Uttar Pradesh

StateCommission

A/856/2016

Future Generali India Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Anjani Gupta - Opp.Party(s)

Tarun Kumar Misra

25 Jan 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/856/2016
(Arisen out of Order Dated 17/03/2016 in Case No. C/79/2012 of District Lucknow-I)
 
1. Future Generali India Insurance Co. Ltd
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Anjani Gupta
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 25 Jan 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-८५६/२०१६

(जिला मंच (प्रथम), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-७९/२०१२ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०३-२०१६ के विरूद्ध)

फ्यूचर जनरली इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, ब्रान्‍च आफिस, यूनिट नं0-४०४, रतन स्‍क्‍वेयर, विधान सभा रोड, लखनऊ द्वारा सीनियर एक्‍जक्‍यूटिव (लीगल क्‍लेम)।

                                          .....................    अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम्

अंजनी गुप्‍ता पुत्र स्‍व0 श्री श्‍याम सुन्‍दर गुप्‍ता, निवासी ३४, श्री साईं सिटी, आई0आई0एम0 रोड, लखनऊ।

                                     ....................        प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।  

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित     :- श्री तरूण कुमार मिश्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       :- श्री अजय कुमार मिश्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक : ०३-०२-२०१७.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच (प्रथम), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-७९/२०१२ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०३-२०१६ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार उसकी कार नं0-यू.पी. ३२ सी0पी0 ३००४ अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी से दिनांक २८-११-२०१० से २७-११-२०११ तक की अवधि के लिए बीमित थी। दिनांक २०-११-२०११ को परिवादिनी के उपरोक्‍त वाहन से परिवादिनी के पुत्र का मित्र सीतापुर से लखनऊ आ रहा था। समय लगभग ११.४५ बजे पूर्वान्‍ह ग्राम कुँवरपुर के समीप हाईवे पर बने डिवाइडर के पास पहुँचा था कि ट्रक नं0 यू.पी. ३२ टी. ७६६० के चालक की लापरवाही के कारण परिवादिनी का उपरोक्‍त वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया तथा क्षतिग्रस्‍त हो गया, जिसमें परिवादिनी    के पुत्र को चोटें आयीं। घटना की रिपोर्ट थाना अटरिया जनपद सीतापुर में दर्ज करायी। घटना की सूचना प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को भी दी। अपीलार्थी के अधिकृत वर्कशॉप द्वारा परिवादिनी के वाहन में आने वाले व्‍यय का ब्‍यौरा ४,३७,५५७.७५

 

-२-

रू० बताया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को वाहन की क्षतिपूर्ति के सम्‍बन्‍ध में बीमा दावा प्रेषित किया गया किन्‍तु अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने परिवादिनी का बीमा दावा इस आधार पर स्‍वीकार नहीं किया कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी प्राप्‍त करते समय प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी/बीमाधारक ने इस तथ्‍य को छिपाया था कि प्रश्‍नगत वाहन की पूर्व बीमा पालिसी के सन्‍दर्भ में कोई दावा राशि प्राप्‍त नहीं की गयी और  प्रश्‍नगत पालिसी के सन्‍दर्भ में पूर्व बीमा दावा प्राप्‍त न करने के आधार पर प्रीमियम की अदायगी में २५ प्रतिशत की छूट प्राप्‍त की गयी। इस प्रकार महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों को छिपाकर धोखा देकर बीमा पालिसी प्राप्‍त की गयी तथा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार उसके द्वारा बिना कोई तथ्‍य छिपाए हुए प्रश्‍नगत बीमा पालिसी प्राप्‍त की गयी। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का यह भी कथन है कि कथित दुर्घटना से पूर्व जब प्रश्‍नगत वाहन फरवरी, २०११ में साधारण रूप से दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ था तब क्षतिपूर्ति के रूप में अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा २१,०८६/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को अदा किया गया। बीमा पालिसी कथित रूप से धोखे से तथ्‍यों को छिपाकर प्राप्‍त करने के सन्‍दर्भ में तब कोई आपत्ति अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा नहीं की गई। इस प्रकार अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा सेवा में त्रुटि कारित करना कथित करते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला मंच के समक्ष ४,३७,५५७.७५ रू० मय १८ प्रतिशत वार्षिक की दर से भुगतान हेतु तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु प्रस्‍तुत किया।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी का यह कथन है कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत प्रश्‍नगत दावा से पूर्व प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का २१,०८६/- रू० का बीमा दावा अवश्‍य स्‍वीकार किया गया था, किन्‍तु यह धनराशि कम होने के कारण जांच नहीं की गयी, किन्‍तु प्रश्‍नगत बीमा दावा की धनराशि अधिक होने के कारण अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा जांच की गयी। जांच के मध्‍य यह तथ्‍य प्रकाश में आया कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी प्राप्‍त करने से पूर्व एचडीएफसी ईआरजीओ जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 से बीमित था और उक्‍त पूर्व बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत २४,१७१/- रू० परिवादिनी/बीमाधारक द्वारा बीमा दावा के

