Uttar Pradesh

StateCommission

A/103/2016

Shriram General Insurance Co. Ltd. - Complainant(s)

Versus

Anlesh Kumar - Opp.Party(s)

Dinesh Kumar

21 Sep 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/103/2016
( Date of Filing : 18 Jan 2016 )
(Arisen out of Order Dated 22/12/2015 in Case No. C/61/2013 of District Etawah)
 
1. Shriram General Insurance Co. Ltd.
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Anlesh Kumar
Etawah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Sep 2020
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-103/2016

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या 61/2013 में पारित आदेश दिनांक 22.12.2015 के विरूद्ध)

Shriram General Insurance Company Limited, E-8, EPIP, RIICO Industrial Area, Sitapura, Jaipur (Rajasthan) -302022 Branch Office 16, Chintal House, Station Road, Lucknow through its Manager.

                               ..................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

Anlesh Kumar aged about 40 years S/o Shri Subedar Singh Yadav R/o- Ranveer Nagar Near ITI Chauraha, Thana- Civil Lines District-Etawa.

                               ...................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

3. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार,                               

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री उमेश कुमार शर्मा,                               

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 07.10.2020

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-61/2013 अनलेश कुमार बनाम श्रीराम जनरल इं0कं0लि0 में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 22.12.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

-2-

जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय  के द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद विपक्षी के विरुद्ध 1,80,000/-रुपये की वसूली हेतु स्‍वीकार किया जाता है इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देना होगा। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्‍तानुसार धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को अदा करे।''

जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी श्रीराम जनरल इं0कं0लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिनेश कुमार और प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार शर्मा उपस्थित आये हैं।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन  किया है। 

हमने उभय पक्ष की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन  के  साथ  प्रस्‍तुत  किया  है  कि  वह  ट्रक             

 

-3-

संख्‍या NL05/D-7037 का पंजीकृत स्‍वामी है। उसके इस ट्रक का बीमा असीमित दायित्‍व के लिए विपक्षी श्रीराम जनरल इं0कं0लि0, जो वर्तमान में अपीलार्थी है, से था और बीमा अवधि में ही दिनांक 29.08.2011 को उसके ट्रक में एक अन्‍य ट्रक के चालक ने तेजी व लापरवाही से ट्रक चलाते हुए टक्‍कर मार दी, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी का ट्रक क्षतिग्रस्‍त हो गया और ट्रक पर सवार माल स्‍वामी की मृत्‍यु हो गयी तथा क्‍लीनर छोटे पुत्र रामआसरे घायल हो गया।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके ट्रक पर गुड्डू रावत पुत्र आर0के0 रावत मूल निवासी ग्राम रठे, थाना-किशनी, जिला मैनपुरी हाल निवासी-टी0पी0 नगर कानपुर बतौर चालक कार्यरत् था। यह सूचना उसने थाना कोतवाली अकबरपुर और बीमा कम्‍पनी के कार्यालय को रजिस्‍टर्ड डाक से दी तथा कोतवाली अकबरपुर में दुर्घटना की रिपोर्ट भी दर्ज करायी।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उपरोक्‍त दुर्घटना के कारण उसके ट्रक में लगभग 2,00,000/-रू0 की क्षति हुई और उसके ट्रक का सर्वे अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के सर्वेयर डी0के0 पाण्‍डेय द्वारा किया गया। उन्‍हें उसने समस्‍त कागजात, बिल बाउचर और चालक का ड्राइविंग लाइसेंस तथा वाहन की आर0सी0, परमिट, फिटनेस आदि उपलब्‍ध कराया। अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी को भी उसने यह कागजात उपलब्‍ध कराये, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने उसे कोई  क्षतिपूर्ति

 

 

-4-

नहीं दिया। अत: क्षुब्‍ध होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत कर निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

''यह कि परिवादी विपक्षी से रू0 200000/- ट्रक की क्षतिपूर्ति रू0 50000/- मानसिक व शारीरिक उत्‍पीडन रू0 11000/- वाद व्‍यय रू0 200000/- आर्थिक क्षति हेतु एवं 18 प्रतिशत ब्‍याज दुर्घटना दिनांक 29.8.11 से अदायगी की तिथि तक प्राप्‍त करने का अधिकारी है।

अत: प्रार्थना है कि उपरोक्‍त विवरण के आधार पर परिवादी का क्षतिपूर्ति वाद विपक्षी के विरुद्ध रू0 461000/- मय 18 प्रतिशत ब्‍याज दिनांक 29.8.11 से भुगतान के दिनां‍क तक निर्णीत करने की कृपा करें अथवा अन्‍य कोई उपशमन जो हितकर परिवादी हो उसे भी परिवादी के पक्ष में पारित करने की कृपा करें।''

     अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है, जिसमें कहा गया है कि दुर्घटना के समय ट्रक को शीलू नाम का चालक चला रहा था, जिसके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। इस कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी का क्‍लेम खारिज कर उसे सूचना दे दी गयी है।

     लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने कहा है कि सर्वेयर ने वाहन की कुल क्षति 59,100/-रू0 आंकलित की    है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने कहा है कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की  सेवा  में  कोई  त्रुटि  नहीं              

 

-5-

है। परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों

पर विचार करने के उपरान्‍त यह माना है कि कथित दुर्घटना के समय प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ट्रक का चालक गुड्डू रावत था, जिसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित है।

अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। कथित दुर्घटना की जो प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने लिखवायी है, उसमें दुर्घटना के समय वाहन चालक का नाम शीलू पुत्र रामआसरे लिखवाया गया है, परन्‍तु चालक शीलू के पास प्रश्‍नगत वाहन चलाने हेतु वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। अत: बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा क्‍लेम अस्‍वीकार कर सेवा में कोई कमी नहीं की है।

अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने क्‍लेम पाने हेतु गुड्डू रावत को बाद में वाहन चालक दर्शित किया है, जबकि वास्‍तविकता यह है कि दुर्घटना के समय वाहन चालक शीलू ही था।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि दुर्घटना के समय प्रश्‍नगत वाहन का चालक गुड्डू रावत था।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि दुर्घटना

 

-6-

के समय शीलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी का प्रश्‍नगत वाहन चला रहा था इस सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने थाना कोतवाली में लिखित रिपोर्ट दी थी, परन्‍तु जब दुर्घटना में घायल क्‍लीनर छोटे से इटावा अस्‍पताल में प्रत्‍यर्थी/परिवादी मिला तो पता चला कि घटना के समय ट्रक को गुड्डू रावत पुत्र आर0के0 रावत चला रहा था। चालक शीलू पुत्र रामआसरे को गम्‍भीर रूप से बुखार आने के कारण इटावा में ही वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ट्रक को चालक गुड्डू रावत को चलाने हेतु सौंप दिया था और वहीं वह उतर गया था।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा क्‍लेम गलत आधार पर अस्‍वीकार कर सेवा में कमी की है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए जो आदेश पारित किया है वह उचित है और उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने तर्क के समर्थन में माननीय उच्‍च न्‍यायालय, इलाहाबाद द्वारा युनाईटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी बनाम मोटर एक्‍सीडेन्‍ट क्‍लेम के वाद में दिया गया निर्णय दिनांक 10.12.2019 सन्‍दर्भित किया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने तर्क के समर्थन में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा जितेन्‍द्र कुमार बनाम ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कं0लि0 व एक अन्‍य के वाद में दिया गया निर्णय, जो (2003) 6 सुप्रीम कोर्ट केसेस 420 में प्रकाशित है, को भी सन्‍दर्भित किया है।

 

-7-

हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

प्रश्‍नगत दुर्घटना दिनांक 29.08.2011 की सुबह 3.00 बजे की बतायी गयी है। प्रश्‍नगत दुर्घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 29.08.2011 को 9.30 बजे सुबह थाना कोतवाली अकबरपुर जिला रमाबाई नगर में दर्ज कराया है और प्रथम सूचना रिपोर्ट में स्‍पष्‍ट रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने लिखाया है कि दुर्घटना के समय उसके प्रश्‍नगत वाहन को चालक शीलू पुत्र रामआसरे उम्र 25 वर्ष निवासी ग्राम रठे थाना किसनी जिला मैनपुरी हेल्‍पर छोटे लाल पुत्र रामआसरे उम्र 22 वर्ष ग्राम रठे थाना किसनी जिला मैनपुरी के साथ इटावा से आलू लोडकर कानपुर चकरपुर लेकर जा रहा था तभी यह दुर्घटना घटित हुई है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार जब वह ट्रक क्‍लीनर छोटे पुत्र रामआसरे से इटावा अस्‍पताल में मिला तब पता चला कि घटना के समय ट्रक को गुड्डू रावत पुत्र आर0के0 रावत चला रहा था। चालक शीलू पुत्र रामआसरे को गम्‍भीर रूप से बुखार आने के कारण इटावा में ही उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ट्रक को दूसरे चालक को चलाने हेतु सौंप दिया था और वह इटावा में उतर गया था।

हमने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के उपरोक्‍त कथन, जिसका उल्‍लेख जिला फोरम ने अपने निर्णय में किया है, पर विचार किया है।

प्रश्‍नगत दुर्घटना की जो प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने थाना में दिनांक 29.08.2011 को 9.30 बजे सुबह दर्ज करायी है

