राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-५७९/२०१३
(जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-१६/२००९ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक १८-०२-२०१३ के विरूद्ध)
मैसर्स कण्टेनर्स कारपोरेशन आफ इण्डिया द्वारा सतीश गोयल १०८ बौंझा, जी0टी0 रोड, गाजियाबाद वर्तमान पता सी-१३६, नेहरू नगर, गाजियाबाद।
................... अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम
मै0 अंसल हाउसिंग एण्ड कन्स्ट्रक्शन लि0 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, १५, यू जी एफ, इन्द्र प्रकाश, २१, बाराखम्बा रोड, नई दिल्ली।
.................... प्रत्यर्थी/विपक्षी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य ।
२. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री अंकित श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : १८-१२-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-१६/२००९ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक १८-०२-२०१३ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी के कथनानुसार अपीलार्थी ने प्रत्यर्थी की शिवम टावर स्थित राजनगर जिला गाजियाबाद में कॉमर्शियल आफिस/दुकान बुक की थी किन्तु प्रत्यर्थी द्वारा दुकान का निर्माण नहीं किया गया और न ही परिवादी को कब्जा दिया गया। परिवादी का यह भी कथन है कि सन्दर्भ में परिवाद सं0-१३१/२००४ दाखिल किया गया था जिसे उसने प्रत्यर्थी के आश्वासन पर स्वयं उपस्थित न होकर दिनांक १३-०१-२००५ को निरस्त करा लिया था। प्रत्यर्थी द्वारा समस्या का निराकरण न करने के कारण प्रश्नगत परिवाद योजित किया गया।
प्रत्यर्थी/विपक्षी के कथनानुसार पूर्व परिवाद दिनांक १३-१२-२००५ को निरस्त हुआ।
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वाद कारण की अवधि में परिवादी दूसरा वाद दो साल के भीतर योजित कर सकता था लेकिन समय सीमा के बाद समान वाद कारण के आधार पर दूसरा परिवाद दिनांक २३-०१-२००९ को योजित किया गया। ऐसी परिस्थिति में दूसरा परिवाद पोषणीय नहीं है। प्रत्यर्थी का यह भी कथन है कि परिवादी ने व्यावसायिक उपयोग हेतु प्रश्नगत दुकान की बुकिंग कराई थी। व्यावसायिक प्रयोजन हेतु बुक कराई दुकान से सम्बन्धित मामला उपभोक्ता विवाद नहीं माना जा सकता।
जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा अपीलार्थी/परिवादी की दुकान व्यावसायिक प्रयोजन हेतु बुक कराये जाने के कारण प्रस्तुत विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं माना। साथ ही जिला मंच द्वारा यह मत भी व्यक्त किया गया कि समान वाद कारण के आधार पर पूर्व योजित वाद सं0-१३१/२००४ के दिनांक १३-१२-२००५ को निरस्त होने के उपरान्त ०४ वर्ष बाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-२४(ए) के अन्तर्गत निर्धारित समय सीमा के बाद दूसरा परिवाद योजित किया गया। अत: दूसरा परिवाद कालबाधित है एवं पोषणीय नहीं है। तद्नुसार जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवाद निरस्त कर दिया।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
हमने प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अंकित श्रीवास्तव के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। अपीलार्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
प्रश्नगत प्रकरण में परिवाद के अभिकथनों से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत सम्पत्ति व्यावसायिक प्रयोजन हेतु क्रय की जा रही थी। अत: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-२(१)(डी) के अन्तर्गत अपीलार्थी/परिवादी उपभोक्ता नहीं माना जा सकता। तद्नुसार प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता मंच को प्राप्त नहीं है। यह तथ्य भी निर्विवाद है कि प्रश्नगत परिवाद में निहित वाद कारण के समान ही पूर्व योजित परिवाद सं0-१३१/२००४ पक्षकारों की अनुपस्थिति में निरस्त हुआ। तदोपरानत प्रश्नगत परिवाद ०४ वर्ष की अवधि के बाद योजित किया गया। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार
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से प्रश्नगत परिवाद कालबाधित है एवं पोषणीय नहीं है। अपील में बल नहीं है। अपील तद्नुसार निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-१६/२००९ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक १८-०२-२०१३ की पुष्टि की जाती है।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.