Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/2150

Iffco Tokio General Insurance - Complainant(s)

Versus

Anil Chaudhary - Opp.Party(s)

A Mehrotra

17 May 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/2150
( Date of Filing : 18 Nov 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Iffco Tokio General Insurance
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Anil Chaudhary
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi JUDICIAL MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 17 May 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-2150/2008

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्‍या 171/2006 में पारित निर्णय दिनांक 08.08.2008 के विरूद्ध)

इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस क0लि0 यूनिट नं0 52-63, मेजानिने

फ्लोर अंसल फार्चुने आरकेड सेक्‍टर-18 नोएडा द्वारा मैनेजर।

                                            .......अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

अनिल चौधरी पुत्र श्री गजे सिंह चौधरी निवासी सरदार पटेल मार्डन

स्‍कूल घडोली एक्‍सटेन्‍शन मयूर बिहार नई दिल्‍ली-96

                                              ......प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, सदस्‍य।

2. मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अशोक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  : श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 05.08.2019

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

     यह अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्‍या 171/2006 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दि. 08.08.2008 के विरूद्ध योजित की गई है।

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी परिवादी के कथनानुसार उसने अपने वाहन कार इनोवा नं0 डी0एल01टी.क्‍यू. का बीमा अपीलकर्ता बीमा कंपनी से कराया था। यह बीमा दि. 30.12.05 से 29.12.06 तक प्रभावी था। परिवादी का उपरोक्‍त वाहन दि. 08.01.2006 को राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर अलवर भिवाड़ी रोड घसौली स्‍टैण्‍ड के पास थाना किशनगढ़ वास जिला अलवर राजस्‍थान में दुर्घटनाग्रस्‍त होकर क्षतिग्रस्‍त हो गया।

 

 

-2-

परिवादी ने दुर्घटना की सूचना अपीलकर्ता बीमा कंपनी को देकर उनके निर्देशानुसार एमजीएफ टोयटा कैपीटल व्‍हीकल सेल्‍स लि0 से क्षति आकलन कराया, जिस पर वाहन की क्षति का आकलन चार लाख रूपये एवं मरम्‍मत हेतु पारिश्रमिक आकलन एक लाख रूपये किया। परिवादी का उपरोक्‍त वाहन माह जनवरी से माह जून तक खड़ा रहा तथा बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के वाहन को ठीक कराने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई न ही कोई क्‍लेम का भुगतान किया गया, तदोपरांत परिवादी उपरोक्‍त कार को अपने घर ले आया। अपीलकर्ता बीमा कंपनी ने परिवादी के क्‍लेम के संबंध में अपने सर्वेयर श्री अरोड़ा एसोसिएट को नियुक्‍त किया। सर्वेयर द्वारा वांछित समस्‍त जानकारी उसे प्राप्‍त कराई गई। बीमा कंपनी द्वारा बीमा वाहन को ठीक न कराने एवं क्‍लेम न देने के कारण परिवादी को आर्थिक एवं मानसिक क्षति उठानी पड़ी। तदोपरांत परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से नोटिस अपीलकर्ता बीमा कंपनी को भेजी। बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के वाहन को ठीक न कराने के कारण परिवादी को अपना वाहन अन्‍य वर्कशाप से ठीक कराना पड़ा, जिस पर परिवादी का रू. 265000/- व्‍यय हुआ। बीमा कंपनी द्वारा क्षतिपूर्ति की अदायगी न किए जाने पर परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। 

     अपीलकर्ता बीमा कंपनी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। बीमा कंपनी के कथनानुसार परिवादी अपने वाहन को व्‍यावसायिक रूप से किराए पर चलाता रहा, क्‍योंकि वाहन का उपयोग परिवादी व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु कर रहा था, अत: परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं माना जा सकता, अत: बीमा दावा स्‍वीकार न करके अपीलकर्ता द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।

 

 

-3-

     जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का अवलोकन करते हुए परिवाद स्‍वीकार किया तथा आदेश की प्रति प्राप्‍त होने के 2 माह के अंतर्गत क्षतिपूर्ति के रूप में रू. 265000/- परिवादी को भुगतान करने हेतु निर्देशित किया। पुन: बीमा कंपनी को आदेशित किया कि उक्‍त 2 माह की अवधि में अतिरिक्‍त  क्षतिपूर्ति के रूप में रू. 10000/- एवं वाद व्‍यय के रूप में रू. 2000/- अपीलकर्ता परिवादी को अदा करेगा। यह भी आदेशित किया कि बीमा कंपनी यदि उक्‍त अवधि में समस्‍त धनराशि अदा नहीं करती है तो उक्‍त दशा में परिवादी बीमा कंपनी से समस्‍त देय धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से आदेश की तिथि से अंतिम भुगतान होने तक ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।  इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई है।       

हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक मेहरोत्रा एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा के तर्क सुने तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत वाहन का बीमा निजी वाहन के रूप में किया गया था। दि. 08.01.2006 को यह वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त होना बताया गया। घटना की सूचना बीमा कंपनी को प्रेषित किए जाने के उपरांत बीमा कंपनी द्वारा मेसर्स अरोड़ा एसोसिएट्स द्वारा सर्वे कराया गया। अतिरिक्‍त जांच की आवश्‍यकतानुसार मैसर्स भल्‍ला एसोसिएट्स द्वारा भी जांच कराई गई। इस जांच में यह तथ्‍य प्रकाश में आया कि कथित घटना के समय प्रश्‍नगत बीमित वाहन का उपयोग व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु किया जा रहा था। इस

