Uttar Pradesh

StateCommission

A/872/2016

O.I. Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Anil Pundir - Opp.Party(s)

Rehana khan

02 Jan 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/872/2016
( Date of Filing : 29 Apr 2016 )
(Arisen out of Order Dated 30/03/2016 in Case No. C/183/2007 of District Saharanpur)
 
1. O.I. Co. Ltd
Saharanpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Anil Pundir
Saharanpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 02 Jan 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-872/2016

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-183/2007 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30-03-2016 के विरूद्ध)

दी ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, ब्रान्‍च आफिस सेकण्‍ड एबीसी बिल्डिंग, आरजी पैलेस के सामने, कोर्ट रोड, सहारनपुर द्वारा सीनियर ब्रान्‍च मैनेजर।                                 ...........अपीलार्थी/विपक्षी।     

बनाम

 

अनिल पुण्‍डीर पुत्र महावीर सिंह पुण्‍डीर, निवासी 6, स्‍टेट बैंक कालोनी, निकट जानकीपुरी, सहारनपुर।                      .......... प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

 

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री रेहाना खान विद्वान अधिवक्‍ता।   

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  : कोई नहीं।

दिनांक : 08-01-2024.

 

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्‍तर्गत, जिला उपभोक्‍ता आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-183/2007 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30-03-2016 के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30-03-2016 विधि विरूद्ध, आधारहीन और न्‍याय की इच्‍छा के विपरीत व तथ्‍यों से परे है। विद्वान जिला आयोग ने सर्वेयर की रिपोर्ट की उपेक्षा की। सर्वेयर रिपोर्ट के अनुसार कुल मूल्‍यांकन 20,104/- रू0 किया गया और 500/- रू0 साल्‍वेज का समायोजन करते हुए 19,539/- रू0 का अन्तिम मूल्‍यांकन किया गया, लेकिन विद्वान जिला आयोग ने इस मद में 1,48,940/- रू0 का अवार्ड किया है।

विद्वान जिला आयोग ने इन तथ्‍यों को अनदेखा किया और विद्वान जिला आयोग ने इसके अतिरिक्‍त क्षतिपूर्ति के लिए भी अधिक धनराशि 40,000/- रू0 अवार्ड की है और 5,000/- रू0 वाद व्‍यय के रूप में दिया है। विद्वान जिला आयोग ने ब्‍याज की दर 10 प्रतिशत लगाई है, जो अधिक है। अपीलार्थी ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। अत: माननीय राज्‍य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला आयोग का प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त करते हुए अपील स्‍वीकार की जाए।

हमारे द्वारा अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री रेहाना खान  की बहस विस्‍तार से सुनी गई तथा पत्रावली का सम्‍यक् रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर बहस करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।

