Uttar Pradesh

StateCommission

CC/237/2017

Dr. Mahendra Kumar Jain - Complainant(s)

Versus

Ansal Housing and Construction Ltd - Opp.Party(s)

J.K.Jain

14 May 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/237/2017
( Date of Filing : 04 Jul 2017 )
 
1. Dr. Mahendra Kumar Jain
Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. Ansal Housing and Construction Ltd
Delhi
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 14 May 2018
Final Order / Judgement

 

                                                     (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद सं0- 237/2017

डा0 महेन्‍द्र कुमार जैन पुत्र श्री हुकुम चन्‍द्र जैन निवासी-बी-304, हमरतन रेजीडेंसी, 5, वाल्‍मीकि मार्ग, लखनऊ।

                                               ...............परिवादी।

बनाम

  1. अंसल हाउसिंग एवं कंस्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड द्वारा मैनेजर पंजीकृत कार्यालय 15, यू0जी0एफ0 इन्‍द्र प्रकाश, 21 बाराखम्‍बा रोड, नई दिल्‍ली।
  2. मनीष अरोड़ा अंसल पाम कोर्ट, कानपुर ग्‍वालियर हाईवे निकट बजरंग कालोनी, एम0एल0बी0 मेडिकल कालेज के पीछे, झांसी।

                                        ................ विपक्षीगण

समक्ष:-   

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

माननीय श्री महेश चन्‍द्र, सदस्‍य।   

परिवादी की ओर से उपस्थित       : श्री जे0के0 जैन,        ,         

                                 विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित     : श्रीमती सुचिता सिंह,         ,

                                 विद्वान अधिवक्‍ता।                                

दिनांक:- 20.06.2018

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

     परिवादी डा0 महेन्‍द्र कुमार जैन ने यह परिवाद विपक्षीगण अंसल हाउसिंग एवं कंसट्रक्‍शन लिमिटेड और मनीष अरोड़ा अंसल पाम कोर्ट के विरुद्ध धारा- 17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और निम्‍न अनुतोष चाहा है :-

     अ. दिसम्‍बर 2012 के पश्‍चात वास्‍तविक कब्‍जा देने की तिथि तक विपक्षी परिवादी को दिसम्‍बर 12 तक जमा धनराशि पर एवं उसके पश्‍चात जमा धनराशि पर 21 प्रतिशत ब्‍याज का भुगतान करे जो लगभग रू0 12,00,000/- बनता है।

     ब. विपक्षी तुरन्‍त आबंटित प्‍लाट को पूरी तरह तैयार करवा कर परिवादी को कब्‍जा दे।

     स. विपक्षी परिवादी से किसी भी प्रकार का ब्‍याज लेने का अधिकारी नहीं है क्‍योंकि उसके द्वारा फ्लैट के निर्माण में असाधारण विलम्‍ब किया गया है।

     द. दिसम्‍बर 12 से कब्‍जा लेने की तिथि तक प्रार्थी को मकान किराये का लगभग रू0 10,00,000/- का भुगतान विपक्षी से कराया जाये क्‍योंकि सेवानिवृत्‍त के पश्‍चात परिवादी गम्‍भीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

     य. अनेकों बार झांसी आने-जाने का व्‍यय तथा मानसिक कष्‍ट के लिए रू0 10,00,000/- विपक्षीगण हर्जाने के रूप में परिवादी को दें।

     र. विपक्षी के अतिरिक्‍त अन्‍य कोई एजेंसी परिवादी को धमकी या मांग पत्र नहीं भेजे।

     ल. यह कि कोई उपसम जो परिवादी हितकर हो वह भी दिलाये जाने की कृपा करें।   

     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी के आवेदन पत्र पर विपक्षीगण ने उसे बी-जीएफ/15 टाईप जी+2 क्षेत्रफल 1530 वर्गफुट एलाट किया और एलाटमेंट लेटर निष्‍पादित किया। फ्लैट का कुल मूल्‍य 24,69,420/-रू0 था जिसमें 24,09,130/-रू0 का भुगतान परिवादी ने विपक्षीगण को परिवाद पत्र की धारा 4 में अंकित विवरण के अनुसार किया।

     परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण ने दिसम्‍बर 2012 के पश्‍चात परिवादी को आवंटित फ्लैट का निर्माण कार्य बन्‍द कर दिया और परिवादी को फ्लैट देने में विलम्‍ब किया जब कि दिसम्‍बर 2012 तक परिवादी ने विपक्षीगण के यहां फ्लैट के मूल्‍य का 80 प्रतिशत जमा कर दिया था।

