न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 18 सन् 2015ई0
जमुना सिंह उम्र लगभग 60 वर्ष पुत्र स्व0 शेषबदन सिंह निवासी देवकली थाना धीना जिला चन्दौली।
...........परिवादी बनाम
1-अनिल सिंह उम्र लगभग 40 वर्ष पुत्र शमशेर सिंह निवासी भटानी थाना चांद जिला भभुआ बिहार हाल पता-सोनालिका ट्रैक्टर एजेन्सी जी0टी0रोड चन्दौली।
2-राजेन्द्र मौर्य उम्र लगभग 35 वर्ष पुत्र अपरवल मौर्य निवासी बिछिया जिला चन्दौली।
3-शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा सकलडीहा जिला चन्दौली।
.............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण को बैकड्रापट/नकद दी गयी कुल धनराशि व बीमा की धनराशि तथा मानसिक,शारीरिक क्षति व खेती न होने के कारण हुई क्षति हेतु कुल रू0 990251/-व खर्चा मुकदमा दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- परिवादी की ओर से परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी पेश से किसान है और खेती करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। परिवादी को कृषि कार्य हेतु एक ट्रैक्टर की आवश्यकता थी तो एजेण्ट राजू व विनोद सिंह परिवादी को विपक्षी संख्या 1 के एजेन्सी पर ले गये। जहॉं पर विपक्षी संख्या 1 के मैनेजर विपक्षी संख्या 2 थे। तत्पश्चात सोनालिका ट्रैक्टर मय हल व ट्राली सहित कुल रू0 353980/- में तय हुआ। तो परिवादी ने दिनांक 17-6-2003 को रू0 15000/- जमा किया और मैनेजर राजेन्द्र मौर्य द्वारा उसी दिन डिलेवरी चालान के साथ सोनालिका ट्रैक्टर मय हल व ट्राली दिया गया। डिलेवरी चालान पर ट्रैक्टर का इंजन नम्बर 3097ई.32ए2606 व चेचिस नम्बर 301जेड25977 था और विपक्षी द्वारा परिवादी से यह कहा गया कि रू0 290000/- का ड्रापट व शेष रू0 48980/- जमा कर देने पर सेल लेटर दे दिया जायेगा। परिवादी ने दिनांक 7-7-2003 को यूनियन बैंक शाखा सकलडीहा से रू0 290000/- का बैकड्रापट व रू0 48960/- नकद विपक्षी संख्या 1 के मैनेजर विपक्षी संख्या 2 को उनके कार्यालय में जाकर दिया,उस समय विपक्षी संख्या 1 मौजूद थे। परिवादी ने विपक्षी से सेललेटर मांगा तो कहा कि बाद में आकर ले जाना। प्रश्नगत वाहन का सेललेटर न मिलने से परिवादी ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन नहीं कर सका। परिवादी बराबर सेल लेटर हेतु विपक्षी संख्या 1 व 2 के यहॉं जाता रहा लेकिन ट्रैक्टर का सेल लेटर नहीं दिया गया और न ही विपक्षी संख्या 3 द्वारा सेललेटर हेतु कोई प्रयास नहीं किया गया। दिनांक 30-1-2008 को दिन में लगभग 2 बजे ट्रैक्टर का सर्विस कराने हेतु विपक्षी संख्या 1 व 2 के सर्विस सेन्टर
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पर ले गया तो विपक्षी संख्या 1 व 2 ने कहा कि मिस्त्री नहीं है सुबह आकर ट्रैक्टर ले जाना तब परिवादी अपना ट्रैक्टर एजेन्सी पर छोडकर अपने घर चला आया। परिवादी दूसरे दिन जब एजेन्सी पर आकर देखा तो ट्रैक्टर,हल,ट्राली गायब था तो परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 से पूछा तो उनके द्वारा कहा गया कि घर पर काम था इसलिए ट्रैक्टर घर पर चला गया है और कुछ दिन बाद काम करके ट्रैक्टर आयेगा तो ले जाइयेगा। परिवादी लाचार होकर अपने घर पर चला आया और ट्रैक्टर आदि लेने हेतु बराबर विपक्षी के यहॉं दौडता रहा किन्तु ट्रैक्टर नहीं मिला तो परिवादी ने घटना की सूचना थाने पर दिया किन्तु कोई कार्यवाही न होने पर पुलिस अधीक्षक चन्दौली को लिखित रूप से जरिये रजिस्ट्री डाक सूचना दिया फिर भी कोई कार्यवाही न होने पर परिवादी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में धारा 156(3)जा0फौ0 के तहत प्रार्थना पत्र दिया, तत्पश्चात मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार थाना इलाका चन्दौली द्वारा विपक्षी संख्या 1 व 2 व एजेण्ट राजू व विनोद के विरूद्ध चार्जसीट लगा दिया जो मु0अप0सं0 304सन् 2011 अर्न्तगत धारा 406,506आई.पी.सी. न्यायालय में विचाराधीन है,लेकिन ट्रैक्टर के बाबत लिखा गया कि सुराग रसी जारी है। परिवादी को ज्ञात हुआ कि परिवादी का उक्त ट्रैक्टर काशी नाथ पुत्र स्व0 घुट्टुर यादव निवासी नकटी पो0 खुरूहुजा जिला चन्दौली को दूबारा बेच दिया गया है। ट्रैक्टर के रजिस्ट्रेशन व किश्त देने के बाद उपरोक्त ट्रैक्टर छोटू प्रसाद पुत्र मोरम प्रसाद निवासी बर्थरा थाना चन्दौली को बेच दिया गया जिसका ट्रांसफर भी हो गया जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर यू0पी0 67बी 2756 है, जिसका चेचिस व इंजन नम्बर वहीं है जो परिवादी को दिये गये डिलेवरी चालान में है। परिवादी ने उक्त ट्रैक्टर के बरामदगी हेतु मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्दौली के न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया जिसे माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 23-7-2014 को खारिज कर दिया गया। तत्पश्चात परिवादी ट्रैक्टर की बरामदगी हेतु पुलिस अधीक्षक चन्दौली को प्रार्थना पत्र दिया जिसके आदेशानुसार उपरोक्त ट्रैक्टर दिनांक 30-7-2014 को थाना इलाका चन्दौली द्वारा बरामद किया गया। परिवादी जब उक्त ट्रैक्टर को अपने सुपुदर्गी में लेने हेतु मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया तो न्यायालय द्वारा थाने से रिर्पोट मांगी गयी। इस बीच छोटू प्रसाद ने भी उक्त ट्रैक्टर अपनी सुपुदर्गी में लेने हेतु प्रार्थना पत्र दिया। परिवादी के प्रार्थना पत्र पर माननीय न्यायालय द्वारा आर0टी0टो0चन्दौली व यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा सकलडीहा से रिर्पोट मांगी गयी। बैक द्वारा दिये गये रिर्पोट दिनांक 27-8-2014 को पढकर परिवादी दंग रह गया जिसमे सोनालिका ट्रैक्टर का इंजन नं. 3097एफ32031697 व चेचिस नम्बर 301जेड जे31330 था। जबकि परिवादी को विपक्षी द्वारा दिये गये डिलेवरी चालान में ट्रैक्टर का इंजन नं0 3097ई32ए2606 व चेचिस नं0 301जेड25977 था। तो इसी को आधार मानकर माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दिनांक 12-12-2014 को परिवादी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया। और उक्त ट्रैक्टर छोटू प्रसाद के पक्ष में उन्मुक्त कर दिया गया। परिवादी को जो ट्रैक्टर डिलेवरी चालान सहित दिया गया था उस पर इंजन व चेचिस नम्बर अंकित था उसको बैंक ने नहीं दिया इस प्रकार
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सभी विपक्षीगण एक साजिस के तहत परिवादी को धोखे में रखकर दूसरे ट्रैक्टर का लोनिग कराया गया और वह ट्रैक्टर नहीं दिया गया। विपक्षी संख्या 3 यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा सकलडीहा में ऋण खाता संख्या 201है जिसमे परिवादी ने रू0 1,11000/- जमा किया था और ट्रैक्टर न मिलने पर ऋण देना बन्द कर दिया। तत्पश्चात बैंक द्वारा परिवादी के उपर दिनांक 15-12-2007 तक रू0 390161/- बकाया दिखाया गया है जिसके वसूली हेतु कुर्की की कार्यवाही चल रही है। परिवादी ने बैकड्रापट,नगद एवं बैंक का बकाया धनराशि एवं मानसिक,आर्थिक क्षति एवं खेती न होने के कारण विपक्षी से उपरोक्त कुल 990251/-रूपया दिलाये जाने हेतु प्रार्थना किया है। परिवादी ने दिनांक 8-1-2015 को विपक्षीगण को कानूनी नोटिस दिया जिसका कोई जबाब विपक्षीगण ने नहीं दिया तब यह परिवाद दाखिल किया गया।
3- विपक्षी संख्या 1 व 2 की ओर से संयुक्त रूप से जबाबदावा दाखिल करके परिवादी के परिवाद को अस्वीकार करते हुए अतिरिक्त कथन किया गया है कि परिवादी ट्रैक्टर जिसका चेचिस नम्बर 0301जेडजे.25977इं0नं. 3097ई 32ए26206 को न तो क्रय किया था एवं न ही उसका पंजीकृत स्वामी है। उक्त इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर के ट्रैक्टर का पंजीकृत स्वामी वर्तमान समय में छोटू प्रसाद पुत्र नोरंगा निवासी बर्थराकला चन्दौली को आर0टी0ओ0 कार्यालय में जिसका रजिस्ट्रेशन नं0 यू0पी067बी2756 दर्ज है उक्त ट्रैक्टर को वर्तमान पंजीकृत स्वामी द्वारा काशीनाथ से क्रय किया था एवं काशीनाथ द्वारा उक्त ट्रैक्टर को हम विपक्षी संख्या 1 से क्रय किया गया था। परिवादी दिनांक 7-7-2003 को यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा सकलडीहा से बैंक ड्रापट प्राप्त होने के उपरान्त परिवादी ट्रैक्टर का सेल लेटर रजिस्ट्रेशन कराने हेतु एजेंसी से ले गया। परिवादी द्वारा प्रस्तुत मुकदमा माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचाराधीन है। ट्रैक्टर संख्या यू0पी067बी.2756 को काशीनाथ द्वारा उपयोग एवं उपभोग किया जा रहा था। ट्रैक्टर जिसका इंजन नं03097ई32ए26206 चेचिस नम्बर 0301जेडजे25977 दिनांक 27-7-2003 को काशीनाथ यादव पुत्र स्व0 घुटारू यादव निवासी नकटी थाना बबुरी जिला चन्दौली द्वारा काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक शाखा परनपुरकला जिला चन्दौली से फाइनेंस होने के उपरान्त लिया गया है। उक्त ट्रैक्टर आर0टी0ओ0 चन्दौली के समक्ष प्रस्तुत होने पर परिवहन अधिकारी द्वारा तस्दीक करने के उपरान्त रजिस्ट्रेशन किया गया है। उक्त ट्रैक्टर काशीनाथ यादव ने सन् 2003 से सन् 2011 तक अपने पास रखकर कृषि कार्य किये और इसके उपरान्त छोटू प्रसाद को विक्रय कर दिये। परिवादी ने नया सोनालिका ट्रैक्टर 35 हार्सपावर एवं उससे सम्बन्धित उपकरण हल,ट्राली क्रय करने के लिये यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा सकलडीहा से रू0 290000/- का ऋण प्राप्त करने हेतु दिनांक 7 जुलाई 2003 को बंधक विलेख,दृष्टि बंधक करार कृषि अग्रिम के लिए नियमानुसार निष्पादित किया जिसमे जमानतदार के रूप में उमेश सिंह व परमात्मा सिंह ने ऋण की गारंटी लिये जिस पर परिवादी का हस्ताक्षर है। दिनांक 7-7-2003 को उक्त विलेखों को निष्पादित
