राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१५६५/२००६
(जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-६३६/२००० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०५-२००६ के विरूद्ध)
हिन्दुस्तान कोका-कोला बेवरेज प्रा0लि0, रजिस्टर्ड कार्यालय १३, अबुल फजल रोड, बंगाली मार्केट, दिल्ली द्वारा अधिकृत हस्ताक्षरी श्री घनश्याम पुत्र श्री मोहन सिंह निवासी डी-१५, पनकी इण्डस्ट्रियल एरिया, कानपुर। ............ अपीलार्थी/विपक्षी सं0-१.
बनाम
१. अनिल कुमार शर्मा निवासी चेम्बर नं0-१११-११२, सिविल कोर्ट कम्पाउण्ड, राज नगर, गाजियाबाबाद, यू.पी.। ............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
२. मैनेजर कोका-कोला डिपो द्वारा मै0 आरती साफ्ट ड्रिंक्स, श्री राम पिस्टन्स, मेरठ रोड, गाजियाबाद (यू.पी.) ............ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-२.
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विवेक निगम विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- २१-०४-२०१७.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-६३६/२००० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०५-२००६ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने दिनांक २६-०५-२००० को एक कैरेट सोडा १२०/- रू० में खरीदा था। यह सोडा प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने घर में एक समारोह में प्रयोग हेतु खरीदा था। मेहमानों के लिए समारोह में प्रत्यर्थी सं0-२ से खरीदे गये सोडा की बोतलों को खोला तो उनमें से एक बोतल जो सील्ड थी, में एक गन्दा सा पाइप जो पीला हो रहा था, पड़ा हुआ था। पाइप के पड़े रहने से सोडा का रंग भी कुछ बदला हुआ था तथा अन्य जो बोतलें खुल चुकी थीं, को प्रयोग करने पर पाया कि बोतलों में सोडा खराब स्थिति में था तथा उसमें बदबू आ रही थी, जिससे समारोह में आये मेहमानों से इस सोडे को पीने से मना कर दिया, जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी को समारोह में बहुत ही अपमानित होना पड़ा और शर्मिन्दगी उठानी पड़ी। परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी सं0-२ से शिकायत किए जाने पर प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा कहा
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गया कि उक्त सभी बोतलें कम्पनी से ही सील्ड होकर आती है, अत: कम्पनी की ही जिम्मेदारी है। अत: क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।
अपीलार्थी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रत्यर्थी/परिवादी को उसके द्वारा कोई पेय पदार्थ की बिक्री नहीं की गयी। प्रत्यर्थी/परिवादी उसका उपभोक्ता नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उसने किस ब्राण्ड के सोडा की बोतलें क्रय की थीं। प्रत्यर्थी/परिवादी ने कथित रूप से क्रय की गयी बोतलों के पेय पदार्थ की जांच किसी विशेषज्ञ से नहीं करायी। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि सम्भव है कि प्रश्नगत बोतल में पेय पदार्थ अपीलार्थी द्वारा नहीं भरा गया हो तथा बोतल सील भी अपीलार्थी द्वारा नहीं की गयी है। बाजार में बहुत सी फर्जी बोतलें स्थानीय निर्माताओं द्वारा भरकर बेची जा रही हैं। अपीलार्थी को डीलरों एवं वितरकों द्वारा अपमिश्रित पेय पदार्थ बेचने के लिए उत्तरदायी नहीं माना जा सकता।
प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा जिला मंच के समक्ष कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया।
विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत मामले के परीक्षण के दौरान् प्रश्नगत बोतल का निरीक्षण किया तथा सीलबन्द बोतल के अन्दर एक स्ट्रॉ पड़ा होना पाया। विद्वान जिला मंच ने यह मत व्यक्त करते हुए के यह अपीलार्थी का दायित्व था कि वह साबित करता कि प्रश्नगत बोतल उनके यहॉं बनाई हुई नहीं थी अथवा किसी फर्जी निर्माता ने नकली बनाई थी। अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा सेवा में कमी कारित किया जाना मानते हुए विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवाद, अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-२ के विरूद्ध स्वीकार किया तथा अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-२ को निर्देशित किया कि वे १०,०००/- रू० निर्णय की तिथि से ०३ माह के अन्दर प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करें। इसके अतिरिक्त यह भी निर्णीत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ११००/- रू० वाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