परिवादी के कथनानुसार उसके पास टाटा ट्रक सं0-एचआर 37-6335 का मेक एण्‍ड डाउन 1986 का परमिट हरियाणा, उ0प्र0, उत्‍तरांचल व पंजाब हेतु था। परिवादी द्वारा अपना उक्‍त ट्रक विपक्षी के यहॉं बीमित दि0 13-7-05 से 12-7-06 की अवधि हेतु कराया हुआ था, जिसका कवर नोट सं0-2/ए एलजी 2बी 559621 है। उक्‍त ट्रक का बीमा अंकन 2,75,000/- रू0 का हुआ था जिसका प्रीमियम अंकन 11614/- रू0 परिवादी ने अदा किया था। दि0 10-8-05 को उक्‍त ट्रक चण्‍डीगढ़ से रामपुर मनिहारन चोकर लेकर समान्‍य गति आ रहा था। जैसे ही ट्रक बिलासपर के निकट पहुँचा तो बिलासपुर की ओर से एक महेन्‍द्रा अरमदा जीप बड़ी तेजी व लापरवाही से आ रही थी। इसी बीच एक स्‍कूटर तेजी से बीच में आ गया जिस कारण ट्रक चालक ने स्‍कूटर व जीप को बचाने का प्रयास किया जिसमें ट्रक पलट गया और पूरी तरह से क्षतिग्रस्‍त हो गया। उक्‍त दुर्घटना बिलासपुर के निकट सायं 6-00 बजे घटित हुयी। दुर्घटना के समय ट्रक को रिजवान अहमद चला रहा था। दुर्घटना के समय रिजवान के पास वैध चालक अनुज्ञप्ति थी। उक्‍त दुर्घटना के थाना बिलासपुर में रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। परिवादी को उक्‍त दुर्घटना के विषय में दि0 11-8-05 को मालूम हुआ। परिवादी ने इसकी सूचना तुरन्‍त विपक्षी को दी। विपक्षी के सर्वेयर ने स्‍पॉट सर्वे किया और दुर्घटनाग्रस्‍त ट्रक में हुई क्षति की लिस्‍ट बनायी और उसके फोटोग्राफ लिये किन्‍तु सर्वेयर द्वारा उसकी कोई प्रति परिवादी को नहीं दी गयी। सर्वेयर द्वारा निरीक्षण करने के उपरान्‍त परिवादी को कहा गया कि वह ट्रक को क्रेन के माध्‍यम से सहारनपुर ले जाये। परिवादीने दि0 25-8-05 को मोटर क्‍लेम फार्म, एफआईआर की सत्‍य प्रति तथा टाटा के अधिकृत डीलर बहादुर मोटर्स,  अम्‍बाला रोड, सहारनपुर का एस्‍टीमेट विपक्षी के कार्यालय में जमा किया। मै0 बहादुर मोटर्स से रिपेयर एस्‍टीमेट में विभिन्‍न मदों में धनराशि दिखाते हुये कुल अंकन2,75,105/- रू0 का एस्‍टीमेट ट्रक को बिना खोले दिया और ट्रक खुलने के बाद का एस्‍टीमेट बाद में देने के लिये कहा। विपक्षी द्वारा श्री एन0के0 गोयल को सर्वेयर नियुक्‍त किया गया, जिन्‍होंने दि0 1-9-05 को ट्रक का फाइनल सर्वे किया और स्‍पॉट सर्वेयर द्वारा किये गये आंकलन पर सहमति जताते हुये ट्रक को लोकल मिस्त्रियों से ठीक कराने हेतु निर्देशित किया क्‍योंकि बहादुर मोटर्स का एस्‍टीमेट अत्‍यधिक महंगा था। परिवादी ने अन्‍य मिस्त्रियों से ट्रक को ठीक कराया और इसकी सूचना विपक्षी को दी।

स्‍पष्‍ट है कि विपक्षी ने परिवादी को अपने यहॉं बुलाकर सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 19,539/- रू0 का चेक प्राप्‍त करने को कहा, जिसको सविरोध प्राप्‍त किया गया। विद्वान जिला आयोग के समक्ष सभी तथ्‍य और अभिलेख प्रस्‍तुत किये गये। दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास वैध चालक अनुज्ञप्ति थी। दुर्घटना की रिपोर्ट थाना बिलासपुर में अंकित करायी गयी और विपक्षी को भी सूचना दी गयी। वाहन की मरम्‍मत से सम्‍बन्धित कार्य का आंकलन स्‍पेयर पार्ट और लेबर शुल्‍क के साथ 2,75,105/- रू0 का एस्‍टीमेट दिया गया। सर्वेयर ने लोकन मिस्‍त्री से मरम्‍मत कराने को कहा। परिवादी ने इस सम्‍बन्‍ध में सभी अभिलेख विपक्षी को दिये लेकिन फिर भी उसको वास्‍तविक मरम्‍मत के खर्चे से अत्‍यधिक कम की धनराशि बीमा कम्‍पनी ने स्‍वीकार की।

विद्वान जिला आयोग ने इस सम्‍बन्‍ध में निम्‍नलिखित न्‍यायिक दृष्‍टान्‍तों का सन्‍दर्भ अपने निर्णय में दिया है :-

2005-सीटीजे-653 बनारस बीट्स लि0 आदि बनाम न्‍यू इण्डिया इंश्‍योरेंस कं0लि0 आदि में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने यह कहा है कि यदि सर्वेयर कई प्रकार की कटौतियॉं करके नुकसान को कम आंकता है तो उस स्थिति में उसकी रिपोर्ट माने जाने योग्‍य नहीं है। प्रस्‍तुत परिवाद में तो सर्वेयर द्वारा बिना किसी आधारके अपनी रिपोर्ट दी है। अत: उक्‍त रूलिंग प्रस्‍तुत परिवाद में पूर्ण रूप से लागू होती है।