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करने के साथ ही साथ परिवादी ने बैंक में अपने भूखण्ड संख्या 19मि0 रकबा 57-1/2एकड एवं भूखण्ड संख्या 412मि0रकबा 4.37-1/2 स्थित मौजा देवकली जिला चन्दौली का पैनल अधिवक्ता श्री हवलदार सिंह द्वारा जारी नांन इन्कमब्रेन्स सर्टिफिकेट दिनांक 2-7-2007 मय खसरा,खतौनी व शपथ पत्र परिवादी दिनांक 3-7-2003 व ट्रैक्टर हल,ट्राली का कोटेशन विपक्षी संख्या 1 चंदेल आटो मोबाइल्स जी0टी0रोड चन्दौली दिनांक 5-7-2003 एवं परिवादी द्वारा उक्त ट्रैक्टर आदि क्रय हेतु चंदेल आटो मोबाइल्स जी0टी0रोड चन्दौली के यहॉं जमा किये तथा कैश रू0 63960/- की रसीद दिनांक 7-7-2003को प्रस्तुत किये। चंदेल आटो मोबाइल्स विपक्षी संख्या 1 द्वारा सोनालिका ट्रैक्टर डी.आई.735,35 हार्सपावर हल,ट्राली का बिल दिनांक 14-7-2003 को बैंक में प्रस्तुत किया जिसमे उक्त ट्रैक्टर का इं.नं.3097एफ32जी31697 चे.नं.0301जेडजे31330 अंकित है।इसी ट्रैक्टर का इश्योरेंस नेशनल इश्योरेंस कम्पनी द्वारा दिनांक 24-7-2003 से दिनांक 23-7-2004 तक के लिए परिवादी की जानकारी व उसके सहयोग से किया गया है। उक्त बिल दिनांक 14-7-2003 में अंकित ट्रैक्टर का इंजन नं0 व चेचिस नं0 की जानकारी परिवादी को आरम्भ से ही है। सन् 2004 के बाद भी बराबर वर्ष 2008-2009 तक नियमानुसार इश्योरेंस होता रहा है। परिवादी को दिये गये ऋण की अदायगी न होने पर विपक्षी संख्या 3 द्वारा दिनांक 15-12-2007 को तथा पुनः दिनांक 15-1-2009 को आर0सी0 जारी किया। आर0सी0 जारी होने पर परिवादी के उपर ऋण जमा करने का दबाब बढ गया और तहसील चन्दौली के कलेक्शन विभाग द्वारा परिवादी का ट्रैक्टर,हल,ट्राली जब्त करके नीलामी की कार्यवाही से बचने के लिए मिथ्या कथनों के आधार पर यह परिवाद दाखिल किया है। परिवादी ने उक्त ट्रैक्टर चेचिस नं0 0301जेडजे 31330ई0नं0 3097एफ32जी 31697 मय ट्राली,हल, व चैन को रू0 235,000/- में दिनांक 8-7-2007 को समक्ष गवाहान रमाकान्त सिंह पुत्र लावरमन सिंह निवासी माधोपुर,आलोक सिंह,लल्लन सिंह, रामनरायण सिंह,उमेश सिंह,श्यामसुन्दर पत्नी स्व0 काशीनाथ सिंह निवासी कवरूआ थाना सकलडीहा जिला चन्दौली को विक्रय कर दिया है। इस आधार पर परिवादी के परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना विपक्षी संख्या 1व 2 द्वारा किया गया है।
4- विपक्षी संख्या 3 की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके कथन किया है कि परिवादी ने नया सोनालिका ट्रैक्टर 35 हार्सपावर माडल डी0आई0735 एवं उससे सम्बन्धित उपकरण क्रय करने के लिए विपक्षी यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा सकलडीहा से रू0 290000/- ऋण प्राप्त करने हेतु दिनांक 7 जुलाई 2003 को बंधक विलेख,दृष्टिबंधक करार कृषि अग्रिमों के लिए नियमानुसार निष्पादित किया। उक्त ऋण के दो जमानतदार उमेश सिंह व परमात्मा सिंह ने गारण्टी के लिए ए0वी011/गारण्टी विलेख ए0वी011/गारण्टी विलेख डीड आफ गारण्टी पी0डी0नोट एवं अन्य सभी विलेख नियमानुसार निष्पादित किया और उस पर परिवादी ने अपना हस्ताक्षर बनाया है। उपरोक्त विलेख को निष्पादित करने के साथ ही साथ परिवादी ने अपने भूखण्ड का पैनल अधिवक्ता के माध्यम से नान इन्कम्ब्रेन्स
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सर्टिफिकेट तथा खसरा,खतौनी की नकल व शपथ पत्र दिनांक 3-7-2003 व ट्रैक्टर हल ट्राली का कोटेशन एवं चन्देल आटो मोबाइल्स चन्दौली के यहॉं कैश जमा रू0 63960/- की रसीद दिनांक 7-7-2003 को प्रस्तुत किया। बैंक ने परिवादी द्वारा चन्देल आटो मोबाइल द्वारा उपरोक्त ट्रैक्टर एवं अन्य सामान क्रय करने हेतु कैश रसीद दिनांक 7-7-2003 द्वारा जमा धनराशि रू0 63960/- को मार्जिन मनी मानते हुए कोटेशन में अंकित सोनालिका ट्रैक्टर हल व ट्राली क्रय करने हेतु परिवादी को रू0 290000/- ऋण देना स्वीकार कर लिया, जिसका खाता संख्या 419206040000201 है। दिनांक 7-7-2003को ही बैंक ने उपरोक्त धनराशि का बैक ड्रापट चंदेल आटो मोबाइल्स के नाम परिवादी को दे दिया। परिवादी द्वारा कथित डिलेवरी चालान दिनांक 17-6-2003 और उसमे अंकित ट्रैक्टर का इंजन नं0 व चेचिस नम्बर और परिवाद पत्र के पैरा 2 व 3 में अंकित धनराशि जो विपक्षी संख्या 1 को दिया जाना बताया गया है का उल्लेख परिवादी ने दिनांक 