Uttar Pradesh

StateCommission

A/685/2019

Shriram Transport Finance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Anil Kumar Yadav - Opp.Party(s)

Yatish Gupta

14 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/685/2019
( Date of Filing : 28 May 2019 )
(Arisen out of Order Dated 20/09/2017 in Case No. C/30/2015 of District Faizabad)
 
1. Shriram Transport Finance Co. Ltd
Throgh Owner/Manager/Director S-26 Infront of Transport Nagar RTO Lucknow U.P.
...........Appellant(s)
Versus
1. Anil Kumar Yadav
S/O Sri Ram Dheeraj Yadav R/O Gram , Post Gopalpur P/S Poorakalandar Teh. Sohawal Distt. Faizabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Oct 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-685/2019

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या 30/2015 में पारित आदेश दिनांक 20.09.2017 के विरूद्ध)

श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कं0लि0

........................अपीलार्थी/विपक्षी सं01

बनाम

1. अनिल कुमार यादव पुत्र स्‍व0 राम धीरज निवासी- ग्राम व पोस्‍ट–गोपालपुर, पी0एस0-पूराकलन्‍दर, तहसील-सोहावल, जिला-साकेत

2. मुकेश कुमार गुप्‍ता मकान नं0-9/1/14, कालेज रोड फतेहगंज,            जिला-साकेत

3. सरदार आटोमोबाइल्‍स 2/2/12, सिविल लाइंस वर्तमान आफिस-दराबगंज, जिला-साकेत द्वारा मैनेजर/मालिक

               ....................प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी सं02 व 3

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा, 

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : श्रीमती सुचिता सिंह की सहयोगी                    

                               सुश्री सताक्षी शुक्‍ला, 

                               विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं03 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 14.10.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा को सुना। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्रीमती सुचिता सिंह की सहयोगी सुश्री सताक्षी शुक्‍ला को सुना।

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-30/2015 अनिल कुमार यादव बनाम श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्‍स कम्‍पनी लिमिटेड व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.09.2017 के विरूद्ध याजित की गयी है।

 

 

-2-

प्रश्‍नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ''परिवादी का परिवाद विपक्षी संख्‍या 1 के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या 2 व 3 के विरूद्ध खारिज किया जाता है। विपक्षी संख्‍या 1 को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को नोडूज सर्टीफिकेट निर्णय एवं आदेश की तिथि से एक माह में देवें। यदि विपक्षी संख्‍या 1 उक्‍त दिये गये समय में नोडूज नही देता है तो परिवादी विपक्षी संख्‍या 1 से 20,000=00 रूपये वसूल कर पाने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्‍त परिवादी विपक्षी से 2000=00 रूपये वाद व्‍यय तथा 3000=00 रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी होगा।''

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी के पिता स्‍व0 रामधीरज यादव पुत्र श्री भगौती प्रसाद निवासी ग्राम व पोस्‍ट गोपालपुर फैजाबाद टैम्‍पो विक्रम सं0 यू0पी042/टी/7492 के पंजीकृत स्‍वामी थे, जिनकी मोटर दुर्घटना में दिनांक 28.03.2011 को मृत्‍यु हो गयी। उक्‍त वाहन विपक्षी संख्‍या-1 फाइनेंस कम्‍पनी से फाइनेंस था तथा यह कि लोन राशि 1,30,000/-रू0 थी, जिसकी मासिक किस्‍त 5578/-रू0 थी।

     परिवादी का कथन है कि मासिक किस्‍त परिवादी के पिता के जीवनकाल में नियमित जमा होती रही तथा पिता की मृत्‍यु के उपरान्‍त परिवादी नियत तिथि पर किस्‍त की अदायगी प्रतिमाह करता रहा तथा यह कि उक्‍त किस्‍त अदायगी विपक्षी संख्‍या-3 के आफिस में बैठकर विपक्षी संख्‍या-2 जो कि विपक्षी संख्‍या-1 का वैधानिक एजेन्‍ट था, प्राप्‍त करता रहा तथा उक्‍त सम्‍बन्‍ध में रसीद परिवादी को प्रदान करता रहा।

