(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद सं0- 508/2017
1. Harsimrat Kaur Ahuja, W/o Harbindra Singh Ahuja, R/o 71, M/K. Puram, Shastripuram Road, Sikandra, Agra.
2. Harbindra Singh Ahuja, S/o Pritpal Singh Ahuja, R/o 71, M.K. Puram, Shastripuram Road, Sikandra, Agra.
…………Complainants
Versus
Ansal Properties and Infrastructure Limited, Block No. 50/1.5, Shop No. G-1 & M-1, Anupam Plaza-1, Sanjay Place, Commercial Complex, Agra-282002.
………..Opposite Party
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से : श्री मनु दीक्षित की सहयोगी
अधिवक्ता सुश्री पूजा त्रिपाठी।
विपक्षी की ओर से : सुश्री सुरंगमा शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 05.01.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद परिवादीगण हरसिमरत कौर व एक अन्य द्वारा अंतर्गत धारा 12(a) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विपक्षी अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0 के विरुद्ध प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद पत्र में परिवादीगण का संक्षेप में कथन इस प्रकार है कि परिवादीगण, विपक्षी अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0 के उपभोक्ता वर्गों को रो हाऊस खरीदने के लिए बने थे तथा उन्होंने हाईटेक टाउनशिप सुशांत ताज सिटी आगरा में अभिलाषा DUP खरीदने के लिए प्रार्थना पत्र दि0 28.08.2012 को दिया तथा विपक्षी ने उन्हें यूनिट सं0- 0225-R-0049 देने का वादा किया। दोनों पक्षों के मध्य आगरा में एक करार दि0 04.09.2012 को निष्पादित हुआ। उक्त करार संलग्नक के रूप में अभिलेख पर मौजूद है। उक्त करार में उक्त भवन के मूल्य की अदायगी का शेड्यूल लिया गया है तथा इनकी किश्तों की अदायगी का शेड्यूल लिया गया है, जिनके अनुसार कब्जे के उपरांत आखिरी किश्त दी जानी है। परिवादीगण का कथन है कि उसके द्वारा परिवाद की तिथि तक रू046,01,502.12पैसे अदा कर दिए गए थे। परिवादीगण के लेखा की प्रतिलिपि संलग्नक 02 के रूप में उपलब्ध है। उक्त बुकिंग के 03 वर्ष तक परिवादीगण ने विपक्षी से बार-बार सम्पर्क किया, किन्तु उसे प्रश्नगत भवन का कब्जा नहीं दिया गया और सूचित किया गया कि अगले 06 महीने में कब्जा दे दिया जायेगा। दिसम्बर 2015 में पुन: परिवादीगण ने विपक्षी से उक्त कब्जे की प्रार्थना की, किन्तु उसकी प्रार्थना स्वीकार नहीं की गई। परिवादीगण के अनुसार 05 वर्ष तक उनको प्रश्नगत भवन का कब्जा नहीं दिया गया है। परिवादीगण द्वारा यह भी सूचित किया गया है कि उनके द्वारा उक्त भवन खरीदने के लिए एल0आई0सी0 हाऊसिंग फाइनेंस लि0 से 21,00,000/-रू0 का लोन लिया गया था, किन्तु विपक्षी द्वारा प्रश्नगत भवन का कब्जा न दिए जाने से उनको भारी आर्थिक क्षति हो रही है, क्योंकि परिवादीगण द्वारा लगातार ऋण की अदायगी हेतु किश्तें दी जा रही हैं। परिवादीगण का कथन है कि उन्होंने कई बार प्रश्नगत साइट का व्यक्तिगत अवलोकन किया, किन्तु यह भवन निर्माण अभी पूरा होने से बहुत दूर है। भवन का कब्जा न मिलने के कारण परिवादीगण ने विपक्षी को विधिक नोटिस दि0 25.01.2017 तथा दि0 09.06.2017 को दिया, किन्तु पूरा न होने पर यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