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हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विवेक निगम के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी/परिवादी एवं प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
परिवाद के अभिकथनों से यह विदित होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार एक कैरेट सोड दिनांक २६-०५-२००० को १२०/- रू० में उसने प्रत्यर्थी सं0-२ से क्रय किया था। इस सोडा का प्रयाग अपने समारोह में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा किया जाना था। प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार एक सील्ड बोतल में गन्दा पाइप पाया गया। कुछ अन्य बोतलें जिनकी सील खोली जा चुकी थी, में भी पेय पदार्थ अपमिश्रित था। प्रत्यर्थी सं0-२ से शिकायत करने पर उसने यह सूचित किया कि प्रत्यर्थी सं0-२ ने सील्ड बोतलें क्रय की थीं। अत: पेय पदार्थ के अपमिश्रित होने अथवा बोतल में गन्दगी पाए जाने का उत्तरदायित्व निर्माता कम्पनी अपीलार्थी का होगा। प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला मंच के समक्ष प्रश्नगत बोतलें प्रत्यर्थी सं0-२ से क्रय किये जाने के सम्बन्ध में एक रसीद दाखिल की है। अपील मेमो के साथ इस रसीद की फोटोप्रति अपीलार्थी द्वारा दाखिल की गयी है। यह रसीद प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा जारी की गयी है। बेचे गये पदार्थ के सम्बन्ध में इस रसीद में मात्र सोडा दर्शित है। ये बोतलें किस ब्राण्ड की थीं, इस रसीद में दर्शित नहीं है। प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। मात्र प्रत्यर्थी/परिवादी को कथित रूप से प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा मौखिक रूप से दी गयी सूचना के आधार पर स्वत: यह प्रमाणित नहीं माना जा सकता कि बेची गयी बोतलों की निर्माता अपीलार्थी कम्पनी ही थी। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा ऐसी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गयी है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि क्रय की गयी बोतलों की निर्माता अपीलार्थी कम्पनी थी। विद्वान जिला मंच का यह निष्कर्ष कि यह अपीलार्थी कम्पनी का दायित्व है कि वह यह साबित करे कि प्रत्यर्थी/परिवादी को बेची गयी बोतल अपीलार्थी कम्पनी द्वारा निर्मित नहीं की गयीं, हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण है। वस्तुत: प्रत्यर्थी सं0-२ का यह कथन है कि प्रश्नगत बोतलों की आपूर्ति प्रत्यर्थी सं0-१ द्वारा की गयी। तब प्रत्यर्थी सं0-२ का यह दायित्व होगा कि वह इस सन्दर्भ में साक्ष्य प्रस्तुत करे। यदि प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा इस सन्दर्भ में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की जा रही है तब
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अपीलार्थी के विरूद्ध भी अनुतोष प्राप्त करने हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी का यह दायित्व होगा कि वह इस सन्दर्भ में साक्ष्य प्रस्तुत करे कि वास्तव में विक्री की गयी बोतलों की आपूर्ति अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी सं0-२ को की गयी। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से किसी साक्ष्य के अभाव में यह प्रमाणित नहीं माना जा सकता कि वस्तुत: प्रत्यर्थी/परिवादी को बेची गयी बोतलों का निर्माण एवं उसे सील बन्द अपीलार्थी कम्पनी द्वारा ही किया गया। अत: अपीलार्थी के विरूद्ध क्षतिपूर्ति की अदायगी के सन्दर्भ में पारित किया गया आदेश अपास्त किए जाने योग्य है।
जहॉं तक प्रत्यर्थी सं0-२ का प्रश्न है कि जिला मंच के समक्ष प्रतिवाद पत्र प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। प्रत्यर्थी सं0-२ से प्रश्नगत बोतल क्रय किए जाने के सन्दर्भ में साक्ष्य प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दाखिल की गयी है। बिक्री की गयी सील बन्द बोतल जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत की गयी। जिला मंच द्वारा अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी/परिवादी के अधिवक्तागण के समक्ष सीलबन्द बोतल में पाइप होना पाया गया। सीलबन्द पेय पदार्थ की बोतल में पाइप मौजूद रहने का कोई औचित्य नहीं था। स्वाभाविक रूप से प्रत्यर्थी नं0-२ द्वारा सेवा में कमी कारित किया करना प्रमाणित है। ऐसी परिस्थिति में जिला मंच द्वारा प्रत्यर्थी सं0-२ के विरूद्ध पारित आदेश त्रुटिपूर्ण नहीं माना जा सकता। तद्नुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-६३६/२००० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०५-२००६ अपीलार्थी के विरूद्ध अपास्त किया जाता है।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-३.