राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-2574/2013
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्धारा परिवाद सं0-230/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.9.2012 के विरूद्ध)
Delhi Public School, Kashi Selampur, Kazi Sarai, Babatpur, Air Port Road, Varanasi through its Principal/Manager.
........... Appellant/ Opp. Party
Versus
Smt. Anita Bhargava, Mother and Legal guardian of Master Ritwik Raj Bhargava, R/o Vishnupur Road, Jhumari Tallaiya, Koderma (Jharkhand).
……..…. Respondent/ Complainant
समक्ष :-
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री एच0के0 श्रीवास्तव
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक : 07.12.2017
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्धारा परिवाद सं0-230/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.9.2012 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
"परिवादिनी अनीता भार्गव का यह आंशिक रूपेण स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को यह आदेश दिया जाता है कि वह शेष बांकी धनराशि जिसका रूपया 34060.00 रूपया (चौतीस हजार साठ) शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु 1000.00 रूपया (एक हजार रूपया) वाद व्यय खर्च हेतु 500.00 रूपया (पॉच सौ रूपया) एक माह के अन्दर धन अदा करे। एक माह में धन अदा न करने पर 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर दावा प्रस्तुती के संतुष्टी तक देय होगा। शेष अनुतोष निरस्त है।"
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संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी ने प्रतिवादीगण के प्रचार प्रसार से प्रभावित होकर अपने पुत्र रित्विक राज भार्गव का कक्षा-9 में दाखिला के लिए प्रतिवादी सं0-2 के स्कूल में कराने के लिए सर्म्पक किया एव दिनांक 23.02.2010 को रजिस्ट्रेशन फार्म व प्रास्पेक्टस की फीस 200.00 रू0 अदा की एवं दिनांक 21.5.2010 को इनशेलमेंट फार्म 500.00 रू0 दिया और उसी दिन प्रवेश परीक्षा बच्चे ने दिया एवं प्रतिवादिनी को प्रतिवादी सं0-2 द्वारा निर्देश प्राप्त हुआ कि वह दिनांक 26.6.2010 को स्कूल के कार्यालय में उपस्थित होकर शिक्षा शुल्क व हास्टल शुल्क का पूरे वर्ष का भुगतान करें। परिवादिनी ने पूरे वर्ष का एक मुस्त रूपया 97,560.00 जमा की और इसके बाद परिवादिनी ने बच्चे के जेब खर्च हेतु 5000.00 रू0 जमा कराया गया और इस प्रकार परिवादिनी से कुल 1,03,260.00 रू0 प्रतिवादी सं0-2 द्वारा अन्य मदों पर जमा कराया गया और दिनांक 27.6.2010 को परिवादिनी के पुत्र रित्विक राज भार्गव अपना सामान लेकर स्कूल के हास्टल के कमरे में रहने के लिए खुशी-खुशी प्रवेश किया, परन्तु हास्टल में रह रहे अन्य विद्याथियों के साथ उसका समन्वय नहीं बन सका और उसे वहॉ रहने में परेशानियों का सामना करना पडा, जिसके कारण उसने दिनांक 04.7.2010 को स्कूल का हास्टल खाली कर दिया और उसके बडे भाई ने स्कूल में दिनांक 06.7.2010 को एक प्रार्थना पत्र दिया कि रित्विक राज भार्गव का नाम काट दिया जाए और स्थानांतरण प्रमाण पत्र दिया जाय तथा शिक्षा शुल्क व हास्टल शुल्क वापस किया जाय। जिसके फलस्वरूप प्रतिवादी सं0-2 द्वारा दिनांक 15.7.2010 को स्थानांतरण प्रामण पत्र व 50,760.00 रू0 चेक द्वारा वापस किया गया और बांकी रूपया प्रतिवादी सं0-2 ने वापस करने से इंकार कर दिया, अत: परिवादिनी द्वारा प्रतिवादी सं0-2 से शेष धनराशि मु0 50,760.00 रू0 एवं क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
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प्रतिवादी को जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष नोटिस निर्गत किए गये, परन्तु प्रतिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही उनकी ओर से कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया, अत: जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा प्रतिवादी के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही का आदेश पारित किया गया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एच0के0 श्रीवास्तव उपस्थित आये। आयोग के आदेश पत्र दिनांकित 21.7.2017 के द्वारा प्रत्यर्थी पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना जा चुका है और आज भी प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं लिखित बहस का भी अवलोकन किया गया है।
मौजूदा केस में बहस के दौरान अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहा गया कि उन्हें प्रतिवाद पत्र दाखिल करने तथा सुनवाई को कोई अवसर जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष नहीं मिला सका है और जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा एक पक्षीय रूप से सुनवाई की गई है और यह भी कहा गया है कि परिवाद चलने योग्य नहीं है तथा मामले को सम्बन्धित जिला उपभोक्ता फोरम को प्रति प्रेषित किए जाने की प्रार्थना की गई है।
केस के तथ्यों परिस्थितियों एवं अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने के उपरांत हम यह पाते हैं इस सम्बन्ध में यह पाया जाता है कि जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रतिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया और न ही कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया है और प्रतिवादी के विरूद्ध एक पक्षीय निर्णय/आदेश पारित किया गया है, अत: हम यह पाते हैं कि प्रतिवादी को अपना प्रतिवाद पत्र दाखिल करने एवं सुनवाई का अवसर दिया जाना न्यायोचित होगा, इसलिए अपीलार्थी की अपील स्वीकार करते हुए प्रकरण सम्बन्धित जिला उपभोक्ता फोरम को प्रति-प्रेषित किये जाने योग्य है।
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आदेश
अपीलार्थी की अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्धारा परिवाद सं0-230/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.9.2012 को निरस्त करते हुए प्रकरण जिला उपभोक्ता फोरम को इस निर्देश के साथ प्रति-प्रेषित किया जाता है कि प्रतिवादी को प्रतिवाद पत्र दाखिल करने एवं उभय पक्षों को पुन: साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए प्रकरण का निस्तारण गुण-दोष के आधार पर यथाशीघ्र करना सुनिश्चित करें।
दोनों पक्ष जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष सुनवाई हेतु दिनांक 17.01.2018 को उपस्थित हो।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेगें।
(रामचरन चौधरी) (बाल कुमारी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-5