जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 994/2019 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-20.09.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:- 09.06.2022
सुदर्शन कुमार गुप्ता पुत्र स्वर्गीय राजकुमार गुप्ता 403/227 सी कटरा बिजन बेग, चौपटियॉ, चौक लखनऊ। ............परिवादी।
बनाम
अनीशा डेवलपर एण्ड क्लोनाइजर, हेड आफिस बी 1297 इन्द्रा नगर लखनऊ-16 द्वारा प्रेमिल कुमार/डायरेक्टर । ............विपक्षी।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षी से 2,66,445.00 रूपये मय 02 प्रतिशत ब्याज प्रतिमाह की दर से धनराशि जमा किये जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक, आर्थिक, मानसिक कष्ट के लिये 1,00,000.00 रूपये, वाद व्यय व अन्य भाग दौड़ के लिये 25,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवादी का कथानक है कि विपक्षी के कर्ता धर्ता द्वारा समाचार पत्रों और अन्य विज्ञापन के संसाधनों के द्वारा अपनी योजनाओं का पूरे उत्तर प्रदेश में प्रचार प्रसार किया गया और जनता को पूर्ण विकसित प्लाट सस्ते दामों पर बेचे जाने के लुभावने सपने दिखाये गये।
3. परिवादी द्वारा भी प्लाट क्रय किये जाने के संबंध में विपक्षी से संपर्क किया गया। विपक्षी द्वारा बताया गया कि 1720 स्क्वायर फिट का प्लाट 2,66,445.00 रूपये में मिल सकता है जिसके लिये उन्हें प्रथम बार बुकिंग/बयाना के रूप में 66611.00 रूपये देने होगें और 6611.00 रूपये प्रति माह की दर से 30 माह में उन्हें किस्तों के माध्यम से अदा करना होगा। तत्पश्चात उन्हें प्लाट विकसित करके दे दिया जाएगा। परिवादी ने विपक्षी को बुकिंग/बयान के रूप में 66611.00 रूपये एस0बी0आई0 बैंक के माध्यम से दे दिए गये और विपक्षी द्वारा परिवादी को तहसील बक्शी का तालाब परगना, महोना ग्राम नरोसा लखनऊ में खसरा संख्या 202 में सी-2 प्लाट एलाट कर दिया जो विपक्षी के स्वयं के कथन के अनुसार चिन्हित कर दिया गया।
4. परिवादी विपक्षी को समयानुसार भुगतान करता रहा और एग्रीमेंट में दिए गये समय में कुल 266445.00 रूपये जमा कर दिया, परन्तु विपक्षी द्वारा उक्त अवधि में प्लाट नहीं दिया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी से प्लाट दिये जाने की प्रार्थना की गयी, परन्तु कई वर्ष बीत जाने के बाद भी उपरोक्त प्लाट अभी तक परिवादी को प्राप्त नहीं कराया गया और ना ही रजिस्ट्री की गयी। अनुबंध के अनुसार किसी भी वजह से यदि प्लाट परिवादी नहीं लेना चाहता है तो परिवादी द्वारा जमा धनराशि पर 02 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से ब्याज जोड़ कर पूरा पैसा वापस कर दिया जाएगा।
5. परिवाद की कार्यवाही विपक्षी के विरूद्ध दिनॉंक 16.03.2022 के एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गयी थी।
6. परिवादी ने अपने मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र, बिक्रय अनुबन्ध पत्र एवं परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि की रसीदें आदि की छायाप्रति दाखिल किया है।
7. विदित है कि परिवादी द्वारा 2,66,445.00 रूपये 02 प्रतिशत ब्याज प्रतिमाह की दर से प्राप्त किये जाने के संबंध में परिवाद पत्र विपक्षी के विरूद्ध संस्थित किया गया है। परिवादी का कथन है कि 1720 स्क्वायर फिट का प्लाट 2,66,445.00 रूपये में विपक्षी से बात हुई थी। यह भी कहा गया था कि प्रथम बार 66611.00 रूपये अदा करना है और बाकी 30 किश्तों में देय है। परिवादी द्वारा सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान किया गया और स्टेटमेंट ऑफ एकाउन्ट भी दाखिल किया गया है जिसके परिशीलन से विदित है कि बैंक एकाउन्ट से स्टालमेंट की कटौती की गयी है।
8. परिवादी द्वारा यह भी कहा गया कि विपक्षी के बीच हुए एग्रीमेंट की प्रति लगी हुई है। यद्यपि की अचल सम्पत्ति की खरीद फरोख्त में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट होना चाहिए परन्तु यह एग्रीमेंट अपंजीकृत है। अपंजीकृत होने के बावजूद चॅूंकि इसमें सिक्योरिटी के रूप में 66611.00 रूपये की बुकिंग/बयाना का भुगतान किया गया था, इसलिये इसे COLATERAL PURPOSE (संपाश्रिृक उद्देश्य) से भुगतान समझा जायेगा जिसमें 266445.00 रूपये के कुल भुगतान के संदर्भ में 66611.00 रूपये अग्रिम भुगतान किया गया है। परिवादी द्वारा उपरोक्त कथन की पुष्टि अपने साक्ष्य के माध्यम से की गयी है। पत्रावली पर अन्य कोई साक्ष्य नहीं है जिससे परिवादी के कथनों पर अविश्वास प्रकट किया जा सके। परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है एवं उसके द्वारा सेवा में त्रुटि की गयी है। अत: परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
9. उल्लेखनीय है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद 02 प्रतिशत प्रतिमाह ब्याज यानी कि 24 प्रतिशत वार्षिक की दर से अदा किये जाने के संबंध में सहमति दी गयी है। परन्तु वर्तमान में माननीय सर्वोच्च न्यायालय की विधि व्यवस्था के तहत 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिया जाना न्यायोचित होगा।
आदेश
10. परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा जमा धनराशि मुबलिग 2,66,445.00 (दो लाख छियासठ हजार चार सौ पैतालिस रूपया मात्र) वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक मय 09 वार्षिक ब्याज के साथ निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा करें। मानसिक, शारीरिक कष्ट एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 25,000.00 (पच्चीस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। यदि उपरोक्त आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह ) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक 09.06.2022