Uttar Pradesh

StateCommission

A/291/2016

Electricity Department - Complainant(s)

Versus

Anita Singh - Opp.Party(s)

Mohan Agarwal

21 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/291/2016
( Date of Filing : 17 Feb 2016 )
(Arisen out of Order Dated 04/09/2015 in Case No. C/120/2013 of District Mau)
 
1. Electricity Department
Mau
...........Appellant(s)
Versus
1. Anita Singh
Mau
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 21 May 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राष्‍ट्रीय लोक अदालत

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-291/2016

इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट तथा अन्‍य बनाम अनीता सिंह

 

दिनांक : 21.05.2023 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

           प्रस्‍तुत अपील आज ''राष्‍ट्रीय लोक अदालत'' के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गयी, जो इस न्‍यायालय के सम्‍मुख विद्वान जिला आयोग आयोग, मऊ द्वारा परिवाद संख्‍या-120/2013, अनीता सिंह बनाम विद्युत विभाग तथा तीन अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 4.9.2015 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसके द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया :-

           ''परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विद्युत बिल (दिनांक 22/9/2007 से 30/7/2010 तक की अवधि के बावत) निरस्‍त की जाती है तथा विपक्षी सं0 2 को आदेशित किया जाता है कि

           (1) वह अद्यतन बिल की धनराशि में से (दिनांक 22/9/2007 से 30/9/2010 तक की अवधि के निर्गत बिल की धनराशि को मय सरचार्ज के जो उस धनराशि के कारण लगा हो, को घटाते हुए नई बिल तैयार करे, और यदि कोई बकाया परिवादिनी के जिम्‍मे आता है, तो परिवादिनी उसे बिल प्राप्ति के 15 दिन के अन्‍दर जमा करेगी।

           (2) उक्‍त अवधि के निर्गत बिल भेजने के कारण परिवादिनी को हुए मानसिक पीड़ा निर्गत क्षतिपूर्ति के रूप में मु0 2000/- भी अदा करे।

           (3) वाद व्‍यय के रूप में मु0 3000/- भी विपक्षी सं0 2 परिवादिनी को अदा करे। ''

          

-2-

वाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी और उसके चाचागण के बीच प्रश्‍नगत ट्यूबवेल को लेकर मुकदमा चला, जिसके कारण परिवादिनी दिनांक 22.9.2007 से 30.9.2010 तक बिजली का उपयोग नहीं कर सकी। परिवादिनी ने विपक्षी सं0-2 को दिनांक 20.3.2010 को एक प्रार्थना पत्र इस आशय का दिया कि ट्यूबवेल बंद चल रहा है, इसलिए उपरोक्‍त अवधि का बिल माफ करते हुए कनेक्‍शन पी.डी. कर दिया जाए, परन्‍तु विपक्षीगण ने कोई कार्यवाही नहीं की और उपरोक्‍त अवधि का बिल भेज दिया गया, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रश्‍नगत परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

           विपक्षीगण द्वारा लिखित कथन प्रस्‍तुत करते हुए परिवाद का विरोध किया गया। विपक्षीगण का कथन है कि परिवादिनी वर्ष 2007 से दिनांक 30.7.2010 तक विपक्षीगण की उपभोक्‍ता नहीं रही है, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है।

           विद्वान जिला आयोग ने उभय पक्ष की साक्ष्‍य पर विचार करने के उपरांत उपरोक्‍त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।

           अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री मोहन अग्रवाल तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ओ.पी. दुबेल को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

           मेरे द्वारा परिक्षित प‍त्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों से यह स्‍पष्‍टत: पाया गया कि वास्‍तव में परिवादिनी दिनांक 22.9.2007 से दिनांक 30.7.2010 की अवधि तक विद्युत विभाग की उपभोक्‍ता नहीं रही है। प्रश्‍नगत विद्युत कनेक्‍शन उसके पिता के नाम था। प्रश्‍नगत विद्युत कनेक्‍शन दिनांक 23.10.2010 को परिवादिनी के नाम ट्रांसफर हुआ है। इस प्रकार परिवादिनी उपरोक्‍त अवधि के मध्‍य विपक्षीगण की उपभोक्‍ता नहीं थी। तदनसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने और विद्वान जिला आयोग का निर्णय एवं आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है।

 

-3-

प्रस्‍तुत अपील तदनुसार स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 4.9.2015 अपास्‍त किया जाता है।  

           उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                                  

अध्‍यक्ष                                   

 

 

 

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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