(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 2182/2015
Sh. Anil Kumar Pandey S/o Sh. K.D. Pandey Proprietor at: Jay Maa Vidyvasini Transport, G.T. Road, Andanva Mor, Jhunsi, Allahabad. Presently at: Preet Nagar, Chopan, Sonbhadra (U.P.)
…………Appellant
Versus
1. M/s Indusind Bank Ltd. Having Office at 56- Ganpati Tower, Sardar Patel Marg Civil Line Allahabad.
2. Sh. Raju Yadav (Gang Leader) Agent of M/s Ashok Leyland Finance Ltd. Sincsging Yard, Sabri Churaha, District Mirzapur.
………..Respondents
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री पी0के0 पाण्डेय, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से : श्री बृजेन्द्र चौधरी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से : कोई नहीं।
एवं
अपील सं0- 2192/2015
Indusind Bank Ltd. State Office at Saran Chamber-II, Park Road, Hazratganj, Lucknow through it's Manager Legal, Interalia Registered Office at 2401, General Thimaiya Road, Cantonment, Pune and Office at Civil Lines at Allahabad.
…………Appellant
Versus
1. Anil Kumar Pandey S/o Mr. K.D. Pandey R/o- H.No. 128/577, K-Block, Kidwai Nagar, Mirzapur.
2. Raju Yadav, Gang Leader, engaged with M/s Ashok Leyland Finance Ltd. Sine Seizing Yard, Sabari Chaowraha, District- Mirzapur.
………..Respondents
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री बृजेन्द्र चौधरी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से : श्री पी0के0 पाण्डेय, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से : कोई नहीं।
तथा
अपील सं0- 793/2014
Indusind Bank Ltd. (Earlier Known as Ashok Leyland Finance Ltd. Which has been Merged With M/s Indusind Bank Ltd. in Pursuant at the Order of The H'onble High Court Chennai in C.P. No.-88 of 2004) State Office at Saran Chamber- II, Park Road, Hazratganj, Lucknow through it's Manager Legal.
…………Appellant
Versus
1. Pawan Kumar Jindal S/o Mr. Shyamlal, R/o-H.No.-65-Katra Amraudh, Tehsil- Bhognipur, District-Sonbhadra.
2. Vijay Nayar, Area Manager, Indusind Bank Ltd. Varanasi.
………..Respondents
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री बृजेन्द्र चौधरी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक:- 02.01.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 110/2011 अनिल कुमार पाण्डेय बनाम मेसर्स अशोक लीलेन फाइनेंस कं0लि0 व 02 अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, मीरजापुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 18.09.2015 के विरुद्ध अपील सं0- 2182/2015 स्वयं परिवादी अनिल कुमार पाण्डेय द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि को 3,00,000/-रू0 के स्थान पर 5,00,000/-रू0 किए जाने के लिए प्रस्तुत की गई है, जब कि अपील सं0- 2192/2015 इंडसइंड बैंक द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, मीरजापुर द्वारा पारित उपरोक्त निर्णय एवं आदेश को अपास्त कराने के लिए प्रस्तुत की गई है। इसी प्रकार परिवाद सं0- 96/2009 पवन कुमार जिन्दल बनाम विजय नायर, एरिया मैनेजर, मेसर्स अशोक लेलैण्ड फाइनेंस कं0लि0 व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दि0 14.03.2014 के विरुद्ध अपील सं0- 793/2014 इंडसइंड बैंक लि0 द्वारा प्रस्तुत की गई है। चूँकि इन सभी अपीलों में ट्रक हेतु लिए गए ऋण का विवाद है। इसलिए इन सभी अपीलों का निस्तारण एक साथ किया जा रहा है।