 

-8-

उसमें उसने उपरोक्‍त कथन के साथ ही कहा है कि हेल्‍पर छोटे लाल पुत्र रामआसरे निवासी रठे थाना किसनी के गम्‍भीर रूप से घायल हो जाने के कारण अकबरपुर जिला चिकित्‍सालय में उसका इलाज कराया जा रहा है और प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना कोतवाली अकबरपुर जनपद रमाबाई नगर में दर्ज करायी गयी है। इसके साथ ही उल्‍लेखनीय है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने लिखित कथन के साथ बीमा कम्‍पनी को दी गयी सूचना की प्रति प्रस्‍तुत किया है, जिस पर सूचना देने की तिथि अंकित नहीं है, परन्‍तु इसमें उल्‍लेख है कि दुर्घटना के समय ट्रक को चालक गुड्डू रावत पुत्र आर0के0 रावत मूल निवासी ग्राम रठे जिला मैनपुरी हाल निवासी टी0पी0 नगर कानपुर चला रहा था जो भयवश दुर्घटना स्‍थल से भाग गया जिसकी सूचना थाना कोतवाली अकबरपुर में उसके द्वारा लिखित रूप से दिनांक 03.09.2011 को दी गयी है। अत: यह स्‍पष्‍ट है कि‍ प्रश्‍नगत दुर्घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने के 05 दिन बाद थाना में सूचना प्रत्‍यर्थी/परिवादी देना बताता है, जिसमें कहा गया है कि उसके प्रश्‍नगत ट्रक का चालक गुड्डू रावत दुर्घटना के समय था। प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित चालक शीलू का कोई ड्राइविंग लाइसेंस प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि उसके पास प्रश्‍नगत ट्रक को चलाने हेतु वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। ऐसी स्थिति में प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित चालक शीलू से भिन्‍न व्‍यक्ति को 05 दिन बाद ट्रक का चालक बताया जाना यह दर्शित करता  है  कि‍  शीलू  के  पास  ड्राइविंग

 

-9-

लाइसेंस न होने के कारण ही दूसरे चालक को उसके स्‍थान पर प्रतिस्‍थापित किया जा रहा है।

जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय के उल्‍लेख से स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से कहा गया है कि उसके प्रश्‍नगत ट्रक का चालक घटना के समय शीलू था, परन्‍तु इटावा में बुखार आने के कारण उसने ट्रक चालक गुड्डू रावत पुत्र आर0के0 रावत को चलाने हेतु दिया था और स्‍वयं ट्रक से उतर गया था। चालक शीलू द्वारा ट्रक दूसरे व्‍यक्ति को चलाने हेतु वाहन स्‍वामी की स्‍वीकृति या अनुमति के बिना नहीं दिया जा सकता है। ऐसी स्थिति में यदि वास्‍तव में शीलू बीमार होने के कारण कानपुर जाने की स्थिति में नहीं था तो वह वाहन स्‍वामी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को सूचित करके उसकी अनुमति से ही दूसरे चालक को ट्रक चलाने हेतु देता।

उपरोक्‍त विवेचना से स्‍पष्‍ट है कि दुर्घटना के तुरन्‍त बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जो थाना में रिपोर्ट लिखायी है उसमें चालक का नाम शीलू लिखाया है और जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा किये गये कथन से भी यह स्‍पष्‍ट है कि शीलू उसके प्रश्‍नगत वाहन को चलाता था, परन्‍तु शीलू का कोई ड्राइविंग लाइसेंस प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में यह मानने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार है कि शीलू के पास ड्राइविंग लाइसेंस न होने के कारण उसके स्‍थान पर चालक गुड्डू रावत को प्रतिस्‍थापित करने का कानूनी मश्विरे से प्रयास किया गया है। दुर्घटना के तुरन्‍त  बाद

 

-10-

दर्ज करायी गयी प्रथम सूचना रिपोर्ट में किये गये कथन को गलत मानने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार नहीं है।

आक्षेपित निर्णय में जिला फोरम ने केवल प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथन के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित चालक शीलू के स्‍थान पर प्रश्‍नगत दुर्घटना के समय प्रश्‍नगत वाहन का चालक गुड्डू रावत को माना है, जो उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर उचित और विधिसम्‍मत नहीं प्रतीत होता है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के प्रश्‍नगत वाहन का चालक प्रश्‍नगत दुर्घटना के समय प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित चालक शीलू था और प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने चालक शीलू का ड्राइविंग लाइसेंस प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के वाहन चालक शीलू के पास प्रश्‍नगत दुर्घटना के समय वाहन चलाने हेतु वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। अत: माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा National Insurance Co. Ltd. Vs. Jarnail Singh and Ors., JT 2001 (Supp. 2) SC 218 और New India Assurance Co. Ltd. Vs. Suresh Chandra Aggarwal, AIR 2009 SC 2987 के निर्णयों में और माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा Dilawar Khan Vs. New India Assurance Co. Ltd. & Ors., I (2018) CPJ 381 (NC) और Meera Dhuria Vs. ICICI Lombard General Insurance Company Limited &