7-7-2003 को ऋण लेते समय नहीं किया और कथित कोई अभिलेख विपक्षी संख्या 3 के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया,जो परिवादी के गलत उद्देश्य व परिवाद पत्र की सारी कहानी को मिथ्या साबित करने व परिवादी द्वारा कथित डिलेवरी चालान दिनांक 17-6-2003 को कूट रचित साबित करने हेतु पर्याप्त है। विपक्षी संख्या 1 द्वारा सोनालिका ट्रैक्टर डी0आई0735,35 हार्सपावर हल,ट्राली का बिल दिनांक 14-7-2003 बैंक में प्रस्तुत किया गया है जिसमे उपरोक्त ट्रैक्टर का चेचिस नं0 301जेडजे31330 इंजन नं03097एफ 32जी31697 अंकित है और इसी ट्रैक्टर का बीमा नेशनल इश्योरेंस कम्पनी द्वारा दिनांक 24-7-2003 को दिनांक 24-7-2003 से 23-7-2004 तक के लिए इश्योरेंस परिवादी की जानकारी एवं उसके सहयोग से नियमानुसार किया गया है। उपरोक्त बिल दिनांक 14-7-2003 में अंकित ट्रैक्टर के इंजन नं0 व चेचिस नं0 की जानकारी परिवादी को आरम्भ से ही है। परिवादी द्वारा बैंक ऋण की किस्त जमा न करने के कारण दिनांक 15-12-2007 को तथा पुनः दिनांक 15-1-2009 को आर0सी0 जारी किया गया और आर0सी0 जारी होने पर परिवादी पर ऋण की अदायगी का दबाव बढ गया और कलेक्शन विभाग तहसील चन्दौली द्वारा परिवादी के ट्रैक्टर,ट्राली,हल जब्त करके नीलामी की कार्यवाही से बचने के लिए मिथ्या कथनों के आधार पर यह परिवाद दाखिल किया गया है। परिवादी द्वारा ट्रैक्टर ऋण वसूली हेतु दिनांक 15-1-2009 को आर0सी0 जारी होने के पूर्व उपरोक्त ट्रैक्टर हल व ट्राली आदि का सेल लेटर न मिलने तथा कथित डिलेवरी चालान में अंकित ट्रैक्टर हल व ट्राली एवं सेललेटर न मिलने और कथित ट्रैक्टर व इंजन नं0 व चेचिस नं0 की कोई शिकायत विपक्षी संख्या 3 से नहीं की गयी, एवं ट्रैक्टर कथित रूप से गायब होने की सूचना विपक्षी को नहीं दी गयी। बैंक द्वारा परिवादी के खिलाफ आर0सी0 जारी होने के बाद सर्वप्रथम दिनांक 24-1-09 को परिवादी ने बैंक पर दबाव बनाने की नियत से अपने द्वारा किये गये षडयंत्रों का जिक्र करते हुए मिथ्या कथनों के आधार पर एक नोटिस बैंक को दिया जिसका जबाब बैंक(विपक्षी संख्या 3)द्वारा दिनांक 27-2-09 को दिया गया। पुनः परिवादी ने दिनांक 9-1-2012 को तथा इसी क्रम
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में पुनः दिनांक 5-1-2015 को मिथ्या आधारों पर विपक्षी संख्या 3 को नोटिस दिया जिसमे रूपये की मांग की गयीऔर आपराधिक न्यायालय में विपक्षी संख्या 3 के विरूद्ध वाद प्रस्तुत करने की धमकी दी गयी। दिनांक 8-1-2015 को परिवादी ने विपक्षी संख्या 3 को कोई नोटिस नहीं दिया था। परिवादी द्वारा दाखिल अभिलेखों से स्पष्ट है कि परिवादी तथा विपक्षी संख्या 1 व 2 एक ही गिरोह के है जो बैंक द्वारा परिवादी को दी गयी ऋण राशि व व्याज जमा न करने की नियत से षडयंत्र करके विपक्षी संख्या 3 के विरूद्ध पेशबन्दी करके मुकदमा दाखिल किये है। बैंक का अद्यतन रू0 744431/- प्लस कानूनी व्यय परिवादी के जिम्मे बाकी है जिसके वसूली की कार्यवाही जरिये आर0सी0 जारी है।विपक्षी संख्या 3 द्वारा सेवा में कोई चूक नहीं की गयी है और उसके विरूद्ध कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। परिवादी का वाद सिविल नेचर का है और इस फोरम को श्रवणाधिकार प्राप्त नहीं है। परिवादी एक मुकदमेबाज व्यक्ति है जिसने विपक्षी संख्या 1 व 2 की साजिश में मनगढंत एवं मिथ्या आधारों पर बैंक का पैसा हडपने की गरज से यह परिवाद दाखिल किया है जो विशेष हर्जा सहित निरस्त किये जाने योग्य है।
5- परिवादी की ओर से अपने अभिकथनों के समर्थन में परिवादी जमुना सिंह एवं गवाह अमावश का शपथ पत्र दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में चन्देल आटो मोबाइल्स के डिलेवरी चालान दिनांकित 17-6-2003 की छायाप्रति,यूनियन बैंक आफ इण्डिया सकलडीहा द्वारापरिवादी को दिये गये ऋण तथा परिवादी द्वारा अदा धनराशि के विवरण की छायाप्रति,प्रथम सूचना रिर्पोट की छायाप्रति,आरोप पत्र की छायाप्रति, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्दौली के आदेश दिनांकित 23-7-2014 की छायाप्रति,थाना चन्दौली की रिर्पोट दिनांकित 31-7-2014 की छायाप्रति,थाना सकलडीहा की रिर्पोट दिनांक 27-8-2014 की छायाप्रति,परिवादी द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्दौली को दिये गये प्रार्थना पत्र दिनांकित 21-8-2014 की छायाप्रति,यूनियन बैंक आफ इण्डिया सकलडीहा के शाखा प्रबन्धक द्वारा प्रभारी निरीक्षक थाना सकलडीहा को प्रेषित पत्र दिनांकित 26-8-2014 की छायाप्रति,चन्देल आटो मोबाइल्स से ट्रैक्टर क्रय सम्बन्धी रसीद दिनांकित 5-7-2003 की छायाप्रति,तथा परिवादी द्वारा चन्देल आटो मोबाइल्स को