्रति, परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण को दिनांक २०-०५-२०१६ को भेजे गये ई-मेल की फोटोप्रति दाखिल की गई है तथा परिवादी कार्तिक सहाय का शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया है जिसमें परिवाद के अभिकथनों तथा परिवाद के साथ संलग्न उपरोक्त अभिलेखों की सत्यता की पुष्टि की गई है।
विपक्षीगण की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई।
हमने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक कुमार सिंह तथा विपीक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास कुमार वर्मा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
विपक्षीगण ने प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों में परिवादीगण को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिभाषित उपभोक्ता की श्रेणी में न होना अभिकथित किया है। विपक्षीगण के कथनानुसार परिवादीगण ने प्रश्नगत फ्लैट के सम्बन्ध में लाभ अर्जित करने हेतु वस्तुत: धन निवेशित किया है। अत: परिवादीगण निवेशक होने के कारण उपभोक्ता नहीं माने जा सकते किन्तु उल्लेखनीय है कि अपने इस अभिकथन के समर्थन में विपक्षीगण की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है। तर्क के मध्य विपक्षीगण
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के अधिवक्ता यह स्पष्ट नहीं कर सके कि किस प्रकार परिवादीगण द्वारा प्रश्नगत सम्पत्ति को क्रय करने हेतु जमा की गई धनराशि वस्तुत मात्र लाभ अर्जित किए जाने के उद्देश्य से निवेशित की गई।
परिवाद की धारा-१२ में मात्र प्रश्नगत सम्पत्ति के सम्बन्ध किये गये भुगतान के सन्दर्भ में शब्द ‘’ Investment/Paying ‘’ प्रयोग किए जाने के आधार पर स्वत: यह प्रमाणित नहीं माना जा सकता कि वस्तुत: परिवादीगण द्वारा प्रश्नगत सम्पत्ति क्रय किए जाने हेतु जमा की गई धनराशि लाभ अर्जित किए जाने के उद्देश्य से जमा की गई। परिवादीगण ने पक्षकारों के मध्य निष्पादित इकरारनामा दिनांकित २९-११-२०१० की नोटरी द्वारा प्रमाणित फोटोप्रति दाखिल की है जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादीगण द्वारा १,८२,५००/- रू० प्रश्नगत फ्लैट के आबंटन के सन्दर्भ में बुकिंग धनराशि के रूप में जमा की गई। प्रश्नगत फ्लैट परिवादीगण को आबंटित किया गया जिसका मूल मूल्य ३५,३५,६५०/- रू० निर्धारित किया गया। परिवादीगण ने विपक्षीगण को जमा की गई धनराशि के सन्दर्भ में विपक्षीगण द्वारा जारी किए गये खाते के विवरण की फोटोप्रति भी दाखिल की है जिसमें परिवादीगण द्वारा ३४,५२,२७०/- रू० जमा किया जाना दर्शित है। उक्त धनराशि का प्राप्त किया जाना विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र में अस्वीकार नहीं किया है।
प्रश्नगत सम्पत्ति के सन्दर्भ में पक्षकारों के मध्य निष्पादित इकरारनामे की धारा-१३ के अनुसार प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा परिवादीगण को ३६ माह के अन्दर दिए जाने का प्रयास विपक्षीगण द्वारा किया जायेगा। परिवादीगण के कथनानुसार इकरारनामे की तिथि से लगभग ०४ वर्ष बीत जाने के बाबजूद विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा परिवादीगण को प्रदान न किए जाने के कारण विपक्षीगण द्वारा सेवा में त्रुटि की गई, अत: जमा की गई धनराशि की मय ब्याज वापसी एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद योजित किए जाने हेतु परिवादीगण को बाध्य होना पड़ा।
इस सन्दर्भ में विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को ई-मेल द्वारा भेजे गये संदेश दिनांकित २४-०५-२०१६ की फोटोप्रति दाखिल की गई है जिसमें विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत
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फ्लैट का कब्जा नवम्बर/दिसम्बर २०१६ तक दिया जाना अभिकथित किया गया है किन्तु उक्त अवधि में भी परिवादीगण को प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा प्रदान नहीं किया गया।