 

-11-

Anr., I (2018) CPJ 161 (NC) के निर्णयों में प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकार किये जाने हेतु उचित आधार है।

उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा सन्‍दर्भित माननीय उच्‍च न्‍यायालय, इलाहाबाद द्वारा युनाईटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी बनाम मोटर एक्‍सीडेन्‍ट क्‍लेम के वाद में दिये गये उपरोक्‍त निर्णय दिनांक 10.12.2019 का लाभ प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वर्तमान वाद के तथ्‍यों के परिप्रेक्ष्‍य में नहीं दिया जा सकता है क्‍योंकि चालक शीलू का कोई ड्राइविंग लाइसेंस प्रस्‍तुत ही नहीं किया गया है।

प्रथम सूचना रिपोर्ट में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने स्‍पष्‍ट रूप से लिखा है कि ''आज दिनांक 29.08.2011 को प्रात: 3 बजे सन्‍तुष्‍टी हास्‍पीटल अकबरपुर के सामने हाइवे रोड पर आगे जा रहे ट्रक नम्‍बर अज्ञात के ओवर टेक कर देने से मेरे वाहन का अगला हिस्‍सा ट्रक के पीछे तेजी से टकरा गया।'' प्रथम सूचना रिपोर्ट के कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ट्रक ने आगे के ट्रक के पिछले हिस्‍से में टक्‍कर मारी है। इसके साथ ही उल्‍लेखनीय है कि बहस के दौरान अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने मोटर वाहन दुर्घटना क्‍लेम सं0-512/2011 मंजू व एक अन्‍य बनाम अनिलेश व दो अन्‍य में मोटर दुर्घटना दावा क्षतिपूर्ति न्‍यायाधिकरण/अपर जनपद न्‍यायाधीश, कोर्ट सं0-1,  इटावा  द्वारा

 

-12-

पारित निर्णय दिनांक 12.02.2015 की प्रति प्रस्‍तुत की है, जिसमें प्रश्‍नगत दुर्घटना के समय प्रत्‍यर्थी/परिवादी के वाहन का चालक शीलू माना गया है और उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस न होना माना गया है। मोटर दुर्घटना दावा क्षतिपूर्ति न्‍यायाधिकरण, इटावा का यह निर्णय उभय पक्ष को स्‍वीकार है और उभय पक्ष को यह भी स्‍वीकार है कि यह प्रतिकर वाद इसी दुर्घटना के सम्‍बन्‍ध में है। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि न्‍यायाधिकरण के निर्णय के विरूद्ध अपील माननीय उच्‍च न्‍यायालय में लम्बित है।

उपरोक्‍त मोटर वाहन दुर्घटना क्‍लेम सं0-512/2011 मंजू व एक अन्‍य बनाम अनिलेश व दो अन्‍य के निर्णय में मोटर दुर्घटना दावा क्षतिपूर्ति न्‍यायाधिकरण/अपर जनपद न्‍यायाधीश, कोर्ट सं0-1, इटावा ने माना है कि प्रश्‍नगत दुर्घटना प्रत्‍यर्थी/परिवादी के चालक की लापरवाही के कारण घटित हुई है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है कि प्रश्‍नगत दुर्घटना प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ट्रक चालक की लापरवाही का परिणाम नहीं है। अत: माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा जितेन्‍द्र कुमार बनाम ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कं0लि0 व एक अन्‍य के वाद में दिये गये निर्णय, जो (2003) 6 सुप्रीम कोर्ट केसेस 420 में प्रकाशित है, में प्रतिपादित सिद्धान्‍त का लाभ प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नहीं मिल सकता है।

उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचना के आधार पर हम इस मत के हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का क्‍लेम अस्‍वीकार कर सेवा में कमी नहीं की है। क्‍लेम अस्‍वीकार करने हेतु

 

-13-

उचित और युक्तिसंगत आधार है। अत: हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार कर जो आदेश पारित किया है वह तथ्‍य और विधि के अनुसार उचित नहीं है। जिला फोरम का निर्णय दोषपूर्ण है। अत: निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

अपील में धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को वापस की जायेगी।

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)    (राजेन्‍द्र सिंह)   (सुशील कुमार)            

    अध्‍यक्ष                    सदस्‍य           सदस्‍य 

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 

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