रू0 63960/-दिये जाने की रसीद दिनांकित 7-7-2003 की छायाप्रति,परिवादी की ओर से चन्देल आटो मोबाइल्स को अदा किये रू0 2,90000/- की रसीद की छायाप्रति,चन्देल आटो मोबाइल्स द्वारा ट्रैक्टर के सम्बन्ध में दी गयी रसीद(इनवाइस)दिनांकित 24-7-2003 की छायाप्रति,बीमा अभिलेख की छायाप्रतियॉं (कागज संख्या 3/18 ता 3/30),यूनियन बैंक आफ इण्डिया,सकलडीहा द्वारा जिलाधिकारी चन्दौली को प्रेषित आर0सी0 की छायाप्रतियॉं (कागज संख्या 3/31 ता 3/35),सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी चन्दौली द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्दौली को प्रेषित आख्या दिनांकित 8-7-2014 की छायाप्रति, प्राथी छोटू द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्दौली को दिये गये प्रार्थना पत्र दिनांकित 30-7-2014 की छायाप्रति,वाहन के आर0सी0 की छायाप्रति,मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
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चन्दौली के आदेश दिनांकित 12-12-2014 की छायाप्रति,एवं परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 1 ता 3 को दी गयी नोटिस की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी है।
6- विपक्षीगण की ओर से विपक्षी संख्या 2 राजेन्द्र मौर्य तथा विपक्षी संख्या 3 की ओर से बैंक के शाखा प्रबन्धक रितेश केशरी तथा काशीनाथ यादव का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा विपक्षी संख्या 3 की ओरसे उनके जबाबदावा में वर्णित एनेक्चर-ए ता एनेक्चर-आई के अतिरिक्त इश्योरेंस की छायाप्रतियां,कोटेशन दिनांकित 5-7-2003 की छायाप्रति,बिल दिनांकित 14-7-2003 की छायाप्रतियां,परिवादी द्वारा चन्देल आटो मोबाइल्स के यहॉं रू0 2,90000/- तथा 63960/- जमा करने की रसीद की छायाप्रति,वसूली हेतु भेजी गयी नोटिसों की छायाप्रतियां तथा परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 3 को प्रेषित नोटिस एवं जबाबी नोटिस की छायाप्रति,जमुना सिंह द्वारा बैंक को दिये गये प्रार्थना पत्र दिनांकित 9-1-2012 की छायाप्रतियॉं तथा जमुना सिंह के बैंक ऋण से सम्बन्धित अभिलेखों की छायाप्रतियां दाखिल की गयी है। इसके अतिरिक्त विपक्षी संख्या 3 की ओर से प्रथम सूचना रिर्पोट की छायाप्रति,परिवादी द्वारा बैंक को दी गयी नोटिस की छायाप्रति,परिवादी जमुना सिंह द्वारा ट्रैक्टर बेचे जाने से सम्बन्धित अभिलेख की छायाप्रति,आर0सी0 की छायाप्रति,मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्दौली के आदेश दिनांकित 23-7-2014 की छायाप्रति,सहायक परिवहन अधिकारी की आख्या की छायाप्रति,मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्दौली के आदेश दिनांकित 12-12-2014 की छायाप्रति,छोटू के शपथ पत्र की छायाप्रति दाखिल की गयी है।
7- पक्षकारो द्वारा लिखित तर्क दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त उनके अधिवक्तागण की मौखिक बहस सुनी गयी। पत्रावली का पूर्ण रूपेण परिशीलन किया गया।
8- प्रस्तुत मामले में परिवादी का अभिकथन है कि उसने विपक्षी संख्या 1 की सोनालिका ट्रैक्टर एजेंसी जिसका विपक्षी संख्या 1 मालिक तथा विपक्षी संख्या 2 मैनेजर ह,ै के यहॉं रू0 15000/- नकद जमा करके दिनांक 17-6-2003 को एक सोनालिका ट्रैक्टर मय हल व ट्राली डेलवरी चालाना सहित प्राप्त किया तथा शेष धनराशि दिनांक 7-7-2003 को परिवादी ने विपक्षी संख्या 3 यूनियन बैंक आफ इण्डिया से ऋण लेकर रू0 290000/- का बैंक ड्रापट तथा रू0 48960/- नकद ट्रैक्टर एजेंसी के मैनेजर अर्थात विपक्षी संख्या 2 राजेन्द्र मौर्य को दिया। उस समय ट्रैक्टर एजेंसी के मालिक विपक्षी संख्या 1 अनिल सिंह भी मौजूद थे। डिलेवरी चालान पर ट्रैक्टर का इंजन नं0 3097ई32ए2606 तथा चेचिस नं0 301जेड.जे.25977 अंकित था। दिनांक 7-7-2003 को जब परिवादी ने ट्रैक्टर का पूरा पैसा बैंक ड्रापट व नकद विपक्षी संख्या 1व 2 को अदा किया तो उसने उक्त ट्रैक्टर के सेल लेटर की मांग किया लेकिन विपक्षी संख्या 1 व 2 ने सेललेटर नहीं दिया और कहा कि बाद में आकर सेललेटर ले जाना लेकिन उन्होंने सेललेटर नहीं दिया जिसके कारण गाडी का रजिस्ट्रेशन परिवादी नहीं करा सका। सभी विपक्षीगण ने एक साजिश के तहत परिवादी को सेललेटर नहीं दिया। दिनांक 30-1-2008 को
