Uttar Pradesh

StateCommission

AEA/25/2021

Amit Sagar - Complainant(s)

Versus

Ansal Housing & Construction Ltd. - Opp.Party(s)

Alok Sinha

18 May 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Appeal Execution Application No. AEA/25/2021
( Date of Filing : 09 Dec 2021 )
(Arisen out of Order Dated 04/06/2018 in Case No. Execution Application No. EA/17/2017 of District Jhansi)
 
1. Amit Sagar
S/o Anil Kumar Sagar R/o EE-1/AGyanKunj Green Home City Near Mustra Railway Station Jhansi
...........Appellant(s)
Versus
1. Ansal Housing & Construction Ltd.
Office 15 UGF Indira Prakash 21 Barakhambha Road New Delhi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 May 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

ए0ई0ए0 सं0 :- 25/2021

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, झांसी द्वारा इजराय सं0- 17/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04/06/2018 के विरूद्ध)

 

अमित सागर पुत्र श्री अनिल कुमार सागर, निवासी ईई-ए, ग्‍यानकुंज ग्रीन होम सिटी, नियर मुस्‍तरा रेलवे स्‍टेशन, झांसी।

  1.                                                             पुनरीक्षणकर्ता/अपीलार्थी 

बनाम

 

  1. अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड रजिस्‍टर्ड ऑफिस: 15 यूजीएफ, इन्दिरा प्रकाश, 21, बाराखम्‍भा रोड़ न्‍यू दिल्‍ली-110001 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर
  2. अंसल पामकोर्ट, सखी हनुमान मन्दिर के सामने, झांसी द्वारा मैनेजिंग

 

  •                                                                                   प्रत्‍यर्थीगण।

समक्ष

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-  श्री आलोक सिन्‍हा

प्रत्‍यर्थी की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:-      श्रीमती सुचिता सिंह

दिनांक:-07.06.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय     

                     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा को सुना। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्रीमती सुचिता सिंह को सुना। प्रस्‍तुत अपील श्री अमित सागर द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला फोरम, झांसी द्वारा इजराय सं0 17/2017 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.06.2018 के विरूद्ध योजित किया गया है।

              संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी ने विपक्षीगण द्वारा प्रस्‍तावित यूनिट ई/607 टाइप जी+8 , कुल क्षेत्रफल 1030 पर निर्माण कर एक वर्ष की अवधि में अपीलार्थी को कब्‍जा दिया जाना निश्चित हुआ जिसके निर्माण की कुल कीमत रू0 17,34,005/- निर्धारित की गयी और दिनांक 04.06.2013 को उक्‍त फ्लैट के आवंटन पत्र पर पक्षकारगण के हस्‍ताक्षर किये गये।

             अपीलार्थी ने रू0 16,50,735/- दिनांक 05.04.2014 तक अर्थात लगभग 95 प्रतिशत भुगतान कर दिया था। विपक्षीगण के अनुसार बुक कराये गये फ्लैट को माह जून 2014 में हस्‍तान्‍तरित किया जाना था, लेकिन विपक्षीगण द्वारा अपीलार्थी को उक्‍त फ्लैट का कब्‍जा प्रदान नहीं किया गया है। अपीलार्थी द्वारा काफी प्रयास के बाद कब्‍जा प्राप्‍त न होने पर जिला फोरम में परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

              विपक्षीगण द्वारा परिवाद पत्र के विरूद्ध अपना जवाब दावा दाखिल किया एवं यह कथन किया गया है कि परिवादी का कथन कि आवंटित यूनिट की कीमत 17,34,005/- रू0 थी जबकि उसके द्वारा EDC Covered Car Parking, Mandatory Club Fees, Power back up Charges, Prepaid Electric meter, External Electrification, Piped Gas Supply fitting, Common Maintenance के चार्ज अलग से देय था।

             यह भी कथन किया गया कि यूनिट ई/607 टाइप जी+8 दिनांक 04.06.2013 को प्‍लान के हिसाब से आवंटित किया गया था और परिवादी का यह कथन कि यूनिट का कब्‍जा एक साल में देना था, गलत है। परिवादी द्वारा कन्‍स्‍ट्रक्‍शन के लिए प्‍लान ‘सी’ एडाप्‍ट किया था और अनुबंध के हिसाब से कब्‍जा देने के लिए युक्तियुक्‍त समय दिया गया था, उसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गयी थी, लेकिन जो युक्तियुक्‍त समय था, उस युक्तियुक्‍त समय के अंदर यूनिट का निर्माण नहीं हो सका। विपक्षी द्वारा कब्‍जा देने के लिए उचित समय पर प्रस्‍ताव का पत्र भेजा जाना था, लेकिन परिवादी द्वारा अनावश्‍यक रूप से परिवाद दाखिल कर दिया।

