राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-15/2017
(सुरक्षित)
GAJENDRA BAHADUR SINGH,
aged about : 41 years,
son of : Shri Devendra Nath Singh
Resident of : D-3/77,
Sushant Golf City, Lucknow
through his power of attorney Holder
Shri Devendra Nath Singh
....................परिवादी
बनाम
1. ANSAL PROPERTIES & INFRASTRUCTURE LIMITED
having its registered office at 115, Ansal Bhawan, 16,
Kasturba Gandhi Marg, New Delhi and Branch/Local office
Ground Floor, Y.M.C.A. Building, 13, Rana Pratap Marg,
Lucknow through its Chairman.
2. ANSAL API INFRASTRUCTURE LIMITED
having its office at : 001/G0101, Second Floor, Shopping
Square, Sector-D, Sushant Golf City, Lucknow through its Director.
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री प्रभात कुमार सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 25-04-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादी गजेन्द्र बहादुर सिंह ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और अंसल ए0पी0आई0
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इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
(i) That the opposite parties be directed to withdraw the freehold charges, illegally demanded from the complainant and further be directed to execute the sale deed in favour of the complainant and handover the peaceful vacant-physical possession to the complainant of the unit Plot No.A-3/106.
(ii) That the opposite parties be directed to pay the charges/damages to the complainant for the delay in delivery of possession of Plot No. A-3/106 alongwith 18% interest on the total amount of Rs.40,52,160/- till the actual delivery of the said plot.
(iii) That the opposite parties be directed to pay the damages of Rs.1200000/- to complainant for the mental harassment caused due to the corrupt practices and unprofessional, conducted by the opposite parties and for the deficiency of services on their part.
(iv) That the opposite parties be further directed to withdraw the illegal quarterly maintenance charges and holding charges or any other charges, which are
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being generated by the opposite parties without executing the sale deed and handing over the possession of the plot No.A-3/106 to complainant.
(v) Any other relief may kindly be granted, if any, which this Hon’ble Commission may deem fit.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने श्री देवेन्द्र नाथ सिंह के पक्ष में रजिस्ट्रीसुदा पावर आफ अटार्नी दिनांक 17.05.2007 को निष्पादित किया है। अत: परिवाद श्री देवेन्द्र नाथ सिंह पावर आफ अटार्नी होल्डर द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षीगण की सुशान्त गोल्फ सिटी, सुलतानपुर रोड, लखनऊ योजना में प्लाट नं0 106, 504 वर्ग मीटर का पॉकेट-3, सेक्टर-ए में वर्ष 2008 में बुक किया और बायर/एलाटमेन्ट एग्रीमेन्ट पक्षों के बीच दिनांक 19.02.2008 को निष्पादित किया गया, जिसके अनुसार प्लाट का कुल विक्रय मूल्य 40,52,160/-रू0 था, जिसमें परिवादी ने 34,84,857/-रू0 का भुगतान बैंक से ऋण प्राप्त कर उपरोक्त बायर एग्रीमेन्ट निष्पादित किये जाने के समय किया। विक्रय मूल्य की 05 प्रतिशत अवशेष धनराशि कब्जा के आफर के समय दी जानी थी।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि प्लाट का कब्जा बायर/एलाटमेन्ट एग्रीमेन्ट की तिथि से 36 महीने में
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दिये जाने का करार विपक्षीगण ने किया था, परन्तु कब्जा हेतु वर्ष 2011 में निर्धारित तिथि बीतने के बाद भी उसे विपक्षीगण ने कोई सूचना नहीं दी और न विलम्ब का कारण बताया। परिवादी जब विपक्षीगण के कार्यालय गया और कब्जा दिये जाने का अनुरोध किया तो विपक्षीगण ने उसे कोई तवज्जो नहीं दी। काफी पैरवी के बाद विपक्षीगण ने परिवादी को कब्जा आफर करने का पत्र दिनांक 04.07.2016 को दिया और उक्त पत्र के द्वारा परिवादी से विक्रय मूल्य की अवशेष धनराशि 2,02,608/-रू0 के साथ misc. charges, जिसमें फ्री होल्ड चार्जेज 06 प्रतिशत की दर से शामिल है, के मद में 2,31,552/-रू0 की और धनराशि की मांग विक्रय पत्र निष्पादित किये जाने के पहले की। इस पर परिवादी ने विरोध किया और कहा कि फ्री होल्ड चार्जेज शिड्यूल आफ पेमेन्ट, जो बायर एग्रीमेन्ट के साथ संलग्न है, में अंकित नहीं थे और न ही विज्ञापन में अंकित थे। परिवादी ने विपक्षीगण को विरोध हेतु पत्र दिनांक 03.08.2016 भेजा और उपरोक्त फ्री होल्ड चार्ज की अनुचित डिमाण्ड को वापस लेने तथा विक्रय पत्र निष्पादित करने हेतु कहा। साथ ही विलम्ब हेतु अपनी जमा धनराशि पर 18 प्रतिशत की दर से कब्जा प्राप्त करने की तिथि तक ब्याज की भी मांग की, परन्तु विपक्षीगण ने कोई सुनवाई नहीं की।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण ने परिवादी व अन्य खरीददारों से महत्वपूर्ण तथ्य छिपाया है और
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गलत ढंग से फ्री होल्ड चार्ज की मांग कर रहे हैं, जो अनुचित व्यापार पद्धति है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और परिवाद का विरोध किया गया है।
लिखित कथन में कहा गया है कि परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है। परिवादी धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है। परियोजना पूरी होने में फोर्स मेज्योर कारणों से विलम्ब हुआ है। अत: विलम्ब हेतु परिवादी कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी को कब्जे के आफर का पत्र दिनांक 04.07.2016 जारी किया जा चुका है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में शपथ पत्र श्री देवेन्द्र नाथ सिंह, पावर आफ अटार्नी होल्डर द्वारा प्रस्तुत किया गया है। विपक्षीगण की ओर से श्री नन्द किशोर, मैनेजर लीगल ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। उभय पक्ष की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री प्रभात कुमार सिंह उपस्थित हुए हैं।
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विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली एवं उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत लिखित तर्क का अवलोकन किया है।
परिवादी द्वारा प्रस्तुत बायर एग्रीमेन्ट परिवाद के संलग्नक 1 के प्रस्तर 16 में स्पष्ट रूप से अंकित है, “In case the Government demands any stamp duty/registration charges and freehold charges on this Agreement, the same shall be borne by the BUYER.”