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परिवादी अपना उपरोक्त ट्रैक्टर सर्विसिंग के लिए विपक्षी संख्या 1 व 2 की एजेंसी पर ले गया तो विपक्षीगण ने कहा कि इस समय मिस्त्री नहीं है सुबह आकर ट्रैक्टर ले जाना लेकिन सुबह जब परिवादी गैरेज पर गया तो उसका ट्रैक्टर हल व ट्राली सहित गायब था। पूछने पर विपक्षी संख्या 1 व 2 ने कहा कि घर पर काम था कुछ दिन बाद ट्रैक्टर आ जायेगा तब ले जाइयेगा इसके बाद परिवादी दौडता रहा लेकिन उसे ट्रैक्टर नहीं मिला। तब उसने प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज करायी और विवेचना के बाद आरोप पत्र भी विपक्षी संख्या 1 व 2 व अन्य लोगों के विरूद्ध पुलिस द्वारा प्रेषित किया गया जो मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्दौली के न्यायालय में विचाराधीन है बाद में परिवादी को पता चला कि जो ट्रैक्टर उसे बेचा गया था वहीं टै्रक्टर दुबारा काशी नाथ पुत्र घुट्टुर यादव को विपक्षी संख्या 1 व 2 ने बेच दिया है और काशीनाथ ने उक्त ट्रैक्टर को छोटू प्रसाद पुत्र मोरंग प्रसाद को बेच दिया है और ट्रैक्टर का ट्रांसफर हो गया है तब परिवादी ने ट्रैक्टर की बरामदगी हेतु पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र दिया जिस पर ट्रैक्टर थाना चन्दौली की पुलिस द्वारा बरामद किया गया उक्त ट्रैक्टर को अपनी सुपुदगी में लेने के लिए परिवादी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में प्रार्थना पत्र भी दिया और छोटू प्रसाद ने भी सुपुदर्गी हेतु प्रार्थना पत्र दिया जब इस सम्बन्ध में न्यायालय द्वारा आर0टी0ओ0 चन्दौली तथा यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा सकलडीहा से रिर्पोट मांगी गयी तो बैंक की रिर्पोट के मुताबिक परिवादी को जिस ट्रैक्टर हेतु ऋण दिया गया था उसका इंजन नं0 3097एफ.32जी.31697 तथा चेचिस नं. 301जेड.जे.31330 था और इसी आधार पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा परिवादी की सुपुदर्गी प्रार्थना पत्र निरस्त करते हुए उक्त ट्रैक्टर को छोटू प्रसाद के हक में उन्मुक्त कर दिया गया। परिवादी का अभिकथन है कि विपक्षीगण ने आपस में साजिश करके परिवादी को धोखे में रखकर दूसरे ट्रैक्टर का लोनिंग परिवादी के नाम करा दिया और वह ट्रैक्टर परिवादी को नहीं दिया गया और जो ट्रैक्टर परिवादी ने वास्तव में खरीदा था उसे दोबारा विपक्षी संख्या 1 व 2 ने विपक्षी संख्या 3 से साजिश करके काशीनाथ को बेच दिया।
9- इसके विपरीत विपक्षी संख्या 1 व 2 जो ट्रैक्टर एजेंसी के क्रमशः मालिक व मैनेजर है ने अपने जबाबदावा में यह कहा है कि परिवादी ने दिनांक 7-7-2003 को रू0 63960/-कैश जमा करके रसीद प्राप्त किया जिसे मार्जिन मनी मानते हुए विपक्षी संख्या 3 यूनियन बैंक आफ इण्डिया ने परिवादी को ट्रैक्टर, हल व ट्राली खरीदने हेतु रू0 290000/- का ऋण दिया और परिवादी ने उक्त धनराशि रू0 290000/- का बैक ड्रापट दिनांक 7-7-2003 को विपक्षी संख्या 1 व 2 की एजेंसी पर उपलब्ध करा दिया उस समय परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 व 2 से डिलेवरी चालान दिनांक 17-6-2003 तथा उसमे अंकित इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर का कोई जिक्र नहीं किया गया और न ही बैंक से ऋण लेते समय दिनांक 17-6-2003 का कोई अभिलेख ही प्रस्तुत किया। विपक्षी संख्या 1 व 2 ने पैसा प्राप्त होने के बाद ट्रैक्टर,ट्राली,हल का बिल दिनांकित 14-7-2003 को ही बैंक में
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प्रस्तुत कर दिया जिसमे ट्रैक्टर का चेचिस नं0 301जेड.जे.31330 तथा इंजन नम्बर 3097एफ.32जी.31697 अंकित है और इसी ट्रैक्टर का नेशनल इश्योरेंस कम्पनी द्वारा बीमा भी परिवादी की जानकारी व सहयोग से किया गया है और इसके बाद भी सन् 2008-09 तक उक्त वाहन का बीमा होता रहा जब परिवादी ने बैंक का ऋण अदा नहीं किया और उसके ट्रैक्टर की नीलामी आदि की कार्यवाही हेतु आर0सी0 जारी हुई तो उससे बचने के लिए गलत कथनों के आधार पर यह झूठा दावा दाखिल किया गया है।
10- इसी प्रकार विपक्षी संख्या 3 ने यह अभिकथन किया है कि परिवादी ने सोनालिका ट्रैक्टर तथा हल व ट्राली क्रय करने के लिए बैंक की सकलडीहा शाखा से दिनांक 7-7-2003 को रू0 290000/- ऋण लेकर चन्देल आटो मोबाइल्स में दिनांक 7-7-2003 को जमा किया गया। रू0 63960/- की कैश रसीद बैंक में दी गयी थी जिसको मार्जिन मनी मानते हुए बैंक ने परिवादी को रू0 290000/- का ऋण स्वीकार किया और उक्त धनराशि का बैंक ड्रापट चन्देल आटो मोबाइल्स के नाम परिवादी को दिया गया उस समय परिवादी ने दिनांक 17-6-2003 की किसी डिलेवरी चालान या उसमे अंकित धनराशि तथा अंकित ट्रैक्टर के इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर का कोई जिक्र बैंक से नहीं किया था और न ही ऐसा कोई अभिलेख बैंक में प्रस्तुत किया था। दिनांक 14-7-2003 को विपक्षी चन्देल आटो मोबाइल्स की ओर से ट्रैक्टर,हल व ट्राली का जो बिल बैंक में प्रस्तुत किया गया उसमे ट्रैक्टर का चेचिस नम्बर 301जेड.जे.31330 तथा इंजन नम्बर 3097एफ.32जी.31697 अंकित है और इसी का बीमा भी परिवादी की जानकारी व सहयोग से करवाया गया है जो सन् 2008-09 तक होता रहा है। परिवादी ने ऋण की किश्ते जमा नहीं किया तो उसके विरूद्ध आर0सी0 जारी करायी गयी और जब ऋण अदायगी का दबाव बढा तो परिवादी ने गलत कथनों के आधार पर यह दावा दाखिल कर दिया।