                विद्धान जिला फोरम ने उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्‍ताओं को सुनने के उपरान्‍त परिवाद निस्‍तारित करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

              ‘’परिवाद स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह 3 माह के अन्‍दर यूनिट का निर्माण पूर्ण करके कब्‍जा दे दें और परिवादी को भी निर्देशित किया जाता है कि वह कब्‍जा हस्‍तांतरण के समय शेष धनराशि विपक्षी को अदा करे। अगर तीन माह में विपक्षी यूनिट का कब्‍जा प्रदान नहीं करता है, तो विपक्षी दिनांक 05.04.2014 से कब्‍जा हस्‍तांतरण करने के दिनांक तक 16,50,735/- रू0 पर 12 प्रतिशत ब्‍याज अदा करेगा। मानसिक कष्‍ट हेतु 3000/- रू0 एवं वाद व्‍यय हेतु 3000/- रू0 (कुल 6,000/- रू0) अदा करें।‘’    

              उक्‍त आदेश का अनुपालन न करने के कारण जिला फोरम द्वारा विपक्षी/अंसल हाउसिंग के विरूद्ध वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया। विपक्षी ने जिला मंच के समक्ष इस आशय का प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया कि परिवादी ने न्‍यायालय को धोखे में रखकर विपक्षी के विरूद्ध वसूली प्रमाण पत्र जारी करवा लिया है। उक्‍त प्रार्थना पत्र पर जिला मंच द्वारा दिनांक 04.06.2018 को अंतरिम आदेश पारित करते हुए उक्‍त वसूली प्रमाण पत्र जिला कलेक्‍ट्रेट को पत्र लिखकर बिना निष्‍पादन किये वापस मंगवा लिया, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवादी अमित सागर ने पुनरीक्षण प्रस्‍तुत किया, जिस पर राज्‍य आयोग ने सुनवाई करते हुए दिनांक 02.12.2021 को प्रस्‍तुत पुनरीक्षण याचिका को अपील में परिवर्तित करने हेतु निर्देशित किया।    

                                  प्रस्‍तुत अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा द्वारा कथन किया कि विपक्षी द्वारा चतुराई के साथ कब्‍जे के संबंध में पत्र दिनांक 16.12.2016 प्रेषित किया जाना दिखाया गया एवं परिवादी/अपीलार्थी से लगभग 3,50,000/- रू0 की नाजायज मांग की गयी। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि विद्धान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश के अनुसार बाकी की देय धनराशि कब्‍जा प्राप्‍त कराने के समय प्रदान की जानी थी, न कि कब्‍जा प्राप्ति हेतु पत्र प्राप्‍त कराने के समय, अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि उपरोक्‍त कब्‍जा प्रपत्र दिनांकित 16.12.2016 प्राप्‍त होने के उपरान्‍त जब अपीलार्थी द्वारा आवंटित फ्लैट का निरीक्षण किया गया तब यह पाया गया कि उपरोक्‍त अपार्टमेंट में न तो लिफ्ट का इंस्‍टालेशन हुआ, न ही विद्युत सप्‍लाई, न सीवेज, न ही रंगाई-पुताई, जिस हेतु अपीलार्थी द्वारा दिनांक 27.12.2016 को एक पत्र विपक्षी कम्‍पनी को प्रेषित किया गया। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि विद्धान जिला        उपभोक्‍ता फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का न तो अनुपालन विपक्षी कम्‍पनी द्वारा किया गया, न ही उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध इस न्‍यायालय के सम्‍मुख अपील योजित की गयी तथा यह कि अंततोगत्‍वा इजराय वाद सं0 17 सन 2017 अपीलार्थी द्वारा विद्धान जिला फोरम के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

              निर्विवादित रूप से विपक्षी कम्‍पनी द्वारा दिनांक 28.03.2017 को अपीलार्थी को आवंटित यूनिट का कब्‍जा प्राप्‍त कराया गया, परंतु अपीलार्थी का यह कथन कि प्राप्‍त करायी गयी यूनिट पूर्णता विकसित नहीं थी अतएव वास्‍तविक कब्‍जा उसके द्वारा दिनांक 21.04.2017 को प्राप्‍त किया गया, जिस हेतु अपीलार्थी द्वारा सम्‍पूर्ण पूर्व जमा धनराशि पर ब्‍याज की गणना करते हुए मांग की गयी, जिस पर विद्धान जिला फोरम द्वारा इजराय कार्यवाही के अंतर्गत वसूली प्रमाण पत्र कुल धनराशि रू0 5,89,861/- विपक्षी कम्‍पनी के विरूद्ध जारी किया गया, वसूली प्रमाण पत्र जारी होने के उपरान्‍त विपक्षी कम्‍पनी द्वारा जिला फोरम के सम्‍मुख उपरोक्‍त इजराय वाद में अपना पक्ष प्रस्‍तुत किया गया तथा वसूली सर्टिफिेकेट आदेश दिनांक 05.03.2018 को पुनर्विचारण करने हेतु प्रार्थना की तथा यह अवगत कराया कि वास्‍तव में विपक्षी कम्‍पनी द्वारा जिला फोरम के द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश के अनुपालन में परिवादी को आवंटित यूनिट का कब्‍जा प्राप्‍त कराया जा चुका है, जिस तथ्‍य को परिवादी द्वारा इजराय वाद प्रस्‍तुत किये जाते समय अथवा इजराय वाद पर वसूली प्रमाण पत्र एवं आदेश पारित किये जाते समय तक विद्धान जिला फोरम के सम्‍मुख उपलब्‍ध नहीं कराया।