 

-4-

प्रकार बीमाधारक द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया। सर्वेयर द्वारा जांच के मध्‍य कथित घटना के समय प्रश्‍गनत वाहन की सवारी कर्नल अजय के. दीवान का बयान भी अंकित किया गया। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा प्रत्‍यर्थी परिवादी को प्रश्‍नगत बीमित वाहन में हुई क्षति के संदर्भ में रू. 265000/- क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाना, रू. 10000/- अतिरिक्‍त क्षति के रूप में तथा रू. 2000/- वाद व्‍यय के रूप में दिलाया जाना निर्देशित किया है, जबकि परिवाद योजित किए जाने से पूर्व स्‍वयं अपीलकर्ता के अधिवक्‍ता द्वारा अपीलकर्ता बीमा कंपनी को प्रेषित नोटिस में कुल रू. 109100/- क्षतिपूर्ति के रूप में मांग की गई, जिसमें एक लाख रूपये वाहन में क्षति बताई गई।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि कि कथित घटना के समय प्रश्‍नगत वाहन के व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु प्रयोग किए जाने के संबंध में अपीलकर्ता बीमा कंपनी द्वारा कोई विश्‍वनीय साक्ष्‍य जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई। संबंधित सर्वेयर ने अपनी सर्वे आख्‍या की पुष्टि में शपथपत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया और न ही कथित रूप से जिन व्‍यक्तियों का बयान अंकित किया जाना बताया उनका शपथपत्र प्रस्‍तुत किया। प्रत्‍यर्थी परिवादी ने प्रश्‍नगत वाहन की क्षति की मरम्‍मत में हुए व्‍यय से संबंधित अभिलेख जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया। जिला मंच द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन करते हुए पारित किया गया।

उल्‍लेखनीय है कि कथित घटना में प्रश्‍नगत वाहन के क्षतिग्रस्‍त होने का तथ्‍य निर्विवाद है, जहां तक प्रश्‍नगत वाहन के कथित दुर्घटना के समय

 

-5-

व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु प्रयोग किए जाने का प्रश्‍न है, परिवादी ने कथित दुर्घटना के समय प्रश्‍नगत वाहन के ड्राइवर का बयान भी सर्वेयर द्वारा अंकित किया है, जिन्‍होंने कथित दुर्घटना के समय प्रश्‍नगत वाहन का उपयोग वाहन स्‍वामी के निजी प्रयोग में किया जाना बताया है। बीमा कंपनी द्वारा नियुक्‍त सर्वेयर ने अपनी सर्वे आख्‍या के समर्थन में कोई शपथपत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया और न ही सर्वे के दौरान कथित रूप से सर्वेयर द्वारा अंकित बयानों से संबंधित व्‍यक्तियों का शपथपत्र प्रस्‍तुत किया। ऐसी परिस्थिति में सर्वेयर आख्‍या के आधार पर यह प्रमाणित नहीं माना जा सकता कि कथित दुर्घटना के समय प्रश्‍नगत वाहन का उपयोग व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु किया जा रहा था। यह तथ्‍य निर्विवाद है कि कथित घटना के समय प्रश्‍नगत वाहन अपीलकर्ता बीमा कंपनी द्वारा बीमित था तथा बीमा अवधि के मध्‍य यह वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ, अत: बीमा पालिसी की शर्तों के अंतर्गत क्षतिपूर्ति की अदायगी का दायित्‍व अपीलकर्ता बीमा कंपनी का माना जाएगा।

     जहां तक क्षति आकलन का प्रश्‍न है प्रश्‍नगत निर्णय में जिला मंच ने क्षति आकलन रू. 265000/- किया है। जिला मंच का यह निष्‍कर्ष उचित प्रतीत नहीं होता, क्‍योंकि स्‍वयं प्रत्‍यर्थी परिवादी ने परिवाद योजित किए जाने से पूर्व अपीलकर्ता बीमा कंपनी को नोटिस प्रेषित किया। इस नोटिस में स्‍वयं प्रत्‍यर्थी परिवादी ने कथित दुर्घटना में क्षति का आकलन एक लाख रूपये माना है। ऐसी परिस्थिति में क्षतिपूर्ति के रूप में एक लाख रूपये प्रत्‍यर्थी परिवादी को दिलाया जाना उचित होगा। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।  

 

 

-6-

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है। अपीलकर्ता को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की प्रति प्राप्‍त किए जाने की तिथि से 45 दिन के अंदर प्रत्‍यर्थी परिवादी को एक लाख रूपये का भुगतान करे। इस धनराशि पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से संपूर्ण धनराशि की अदायगी तक प्रत्‍यर्थी परिवादी अपीलकर्ता बीमा कंपनी से 8 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्‍त अपीलकर्ता बीमा कंपनी को यह भी निर्देशित किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी परिवादी को रू. 5000/- वाद व्‍यय के रूप में भुगतान करें।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाए।

 

 

 (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)   (उदय शंकर अवस्‍थी)   (गोवर्धन यादव)                                                                                                                                                  अध्‍यक्ष                   सदस्‍य            सदस्‍य

राकेश, पी0ए0-2

  कोर्ट-1

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
JUDICIAL MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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