राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-87/2017
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्या 65/2014 में पारित आदेश दिनांक 14.02.2017 के विरूद्ध)
M/s IDEA CELLULLAR LIMITED HEAD OFFICE 5th FLOOR WINDSOR KALINA, OFF CST ROAD, NEAR VIDHYA NAGRI, SANTA CRUZ (EAST) MUMBAI-400098
...................पुनरीक्षणकर्ता
बनाम
1. ANKUR AERON S/O SH. RAKESH AERON
R/O HOUSE NO. 19, JATAN-B-3, BIJNOR-246701
2. MR. AMIT AGARWAL S/O SRI VED PRAKASH
AGARWAL OWNER OF M/s SARTHAK
COMMUNICATION/ M/s SAMARTH COMMUNICATION
SHOP NO.2 (NEXT TO NAGAR PALIKA OFFICE)
OPPOSITE VIJAY PETROL PUMP, CIVIL LINES-1,
NEAR ROADWAYS BUS STAND, BIJNOR-246701
(U.P.). ...................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री रोहित वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 19-06-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-65/2014 अंकुर ऐरन बनाम अमित अग्रवाल व अन्य में जिला फोरम, बिजनौर द्वारा पारित आदेश दिनांक 14.02.2017 के द्वारा उपरोक्त परिवाद के विपक्षी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र वास्ते लिखित कथन व अन्तरिम आदेश हेतु प्रस्तुत
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प्रार्थना पत्र के विरूद्ध आपत्ति प्रस्तुत करने निरस्त कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर उपरोक्त परिवाद के विपक्षी संख्या-2 मै0 आइडिया सेलुलर लि0 की ओर से वर्तमान पुनरीक्षण याचिका धारा-17 (1) (b) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत की गयी है।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री रोहित वर्मा उपस्थित आए। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया।
मैंने पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित आदेश का अवलोकन किया है।
जिला फोरम ने आक्षेपित आदेश माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजीव हितेन्द्र पाठक व अन्य बनाम अच्युत काशीनाथ कारेकर व अन्य सिविल अपील नं0 4307 वर्ष 2007 में प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर पारित किया है।
उल्लेखनीय है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने RELIANCE GENERAL INSURANCE CO. LTD AND ANR Vs. M/S MAMPEE TIMBERS AND HARDWARES PVT. LTD AND ANR IN CIVIL APPEAL No…………….OF 2017 OF (D.No. 2365 OF 2017) दिनांकित 10.02.2017 में यह मत व्यक्त किया है कि लिखित कथन प्रस्तुत करने की समय-सीमा समाप्त होने के बाद भी यदि विपक्षी उचित कारण दर्शित करता है तो लिखित कथन ग्रहण किया जा सकता है। अत: माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस निर्णय में प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर पुनरीक्षणकर्ता जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब को क्षमा कर
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लिखित कथन व आपत्ति ग्रहण करने के लिए जिला फोरम के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है।
वर्तमान पुनरीक्षण याचिका माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त निर्णय में प्रतिपादित सिद्धान्त को दृष्टिगत रखते हुए पुनरीक्षणकर्ता को इस छूट के साथ निस्तारित की जाती है कि पुनरीक्षणकर्ता माननीय सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय RELIANCE GENERAL INSURANCE CO. LTD AND ANR Vs. M/S MAMPEE TIMBERS AND HARDWARES PVT. LTD AND ANR में प्रतिपादित सिद्धान्त के प्रकाश में लिखित कथन व आपत्ति प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब को क्षमा करने के लिए प्रार्थना पत्र जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है। यदि ऐसा कोई प्रार्थना पत्र जिला फोरम के समक्ष पुनरीक्षणकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तो जिला फोरम माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त निर्णय में प्रतिपादित सिद्धान्त को दृष्टिगत रखते हुए विधि के अनुसार आदेश 15 दिन के अन्दर पारित करे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1