सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्या 147/98 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.03.2007 के विरूद्ध)
अपील संख्या 739 सन 2008
जसवंत नगर कोल्ड स्टोरेज छिमारा रोड, जसवन्त नगर जनपद इटावा उ0प्र0 द्वारा डाइरेक्टर, अशोक कुमार गर्ग।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
अनिल कुमार, मुकुल कुमार, विवेक कुमार पुत्रगण गिरीश चन्द्र एवं ग्रीश चन्द्र पुत्र स्व0 ओम प्रकाश गुप्ता निवासीगण ग्राम गोजा, पोस्ट गोंजा जनपद इटावा उ0प्र0। ...प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री वीर राघव चौवे ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री आर0के0 गुप्ता।
दिनांक:-
श्री गोवर्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्या 147/98 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.03.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है कि परिवादीगण ने विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में माह मार्च, अप्रैल, मई 1997 में 532 बोरा आलू एवं 113 पैकेट का भण्डारण किया था। परिवादीगण जब अपना आलू निकालने गए तो देखा कि आलू कोल्ड स्टोरेज में खराब हो गया है और आलू में बडे-2 अंकुर निकल आए हैं एवं वह सड़ गया है। परिवादीगण ने कोल्ड स्टोरेज से आलू निकालने से मना कर दिया एवं तत्कालीन आलू का वाजार भाव 220.00 रू0 प्रति बोरा के हिसाब से क्षतिपूर्ति की मांग की, जिसे न देने पर जिला मंच में आलू का मूल्य एवं क्षतिपूर्ति हेतु परिवाद योजित किया।
जिला मंच द्वारा विपक्षी को नोटिस भेजी गयी। विपक्षी के प्रबन्धक जिला मंच में उपस्थित हुए तथा लिखित कथन दाखिल करने हेतु समय चाहा उसके बाद न तो लिखित कथन दाखिल किया गया और न कोई जिला मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ जिसके कारण उसके विरूद्ध एक पक्षीय सुनवाई की गयी।
जिला मंच ने परिवादी/प्रत्यर्थी के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्न आदेश पारित किया :-
'' परिवादीगण का परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाता है। विपक्षी एक माह के अंदर परिवादीगण को आलू की क्षतिपूर्ति 1,32,970.00 रू0 एवं मानसिक पीड़ा हेतु 5,000.00 तथा 300.00 रू0 एवं 300.00 वाद व्यय अदा करे। निश्चित अवधि के अंदर धनराशि अदा न होने पर 12 प्रतिशत ब्याज भी देय होगा। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा तथ्यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है । अपीलकर्ता को कोई नोटिस प्राप्त नही हुयी। जिला फोरम की कार्यवाही एक सदस्य द्वारा संचालित की गयी है तथा जिला मंच द्वारा एक पक्षीय निर्णय व आदेश पारित किया किया गया है, जो अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस विस्तार से सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक् अनुशीलन किया।
पत्रावली का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि परिवादीगण ने विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में माह मार्च, अप्रैल, एवं मई 1997 में 532 बोरा आलू एवं 113 पैकेट का भण्डारण किया था। परिवादीगण जब अपना आलू निकालने गए तो देखा कि आलू कोल्ड स्टोरेज में खराब हो गया है परिवादीगण ने कोल्ड स्टोरेज से आलू निकालने से मना कर दिया एवं तत्कालीन आलू का वाजार भाव 220.00 रू0 प्रति बोरा के हिसाब से क्षतिपूर्ति की मांग की जिसे विपक्षी/अपीलकर्ता द्वारा नही देने पर जिला मंच में परिवाद दायर किया गया। जबकि विद्वान अधिवक्ता अपीलकर्ता का तर्क है कि उसको जिला फोरम से कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुई तथा उसके विरूद्ध एक पक्षीय सुनवाई की गयी है। और उसे सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया। पत्रावली पर अपीलकर्ता की ओर से जिला फोरम द्वारा पारित विभिन्न तिथियों की आर्डरशीट्स की प्रतियां दाखिल की है जिसमें उसके द्वारा यह स्पष्ट करने का प्रयास किया गया कि जिला फोरम की कार्यवाही मात्र एक सदस्य या अध्यक्ष द्वारा ही की गयी और निर्णय बहुमत से पारित किया गया तथा उसको सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया ।
पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों के अवलोकन से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि दिनांक 06.01.07 को परिवादपत्र में विवेक कुमार एवं ग्रीश चन्द्र को पक्षकार बनाया गया था लेकिन उन पर तामीला के संबंध में कोई आख्या प्रस्तुत नहीं की गयी है।
अपीलकर्ता का कथन है कि जिला फोरम में कार्यवाही एक सदस्य द्वारा सम्पादित की गयी है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 14(2) के प्राविधानों के अन्तर्गत एक सदस्य द्वारा फोरम की कार्यवाही संचालित नहीं की जा सकती है। इसके अतिरिक्त विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय बिना तत्समय आलू का बाजार भाव ज्ञात किए पारित किया है । तत्समय आलू के बाजार भाव के संबंध में कोई साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है। मात्र परिवादी के कथनों पर विश्वास करते हुए मांगी गयी याचना को स्वीकार किया जाना न्याय के विपरीत है ।
केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों के अनुसार Audi alteram partem के सिद्धांत के अनुसार न्याय हित में अपीलार्थी को सुना जाना आवश्यक है। अत: प्रकरण जिला मंच को प्रतिप्रेषित किए जाने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्या 147/98 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.03.2007 निरस्त किया जाता है। प्रकरण जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि उभय पक्षों को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर परिवाद का प्राथमिकता से निस्तारण करना सुनिश्चित करें।
उभय पक्ष जिला मंच के समक्ष दिनांक 21.05.2018 को उपस्थित होना सुनिश्चित करें।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-3
(S.K.Srivastav,PA)