11- इस प्रकार प्रस्तुत मुकदमें में सर्वप्रथम विचारणीय प्रश्न यही है कि क्या परिवादी ने दिनांक 17-6-2003 को विपक्षी संख्या 1 व 2 की ट्रैक्टर एजेंसी में रू0 15000/- जमा करके एक सोनालिका ट्रैक्टर मय हल व ट्राली की डिलेवरी प्राप्त किया जिसका इंजन नम्बर 3097ई32ए.2606 तथा चेचिस नम्बर 301जेड.जे.25977 था ?
12- विधिक रूप से उपरोक्त कथनों को सिद्ध करने का भार मूल रूप से परिवादी पर है अपने उपरोक्त अभिकथनों के समर्थन में परिवादी की ओर से अपने शपथ पत्र के अतिरिक्त एक मात्र दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में कागज संख्या 3/3 डिलेवरी चालान दिनांकित 17-6-2003 की छायाप्रति दाखिल की गयी है। मूल प्रति क्यों दाखिल नहीं है तथा मूल प्रति कहॉं है इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से कुछ नहीं बताया गया है उक्त डिलेवरी चालान की जो छायाप्रति परिवादी ने दाखिल की है उसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि इसमे दर्ज इंजन नम्बर परिवादी के परिवाद में दर्ज इंजन नम्बर से भिन्न है। परिवाद में ट्रैक्टर का इंजन
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नम्बर 3097ई.32ए2606 बताया गया है जबकि इस डिलेवरी चालान की छायाप्रति में इंजन नम्बर 3097ई.32ए26206 दर्ज है इस भिन्नता का कोई स्पष्टीकरण परिवादी पक्ष की ओर से नहीं दिया गया है। परिवादी का अभिकथन है कि उसने दिनांक 17-6-2003 को विपक्षी संख्या 1 व 2 के यहॉं रू0 15000/- जमा किया था और उसी के बाद उसे ट्रैक्टर,ट्राली व हल की डिलेवरी दे दी गयी थी लेकिन परिवादी की ओर से दिनांक 17-6-2003 को रू0 15000/- जमा करने की कोई रसीद दाखिल नहीं की गयी है और न ही यह बताया गया है कि रसीद दाखिल क्यों नहीं की गयी है। परिवाद में परिवादी ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि उसने बैंक से ऋण दिनांक 7-7-2003 को प्राप्त किया और रू0 290000/-का बैंक ड्रापट उसी दिन विपक्षी संख्या 1 व 2 की एजेंसी में जमा किया यह बात विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होती कि मात्र रू0 15000/- लेकर विपक्षीगण परिवादी को ट्रैक्टर, ट्राली तथा हल की डिलेवरी दे दे और शेष पैसा रू0 338960/- बाद में दिनांक 7-7-2003 को बैंक ड्रापट व नकदी के रूप में प्राप्त करें।
13- इसी प्रकार परिवादी ने अपने परिवाद में यह अभिकथन किया है कि उसने विपक्षी संख्या 1 व 2 को दिनांक 17-6-2003 को रू0 15000/- और दिनांक 7-7-2003 को रू0 48960/- नकद दिया था किन्तु परिवादी की ओर से न तो रू0 15000/- की कोई रसीद दाखिल की गयी है और न ही रू0 48960/- की रसीद दाखिल की गयी है जिससे यह सिद्ध हो सके कि परिवादी ने उक्त तारीखों पर विपक्षी संख्या 1 व 2को उपरोक्त धनराशि अदा की थी इसके विपरीत विपक्षीगण का अभिकथन है कि परिवादी ने दिनांक 7-7-2003 को रू0 290000/- का बैंक ड्रापट दिया था तथा उसी दिन रू0 63960/- नकद जमा किया था तब उसे ट्रैक्टर,हल,ट्राली दिया गया था। विपक्षीगण की ओर से जो अभिलेख कागज संख्या 10/19,10/20 के रूप में दाखिल किया गया है उसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा दिनांक 7-7-2003 को रू0 290000/-बैंकड्रापट के जरिये तथा रू0 63960/- नकद विपक्षी ट्रैक्टर एजेंसी को अदा किया गया है अतः इस आधार पर परिवादी के अभिकथन असत्य सिद्ध हो जाते है।
14- परिवादी के अभिकथनों के मुताबिक परिवादी ने ट्रैक्टर दिनांक 17-6-2003 को लिया और पूरा पैसा दिनांक 7-7-2003 को अदा किया किन्तु उसे कोई सेललेटर प्राप्त नहीं हुआ इसके बाद परिवादी का कथन है कि वह दिनांक 30-1-2008 को ट्रैक्टर सविसिंग के लिए विपक्षी संख्या 1 व 2 के सर्विस सेन्टर पर ले गया तो उन्होंने ट्रैक्टर भी गायब कर दिया। परिवादी ने अपने ट्रैक्टर का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है उसका कथन है कि सेल लेटर न मिलने के कारण उसने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया यह बात विश्वस योग्य प्रतीत नहीं होती है कि कोई व्यक्ति इतनी बडी धनराशि खर्च करके ट्रैक्टर खरीदे और सेललेटर प्राप्त न हो तो वह इतने वर्षो तक खामोश बैठा रहे और कोई कार्यवाही न करें। क्योंकि प्रस्तुत प्रकरण में स्वयं परिवादी के अभिकथनों के मुताबिक प्रथम सूचना रिर्पोट सन्
