Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/994/09

SMT GEETA DEVI - Complainant(s)

Versus

ANOOP HOSPITAL - Opp.Party(s)

OM PRAKASH GUPTA

28 Sep 2015

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/994/09
 
1. SMT GEETA DEVI
KANPUR NAGAR
...........Complainant(s)
Versus
1. ANOOP HOSPITAL
ANOOP SHANKAR KUSHAWAHA
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 HON'BLE MRS. SUNITA BALA AWASTHI MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 


                                                               जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी...................वरि.सदस्या
    पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य


उपभोक्ता वाद संख्या-994/2009
श्रीमती गीता देवी उम्र लगभग 41 वर्श बालिग पत्नी श्री उमाषंकर कुषवाहा निवासी ग्राम खरौटी तहसील व जिला, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादिनी
बनाम
अनूप हास्पिटल 3 मंगला विहार द्वितीय बाई पास रोड दहेली सुजानपुर कानपुर नगर जरिये मैनेजिंग डायरेक्टर डा0 अनूप षंकर कुषवाहा।
                             ...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 07.11.2009
परिवाद निर्णय की तिथिः 06.10.2015

डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी द्वारा परिवादिनी का गलत इलाज व आपरेषन करने के कारण परिवादिनी को हुई आर्थिक क्षति रू0 2,00,000.00 विपक्षी से दिलाया जाये। षारीरिक, मानसिक आघात के लिए रू0 50000.00 तथा परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का संक्षेप में यह कथन है कि परिवादिनी के पेट में दर्द की तकलीप होने के कारण परिवादिनी ने विपक्षी के यहां इलाज हेतु दिनांक 31.01.08 को गई, जहां पर विपक्षी द्वारा जांचोपरान्त यह बताया गया कि परिवादिनी के पेट में गांठ हो गयी है- आपरेषन करना होगा। फलस्वरूप परिवादिनी, विपक्षी के अस्पताल में दिनांक 13.01.08 को भर्ती हुई। विपक्षी द्वारा परिवादिनी के पेट का आपरेषन करके यह बताया गया कि उसकी गांठ निकाल दी गयी है और वह षीघ्र ही ठीक हो जायेगी।  विपक्षी के अस्पताल में परिवादिनी दिनांक 
..........2
....2....

13.01.08 से 29.01.08 तक भर्ती रही। परिवादिनी से आपरेषन के लिए बेड के लिए, नर्सिंगहोम खर्च के लिए रू0 13,705.00 तथा दवाओं के लिए करीबन रू0 1,00,000.00 लिये गये। परिवादिनी दिनांक 29.01.08 को अपने घर आने के बाद दिनांक 04.02.08, 10.02.08, 20.02.08, 25.02.08, 21.03.08, 15.04.08, 25.04.08, 26.08.08 28.08.08 व 06.09.08 आदि तिथियों पर बराबर चेकअप के लिए जाती रही, किन्तु परिवादिनी के पेटदर्द में कोई आराम नहीं हुआ। बल्कि तकलीफ दिन-ब-दिन बढ़ती गयी। तदोपरान्त परिवादिनी ने अपना इलाज अंजली अस्पताल 18 डब्लू-2 बर्रा विष्व बैंक चैराहा कानपुर की डा0 अंजली गंगवार से कराया। जहां पर अल्ट्रासाउण्ड जांचोपरान्त यह बताया गया कि परिवादिनी के पेट में गांठ मौजूद है, आपरेषन से गांठ नहीं निकाली गयी है। जब तक गांठ नहीं निकाली जायेगी, पेटदर्द ठीक नहीं होगा। जब परिवादिनी द्वारा उपरोक्त विशय की षिकायत विपक्षी से की गयी, तो विपक्षी ने परिवादिनी को डरा-धमका कर भगा दिया। उसके बाद डा0 श्रीमती किरन पाण्डेय 230 सब्जी बाजार हरजेन्दर नगर कानपुर  नगर को अपने पेट के बारे में बताया। डा0 किरन पाण्डेय द्वारा भी आवष्यक जांच पड़ताल अल्ट्रासाउण्ड जांचोपरान्त पेट में गांठ मौजूद होना बताया गया। परिवादिनी द्वारा डा0 किरन पाण्डेय से आपरेषन करवाया गया, जिसमें परिवादिनी का करीब रू0 50000.00 खर्च हुआ। विपक्षी ने परिवादिनी का इलाज लापरवाहीपूर्वक किया और नाजायज रूप से परिवादिनी का करीब 1,50,000.00 ले लिया। फलस्वरूप परिवादिनी को प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के द्वारा सेवा में की गयी उपरोक्त लापरवाही के कारण योजित करना पड़ा।
3.    पत्रावली के अवलोकन से विदित हेाता है कि विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है। आदेष पत्र दिनांकित 21.03.13 के अवलोकन से विदित होता है कि विपक्षी द्वारा सीधे प्रति षपथपत्र दाखिल किया गया है। उक्त प्रतिषपथपत्र को ही जवाब दावा के रूप में माना गया है। प्रतिषपथपत्र दिनांकित 28.09.10 के प्रथम पृश्ठ में ऊपर डब्लू.एस. है- अंकित है। उक्त प्रतिषपथपत्र के अनुसार विपक्षी का संक्षेप में कथन यह 
..........3
....3....