2. परिवाद सं0- 110/2011 के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने ट्रक सं0- यू0पी0 64 डी 9941 दि0 25.05.2004 को विपक्षीगण सं0- 1 व 2 से महीनों की किश्त पर अंकन 8,91,000/-रू0 ऋण प्राप्त कर क्रय किया था। इस ऋण पर वार्षिक ब्याज 4.5 प्रतिशत की दर से देय है। अन्तिम किश्त दि0 25.02.2007 को अदा होनी थी। प्रत्येक मासिक किश्त 30,600/-रू0 की बनायी गई थी। नियमित भुगतान के बावजूद विपक्षीगण सं0- 1 व 2 के निर्देश पर विपक्षी सं0- 3 ने 6-7 असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर कोई नोटिस दिए बगैर ट्रक को चालक के कब्जे से छीन लिया तथा ड्राइवर और खलासी को मारपीट कर नीचे फेंक दिया। यह ट्रक में लादा गया माल दि0 27.09.2005 को वापस किया गया, परन्तु ट्रक अभी भी विपक्षीगण के कब्जे में है। परिवादी बकाया किश्त लेकर छोड़ने का अनुरोध करता रहा, परन्तु विपक्षीगण नाजायज धन की मांग करने लगे। स्थानीय पुलिस को भी सूचना दी गई, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई तब उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षीगण सं0- 1 व 2 का कथन है कि परिवादी ने व्यापार बढ़ोतरी के लिए ऋण प्राप्त कर ट्रक क्रय किया था, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है, परन्तु नियमित रूप से किश्तों की अदायगी नहीं की गई। कुछ चेक दिए गए जिनका आदर नहीं हुआ। इसलिए अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन के कारण प्रश्नगत वाहन का कब्जा प्राप्त कर लिया गया। अनुबंध की शर्त सं0- 23 के अनुसार प्रकरण मध्यस्थ को सौंपा जाना चाहिए। इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। परिवादी ने सम्पूर्ण बकाया राशि जमा कर ट्रक को वापस लेने में कोई रूचि नहीं दिखायी, इसलिए ट्रक दि0 09.02.2006 को 4,00,000/-रू0 में नीलाम कर दिया गया।
4. विपक्षी सं0- 3 की ओर से कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया।
5. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि चूँकि ट्रक विक्रय किया जा चुका है, इसलिए ट्रक को वापस लिए जाने का आदेश नहीं दिया जा सकता, परन्तु अंकन 3,00,000/-रू0 बतौर क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का आदेश विधिसम्मत माना गया।
6. परिवाद सं0- 96/2009 पवन कुमार जिन्दल बनाम विजय नायर, एरिया मैनेजर, मेसर्स अशोक लेलैण्ड फाइनेंस कं0लि0 व एक अन्य के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि उसके द्वारा खींची हुई ट्रक 2004 मॉडल नं0- यू0पी0 64डी./9941 को विक्रय करने का प्रस्ताव विपक्षी द्वारा दिया गया। परिवादी ने दि0 20.03.2006 को ट्रक की कीमत 4,50,000/-रू0 एवं अन्य खर्च 45,000/-रू0 अदा कर दि0 31.03.2006 को ट्रक प्राप्त कर लिया और दि0 18.03.2006 को आर0टी0ओ0, सोनभद्र के समक्ष हस्तांतरण कराने का आवेदन दिया, परन्तु फोरम के आदेश पर ट्रक के हस्तांतरण पर रोक लगा दी गई और आर0टी0ओ0 द्वारा परिवादी का पंजीयन निरस्त कर दिया गया और ट्रक वापस ले लिया गया, परन्तु कम्पनी द्वारा परिवादी द्वारा अदा की गई धनराशि वापस नहीं की गई। इसलिए इस राशि को प्राप्त करने के लिए यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
7. इस परिवाद का कोई जवाब विपक्षीगण के द्वारा नहीं दिया गया।
8. केवल परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई साक्ष्य पर विचार करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा निष्कर्ष दिया गया है कि परिवादी अदा की गई ट्रक की कीमत 4,00,000/-रू0 वापस प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