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2011 में दर्ज हुई है और यह दावा दिनांक 10-4-2015 को दाखिल किया गया है इतने वर्षो तक परिवादी अपने ट्रैक्टर के कागजात प्राप्त करने के लिए कोई कार्यवाही न करे यह बात हरगिज विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होती। विपक्षीगण की ओर से परिवादी के ट्रैक्टर का बीमा कराये जाने की जो रसीद सन् 2003 से 2009 तक की दाखिल की गयी है उसमे परिवादी के ट्रैक्टर का इंजन नम्बर 3097एफ.32जी.31697 तथा चेचिस नम्बर 301जेड.जे.31330 दर्ज है अतः यह बात भी विश्वास योग्य नहीं मानी जा सकती है कि इतने वर्षो तक परिवादी को अपने ट्रैक्टर के सही इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर की जानकारी न हो सके और वह गलत इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर के आधार पर अपने ट्रैक्टर का बीमा करवाता रहे। यहॉं यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि विपक्षीगण की ओर से जो साक्ष्य दिया गया है उससे यह स्पष्ट है कि परिवादी ने जिस इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर के ट्रैक्टर को अपना कहते हुए यह परिवाद दाखिल किया है उक्त इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर का ट्रैक्टर काशीनाथ पुत्र घुट्टुर यादव के नाम सन् 2004 में ही आर0टी0ओ0 कार्यालय में पंजीकृत हो चुका है इस प्रकार परिवादी की ओर से ऐसा कोई विश्वसनीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जिसके आधार पर यह माना जा सके कि उसने जिस इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर के ट्रैक्टर व ट्राली आदि के सम्बन्ध में यह परिवाद दाखिल किया है उसका परिवादी स्वामी रहा है। यहॉं यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि उक्त ट्रैक्टर के सम्बन्ध में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्दौली के न्यायालय में भी ट्रैक्टर को अपनी सुपुर्दगी में दिये जाने हेतु परिवादी ने प्रार्थना पत्र दिया था लेकिन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्दौली द्वारा भी यह पाया गया कि परिवादी उक्त ट्रैक्टर का स्वामी नही है और इसलिए ट्रैक्टर परिवादी की सुपुर्दगी में नहीं दिया गया बल्कि उक्त ट्रैक्टर को उसके पंजीकृत स्वामी छोटू प्रसाद पुत्र मोरंग प्रसाद के पक्ष में रिलीज किया गया है। उक्त आदेश के विरूद्ध परिवादी द्वारा कोई रिवीजन या अपील दाखिल करने का कोई साक्ष्य नहीं है अतः उक्त आदेश अंतिम माना जायेगा और इस आधार पर प्रश्नगत ट्रैक्टर का स्वामित्व परिवादी का नहीं माना जा सकता है।
15- विपक्षीगण की ओर से तर्क दिया गया है कि वास्तव में परिवादी ने जो ट्रैक्टर लोन लेकर खरीदा था उसे दिनांक 6-4-2008 को ही वह किसी श्यामसुन्दरी पत्नी स्व0 काशीनाथ सिंह को बेच चुका है और जब बैंक द्वारा परिवादी से लोन की रिकवरी के लिए आर0सी जारी कराया गया तब पैसा देने से बचने के लिए परिवादी ने असत्य अभिकथनों के आधार पर यह परिवाद दाखिल किया। इस सम्बन्ध में विपक्षीगण की ओर से कागज संख्या 16/1 व 16/2 के रूप में परिवादी द्वारा ट्रैक्टर बेचे जाने के दस्तावेज की छायाप्रति दाखिल की गयी है जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा अपना एक ट्रैक्टर जिसका इंजन नम्बर 3397एफ.32जी.31697 तथा चेचिस नम्बर 83072जे.31330 है, दिनांक 6-4-2008 को किसी श्यामसुन्दरी पत्नी काशीनाथ को बेचा है। इस दस्तावेज पर परिवादी जमुना सिंह तथा गवाहान के हस्ताक्षर भी है। परिवादी की
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ओर से इस दस्तावेज के खण्डन में न तो कोई अभिकथन किया गया है और न ही कोई साक्ष्य दिया गया है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि परिवादी ने कोई ट्रैक्टर जिसका इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर परिवादी द्वारा अपने ट्रैक्टर के बताये गये इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर से मिलता-जुलता हुआ है, दिनांक 6-4-2008 को ही किसी श्यामसुन्दरी पत्नी काशीनाथ को बेच चुका है। इस आधार पर भी प्रश्नगत ट्रैक्टर पर परिवादी का स्वामित्व बिल्कुल संदेहास्पद हो जाता है।
उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचन के आधार पर यह स्पष्ट है कि परिवादी अपने परिवाद में किये गये अभिकथनों को सिद्ध करने में पूर्णतः विफल रहा है। अतः फोरम की राय में उसका परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है। मुकदमें के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेगें।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः17-3-2017