है कि परिवादिनी दिनांक 13.01.08 को विपक्षी के यहां दो चिकित्सीय रिपोर्ट एवं चिकित्सीय नुष्खे, डा0 हरनाम सिंह, प्रिया नर्सिंगहोम एवं डा0 चन्द्रलेख सिंह साकेत नगर, कानपुर नगर के द्वारा जारी, लेकर आयी। उक्त रिपोर्ट एवं नुष्खों के अनुसार यदि परिवादिनी की बच्चेदानी तत्काल नहीं निकाली गयी, तो अत्यधिक रक्तस्राव के कारण परिवादिनी की मृत्यु हो सकती है। उक्त रिपोर्ट के आधार पर विपक्षी द्वारा परिवादिनी को अपने अस्पताल में भर्ती होने की राय दी गयी। तदोपरान्त परिवादिनी, विपक्षी के अस्पताल में भर्ती हो गयी। तदोपरान्त परिवादिनी का आपरेषन करके उसकी बच्चेदानी निकाल दी गयी। परिवादिनी का यह कथन असत्य है कि विपक्षी द्वारा उपरोक्त राय के अतिरिक्त अन्य कोई राय दी गयी। वास्तव में परिवादिनी, विपक्षी की रिस्तेदार है। इसलिए विपक्षी द्वारा परविादिनी से कोई धनराषि नहीं ली गयी। परिवादिनी का इलाज निःषुल्क किया गया। जब भी परिवादिनी, विपक्षी के अस्पताल में आयी, उसका समुचित इलाज किया गया। परिवादिनी अन्य किसी षिकायत को लेकर विपक्षी के पास नहीं आयी। यदि परिवादिनी द्वारा अन्य किसी षारीरिक अस्वस्थता के लिए किसी अन्य चिकित्सक से चिकित्सा ली गयी है, तो विपक्षी उसका उत्तरदायी नहीं है। अतः परिवादिनी का परिवाद सव्यय निरस्त किया जाये।
परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.    परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 05.11.09 व 28.05.11 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में अनूप हास्पिटल से सम्बन्धित इलाज के पर्चे एवं बिलों की प्रति, अल्ट्रासाउण्ड रिपोर्ट की प्रति, ब्लड कमेस्ट्री रिपोर्ट की प्रति, श्री कृश्णा पैथोलाॅजी लैब के रिपोर्ट की प्रति, पेषेन्ट रिकार्ड की प्रति, श्रीमती किरन पाण्डेय द्वारा जारी इलाज से सम्बन्धित पर्चे की प्रति, बाॅयोस्पी सेंटर के रिपोर्ट की प्रति, इलाज से सम्बन्धित बिल व पर्चें संलग्नक 1 लगायत् 54 की प्रतियां, दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-

..........4
....4....

