Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/2447

M/s Vinod Kumar Virendra Kumar - Complainant(s)

Versus

Anil Kumar - Opp.Party(s)

Alok Sinha

09 Sep 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/2447
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s Vinod Kumar Virendra Kumar
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Anil Kumar
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Jugul Kishor MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

         सुरक्षित

अपील सं0-२४४७/२०१२    

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-४९/२०१२ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-२७/०८/२०१२ के विरूद्ध)

M/s Vinod Kumar Virendra Kumar (Delhi wale) Offece Ganj Bazar, Mandi Dhanora, District J.P. Nagar. Though its Partner Shri Sachin.                  

                                       .............Appellant.                                      

Versus

Anil Kumar S/o Shri Vikram Singh R/o Village Hasupura Post Jahagirpur,  Tehsil Thakur, District Moradabad.

                                     ..............Respondent.

समक्ष:-

  1. माननीय श्री चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव, पीठा0सदस्‍य।
  2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्‍य।
  3. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य ।

अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री आलोक सिन्‍हा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री सर्वेश कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:२४/०२/२०१६

माननीय श्री महेश चन्‍द्र, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-४९/२०१२ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-२७/०८/२०१२ के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है। विवादित आदेश निम्‍नवत है-

     ‘’ परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि विपक्षी आदेश के एक माह के अन्‍दर रोटावेटर की कीमत अंकन    रू0 ७५०००/- व उस पर दिनांक १८/०३/२०१२ से भुगतान की वास्‍तविक तिथि तक ९ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित परिवादी को वापस करे। विपक्षी अपना रोटावेटर प्राप्‍त करने का अधिकारी है। परिवादी अंकन रू0 १०००/- परिवाद व्‍यय भी विपक्षी से प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। ‘’

     अपीलकर्ता के कथनानुसार विद्वान जिला मंच द्वारा विपक्षी/अपीलकर्ता के विरूद्ध दिनांक २७/०८/२०१२ को एकपक्षीय आदेश पारित किया गया है । उक्‍त आदेश को पारित करने के पूर्व विद्वान जिला मंच द्वारा विपक्षी को अपना पक्ष रखने का कोई अवसर नहीं दिया गया। परिवाद दिनांक ०२/०७/२०१२ को जिला मंच के समक्ष दायर किया गया और दो माह की अवधि के अन्‍दर ही उसका निस्‍तारण

 

-२-

करते हुए दिनांक २७/०८/२०१२ को एकपक्षीय आदेश कर दिया । अपीलकर्ता का कथन है कि जैसे ही उसको इस आदेश की जानकारी हुई, उन्‍होंने यह अपील दायर कर दी।

     अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि अपीलकर्ता/विपक्षी ने परिवादी को कोई रोटावेटर नहीं बेंचा है और न ही उसने रू0 ७५०००/- उक्‍त रोटावेटर के एवज में कोई धनराशि वसूल की है। अपीलकर्ता/विपक्षी ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा २ (१) (g) २ (१) (o) के अन्‍तर्गत सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है।

     अपीलकर्ता ने अपील को दायर करने में हुए विलंब को विलोपित किए जाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत करते हुए कहा है कि जिला मंच का आदेश दिनांक २७/०८/२०१२ को पारित हुआ, किन्‍तु अपीलकर्ता को इस आदेश की जानकारी सितंबर २०१२ में हुई। प्रश्‍नगत आदेश की नकल प्राप्‍त करने के लिए जिला मंच के समक्ष आवेदन किया जिसके बाद उसे दिनांक ०६/१०/२०१२ को उसकी नकल प्राप्‍त हुई। तब दिनांक २५/१०/२०१२ को यह अपील योजित की गयी । अत: वर्णित परिस्थितियों में विलंब विलोपित किए जाने योग्‍य है। तदनुसार विलंब विलोपित किया जाता है।

     अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा के तर्क सुने गये एवं पत्रावली का अवलोकन किया।

     अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी द्वारा रोटावेटर खरीदने की जो रसीद दाखिल की गयी है, वह फर्जी है और स्‍वीकार करने योग्‍य नहीं है। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता ने रसीद का जो नमूना पत्रावली पर प्रस्‍तुत किया है जो कि परिवादी द्वारा दाखिल केश क्रेडिट मेमों के प्रारूप से भिन्‍न है।

     उक्‍त दोनों रसीदों का अवलोकन करने से यह प्रतीत होता है कि दोनों प्रतियों में कोई न कोई रसीद फर्जी है। इसमें पुन: जांच एवं परीक्षण की आवश्‍यकता है।

     उभय पक्षों को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध दोनों प्रतियों के अवलोकन से हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि प्रस्‍तुत प्रकरण को जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाए कि पत्रावली पर उपलब्‍ध दोनों रसीदों एवं पक्षकारों को सुनवाई का समुचित अवसर देते हुए गुण-दोष के आधार पर परिवाद का निस्‍तारण करें। तदनुसार अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है ।

 

 

 

-३-

आदेश

     अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-४९/२०१२ में पारित निर्णय/आदेश           दिनांक-२७/०८/२०१२ अपास्‍त किया जाता है। विद्वान जिला मंच को निर्देशित किया जाता है कि प्रश्‍नगत परिवाद का निस्‍तारण गुण-दोष के आधार पर पक्षकारों को सुनवाई का पर्याप्‍त अवसर प्रदान करते हुए ०३ माह की अवधि के अन्‍दर किया जाना सुनिश्चित करें। पक्षकारों को निर्देशित किया जाता है कि वह जिला मंच के समक्ष दिनांक १८/०३/२०१६  को उपस्थित हों।

 

(चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)    (संजय कुमार)          (महेश चन्‍द)

   पीठा0सदस्‍य               सदस्‍य                  सदस्‍य

सत्‍येन्‍द्र, आशु0 कोर्ट नं0-१

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Jugul Kishor]
MEMBER

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