               विपक्षी कम्‍पनी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्‍ता श्रीमती सुचिता सिंह द्वारा कथन किया गया कि विपक्षी कम्‍पनी द्वारा कब्‍जा प्राप्‍त कराने हेतु जारी पत्र दिनांकित 16.12.2016 के उपरान्‍त दिनांक 21.01.2017 को कुल धनराशि रू0 3,55,283/- जमा कराया गया, परंतु बिना किसी सूचना के इजराय वाद सं0 17 सन 2017 दिनांक 16.03.2017 को जिला फोरम के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया, जबकि कब्‍जा प्राप्‍त कराये जाने की कार्यवाही लगातार जारी थी अर्थात पंजीकरण के संबंध में प्रक्रिया इजराय वाद प्रस्‍तुत किये जाने के पूर्व से ही प्रारंभ की गयी थी तथा यह कि पंजीकरण डीड अपीलार्थी के पक्ष में संबंधित निबंधक द्वारा दिनांक 28.03.2017 को सम्‍पादित की गयी तदनुसार यूनिट का वास्‍तविक  कब्‍जा अपीलार्थी को प्राप्‍त कराया गया। विपक्षी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा यह कथन किया गया कि वास्‍तव में इजराय वाद प्रस्‍तुत करने का कारण अपीलार्थी/परिवादी का मन्‍तव्‍य एवं दूषित मानसिकता को प्रकट करता है तथा यह कि निर्विवादित रूप से आवंटित यूनिट का कब्‍जा एवं पंजीकरण प्रक्रिया विपक्षी कम्‍पनी द्वारा अपीलार्थी/डिक्रीदार के पक्ष में सम्‍पादित की गयी थी, जिस तथ्‍य को अपीलार्थी/डिक्रीदार द्वारा विद्धान जिला फोरम के सम्‍मुख छुपाया गया, जिस कारण विद्धान जिला फोरम द्वारा एकपक्षीय रूप से विपक्षी के विरूद्ध वसूली की कार्यवाही दिनांक 04.06.2018 के आदेश के अनुसार पारित की गयी अतएव प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी के विरूद्ध इस न्‍यायालय द्वारा न सिर्फ निरस्‍त की जावे वरन अपीलार्थी को तथ्‍यों को छुपाने एवं अनुचित आचरण व दूषित मानसिकता हेतु भी दण्‍ड दिया जावे।

              हमारे द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 04.06.2018 का परिशीलन किया तथा उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण को विस्‍तृत रूप से सुना तथा स्‍पष्‍ट रूप से यह पाया गया कि वास्‍तव में अपीलार्थी/डिक्रीदार द्वारा तथ्‍यों को स्‍पष्‍ट रूप से इजराय वाद सं0 17/2017 की सुनवाई के दौरान विद्धान जिला फोरम के सम्‍मुख प्रस्‍तुत नहीं किया गया, जिस कारण से जिला फोरम द्वारा आदेश दिनांक 04.06.2018 पारित किया गया अन्‍यथा कि स्थिति में उपरोक्‍त आदेश पारित करने की कोई आवश्‍यकता न्‍यायिक रूप से नहीं प्रतीत होती है क्‍योंकि निर्विवादित रूप से आवंटित यूनिट अपीलार्थी/परिवादी/डिक्रीदार को प्राप्‍त हो चुकी थी। आवंटित यूनिट का पंजीकरण माह मार्च, 2017 में सम्‍पादित हो चुका था, फिर भी उक्‍त तथ्‍यों को जिला फोरम के सम्‍मुख उपलब्‍ध न कराया जाना निश्चित रूप से अपीलार्थी की दूषित मानसिकता को प्रदर्शित करता है। समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।  

   अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

    (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                       (विकास सक्‍सेना)

           अध्‍यक्ष                                     सदस्‍य

 

 

संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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