5.    विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में डा0 ए.एस. कुषवाहा का षपथपत्र दिनांकित 28.09.10 व 26.09.13 एवं डा0 ए0एन0 कुषवाहा का षपथपत्र दिनांकित 02.11.11 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में अनूप हास्पिटल के पर्चे की प्रति, डिस्चार्ज स्लिप की प्रति दाखिल किया है।
निष्कर्श
6.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में विवाद का विशय यह है कि क्या विपक्षी प्रबन्ध निदेषक अनूप अस्पताल के डा0 अनूप षंकर के द्वारा परिवादिनी का इलाज गलत ढंग से करके सेवा में त्रुटि कारित की गयी है।
7.    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि परिवादिनी दिनांक 13.01.08 को विपक्षी के यहां, विपक्षी की राय पर अपने पेट में बतायी गयी गांठ का आपरेषन करवाने के लिए परिवादिनी दिनांक 29.01.08 तक भर्ती रही। विपक्षी द्वारा परिवादिनी को यह आष्वासन दिया गया कि उसके पेट की गांठ निकाल दी गयी है वह षीघ्र ठीक हो जायेगी। परिवादिनी द्वारा आपरेषन के लिए, बेड, नर्सिंगहोम खर्च के लिए रू0 13,705.00 तथा दवाओं के लिए तकरीबन रू0 1,00,000.00 विपक्षी द्वारा लिये गये। परिवादिनी विभिन्न तिथियों पर आपरेषन के बाद भी विपक्षी के पास आयी और यह षिकायत की कि उसकी तकलीफ दूर नहीं हुई है। उसके पेट में दर्द पूर्ववत् बना रहता है। बल्कि उक्त दर्द दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। विपक्षी विभिन्न तिथियों पर परिवादिनी का चेकअप करके ठीक होने का आष्वासन देता रहा। जब परिवादिनी को दिनांक 06.09.08 तक कोई आराम नहीं मिला तब उसने अपनी जांच अंजली अस्पताल 18 डब्लू-2 बर्रा विष्व बैंक चैराहा कानपुर से कराया। जहां पर जांचोपरान्त परिवादिनी के पेट में गांठ मौजूद होना बताया गया और यह बताया गया कि आपरेषन से गांठ नहीं निकाली गयी। परिवादिनी 
..........5
....5....
ने जब विपक्षी से उपरोक्त विशय के षिकायत की तो विपक्षी ने परिवादिनी की बात नहीं सुनी और उसे डरा-धमका कर भगा दिया। तदोपरान्त परिवादिनी द्वारा दूसरे डाक्टर, डा0 श्रीमती किरन पाण्डेय 230 सब्जी बाजार हरजेन्दर नगर कानपुर से अपना इलाज कराया गया। डा0 किरन पाण्डेन ने परिवादिनी का आपरेषन किया, उसमें पुनः परिवादिनी का तकनीबन रू0 50,000.00 खर्च करना पड़ा। जबकि विपक्षी की ओर से परिवादिनी को अपने अस्पताल में दिनांक 13.01.08 को भर्ती होना स्वीकार किया गया है। किन्तु यह कहा गया है कि परिवादिनी अपने साथ पूर्व डा0 के दो नुष्खे व रिपोर्ट लेकर आयी थी, जिसके अनुसार परिवादिनी की बच्चेदानी तत्काल निकालना आवष्यक था, अन्यथा अत्यधिक रक्तस्राव के कारण परिवादिनी की मृत्यु संभावित थी। विपक्षी के द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि विपक्षी के अस्पताल में परिवादिनी की बच्चेदानी का आपरेषन करके बच्चेदानी निकाली गयी तथा अन्य कोई राय नहीं दी गयी थी। जिससे यह स्पश्ट होता है कि विपक्षी द्वारा परिवादिनी के अन्य किसी परीक्षण या चिकित्सा से इंकार किया गया है। परिवादिनी के पेट में किसी प्रकार की गांठ होना या तत्सम्बन्धी इलाज किये जाने की बात से विपक्षी द्वारा इंकार किया गया