राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, संत रविदासनगर द्वारा परिवाद संख्या 01/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.6.2009 के विरूद्ध)
अपील संख्या 915 सन 2010
टाटा मोटर फाइनेंस लि0 चतुर्थ तल, कंचनजंगा बिल्डिग, 18, बाराखंभा रोड, नई दिल्ली 110001 .............अपीलार्थी
बनाम
श्रीमती अनीता मिश्रा प्रो0 उमा गैस एजेन्सी, निवासी ग्राम काटोटा पोस्ट एवं थाना गोपीगंज, जिला संत रविदास नगर, भदोही । ...............प्रत्यर्थी
समक्ष:-
1 मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 , श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता : श्री राजेश चडढा ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता : श्री बी0के0 उपाध्याय ।
दिनांक:
श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
यह अपील] जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, संत रविदास नगर द्वारा परिवाद संख्या 01/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.6.2009 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्तुत प्रस्तुत की गयी है जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवादिनी के परिवाद को एक पक्षीय रूप में स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को यह निर्देशित किया है कि वह प्रश्नगत वाहन के संबंध में अनापत्ति प्रमाणपत्र व आवश्यक फार्म&35 जारी करे एवं दस हजार रू0 क्षतिपूर्ति तथा दो हजार रू0 परिवाद व्यय दे।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी उमा गैस एजेंसी की प्रोप्राइटर है । उसके द्वारा विपक्षीगण से फाइनेंस कराकर वाहन संख्या यू0पी0 66-बी/9598 क्रय किया । परिवादिनी द्वारा सभी किस्तें समय पर जमा की गयी तथा अन्तिम किस्त 16,200.00 रू0 जरिए बैंक ड्राफ्ट संख्या 4815 दिनांकित 27.4.2007 टाटा फाइनेंस के एक्सटेंशन काउंटर, भदोही के माध्यम से विपक्षी की शाखा मिर्जापुर में जमा की तथा रसीद ली । पूर्ण भुगतान होने के बावजूद विपक्षीगण द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया और न ही पंजीयन प्रमाणपत्र से फाइनेंसर का नाम हटाया गया जिसके कारण परिवादिनी अपने वाहन का बिक्रय नहीं कर पा रही है। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को विश्वसनीय पाते हुए जिला फोरम ने परिवाद को स्वीकार कर लिया, जिससे क्षुबध होकर यह अपील प्रस्तुत की गयी।
हमने उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुन ली है एवं अभिलेख का अनुशीलन कर लिया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का मुख्य तर्क यह है कि परिवादिनी के ऊपर किस्तें बकाया थीं और जैसा कि परिवादिनी द्वारा कहा गया है, अन्तिम किस्त 16,200.00 रू0 का भुगतान भी टाटा मोटर को प्राप्त नहीं हुआ है तथा अपील भी विलम्ब से दाखिल की गयी है।
अभिलेख के अनुशीलन से स्पष्ट होता है कि जिला फोरम द्वारा परिवाद को एक पक्षीय रूप में स्वीकार किया गया है। विपक्षीगण नोटिस के बावजूद जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नही हुए। अपील के स्तर पर अपीलार्थीगण द्वारा यह दलील ली गयी है कि परिवादिनी द्वारा जमा की गयी अन्तिम किस्त 16,200.00 रू0 टाटा मोटर फाइनेंस लि0 को प्राप्त नहीं हुयी है। इस संबंध में यह उल्लेखनीय है कि परिवादिनी द्वारा उक्त धनराशि बैंक ड्राफ्ट के जरिए जमा की गयी है, जिसका नम्बर 4815 एवं दिनांक 27.4.2007 है। उक्त ड्राफ्ट की फोटो कापी अभिलेख पर दाखिल की गयी है, जोकि टाटा मोटर के मिर्जापुर कार्यालय द्वारा प्राप्त की गयी है। अभिलेख पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे स्पष्ट हो कि उक्त बैंक ड्राफ़ट का भुगतान न होने के संबंध में कोई पत्राचार अपीलार्थी व परिवादिनी व बैंक के बीच किया गया हो। अपीलार्थी का केवल यह कहना है कि उक्त ड्राफ्ट की धनराशि किन्हीं तकनीकी कारणों से बैंक से प्राप्त नहीं हुयी थी, इस आधार पर विश्वसनीय नहीं है कि यदि ऐसा कोई तकनीकी कारण था तो अपीलार्थी उक्त बैंक ड्राफ्ट लौटाकर परिवादिनी से दूसरा बैंक ड्राफ्ट प्राप्त कर सकता था, अत: इस प्रकार अपीलार्थी द्वारा सेवा में कमी की गयी है।
जहां तक अपील दाखिल किए जाने में विलम्ब का प्रश्न है, प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश 30.6.2009 का है जबकि अपील 26.5.2010 को लगभग एक वर्ष के विलम्ब से दाखिल की गयी है। अपीलार्थी द्वारा अपने शपथपत्र में यह कहा गया है कि प्रश्नगत आदेश की जानकारी उनके अधिवक्ता को दिनांक 06.2.2010 को हो गयी थी, ऐसी स्थिति में निर्णय की प्रति के लिए 19.4.2010 को आवेदन दिया जाना अपीलार्थी की असावधानी का घोतक है। यह भी आश्चर्यपूर्ण है कि 21.4.2010 को प्रमाणित प्रति प्राप्त होने के उपरांत भी एक माह के भीतर अपील दाखिल नहीं की गयी है, जबकि अपीलार्थी का यह दायित्व बनता है कि वह दिन प्रति दिन के विलम्ब को स्पष्ट करे। इस दृष्टि से भी यह अपील कालबाधित होने के आधार पर भी अस्वीकार किए जाने योग्य है।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि इस अपील में कोई बल नहीं है और अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील तदनुसार निरस्त करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, संत रविदासनगर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.6.2009 सम्पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (संजय कुमार)
पीठा0 सदस्य (न्यायिक) सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)