बायर एग्रीमेन्ट के उपरोक्त प्राविधान से स्पष्ट है कि परिवादी freehold चार्ज हेतु उत्तरदायी है। विपक्षीगण ने जो freehold चार्ज मांगा है, वह करार के अनुसार है।
बायर एग्रीमेन्ट में कब्जा में विलम्ब हेतु किसी पेनाल्टी या प्रतिकर का प्राविधान नहीं है। इस सन्दर्भ में बायर एग्रीमेन्ट का प्रस्तर 14 संगत है, जो नीचे उद्धृत है;
“That the BUYER agrees that the sale of the unit is subject to force majeure clause which inter alia include delay on account of non-availability of steel, cement or any other building materials, or water supply of electric power or slow down strike or due to a dispute with the construction agency employed by the DEVELOPER, civil commotion or by
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reason of war, or enemy action or earthquake or any act of God, delay in certain decisions/clearances from statutory body(ies), or if non-delivery of possession is as a result of any notice, order, rules or notification of the Government and/or any other public or Competent Authority or for any other reason beyond the control of the DEVELOPER and any of the aforesaid event, the DEVELOPER shall be entitled to a reasonable corresponding extension of the time of delivery of possession of the said plot on account of force majeure circumstances and in such eventuality the BUYER will not claim any amount of money by way of damages/compensation from the DEVELOPER.”
विक्रय करार पत्र दिनांक 19.02.2008 को निष्पादित किया गया है। यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रश्नगत प्लाट का कुल मूल्य 40,52,160/-रू0 है, जिसमें परिवादी ने विक्रय करार पत्र के अनुसार 34,84,857/-रू0 का भुगतान किया है। विपक्षीगण ने परिवादी को प्लाट का कब्जा आफर पत्र दिनांक 04.07.2016 के द्वारा किया है। इसके पहले परिवादी ने विपक्षीगण से कब्जा विलम्ब हेतु कोई क्षतिपूर्ति नहीं मांगा है। विपक्षीगण के अनुसार विलम्ब फोर्स मेज्योर कारणों से हुआ है। परिवादी ने विपक्षीगण के
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पत्र दिनांक 04.07.2016 के अनुसार भुगतान कर कब्जा प्राप्त नहीं किया है। पत्र दिनांक 04.07.2016 के द्वारा विपक्षीगण ने जो freehold चार्ज की मांग की है, परिवादी की शिकायत मुख्य रूप से उसी से है और इसी कारण परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत किया है, जिसमें कब्जा विलम्ब हेतु प्रतिकर मांगा है। विपक्षीगण के द्वारा पत्र दिनांक 04.07.2016 के द्वारा कब्जा आफर किये जाने पर परिवादी ने भुगतान कर कब्जा प्राप्त नहीं किया है और उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि विपक्षीगण द्वारा freehold चार्ज की मांग किया जाना करार के अनुसार है। अत: पत्र दिनांक 04.07.2016 का पालन न कर परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत किया जाना उचित नहीं है। परिवादी को प्लाट 2008 में तयमूल्य पर मिल रहा है और विपक्षीगण के कब्जा आफर के पत्र दिनांक 04.07.2016 के पहले परिवादी ने विलम्ब हेतु कोई प्रतिकर की मांग विपक्षीगण से नहीं की है। अत: विक्रय करार पत्र एवं सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ कि कब्जा विलम्ब हेतु परिवादी को कोई प्रतिकर देने हेतु उचित आधार नहीं है।
उपरोक्त विवेचना एवं ऊपर अंकित निष्कर्ष के आधार पर परिवाद निरस्त होने योग्य है। अत: परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1