है। विपक्षी की ओर से अपने कथन के समर्थन में सूची के साथ परिवादिनी की डिस्चार्ज स्लिप दिनांक 29.01.08 की मूल प्रति प्रस्तुत की गयी है, जिसके अनुसार परिवादिनी की बच्चेदानी निकालना साबित होता है। विपक्षी की ओर से ही षपथपत्र दिनांकित 26.09.13 के साथ संलग्नक के रूप में एक अन्य दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है। जिसमें परिवादिनी की बीमारी परिवादिनी की बीमारी भ्लेजतमजवउल ूपजी स्मजि ैवसचपदहवचीवतमबजवउल अंकित किया गया है। विपक्षी की ओर से अन्य कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किये गये हैं। जबकि अपने षपथपत्र में विपक्षी द्वारा यह कहा गया है कि परिवादिनी पहले से ही दो विभिन्न डाक्टरों द्वारा दिये गये नुष्खे एवं परीक्षण रिपोर्ट साथ लेकर आयी थी, जिनके आधार पर परिवादिनी की बच्चेदानी अविलम्ब निकालना आवष्यक था। अन्यथा स्थिति में अत्यधिक रक्तस्राव के कारण परिवादिनी की मृत्यु होना संभावित थी। परन्तु विपक्षी के द्वारा अपने उपरोक्त कथन को साबित करने के लिए उपरोक्त अभिकथित कोई चिकित्सीय नुष्खे अथवा परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत  नहीं की गयी है।  जिससे
......6......
विपक्षी का यह कथन असत्य साबित होता है कि परिवादिनी की बच्चेदानी का आपरेषन करके तत्काल निकालना आवष्यक था। इसके अतिरिक्त विपक्षी का स्वयं ही यह उत्तरदायित्व बनता था कि, ’’आपरेषन से पूर्व वह अपने स्तर से जांच कराकर यह सुनिष्चित कर लेता कि परिवादिनी का आपरेषन उसके पेट की गांठ निकलाने के लिए करना है या बच्चेदानी निकालने के लिए।’’ परिवादिनी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्य में से नुष्खा दिनांकित 26.08.08 के अवलोकन से विदित होता है कि उक्त चिकित्सीय नुष्खा विपक्षी अनूप हास्पिटल का है, जिसमें परिवादिनी के चिकित्सीय इतिहास में ।इकवउपदमस ीलेजमतवजवउल ब्ध्व च्ंपद ंज समजि सिंदा ठनतदपदह उपबजनंजपवद अंकित किया गया है। चिकित्सा नुष्खा दिनांकित 25.04.08 में केवल पेट में दर्द होना अंकित किया गया है। चिकित्सीय नुष्खा दिनांकित 21.03.08 में बीमारी थ्न्ब् ज्।भ् अंकित किया गया है। चिकित्सीय नुष्खा दिनांकित 25.02.08 में उपरोक्त बीमारी दर्षायी गयी है। चिकित्सीय नुष्खा दिनांकित 20.02.08 में, चिकित्सीय नुष्खा दिनांकित 10.02.08 में उपरोक्त बीमारी दर्षायी गयी है। चिकित्सीय नुष्खा दिनांकित 04.02.08 में थ्न्ब् ज्।भ् ॅपजी स्मजि ैंसचपदहव व्अमतमबजवउल दर्षायी गयी है। उपरोक्त समस्त नुष्खे विपक्षी अनूप हास्पिटल के द्वारा जारी किये गये हैं। उपरोक्त समस्त नुष्खों के अवलोकन से विदित होता है कि विपक्षी, परिवादिनी की डायग्नोसिस/ बीमारी ठीक प्रकार से सुनिष्चित करने में असमर्थ रहा है। नुष्खा दिनांकित 28.08.08 के अवलेाकन से विदित हेाता है कि विपक्षी द्वारा उपरोक्त समस्त नुष्खों में परिवादिनी को, परिवादिनी की बीमारी को बिना सुनिष्चित किये ही दवायें दी जाती रही हैं। क्योंकि चिकित्सीय नुष्खा दिनांकित 28.08.08 में परिवादिनी की बीमारी न्ज्प्ए न्तपदंतल ज्तंबज पदमिबजपवद बताया गया है। जबकि परिवादिनी की ओर से पेसेन्ट रिकार्ड रक्षा मेमोरियल मेडिकल सेंटर का चिकित्सीय नुष्खा दिनांकित 31.04.09 प्रस्तुत किया गया हैं, जिससे यह स्पश्ट होता है कि रक्षा मेमोरियल मेडिकल सेंटर में परिवादिनी की दांयी ैंपसचपदहव वचीतमबजवउल की गयी है। जिससे परिवादिनी के उपरोक्त कथन को बल मिलता है। जिससे स्पश्ट होता है कि रक्षा मेमोरियल मेडिकल सेंटर में परिवादिनी द्वारा अपनी गांठ का अपरेषन कराया गया और तब परिवादिनी को अपने पेट दर्द से निजात मिल सकी।