     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी को पेमेंट प्‍लान जी+2 दिया गया था जिसके अनुसार 23 महीने में निर्माण कार्य समाप्‍त हो जाना था, किन्‍तु विपक्षीगण ने चालाकी दिखाते हुए जानबूझकर 2012 के बाद निर्माण कार्य बन्‍द कर दिया और फिर अक्‍टूबर 2013 में पैसे की डिमाण्‍ड की। उसके पश्‍चात अप्रैल 2014 में 1,27,286/-रू0 की मांग की। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि वर्ष 2012 में वह विपक्षीगण के कार्यालय में गया तो उसे बताया गया कि वर्ष 2012 के पश्‍चात फ्लैट के कब्‍जे की तारीख तक विपक्षीगण द्वारा 21 प्रतिशत ब्‍याज उसे दिया जायेगा। अत: परिवादी चुप हो गया और 20,000/-रू0 महीने किराये पर मकान लेकर रह रहा है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि दि0 26.05.2015 को विपक्षीगण द्वारा उसे कब्‍जा का आफर दिया गया जिसमें 4,57,176.85/- + 72,426/- कुल 5,29,602.85/-रू0 की मांग परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण द्वारा की गई, परन्‍तु यह मांग अवैध है। उसकी देनदारी परिवादी की नहीं है, क्‍योंकि अनुबन्‍ध के बाहर अतिरिक्‍त कार्य विपक्षीगण ने परिवादी के अनुमति के बिना कराया है उसके लिए परिवादी जिम्‍मेदार नहीं है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी को कब्‍जा नहीं दिया गया है। इसलिए मेनटेनेंस एजेंसी को उसके द्वारा किसी भी प्रकार का भुगतान देय नहीं है।

     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि दि0 18.11.2016 तक विपक्षीगण द्वारा फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया है। अत: वर्ष 2012 से परिवादी की जमा धनराशि पर 21 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज देने हेतु वे उत्‍तरदायी हैं और कब्‍जा आफर लेटर में उनके द्वारा जो डिमाण्‍ड की गई है वह निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें कहा गया है कि परिवादी ने परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है। लिखित कथन के अनुसार विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी को कब्‍जा का आफर पत्र दि0 26.05.2015 से माध्‍यम से किया गया है, और उसके स्‍टेटमेंट ऑफ एकाउण्‍ट से स्‍पष्‍ट है कि उसने भुगतान में विलम्‍ब हेतु ब्‍याज अदा नहीं किया है और स्‍टेटमेंट के अनुसार उसके जिम्‍मा 59,684.22/-रू0 विलम्‍ब से भुगतान हेतु ब्‍याज की धनराशि अवशेष है। दि0 26.05.2015 के बाद भी विपक्षीगण को यह धनराशि परिवादी ने अदा नहीं की है और दो साल से अधिक का समय बीत चुका है। अत: उसके द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद कालबाधित है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी को आवंटित फ्लैट का निर्माण पूर्ण हो चुका है। कम्‍पलीशन सार्टीफिकेट के लिए विपक्षीगण ने डेवलपमेंट अथारिटी झांसी को तीन साल पहले ही आवेदन पत्र दिया है। परिवादी द्वारा भुगतान किये जाने पर उसे कब्‍जा एलाटमेंट लेटर की शर्तों के अधीन पत्र दि0 26.05.2015 के अनुसार देने को तैयार है। परिवादी के जिम्‍मा कुल अवशेष धनराशि 41,7,471.03/-रू0 है।

     लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादी ने परिवाद का मूल्‍यांकन सही नहीं किया है। लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि परिवादी ने मेंटेनेंस एजेंसी को डेवलपर द्वारा इंगेज करने की सहमति पहले ही की है अत: मेंटेनेंस चार्ज की अदायगी हेतु उत्‍तरदायी है।

     लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने विपक्षीगण की सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है।

     लिखित कथन में विपक्षीगण ने यह भी कहा है कि करार-पत्र के अनुसार विवाद आर्बीट्रेशन को रिफर किये जाने का प्राविधान है। अत: परिवाद चलने योग्‍य नहीं है।  

     परिवादी की ओर से परिवादी की पत्‍नी श्रीमती इंदिरा जैन और परिवादी डा0 महेन्‍द्र कुमार जैन ने शपथ पत्र साक्ष्‍य में प्रस्‍तुत किया है।

     विपक्षीगण की ओर से Mehshar Neyazi डिप्‍टी मैनेजर लीगल ने शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है।

     अन्तिम सुनवाई के समय परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जे0के0 जैन उपस्थित आये हैं और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्रीमती सुचिता सिंह उपस्थित आयी हैं।

     हमने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।

     हमने परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

     धारा 3 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावि‍धान को दृष्टिगत रखते हुए करार का आर्बीट्रेशन क्‍लाज वर्तमान परिवाद में बाधक नहीं है।

     निर्विवाद रूप से एलाटमेंट लेटर के अनुसार फ्लैट का बेसिक सेल प्राइस 24,69,420/-रू0 है और भुगतान कंसट्रक्‍शन लिंक पेमेन्‍ट प्‍लान के अनुसार होना है। परिवादी ने परिवाद पत्र की धारा 4 में अंकित विवरण के अनुसार दिनांक 24.07.2010 से दिनांक 04.04.2014 तक कुल 24,09,130/-रू0 जमा किया है यह तथ्‍य भी निर्विवाद है।