     परिवादी का कथन है कि उक्‍त वाहन के लोन के समय परिवादी विपक्षी संख्‍या-3 के यहां अपने पिता के साथ गया था तथा विपक्षी  संख्‍या-3 के कहने पर मध्‍यस्‍थता पर विपक्षी संख्‍या-1 के विधिक एजेन्‍ट विपक्षी संख्‍या-2 से लोन की लिखा पढ़ी व औपचारिकता पूरी करायी थी।

परिवादी का कथन है कि उक्‍त लोन की अदायगी दिनांक 25.05.2012 को रसीद संख्‍या-5400 द्वारा मु0 4500/-रू0 अदा करने के उपरान्‍त पूर्ण हो गयी थी तथा मात्र अनापत्ति नोड्यूज की औपचारिकता शेष

 

 

-3-

रह गयी थी। परिवादी द्वारा दिनांक 07.08.2009 से दिनांक 20.05.2012 तक 34 किस्‍तों के माध्‍यम से विपक्षी संख्‍या-1 को 1,89,826/-रू0 विपक्षी संख्‍या-2 के माध्‍यम से अदा किया, परन्‍तु परिवादी को नोड्यूज सर्टीफिकेट नहीं दिया गया, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा कथन किया कि परिवादी के पिता रामधीरज यादव को 1,30,000/-रू0 प्रश्‍नगत वाहन क्रय करने हेतु दिनांक 30.06.2009 को ऋण दिया गया था तथा वाहन विपक्षी संख्‍या-1 के यहॉं एग्रीमेंट के अनुसार बंधक था। लोन की धनराशि ब्‍याज सहित 1,84,093/-रू0 33 किस्‍तों में दिनांक 05.03.2012 तक अदा करनी थी, जिसके विरूद्ध परिवादी द्वारा 1,62,943/-रू0 जमा किया गया तथा शेष धनराशि जमा नहीं की गयी, जिस कारण उसे नोड्यूज नहीं दिया गया।

     जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा कथन किया कि परिवादी को परिवाद दायर करने का अधिकार नहीं है तथा यह कि परिवादी मृतक क्रेता का वारिसान है, इसका कोर्इ साक्ष्‍य दाखिल नहीं किया गया। विपक्षी संख्‍या-3 को गलत पक्षकार बनाया गया है। परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय में निम्‍न तथ्‍य उल्लिखित किये गये:-

     ''परिवादी के पिता ने 1,30,000=00 रूपया विपक्षी संख्‍या 1 से लोन लिया था। 1,30,000=00 रूपये तथा ब्‍याज कुल मिलाकर 1,84,093=00 रूपये परिवादी द्वारा 33 किस्‍तों में दिनांक 05-03-2012 तक देना था। परिवादी ने प्रथम किस्‍त दिनांक 07-08-2009 में 5600=00 रूपये अनिल कुमार यादव को दिया, रसीद की छाया प्रति पत्रावली में शामिल है। शेष 33 किस्‍तें दिनांक 25-05-2012 तक 1,84,226-00 रूपये की रसीदें परिवादी ने पत्रावली में दाखिल किया है जो कागज संख्‍या 2/8 ख लगायत

 

 

-4-

2/41 ख है। परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 1 को लोन अदायगी में दो माह 20 दिन विलम्‍ब से पैसा जमा किया है। परिवादी द्वारा विपक्षी को कुल धनराशि 1,84,093=00 रूपये दिनांक 05-03-2012 अदा करनी थी। परिवादी ने 2 माह 20 दिन विलम्‍ब से जो धनराशि जमा किया है वह 1,84,093=00 रूपये के सप्रेक्ष्‍य में परिवादी ने 5733=00 रूपये अधिक जमा किया है। इस प्रकार विपक्षी संख्‍या 1 का लोन ऋण की धनराशि परिवादी के ऊपर शेष नही रह जाती है। विपक्षी संख्‍या 1 ने जो स्‍टेटमेंट आफ एकाउन्‍ट दाखिल किया है जो गलत है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद विपक्षी संख्‍या 1 के विरूद्ध स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है। शेष विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्‍य है।''

उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य को सुनने के उपरान्‍त तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग के निर्णय एवं आदेश का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्‍त मेरे विचार से प्रस्‍तुत अपील में कोई बल नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, वह पूर्णत: सुसंगत है, जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं प्रतीत होती है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला उपभोक्‍ता आयोग को 01 माह में विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                         अध्‍यक्ष             

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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