-३-

रूप में प्राप्‍त किए गये थे, किन्‍तु इस तथ्‍य को छिपाते हुए प्रश्‍नगत बीमा पालिसी अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को बीमाधारक द्वारा देय प्रीमियम की अदायगी में २५ प्रतिशत की छूट प्राप्‍त की गयी। इस प्रकार बीमा पालिसी असत्‍य कथनों के आधार पर प्राप्‍त की गयी। अत: धोखे से बीमा पालिसी प्राप्‍त करने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का बीमा दावा स्‍वीकार नहीं किया गया। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी।

विद्वान जिला मंच ने यह मत व्‍यक्‍त करते हुए कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत प्रश्‍नगत बीमा दावा से पूर्व प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का २१,०८६/- रू० का बीमा दावा अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा स्‍वीकार किया गया था। यदि नो क्‍लेम बोनस के आधार पर बीमा दावा स्‍वीकार किए जाने योग्‍य होता तो पूर्व बीमा दावा बीमा कम्‍पनी द्वारा स्‍वीकार नहीं किया जाता। क्‍योंकि प्रश्‍नगत बीमा दावा अधिक धनराशि का था अत: यह बीमा दावा अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा स्‍वीकार नहीं किया गया। ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच ने अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा सेवा में त्रुटि करना मानते हुए परिवाद स्‍वीकार किया तथा अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को निर्देशित किया कि निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को ४,३७,५५७.७५ रू० परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०७ प्रतिशत ब्‍याज सहित अदा करे। इसके अतिरिक्‍त ३,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को अदा किया जाय।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी।

हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री तरूण कुमार मिश्रा तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अजय कुमार मिश्रा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

प्रस्‍तुत मामले में यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत वाहन अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी से बीमित था तथा बीमा अवधि के मध्‍य बीमित वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ। यह तथ्‍य भी निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत बीमा दावा से पूर्व प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रश्‍नगत

 

-४-

बीमित वाहन के फरवरी, २०११ में दुर्घटनाग्रस्‍त होने पर २१,०८६/- रू० का बीमा दावा अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा स्‍वीकार किया

प्रस्‍तुत प्रकरण के सन्‍दर्भ में महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न यह हैं कि –

१.    क्‍या प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्‍नगत बीमा पालिसी असत्‍य कथनों के आधार पर यह बताते हुए कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी से पूर्व प्रश्‍नगत वाहन के सन्‍दर्भ में जारी की गयी पूर्व बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत कोई बीमा दावा की धनराशि प्राप्‍त नहीं की गयी तथा इस आधार पर प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के सन्‍दर्भ में २५ प्रतिशत प्रीमियम की धनराशि में छूट प्राप्‍त की ?                     

२.    क्‍या प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमाधारक का २१,०८६/- रू० का पूर्व बीमा दावा स्‍वीकार किए जाने के कारण प्रश्‍नगत बीमा दावा अस्‍वीकार नहीं किया जा सकता ?      

वाद बिन्‍दु सं0-१.

      जहॉं तक एन.सी.बी. के सन्‍दर्भ में तथ्‍यों को छिपाते हुए छूट सहित प्रश्‍नगत बीमा पालिसी धोखे से प्राप्‍त किए जाने का प्रश्‍न है, प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी/बीमाधारक द्वारा कोई तथ्‍य छिपाया नहीं गया। सम्‍पूर्ण तथ्‍यों की जानकारी बीमा कम्‍पनी के अभिकर्त्‍ता को प्राप्‍त करायी गयी थी।

      इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत बीमा दावा के सन्‍दर्भ में की गयी जांच में यह तथ्‍य प्रकाश में आया कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी प्राप्‍त करने से पूर्व प्रश्‍नगत वाहन एचडीएफसी ईआरजीओ जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 से दिनांक २८-११-२००९ से २७-११-२०१० तक की अवधि के लिए बीमित था तथा इस बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत पूर्व बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादनी    को २४,१७१/- रू० बीमा दावा के अदा किए गये थे। इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी ने अपील के मेमो के साथ एचडीएफसी ईआरजीओ जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 द्वारा जारी की गयी पालिसी के कवरनोट की फोटोप्रति पृष्‍ठ सं0-३४ के रूप में दाखिल की गयी है, जिसमें यह तथ्‍य भी पृष्‍ठांकित है कि २४,१७१/- रू० का बीमा दावा स्‍वीकार किया गया।