परिवादीगण ने परिवाद के अभिकथनों में यह अभिकथित किया है कि प्रश्नगत फ्लैट का मात्र ईंटों का ढॉंचा तैयार किया गया है अन्य कोई निर्माण कार्य विपक्षीगण द्वारा नहीं कराया गया। परिवादीगण ने अपने इस कथन के समर्थन में परिवादी कार्तिक सहाय का शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया है जबकि विपक्षीगण ने परिवादीगण के उपरोक्त अभिकथन के विरूद्ध कोई शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया है। विपक्षीगण के अधिवक्ता ने तर्क के मध्य भी यह अभिकथन नहीं किया कि प्रश्नगत फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है और परिवादीगण को कब्जा देने के लिए विपक्षीगण तैयार हैं। प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों में विपक्षीगण की ओर से ऐसा कोई तर्कसंगत कारण प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे प्रश्नगत फ्लैट के निर्माण में हुई देरी को न्यायोचित माना जा सके और न ही इस सन्दर्भ में कोई साक्ष्य विपक्षीगण की ओर प्रस्तुत की गई। स्वाभाविक रूप से परिवादीगण को कब्जा प्राप्त करने हेतु असीमित समय तक प्रतीक्षा के लिए नहीं कहा जा सकता। ऐसी स्थिति में परिवादीगण द्वारा प्रश्नगत फ्लैट के सन्दर्भ में लगभग ३५.०० लाख रू० का भुगतान किए जाने के बाबजूद उन्हें प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा प्राप्त न कराकर विपक्षीगण द्वारा सेवा में त्रुटि की गई है। अत: हमारे विचार से परिवादीगण, जमा की गई धनराशि विपक्षीगण से वापस प्राप्त करने के अधिकारी हैं।
परिवादीगण ने जमा की गई धनराशि पर १८ प्रतिशत वार्षिक ब्याज, मानसिक उत्पीड़न के सन्दर्भ में ०५.०० लाख रू० तथा कथित रूप से मकान किराए में व्यय की गई धनराशि के रूप में ११,५२,०००/- रू० तथा ५०,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में दिलाए जाने का अनुतोष चाहा है। पक्षकारों के मध्य निष्पादित इकरारनामे की धारा-६ के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादीगण द्वारा देय धनराशि की किश्तों की अदायगी में चूक किए जाने की स्थिति में आबंटन निरस्त किया जा सकता है तथा अपवाद स्वरूप विपक्षीगण विलम्ब को क्षमा कर सकते हैं किन्तु न्यूनतम १८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज परिवादीगण को बकाया धनराशि पर जमा करना होगा। प्रस्तुत
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प्रकरण में स्वयं विपक्षीगण द्वारा इकरारनामे की शर्तों का अनुपालन न करते हुए बिना किसी तर्कसंगत कारण के परिवादीगण को प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा प्रदान न करके सेवा में त्रुटि की गई है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवादीगण द्वारा जमा की गई धनराशि पर जमा किए जाने की तिथि से १८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भुगतान की तिथि तक दिलाया जाना न्यायसंगत होगा। क्योंकि जमा की गई धनराशि १८ प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वापस दिलाई जा रही है, अत: अलग से क्षतिपूर्ति हेतु कोई धनराशि दिलाया जाना न्यायसंगत नहीं होगा। परिवाद तद्नुसार आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे प्रश्नगत फ्लैट के सन्दर्भ परिवादीगण द्वारा समय-सयम पर जमा की गई उपरोक्त धनराशि जमा किए जाने की तिथि से सम्पूर्ण भुगतान की तिथि तक १८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित परिवादीगण को निर्णय की प्रति प्राप्ति किए जाने की तिथि से ३० दिन के अन्दर भुगतान करें। इसके अतिरिक्त निर्धारित अवधि में विपक्षीगण, परिवादीगण को १०,०००/- रू० परिवाद व्यय के रूप में निर्धारित अवधि में अदा करें।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-१.