Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/1279

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Ankit Devalia - Opp.Party(s)

Dr U V Singh

05 Jul 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/1279
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ankit Devalia
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

              अपील संख्‍या– 1279/2010             सुरक्षित

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, झॉसी द्वारा परिवाद सं0 65/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 18-05-2010 के विरूद्ध)

1-युनियन आफ इंडिया द्वारा सेक्रेटरी पोस्‍ट एण्‍ड टेलीग्राफ, भारत सरकार, नई दिल्‍ली।

2-सब पोस्‍ट मास्‍टर, पोस्‍ट आफिस-मऊरानीपुर जिला-झॉसी।

                                                    अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

                              बनाम              

अंकित देवलिया पुत्र श्री जय शंकर देवलिया निवासी कस्‍बा मऊरानीपुर, तह0 मऊरानीपुर, जिला-झॉसी।

                                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                

माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थिति    : डा0 उदयवीर सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थिति      : कोई नहीं।

दिनांक-12-07-2016

माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उद्घोषित

       निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम झॉसी द्वारा परिवाद सं0 65/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 18-05-2010 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें जिला उपभोक्‍ता फोरम के द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

“परिवादी अंकित देवलिया का परिवाद विपक्षीगण यूनियन आफ इंडिया द्वारा सचिव तथा सब पोस्‍ट, पोस्‍ट आफिस मऊरानीपुर के विरूद्ध स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वह एक माह के भीतर परिवादी को 1300-00 रूपये ड्राफ्ट का मूल्‍य, 1000-00 रूपये क्षतिपूति व 1000-00 रूपये वाद व्‍यय के अदा करें।”

      संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि परिवादी ने दिनांक 01-09-2008 को अनावेदक डाक विभाग की प्रतिफल पर सेवायें प्राप्‍त करके कैट परीक्षा हेतु फार्म लखनऊ को स्‍पीड पोस्‍ट से भेजा था, जो दिनांक 05-09-2008 तक एडमीशन आफिस सीतापुर रोड़ नहीं पहॅुचा और ज‍ब निर्धारित तिथि तक प्रवेश पत्र परिवादी को नहीं मिला तो उसने लखनऊ से पता किया तो ज्ञात हुआ कि दिनांक 01-09-2008 को कैट परीक्षा का फार्म लखनऊ आफिस प्राप्‍त नहीं हुआ। फार्म के साथ 1300-00 रूपये का परीक्षा शुल्‍क ड्राफ्ट भी भेजा था। उक्‍त बैंक ड्राफ्ट 08 अगस्‍त 2008 को पैनस्लिप नम्‍बर 757277 द्वारा जारी किया गया था। परिवादी डाक सेवा की कमी के कारण कैट परीक्षा में बैठने से वंचित हो गया, जिसके लिये वह दिल्‍ली में कोचिंग

(2)

विगत दो सालों से कर रहा था, जिस पर प्रतिवर्ष उसका 23,600-00 रूपये खर्च हुआ और मंहगी किताबों आदि पर भी उसका व्‍यय हुआ। इससे परिवादी को मानसिक क्षति पहुंची और वह विपक्षी से क्षतिपूति पाने का अधिकारी है। 

       जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष विपक्षीगण ने अपना अभिकथन प्रस्‍तुत किया, जिसमें कहा गया है कि दिनांक 01-09-2008 को उप पोस्‍ट अधीक्षक मऊरानीपुर से वादी द्वारा बुक करायी गई स्‍पीडपोस्‍ट उसी दिन क्रमांक 6/11 पर दर्ज करके ट्रांजिक बैग के माध्‍यम से झॉसी आर0एम0एस0 को भेजी गई। उक्‍त बैग डाक वाहक श्री गोविन्‍द सिंह, द्वारा सहायक स्‍टेशन मास्‍टर श्री जनक सिंह चौहान को गन्‍तब्‍य स्‍थान पर दी गई, परन्‍तु उक्‍त बैग मऊरानीपुर स्‍टेशन से गन्‍तब्‍य स्‍थान तक नहीं पहुंचा, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट उचित कार्यवाही हेतु प्रभारी अधिकारी कोतवाली मऊरानीपुर को भेजी गई। विपक्षी किसी पोस्‍ट आर्टीकल के खो जाने बावत डिलेवरी हो जाने के लिए डाक अधिनियम के अर्न्‍तगत अपने दायित्‍यों से मुक्‍त है, लेकिन फिर भी विपक्षी अपनी साख बनाने के उद्देश्‍य से वादी द्वारा दी गई स्‍टाम्‍प डियूटी का दुगुना स्‍वीकृत कर वादी को उसके निवास पर भेजा। ऐसी दशा में अधिनियम की धारा-6 के अर्न्‍तगत पोस्‍ट आफिस को उत्‍तर दायित्‍व से मुक्‍त रखा गया। विपक्षी ने स्‍टाम्‍प धनराशि का दुगुना 50-00 रूपये वादी के घर भेजे, लेकिन उसने प्राप्‍त नहीं किये। वाद चलने योग्‍य नहीं है।

      अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता डा0 उदयवीर सिंह, उपस्थित है। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। आयोग के आदेश दिनांक 13-11-2014 से प्रत्‍यर्थी के ऊपर नोटिस का तामील पर्याप्‍त माना जा चुका है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी गई तथा अपील आधार का अवलोकन किया गया एवं जिला उपभोक्‍ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित 18-05-2010 का भी अवलोकन किया गया।

      अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा निम्‍न रूलिंग दाखिल की गई है:-

(1)2011(2) कन्‍ज्‍यूमर प्रोटेक्‍शन केसेज (एन0सी0) पेज-179

Consumer Protection Act, 1986- Sections 3 & 21 (b)- Indian Post Office Act, 898- Section 6- Postal  service- Non delivery of letter- Complainant sent two registered letters containing 532 shares but letters were not delivered to the addressees- Disrict Forum allowing complaint of complainant (respondent) directed petitioner/OP to pay Rs 2,58,354 in one case and Rs 1,76,244 in

(3)

another case- State Commission upheld the order passed by the District Forum- Revision filed- Held, as section 6 of the post office act provides complete immunity to Government from loss or mis-delivery of postal articles- Petitioner cannot be held liable especially when no specific allegation of any willful act on the part of any official has been made- Relief granted by the fora

Below set aside.

(2)माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा अपील सं0-152/2010 ऊषा मिश्रा बनाम चीफ पोस्‍ट मास्‍टर जनरल महात्‍मा गांधी मार्ग, लखनऊ में दिये गये निर्णय की कापी दाखिल की गई है।

      मौजूदा केस के तथ्‍यों परिस्थितियों में यह किसी प्रकार से साबित नहीं है कि पोस्‍टल विभाग के कर्मचारी के जानबूझकर किसी गलती की वजह से परिवादी की रजिस्‍ट्री गायब हुई हो। मौजूदा केस में 1300-00 रूपये मूल्‍य का ड्राफ्ट जो परिवादी द्वारा रजिस्‍ट्री के अन्‍दर भेजना कहा गया है, उसका कोई बीमा परिवादी द्वारा नहीं कराया गया था और इसके अलावा कोई अलग से जानकारी भी नहीं दी गई थी। केस के तथ्‍यों परिस्थितियों में हम यह पातें हैं कि जिला उपभोक्‍ता फोरम के द्वारा परिवादी को 1300-00 रूपये ड्राफ्ट का मूल्‍य और एक हजार रूपये क्षतिपूर्ति व एक हजार रूपये वाद व्‍यय जो दिलाया गया है, वह न्‍यायोचित नहीं है और केस के तथ्‍यों में यह भी आया है कि पोस्‍ट आफिस के द्वारा स्‍टाम्‍प ड्यूटी का दुगना 50-00 रूपये स्‍वीकृत कर परिवादी के घर भेजा गया था, जिसे वादी ने प्राप्‍त नहीं किया था। इस प्रकार से केस के तथ्‍यों परिस्थितियों में हम यह पातें है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम के द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधिसम्‍मत् नहीं है और निर्णय/आदेश दिनांक 18-05-2010 निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।       

आदेश

        अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम, झॉसी द्वारा परिवाद सं0 65/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 18-05-2010 को निरस्‍त किया जाता है।

      उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

 

   (आर0सी0 चौधरी)                                    ( उदय शंकर अवस्‍थी )

    पीठासीन सदस्‍य                                           सदस्‍य

आर.सी. वर्मा, कोर्ट नं0-4

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
MEMBER

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