9. हमने अपीलार्थी/परिवादी अनिल कुमार पाण्डेय के विद्वान अधिवक्ता श्री पी0के0 पाण्डेय एवं प्रत्यर्थी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 इंडसइंड बैंक लि0 के विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी को सुना। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया।
10. पत्रावली के अवलोकन तथा पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनने के पश्चात यह तथ्य स्थापित होता है कि अनिल कुमार पाण्डेय द्वारा फाइनेंस कम्पनी से एक ट्रक सं0- यू0पी0 64डी./9941 ऋण प्राप्त कर क्रय किया गया जिसका कब्जा फाइनेंस कम्पनी द्वारा वापस ले लिया गया और इसके बाद यह ट्रक पवन कुमार जिन्दल को विक्रय कर दिया गया, परन्तु पवन कुमार जिन्दल कभी भी इस ट्रक का उपभोग न कर सका, क्योंकि आर0टी0ओ0 द्वारा पंजीयन रद्द कर दिया गया जब कि विक्रेता द्वारा ट्रक के सम्पूर्ण स्वामित्व की अप्रत्यक्ष गारण्टी विक्रय करते समय दी गई थी। चूँकि पवन कुमार जिन्दल ट्रक का उपयोग नहीं कर सका। इसके लिए उसके द्वारा राशि अदा की गई थी। उसको लौटाने का दायित्व कम्पनी का है। इसलिए इस निर्णय के विरुद्ध प्रस्तुत की गई अपील सं0- 793/2014 खारिज होने योग्य है।
11. अपील सं0- 2182/2015 अनिल कुमार पाण्डेय द्वारा प्रतिकर की राशि बढ़ाने के लिए प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रतिकर की राशि सुनिश्चित करते समय यह निष्कर्ष दिया है कि गैर कानूनी तरीके से ट्रक पर कब्जा प्राप्त कर परिवादी को ट्रक के उपभोग से वंचित किया गया और जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अनदेखा करते हुए ट्रक विक्रय कर दिया गया। तदनुसार अंकन 3,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के लिए अधिकृत पाया गया। इस धनराशि को अग्रेतर बढ़ाये जाने का कोई विचारणीय कारण दर्शित नहीं किया गया। अत: क्षतिपूर्ति की इस राशि को अग्रेतर बढ़ाये जाने का कोई औचित्य नहीं है। अत: अनिल कुमार पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत की गई अपील सं0- 2182/2015 भी खारिज होने योग्य है।
12. अपील सं0- 2192/2015 इंडसइंड बैंक लि0 द्वारा प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता आयोग ने विपक्षी के विरुद्ध यह निष्कर्ष दिया है कि नोटिस दिए बिना ट्रक विक्रय किया गया और अवैध रूप से ट्रक परिवादी के कब्जे से छीन लिया गया। मध्यस्थ का उल्लेख होने मात्र से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधान अपवर्जित नहीं होते। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी ने किश्तों का नियमित रूप से भुगतान नहीं किया, इसलिए ट्रक कब्जे में लेकर विक्रय किया गया। इस स्थिति के बावजूद बैंक को यह अधिकार प्राप्त नहीं है कि नोटिस दिए बगैर प्रश्नगत ट्रक का विक्रय कर दिया जाता, परन्तु जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा निषेधाज्ञा आदेश होने के बावजूद भी ट्रक विक्रय किया गया। इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है। अत: अपील सं0- 2192/2015 भी खारिज होने योग्य है।
आदेश
13. उपरोक्त तीनों अपीलें, अर्थात अपील सं0- 2182/2015, अपील सं0- 2192/2015 तथा अपील सं0- 793/2014 खारिज की जाती हैं। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील सं0- 2192/2015 तथा अपील सं0- 793/2014 में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय एवं आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
इस निर्णय एवं आदेश की मूल प्रति अपील सं0- 2182/2015 में रखी जाए तथा इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्बन्धित अपील सं0- 2192/2015 एवं अपील सं0- 793/2014 में रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2