मौखिक निर्णय
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या 153/2013
श्रीमती तृप्ति खरे पत्नी श्री ज्ञानेश ज्योति खरे, निवासी- म०नं० 32, हजारीपुरा उरई तहसील जिला जालौन।
परिवादिनी
बनाम
1- अंशल हाउसिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर पता- यू०जी०एफ० इन्द्रप्रकाश, 21 बाराखम्भा रोड, नई दिल्ली- 110001
2- अंशल हाउसिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा शाखा प्रबन्धक, शाखा- झांसी, पता दुकान सं०6 प्रथम तल, एम०एल०बी० मेडिकल कालेज के सामने कानपुर रोड, झांसी।
विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य
परिवादी की ओर से उपस्थित: विद्वान अधिवक्ता, श्री विकास अग्रवाल
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक- 24-08-2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार अध्यक्ष, द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद, परिवादिनी श्रीमती तृप्ति खरे द्वारा विपक्षी अंशल हाउसिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर व एक अन्य के विरूद्ध धारा-12/13 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
परिवादिनी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख परिवाद प्रस्तुत करते हुए निम्न अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु प्रार्थना की गयी है:-
1- विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह व्यापारिक नीति व नियमों के अनुसार परिवादिनी के साथ किये गये संव्यवहार विला/यूनिट सं०
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ए-026 अंसल पालम कोर्ट झांसी के बावत तय शुदा नियम व शर्तों तथा पेमेण्ट शेड्यूल को वर्णित करते हुए लिखित अनुबन्ध तहरीर करके निष्पादित करें और अनुबन्ध निष्पादन के उपरान्त अनुबन्ध में वर्णित शर्तों के अनुरूप परिवादिनी से प्रश्गनत योजनान्तर्गत शेष धनराशि पेमेण्ट शेड्यूल के अनुसार जमा कर दें।
2- विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाए कि वह दौरान विचारण मुकदमा परिवादिनी का एलाटमेंट बावत विला/यूनिट सं० ए-026 अंसल पालम कोर्ट झांसी का निरस्त किया गया आवंटन दिनांकित- 11-01-2012 को निरस्त कर भवन उपरोक्त को परिवादिनी के पक्ष में आवंटित कर कब्जा दिलाया जाए।
3- वाद व्यय के रूप में परिवादिनी को विपक्षीगण से 25,000/-रू० मानसिक क्लेश, शारीरिक कष्ट एवं आर्थिक नुकसान पहॅुचाने के लिए दिलाया जाए तथा 5,00,000/-रू० विपक्षीगण से परिवादिनी को दिलाया जाए।
4- परिवादिनी के पक्ष में विपक्षीगण के विरूद्ध अन्य कोई अनुतोष जो श्रीमान जी को उचित प्रतीत हो, दिलाया जाए।
परिवाद विगत 09 वर्षों से लम्बित चल रहा है जिसके दौरान विपक्षीगण की ओर से समय-समय पर विभिन्न अधिवक्ता उपस्थित हुए हैं। पिछली तिथि दिनांक 30-03-2022 को विपक्षी कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी०एस० बिसारिया उपस्थित हुए थे जिनके द्वारा अवगत कराया गया था कि वे प्रस्तुत परिवाद में विपक्षी कम्पनी की ओर से अपना वकालतनामा प्रस्तुत करेंग तदनुसार वाद दिनांक 31-05-2022 को सूचीबद्ध किये जाने का आदेश पारित किया गया।
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दिनांक 31-05-2022 को विपक्षी के उपरोक्त अधिवक्ता श्री वी०एस० बिसारिया द्वारा अपना वकालतनामा नहीं प्रस्तुत किया गया और न ही वे विपक्षी कम्पनी की ओर से अपना पक्ष रखने हेतु उपस्थित हुए। पिछली तिथि पर पूर्व अधिवक्ता श्री सौरभ शंकर श्रीवास्तव उपस्थित हुए जिनकी प्रार्थना पर वाद को स्थगित किया गया तदनुसार आज अंतिम सुनवाई हेतु सूचीबद्ध है।
वाद पुकारा गया। परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल उपस्थित हुए। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। हमने परिवादिनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना और पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया।
परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी कम्पनी द्वारा प्रस्तावित एक विला/रिहायशी भवन संख्या- ए-026 अंसल पालम कोर्ट झांसी में दिनांक 31-03-2011 को 39,23,676/- रू० हेतु बुक कराया गया जिसमें दिनांक- 31-03-2011 को 2,00,000/-रू० अग्रिम धनराशि जमा की गयी। विपक्षी कम्पनी द्वारा उपरोक्त विला/रिहायशी भवन हेतु 10 प्रतिशत का डिस्काउंट प्रदान करते हुए 2,00,000/-रू० का चेक परिवादिनी से प्राप्त किया गया। परिवादिनी द्वारा एक मासिक किस्त 3,50,000/-रू० माह जून 2011 को जमा की गयी और विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को ग्राहक कोड संख्या- 1631 टी 0001 प्रदान किया गया परन्तु उपरोक्त विला/ यूनिट के सम्बन्ध में योजनान्तर्गत कार्यवाही आपेक्षित समय में प्रारम्भ नहीं की गयी जिस कारण परिवादिनी द्वारा अगली किस्त का भुगतान विपरीत परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए नहीं किया गया तथा विपक्षी कम्पनी से समुचित प्रपत्र प्रदान किये जाने हेतु आग्रह किया गया जिस पर विपक्षी कम्पनी द्वारा लिखित अनुबन्ध करने में आना-कानी की
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गयी, जिससे व्यथित होकर परिवादिनी द्वारा एक परिवाद संख्या-21/2012 विद्वान जिला आयोग उरई के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
उपरोक्त परिवाद विद्वान जिला आयोग द्वारा निर्णय एवं आदेश दिनांक 29-07-2013 को यह उल्लिखित करते हुए निरस्त कर दिया गया कि परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद जिला आयोग के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत नहीं आता है क्योंकि आवंटित आवासीय भवन का मूल्य 39,23,676/-रू० उल्लिखित किया गया है, तदोपरान्त प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख योजित किया गया है।
निर्विवाद रूप से परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के समक्ष ऊपर उल्लिखित भवन हेतु 2,00,000/-रू० की धनराशि दिनांक 31-03-2011 को एवं दिनांक 01-06-2011 को 3,50,000/-रू० कुल धनराशि 5,50,000/-रू० जमा की गयी है जिस हेतु परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख प्रार्थना की गयी कि परिवादिनी की जमा धनराशि विपक्षीगण से जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक समुचित ब्याज के साथ वापस प्राप्त करायी जावे।
चॅूकि विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित हैं। अत: उपरोक्त समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए परिवाद अंतिम रूप से निम्न प्रकार से निस्तारित किया जाता है:-
आदेश
परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण कम्पनी, सर्व श्री अंसल हाउसिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन लि0 को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी की उपरोक्त जमा धनराशि रू० 5,50,000/- जमा की तिथि से भुगतान की तिथि तक मूल धनराशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक की
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दर से ब्याज की गणना करते हुए 02 माह की अवधि में परिवादिनी को वापस करें, साथ ही मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक कष्ट के मद में विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को रू० 20,000/- एवं वाद व्यय के रूप में रू० 10,000/- उपरोक्त समयावधि अर्थात 02 माह के अन्दर प्रदान किये जाएं।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।..
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा–आशु0
कोर्ट नं0 1