....7....
    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों के विष्लेशणोंपरान्त फोरम इस मत का है कि विपक्षी द्वारा परिवादिनी का इलाज सही ढंग से सुनिष्चित न करके सेवा में त्रुटि कारित की गयी है। जिसके लिए विपक्षी को, मात्र यह कह देने से कि, परिवादिनी उसकी रिस्तेदार थी और इसलिए उसके द्वारा परिवादिनी से कोई चार्ज नहीं लिया गया है, उत्तरदायित्व से अवमुक्त नहीं किया जा सकता। परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में एवं षपथपत्र में यह कहा है कि विपक्षी द्वारा परिवादिनी से समस्त इलाज के लिए रू0 1,13,705.00 लिये गये तथा विपक्षी के द्वारा ठीक प्रकार से इलाज न करने से उसे अन्य अस्पताल में व अन्य डाक्टरों की देखरेख में इलाज करवाना पड़ा, जिससे उसका रू0 50,000.00 और खर्च हुआ। परिवादिनी द्वारा अपने मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिए रू0 50000.00 की मांग की गयी है। प्रस्तुत मामले के तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में परिवादिनी को उपरोक्त समस्त उपषम के लिए कुल धनराषि रू0 2,00,000.00 विपक्षी से दिलाये जाने के लिए तथा परिवाद व्यय दिलाये जाने के लिए आंषिक रूप से परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
ःःःआदेषःःः
7.     परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादिनी को रू0 2,00,000.00 समस्त हर्जाने के रूप में तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय अदा करे।

(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी)    (पुरूशोत्तम सिंह)   (डा0 आर0एन0 सिंह)
       वरि0सदस्या                सदस्य              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद       जिला उपभोक्ता विवाद  जिला उपभोक्ता विवाद
       प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम         प्रतितोश फोरम
       कानपुर नगर।                 कानपुर नगर।         कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


        (श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी)    (पुरूशोत्तम सिंह)   (डा0 आर0एन0 सिंह)
       वरि0सदस्या                सदस्य              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद       जिला उपभोक्ता विवाद  जिला उपभोक्ता विवाद
       प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम         प्रतितोश फोरम
       कानपुर नगर।                 कानपुर नगर।         कानपुर नगर।

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SUNITA BALA AWASTHI]
MEMBER

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