इसी प्रकार मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा 2013-सीपीजे-133 न्‍यू इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी बनाम फिबागा एजेन्‍सीज की निर्णय विधि में सर्वे के बिन्‍दु पर ही वर्तमान व्‍यवस्‍था देते हुये कहा है कि जहॉं सर्वेयर के पास अभिलेखीय साक्ष्‍य उपलब्‍ध हो, बैंक का रिकार्ड व स्‍टेटमेंट उपस्थित हो, चार्टेड एकाउण्‍टेंण्‍ट का अभिलेखीय साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया गया हो, तब सर्वेयर मात्र यह कहकर हुई हानि को नहीं नकार सकता कि परिवादी द्वारा अपने यहॉं उपलब्‍ध स्‍टॉक में बढ़ोत्‍तरी की गयी है, जबकि वास्‍तव में उसके यहॉं उपलब्‍ध स्‍टॉक से उत्‍पादन ही नहीं किया गया। मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा उपरोक्‍त व्‍यवस्‍था में स्‍पष्‍ट रूप से यह उल्लिखित किया गया है कि सर्वेयर द्वारा केवल अपने कंजक्‍चर्स व प्रजम्‍प्‍शन के आधार पर निष्‍कर्ष लिया गया है। विस्‍तृत स्‍टॉक का सत्‍यापन उनके द्वारा नहीं किया गया। मा0 आयोग द्वारा उक्‍त व्‍यवस्‍था में बीमित को क्षतिपूर्ति देने की व्‍यवस्‍था दी गयी है। प्रस्‍तुत मामले में जैसा कि ऊपर विवेचन किया गया है, यही स्थिति है। परिवादी द्वारा अपने ट्रक की मरम्‍मत कराकर उससे सम्‍बन्धित खरीदे गये पार्ट्स एवं लेबर से सम्‍बन्धित सभी बिलों को उपलब्‍ध अभिलेखों में पूर्ण रूप से दर्शित किया तथा सर्वेयर द्वारा उनका आंकलन किये बिना ही केवल मनमाने ढंग से दी गयी रिपोर्ट को ही आधार मानकर विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा ट्रक में हुई हानि का आंकलन कर लिया। हमारे विचार से मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दी गयी उपरोक्‍त व्‍यवस्‍था के अनुसार बीमा कम्‍पनी ऐसा नहीं कर सकती। स्‍वयं मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय ने 2009-सीटीजे-599 न्‍यू इण्डिया इंश्‍योरेंस कं0 बनाम प्रदीप कुमार की निर्णय विधि में व्‍यवस्‍था देते हुए कहा है कि सर्वेयर की रिपोर्ट बीमा क्‍लेम तय करने हेतु अंतिम शब्‍द नहीं होती न ही वह इस प्रकार अंतिम साक्ष्‍य होती है कि जिसके बिना कोई क्‍लेम तय ही न किया जा सके। उल्‍लेखनीय है कि उक्‍त मामले में मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय के समक्ष एक वाहन के दुर्घटना में हुई हानि का था जिसमें सर्वेयर द्वारा मनमाने ढंग से हुई हानि का आंकलन कम किया गया था, जबकि वास्‍तविक रूप से उक्‍त्‍ वाहन की हानि अधिक हुई थी।

