(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1515/2007
(जिला आयोग, हमरीपुर द्वारा परिवाद संख्या-145/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 8.9.2006 के विरूद्ध)
जीरॉक्स इण्डिया लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस 503, पंचम तल, कृष्ण अपरा प्लाजा, पी-3, सेक्टर-18, नोयडा 201301 (यू.पी.) द्वारा ए.एस.पी. मैनेजर बृजेन्द्र शर्मा, जीरॉक्स इण्डिया लिमिटेड आई.टी.पी.आई. भवन, कैप्टन मनोज पाण्डेय क्रासिंग, विकास खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ 226010 (यू.पी.)।
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
अनिल कुमार शुक्ला पुत्र श्री सुशील चन्द्र शुक्ला, निवासी मोहल्ला सुभाष बाजार, शहर हमीरपुर, परगना, तहसील व जिला हमीरपुर, (यू.पी.)।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस.सी. धसमाना।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा के कनिष्ठ
सहायक श्री नन्द कुमार।
दिनांक: 12.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-145/1999, अनिल कुमार शुक्ला बनाम प्रबंधक, मोदी जीराक्स लिमिटेड तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, हमीरपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 8.9.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवादी को विक्रय की गई जीरॉक्स फोटोकापी मशीन को परिवर्तित करने या मशीन की कीमत अंकन 71,281/-रू0 वापस लौटाने का आदेश दिया है साथ ही प्रकीर्ण खर्च में अंकन 4,000/-रू0 एवं परिवाद खर्च में अंकन 1,500/-रू0 भी अदा करने के लिए आदेशित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा स्वरोजगार के लिए एक फोटोकापी मशीन विपक्षी से रू0 71,281.75 पैसे में दिनांक 25.12.1995 को क्रय की गई थी। दिनांक 6.1.1996 को अपना सर्विस इंजीनियर भेजकर मशीन स्थापित कराई गई थी, जबकि ड्राफ्ट दिनांक 30.11.1995 को ले लिया गया था। अंकन 5,000/-रू0 में सर्विस कांट्रैक्ट किया गया था और यह वायदा किया गया था कि मशीन की खराबी की सूचना दोपहर 12.00 बजे तक देने पर उसी दिन मशीन ठीक कर दी जाएगी। मशीन खराब होने की सूचना देने के बावजूद 10-15 दिन तक मशीन ठीक नहीं कराई गई। मशीन में खराबी दिनांक 12.4.1999 को आयी थी, जबकि मरम्मत दिनांक 12.6.1999 को करवाई गई, इसके बाद भी मशीन ठीक नहीं हुई और 2-3 दिन बाद पुन: मशीन खराब हो गई, इसके बाद मशीन कानपुर में ठीक कराने के लिए कहा गया। दिनांक 26.10.1999 को मशीन कानपुर पहुँचाई गई और 10-11 दिन तक अपने पास रखी और मशीन को ले जाने के लिए परिवादी से कहा गया। परिवादी दिनांक 5.11.1999 को मशीन ले आया, परन्तु मशीन ने काम नहीं किया, इसके बाद विपक्षी ने मशीन की मरम्मत करने से मना कर दिया, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षीगण के विरूद्ध एकतरफा सुनवाई की गई। एकतरफा साक्ष्य की व्याख्या करते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
5. इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि उनके द्वारा लिखित कथन प्रस्तुत किया गया था, जिसको विचार में नहीं लिया गया। मशीन की मरम्मत का करार दिनांक 27.7.1999 को समाप्त हो चुका है, इसके बाद परिवादी ने मशीन की मरम्मत के करार का नवीनीकरण नहीं कराया। इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि परिवादी मशीन को कानपुर आफिस लेकर आया था और मुख्य पीसीबी को परिवर्तित कर दिया गया था, इसके बाद मशीन सहजता से काम कर रही थी। परिवादी ने लिखकर दिया था कि वह मशीन से सहमत है, इसके बाद दिनांक 5.11.1999 को मशीन परिवादी को सुपुर्द कर दी गई थी। परिवादी ने अपने हस्ताक्षर मशीन प्राप्ति के बनाए थे। जब तक परिवादी अनुबंध का नवीनीकरण नहीं कराता तब तक अपीलार्थी कंपनी मौके पर जाकर सर्विस करने के लिए बाध्य नहीं है।
6. परिवाद पत्र के विवरण के अनुसार परिवादी द्वारा मशीन दिनांक 25.12.1995 को क्रय की गई, जिसकी स्थापना दिनांक 6.1.1996 को हुई। अंकन 5,000/-रू0 सर्विस कांट्रैक्ट इसी तिथि को किया गया है, जो एक वर्ष के लिए था। लिखित कथन के अनुसार वर्ष 1999 में कांट्रैक्ट का नवीनीकरण नहीं हुआ, इसलिए मशीन को मौके पर जाकर दुरूस्त करने के लिए कोई बाध्यता कंपनी पर नहीं थी। परिवादी ने कहीं पर भी यह कथन नहीं किया है कि सर्विस कांट्रैक्ट होने के पश्चात समय अवधि बीतने पर इस कांट्रैक्ट का नवीनीकरण कराया। चूंकि सर्विस कांट्रैक्ट का नवीनीकरण नहीं कराया गया, इसलिए विपक्षी कंपनी नि:शुल्क मशीन की मरम्मत करने के लिए बाध्य नहीं है। वर्ष 1999 में वारण्टी अवधि समाप्त हो चुकी है, इसलिए वारण्टी अवधि के बाद मशीन की मरम्मत करने की कोई बाध्यता विपक्षी कंपनी पर नहीं है। परिवादी का यह कथन नहीं है कि मशीन में निर्माण संबंधी त्रुटि है, इसलिए मशीन को परिवर्तित करने या उसकी कीमत वापस लौटाने का आदेश विधि विरूद्ध है। परिवादी सर्विस कांट्रैक्ट के अनुसार ही मशीन नि:शुल्क मरम्मत करा सकता है, अन्यथा वारण्टी अवधि बीत जाने के पश्चात नि:शुल्क मरम्मत कराने का कोई अधिकार परिवादी को प्राप्त नहीं है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08.09.2006 अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2