3. विपक्षी अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0 की ओर से वादोत्तर दिनांकित 27.02.2018 प्रस्तुत किया गया जिसमें परिवाद पत्र के कथनों को अस्वीकार करते हुए मुख्य रूप से यह कथन किया गया है कि उभयपक्ष के मध्य हुए करार की शर्तों को परिवादिनी की ओर से पालन नहीं किया गया जिस कारण परिवादिनी का भवन बनने में देरी हुई है। परिवादिनी द्वारा केवल कुछ किश्तें भवन के मूल्य के बाबत दी गईं जो केवल भूमि की कीमत थी। अगली किश्तें अदा न किए जाने के कारण स्वयं परिवादिनी की ओर से करार की शर्तों का उल्लंघन किया गया है, अत: विपक्षी की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। परिवादिनी के वाद का कारण वर्ष 2013 में उत्पन्न हो गया था, किन्तु अत्यंत देरी से वर्ष 2017 में यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अत: परिवाद समय-सीमा से बाधित है। परिवादिनी की ओर से प्रश्नगत भवन मुनाफा कमाने की नियति से लिया गया था। अत: परिवादीगण उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते हैं। इन आधारों पर परिवाद निरस्त किए जाने की प्रार्थना की गई है।
4. परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री मनु दीक्षित की सहयोगी अधिवक्ता सुश्री पूजा त्रिपाठी एवं विपक्षी की विद्वान अधिवक्ता सुश्री सुरंगमा शर्मा को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया गया।
5. उभयपक्ष के मध्य करार दि0 04.09.2012 को निष्पादित हुआ, जिसकी प्रति अभिलेख पर है। उक्त करार के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि विपक्षी द्वारा प्रश्नगत भवन के निर्माण का जो माड्यूल दिया गया है वह तीन वर्ष के अनुसार दिया गया है जिससे स्पष्ट होता है कि उक्त भवन को कब्जा हेतु तैयार करने के लिए लगभग तीन वर्ष का समय अनुमानित किया गया था। इसी विश्वास पर क्रेता द्वारा अपनी पूंजी लगायी गई है। करार के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि भवन का अनुमानित मूल्य 51,69,130/-रू0 लगाया गया था जिसमें से रू046,01,502.12पैसे परिवादीगण के अनुसार विपक्षी को दिए जा चुके हैं। विपक्षी द्वारा पेमेंट का जो शेड्यूल दिया गया है वह 04 नवम्बर 2015 तक का है। वर्ष 2017 में यह परिवाद लाया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि इस धनराशि में से एक बड़ा एमाउंट रू046,01,502.12पैसे परिवादीगण द्वारा दिया जा चुका है। उक्त धनराशि दिए जाने के 02 वर्ष तक यह भवन पूरा करके नहीं दिया गया है और वाद योजन के उपरांत भी लगभग 04 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, किन्तु अभी तक विपक्षी द्वारा कब्जा दिए जाने का कोई आश्वासन विपक्षी की ओर से नहीं दिया गया है। उ0प्र0 अपार्टमेंट C प्रोमोशन आफ कंसट्रक्शन, ओनरशिप एण्ड मेंटेनेंस अधि0, 2010 की धारा 4(2)(a) के अनुसार किसी बिल्डर सेवा प्रदाता का यह उत्तरदायित्व है कि वह लिखित में क्रेता को सूचित करेगा कि अपार्टमेंट कितने समय में पूर्ण किया जाएगा। इस मामले में उक्त धारा के अनुसार भवन को एक युक्ति युक्त समय के अन्दर पूर्ण करके कब्जा देने का उत्तरदायित्व विक्रेता का है। अत: इन परिस्थितियों में यह उचित प्रतीत होता है कि परिवादीगण को उक्त करार जिसकी प्रतिलिपि अभिलेख पर है के अनुसार शेष धनराशि अदा करने पर प्रश्नगत भवन का कब्जा दिला दिया जाए। उक्त शर्तों के साथ परिवाद आंशिक रूप से आज्ञप्त किए जाने योग्य है।
आदेश
6. परिवाद आंशिक रूप से आज्ञप्त किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रश्नगत भवन 03 माह की अवधि में पूर्ण करके इसका कब्जा परिवादीगण की संतुष्टि के अनुसार परिवादीगण को प्रदान करे। असफल रहने पर विपक्षी जमा की गई धनराशि 03 माह के उपरांत 30 दिन के भीतर मय 10 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज वाद योजन की तिथि से वास्तविक अदायगी तक अदा करे। अगले 30 दिन तक अदायगी न होने पर विपक्षी जमा की गई धनराशि पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज वाद योजन की तिथि से अदायगी तक अदा करेंगे।
विपक्षी रू0 10,000/-रू0 वाद व्यय के रूप में भी परिवादीगण को अदा करे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2