परिवादी द्वारा अपने वाद के समर्थन में प्रस्‍तुत की गयी रूलिंग       II (2011) CPJ-136 ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कंपनी बनाम स्‍टूडेंट बूट हाउस में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह मत प्रतिपादित किया गया है कि अग्नि दुर्घटना में नियुक्‍त सर्वेयर के आधार पर उसकी रिपोर्ट को साबित किये बगैर बीमा कम्‍पनी भुगतान से नहीं बच सकती। ऐसा ही मत परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत दूसरी विधि व्‍यवस्‍था II (2011) CPJ-301 न्‍यू इण्डिया इंश्‍योरेंस कंपनी बनाम एम0एम0 कृष्‍णन में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित किया गया कि सर्वेयर की रिपोर्ट आवश्‍यक है जब तक कि वह बायस एण्‍ट आर्बीट्रेटरी न हो। उपरोक्‍त दोनों रूलिंग परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद पर पूर्ण रूप से लागू होती हैं, क्‍योंकि प्रस्‍तुत परिवाद में सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट को साबित करने हेतु कोई शपथ पत्र भी नहीं दिया गया तथा उसके द्वारा जो रिपोर्ट दी गयी वह एकतरफा बीमा कम्‍पनी को फायदा पहुँचाने की गरज से दी गयी है। इस प्रकार उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍थाओं के आधार पर भी हमारे विचार से सर्वेयर की रिपोर्ट स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है। इस प्रकार विपक्षी की उपरोक्‍त आपत्ति स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है तथा परिवादी का उपरोक्‍त कथन स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

विद्वान जिला आयोग ने समस्‍त तथ्‍यों को देखने के बाद यह पाया कि बीमा कम्‍पनी ने गाड़ी की कीमत 2,75,000/- रू0 आंकी थी, जिसकी प्रीमियम 11,614/- रू0 प्राप्‍त की गयी थी। विद्वान जिला आयोग ने इन समस्‍त तथ्‍यों को देखा और यह पाया कि सर्वेयर की एकपक्षीय रिपोर्ट पर जो धनराशि दी गयी है वह अत्‍यधिक कम है और वास्‍तविक खर्च से भी बहुत कम है। तदनुसार विद्वान जिला आयोग ने निम्‍नलिखित आदेश पारित किया :-

'' परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्‍पनी को आदेश दिया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर परिवादी को प्रश्‍नगत ट्रक में हुई क्षति के लिये क्‍लेम की राशि के रूप में अंकन 1,48,940/- रू0 व इस पर परिवाद दायर करने की तिथि दि0 26-7-07 से इस निर्णय की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित अदा करें। इसके अतिरिक्‍त विपक्षी बीमा कम्‍पनी परिवादी को उपरोक्‍त अवधि में ही मानसिक कष्‍ट एवं सेवा में कमी के मद में अंकन 40,000/- रू0 एवं वाद व्‍यय के मद में अंकन 5,000/- रू0 भी अदा करें। उपरोक्‍त अवधि में अदायगी न करने पर विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा परिवादी को अंकन 1,88,940/- रू0 की राशि पर इस निर्णय की तिथि से अंतिम अदायगी की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देय होगा। ''

जहॉ तक उक्‍त आदेश का प्रश्‍न है, हम इस विचार के हैं कि ब्‍याज की दर 10 प्रतिशत से घटाकर 07 प्रतिशत की जाये और मानसिक कष्‍ट व सेवा में कमी के मद में दिये गये 40,000/- रू0 के स्‍थान पर 10,000/- रू0 किया जाये। शेष निर्णय में किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। तदनुसार वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।             

आदेश

वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-183/2007 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30-03-2016 इस सीमा तक संशोधित किया जाता है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा आदेशित ब्‍याज की दर 10 प्रतिशत से घटाकर 07 प्रतिशत की जाती है और मानसिक कष्‍ट व सेवा में कमी के मद में दिये गये 40,000/- रू0 के स्‍थान पर 10,000/- रू0 किया जाता है। निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग के निबन्‍धक से अपेक्षा की जाती है कि अपीलार्थी द्वारा उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्‍तर्गत यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उस धनराशि को अर्जित ब्‍याज सहित विधि अनुसार एक माह में सम्‍बन्धित जिला आयोग को प्रेषित किया जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा उक्‍त धनराशि का विधि अनुसार प्रश्‍नगत निर्णय के अनुपालन के सन्‍दर्भ में निस्‍तारण किया जा सके। 

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

       (विकास सक्‍सेना)                   (राजेन्‍द्र सिंह)

             सदस्‍य                           सदस्‍य                    

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

       (विकास सक्‍सेना)                   (राजेन्‍द्र सिंह)

            सदस्‍य                            सदस्‍य                    

 

दिनांक : 08-01-2024.

 

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-1,

कोर्ट नं.-2.     

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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