     पत्र दिनांक 26.05.2015 के द्वारा विपक्षीगण ने परिवादी को कब्‍जा की आफर दी है और संलग्‍न स्‍टेटमेंट के अनुसार 4,57,176/-रू0 + 72,426/-रू0 के भुगतान की मांग की है जिसमें भुगतान में विलम्‍ब हेतु रू0 59,684.22/- ब्‍याज की धनराशि शामिल है। एलाटमेंट लेटर की शर्त के अनुसार भुगतान में विलम्‍ब की दशा में ब्‍याज देय है। अत: ब्‍याज की मांग उचित है। उपरोक्‍त पत्र दि0 26.05.2015 के द्वारा विपक्षीगण ने संलग्‍न स्‍टेटमेंट के अनुसार जो उपरोक्‍त धनराशि  रू0 4,57,176.85/- + रू0 72,426/- की मांग की है एलाटमेंट करार के अनुसार उचित है, परन्‍तु इस पत्र की तिथि तक फ्लैट का निर्माण पूर्ण होना साबित नहीं है। Payable to maintenance agency की जो धनराशि 72,426/-रू0 है वह कब्‍जा अंतरण की तिथि से प्रथम दो वर्ष के लिये मानी जायेगी न कि कब्‍जा अंतरण के पूर्व की अवधि की।

     एलाटमेंट लेटर के प्रस्‍तर 29 के अनुसार एलाटमेंट लेटर के निष्‍पादन की तिथि से युक्तिसंगत समय के अन्‍दर कब्‍जा दिया जाना था। एलाटमेंट लेटर दि0 24.07.2010 को निष्‍पादित किया गया है। भुगतान प्‍लान के अनुसार फ्लैट के तय मूल्‍य की 05 प्रतिशत धनराशि को छोड़कर शेष सम्‍पूर्ण धनराशि का भुगतान एलाटमेंट लेटर की तिथि से 23 मास के अन्‍दर होना था। परन्‍तु बीच में विपक्षीगण द्वारा निर्माण कार्य रोक देने से पेमेंट कंसट्रक्‍शन लिंक प्‍लान के अनुसार होने के कारण यह भुगतान दि0 04.04.2014 तक किया गया है।

     उपरोक्‍त विवरण से स्‍पष्‍ट है कि कुल मूल्‍य 24,69,420/-रू0 में रू0 24,09,130/- का भुगतान परिवादी ने विपक्षीगण को दि0 04.04.2014 तक किया है। अत: करार के अनुसार युक्तिसंगत समय के अन्‍दर विपक्षीगण कब्‍जा परिवादी को देने हेतु उत्‍तरदायी हैं। तयशुदा धनराशि में रू0 24,09,130/- दि0 04.04.2014 को प्राप्‍त करने पर दि0 31.12.2014 तक परिवादी को कब्‍जा दिया जाना युक्तिसंगत दिखता है, परन्‍तु विपक्षीगण ने कब्‍जा आफर का पत्र दि0 26.05.2015 को परिवादी को भेजा है और कब्‍जा आफर के इस पत्र के समय तक सक्षम अधिकारी का कम्‍पलीशन सार्टीफिकेट प्राप्‍त नहीं हुआ है और अब भी नहीं मिला है। परिवाद पत्र के अनुसार फ्लैट का निर्माण अब भी पूरा नहीं है। सक्षम अधिकारी द्वारा कम्‍पलीशन सार्टीफिकेट जारी न किया जाना इस बात का साक्ष्‍य है कि निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं है।

     परिवादी ने करीब-करीब पूरा मूल्‍य जमा कर दिया है, फिर भी वह कब्‍जा से वंचित है। इसके विपरीत विपक्षीगण उसकी जमा धनराशि से लाभान्वित होते हैं। अत: विपक्षीगण से परिवादी की जमा धनराशि पर दि0 01.01.2015 से निर्माण कम्‍पलीट होने तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज कब्‍जा अंतरण में विलम्‍ब हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में दिलया जाना उचित है। तदनुसार परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

     सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि अन्‍य याचित अनुतोष प्रदान करने हेतु उचित आधार नहीं है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे दि0 01.01.2015 से प्रश्‍नगत फ्लैट का निर्माण पूरा कर सक्षम अधिकारी का कम्‍पलीशन सार्टीफिकेट प्राप्‍त कर परिवादी को कब्‍जा आफर देने की तिथि तक परिवादी को उसकी जमा धनराशि 24,09,130/-रू0 पर 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज कब्‍जा अंतरण में विलम्‍ब हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें।

     विपक्षीगण परिवादी को 10,000/-रू0 वाद व्‍यय भी अदा करें।

     विपक्षीगण द्वारा परिवादी को देय उपरोक्‍त धनराशि परिवादी के जिम्‍मा अवशेष धनराशि में समायोजित की जा सकती है।        

                

 

         (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)             (महेश चन्‍द)                                      

                             अध्‍यक्ष                         सदस्‍य     

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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