-५-

      अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने हमारा ध्‍यान अपील के साथ प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के कवरनोट की दाखिल की गयी फोटोप्रति पृष्‍ठ सं0-३३ की ओर आकृष्‍ट किया जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के सन्‍दर्भ में प्रीमियम की अदायगी में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने नो क्‍लेम बोनस के आधार पर २५ प्रतिशत की छूट प्राप्‍त की है। इस पालिसी में इस आशय की घोषणा भी दर्शित है कि – ‘’  नो क्‍लेम बोनस के सन्‍दर्भ में उपलब्‍ध करायी गयी सूचना सही है। यदि इस सन्‍दर्भ में की गयी घोषणा गलत पायी जाती है तो पालिसी के अन्‍तर्गत प्रदत्‍त लाभ जब्‍त हो जायेगा। ‘’

      प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि नो क्‍लेम बोनस के सन्‍दर्भ में वस्‍तु स्थिति से अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के अभिकर्त्‍ता को अवगत करा दिया गया था। यह नितान्‍त अस्‍वाभाविक है कि यदि अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के अभिकर्त्‍ता को इस तथ्‍य से अवगत कराया गया होता कि पूर्व बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत बीमा दावा प्राप्‍त किया गया है तब इस तथ्‍य से अवगत हो जाने के बाबजूद नो क्‍लेम बोनस के अन्‍तर्गत छूट का लाभ बीमाधारक को प्राप्‍त कराया जाता।

      यह भी उल्‍लेखनीय है कि परिवादिनी ने परिवाद के अभिकथनों में यह अभिकथित नहीं किया है कि अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के अभिकर्त्‍ता को इस तथ्‍य      से अवगत कराया गया था कि पूर्व बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत बीमा दावा की धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्राप्‍त की गयी थी। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत किए गये परिवाद की प्रति अपीलार्थी ने संलग्‍नक-१ के रूप में दाखिल की है, जिसकी धारा-४ में परिवादिनी द्वारा यह अभिकथित किया है कि – ‘’ परिवादिनी ने अपने उपरोक्‍त वाहन का बीमा कराते समय विपक्षी के एजेण्‍ट को अच्‍छी तरह से सूचित किया था कि परिवादी द्वारा २० प्रतिशत एन0सी0बी0 उक्‍त वाहन के संबंध में पूर्व बीमा कम्‍पनी से लिया  था। ‘’ परिवाद के अभिकथनों में ऐसा कोई तथ्‍य उल्लिखित नहीं है कि पूर्व बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत बीमा दावा की कोई धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्राप्‍त किए जाने के तथ्‍य से अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के अभिकर्ता को अवगत कराया गया था।

 

-६-

      उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में हमारे विचार से प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्‍नगत बीमा पालिसी इस तथ्‍य को छिपाते हुए कि पूर्व बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत उसे कोई बीमा दावा प्राप्‍त हुआ, बल्कि यह सूचित करते हुए कि पूर्व बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत उसे कोई बीमा दावा प्राप्‍त नहीं हुआ, प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत देय प्रीमियम की धनराशि में अनधिकृत रूप से २५ प्रतिशत छूट प्राप्‍त करते हुए प्रीमियम की अदायगी करके बीमा पालिसी प्राप्‍त की।

वाद बिन्‍दु सं0-२.

      प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी की बीमा अवधि के मध्‍य फरवरी, २०११ में प्रश्‍नगत वाहन साधारण रूप से दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ था उस दुर्घटना के अन्‍तर्गत प्रश्‍नगत वाहन में आयी क्षति पर हुए व्‍यय के सन्‍दर्भ में २१,०८६/- रू० का बीमा दावा अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा स्‍वीकार किया गया था और यह धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को अदा की गयी थी। यदि नो क्‍लेम बोनस के आधार पर बीमा दावा अस्‍वीकृत किया जाना होता तो स्‍वाभाविक रूप से अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का यह बीमा दावा भी स्‍वीकार नहीं किया जाता, किन्‍तु अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का पूर्व बीमा दावा स्‍वीकार किए जाने के बाबजूद प्रश्‍नगत बीमा दावा अस्‍वीकार कर दिया।

      अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा इस सन्‍दर्भ में यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि क्‍योंकि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का पूर्व बीमा दावा २१,०८६/- रू० का ही था, अत: नो क्‍लेम बोनस के सन्‍दर्भ में बीमा दावा की धनराशि कम होने के कारण जांच नहीं की गयी, किन्‍तु प्रश्‍नगत बीमा दावा की धनराशि ०४.०० लाख से अधिक होने के कारण नो क्‍लेम बोनस के सन्‍दर्भ में जांच की गयी। जांच के दौरान् प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा असत्‍य कथनों के आधार पर प्रश्‍नगत बीमा पालिसी प्राप्‍त किए जाने के तथ्‍य की जानकारी प्राप्‍त हुई। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी    बीमा कम्‍पनी द्वारा नो क्‍लेम बोनस के सन्‍दर्भ में जारी किए गये दिशा निर्देशों की ओर हमारा ध्‍यान आकृष्‍ट किया जिसे अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने लिखित तर्क के साथ दाखिल किया है। इस दिशा निर्देश के पैरा ६.१ के अनुसार – All claims above Rs.

-७-

50,000/- with NCB Declaration will be referred to the under writers for NCB confirmation. तथा ६.३ के अनुसार – NCB confirmation from previous Insurer complulsory wherever the liability seems to be more than 35k. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा नो क्‍लेम बोनस के सन्‍दर्भ में जारी किए गये उपरोक्‍त दिशा निर्देशों के अनुसार कुल २१,०८६/- रू० का पूर्व बीमा दावा (५०,०००/- से कम) होने के कारण पूर्व बीमा कम्‍पनी से नो क्‍लेम बोनस के सन्‍दर्भ में जानकारी प्राप्‍त नहीं की गयी।

      इस प्रकार स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पूर्व बीमा दावा को स्‍वीकार किए जाने के तथ्‍य का उचित स्‍पष्‍टीकरण प्रस्‍तुत किया है। ऐसी परिस्थिति में मात्र पूर्व दावा स्‍वीकार किए जाने के आधार यह पर नहीं माना जा सकता कि असत्‍य कथनों के आधार पर नो क्‍लेम बोनस का लाभ प्राप्‍त करने के बाबजूद प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी बीमा दावा प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है।

      अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने इन्‍द्रपाल राना बनाम नेशनल इंश्‍योरेंस कं0लि0 (पुनरीक्षण सं0-४४७०/२०१४) के मामले में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये निर्णय दिनांकित ०२-०१-२०१५ तथा हरजिन्‍दर सिंह लाल बनाम शाखा प्रबन्‍धक ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कं0 (पुनरीक्षण सं0-१५२१/२०१५) के मामले में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये निर्णय दिनांकित ०६-०२-२०१५ पर विश्‍वास व्‍यक्‍त किया। इन निर्णयों का हमने अवलोकन किया। इन निर्णयों में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने असत्‍य कथनों के आधार पर नो क्‍लेम बोनस प्राप्‍त करते हुए बीमा पालिसी प्राप्‍त किए जाने की स्थिति में बीमा पालिसी धोखे से जारी किया जाना माना तथा बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा दावा का अस्‍वीकार किया जाना सेवा में त्रुटि नहीं माना। इन्‍द्रपाल राना के मामले में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के समक्ष यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि सम्‍बन्धित बीमा कम्‍पनी के अधिकारियों का यह दायित्‍व था कि वे पूर्व बीमा कम्‍पनी से इस तथ्‍य की जानकारी प्राप्‍त करते कि नो क्‍लेम बोनस के सन्‍दर्भ में बीमाधारक द्वारा उपलब्‍ध करायी गयी जानकारी सत्‍य है अथवा नहीं। मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह मत व्‍यवक्‍त किया गया कि यदि इस आधार पर बीमा दावा स्‍वीकार किये जाने की अनुमति प्रदान

-८-

की जाय तब बीमा कम्‍पनी के अधिकारियों से मिलीभग‍त करके फर्जी बीमा दावा की स्‍वीकार्यता को मान्‍यता प्राप्‍त होगी।

      उपरोक्‍त तथ्‍यों के आधार पर हमारे विचार से विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के बीमा दावा को स्‍वीकार न करके सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है। अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है। विद्वान जिला मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच (प्रथम), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-७९/२०१२ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०३-२०१६ अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

उभय पक्ष अपीलीय व्‍यय-भार अपना-अपना वहन करेंगे।

पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

           

                                               (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                 पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                (राज कमल गुप्‍ता)

                                                     सदस्‍य

 

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-४.

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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