Uttar Pradesh

StateCommission

A/104/2018

Hero Moto Corp - Complainant(s)

Versus

Anees Ahmad - Opp.Party(s)

Prashant Kumar, Vimal Kumar, Rajesh Kumar

13 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/104/2018
( Date of Filing : 16 Jan 2018 )
(Arisen out of Order Dated 13/09/2017 in Case No. C/137/2015 of District Ghaziabad)
 
1. Hero Moto Corp
New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Anees Ahmad
Ghaziabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Jul 2022
Final Order / Judgement

                                                   (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                                                  अपील संख्‍या- 104/2018

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या- 137/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13-09-2017 के विरूद्ध)

 

1- हीरो मोटोकार्प लि0, आफिस एट 34 वसंत लोक, वसंत विहार, न्‍यू दिल्‍ली- 110057

2- वसंत आटोमोबाइल्‍स द्वारा प्रोपराइटर, बी-183 लोहियानगर हापुड़ रोड, गाजियाबाद

                                                         अपीलार्थी

                              बनाम 

अनीस अहमद पुत्र श्री अब्‍दुल लतीफ निवासी- म०नं० 144/3 कैला भट्टा थाना कोतवाली गाजियाबाद।

                                                        .प्रत्‍यर्थी

मक्ष:- 

 माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

 माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रशांत कुमार

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :   कोई उपस्थित नहीं।

 

दिनांक.   17-08-2022

माननीय सदस्‍य श्री राजेन्‍द्र सिंह, द्वारा उदघोषित

                                                                                                निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील, परिवाद संख्‍या– 137 सन् 2015 अनीस अहमद बनाम वसंत आटोमोबाइल्‍स द्वारा प्रोपराइटर, व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 13-09-2017 के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

2

     संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 से  एक मोटरसाइकिल दिनांक- 11-05-2014 को क्रय किया और इसकी सर्विस दिनांक 03-09-2014, दिनांक 05-12-2014 और दिनांक 23-03-2015 को कराया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को हिदायत दी गयी थी कि वह निर्धारित गति के अन्‍दर ही मोटरसाइकिल चलाए तथा रेस और स्‍टंट के लिए इसका उपयोग न करे किन्‍तु प्रत्‍यर्थी ने इस पर ध्‍यान नहीं दिया और रेसिंग तथा स्‍टंट के लिए इसका प्रयोग किया। इस वाहन का माइलेस 66 Kmpl था। प्रत्‍यर्थी केवल समय-समय पर सर्विस के लिए लाया था और अपीलार्थी ने उस पर पूरा ध्‍यान दिया। प्रथम तीन सर्विस तक कोई भी दोष नहीं पाया गया। पत्रावली पर कोई भी तकनीकी आख्‍या नहीं है। विद्वान जिला आयोग ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की समस्‍त बातों को सही मान लिया क्‍योंकि बहस के दिन अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता विद्वान जिला आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं थे। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने एक आधारहीन दावा प्रस्‍तुत किया है और बिना किसी विशेषज्ञ आख्‍या के वाहन में निर्माण संबंधी दोष होना बताया है। बिना विशेषज्ञ आख्‍या के निर्माण संबंधी दोष साबित नहीं होता है। प्रश्‍गनत निर्णय एवं आदेश एकपक्षीय और विधि विरूद्ध है। अत: ऐसी स्थिति में माननीय राज्‍य आयोग से निवेदन है कि वर्तमान अपील स्‍वीकार करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाए।

    हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रशांत कुमार को सुना तथा पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थी पर आदेश दिनांक 09-05-2018 के द्वारा नोटिस  की तामीली पर्याप्‍त मानी जा चुकी है।

      हमने पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त साक्ष्‍यों एवं विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया।

3

      विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में लिखा है कि परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 से दिनांक 11-05-2014 को मोटर साइकिल पैसन प्रो अंकन 55,200/-रू० में खरीदी थी जिसका नम्‍बर यू०पी० 14 सी.एफ. 1556 है। विपक्षी द्वारा जो मोटर साइकिल परिवादी को दी गयी उसके इंजन एवं अन्‍य पार्ट्स में तकनीकी खराबी आ गयी जिसकी शिकायत परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 से किया जिस पर विपक्षी संख्‍या-1 ने कहा आप मोटर साइकिल चलाइए, चलने पर ठीक हो जाएगी। मोटर साइकिल की सर्विस कराने के पश्‍चात भी मूल समस्‍या बनी रही। उसका माइलेज 30-35 किमी० प्रति लीटर हो गया। मोटर साइकिल चलाने पर उसके इंजन से तेज आवाज आने लगी और कई सर्विस कराने के पश्‍चात भी उक्‍त कमियां दूर नहीं हुयीं और न ही माइलेज ठीक किया गया। मोटर साइकिल की कमियों को जॉबकार्ड में अंकित कराया गया। अत: परिवादी ने विपक्षी से पुरानी मोटर साइकिल के बदले नई मोटर साइकिल मांगी है अन्‍यथा जमा धनराशि 55,200/-रू० की मांग की है।

    विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     " परिवादी का परिवाद एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 30 दिन के अन्‍दर पुरानी मोटर साइकिल के बदले नई मोटर साइकिल दें। यदि विपक्षी ऐसा करने में असमर्थ रहता है तो परिवादी की जमा धनराशि 55,200/-रू० 06 प्रतिशत ब्‍याज सहित 30 दिन के अन्‍दर अदा करें। ब्‍याज की गणना मोटर साइकिल खरीदने की दिनांक से अदायगी की दिनांक तक की जाएगी। विपक्षीगण परिवादी को मानसिक उत्‍पीड़न की मद में 5000/-रू० तथा वाद व्‍यय के रूप में 2000/-रू० भी 30 दिन के अन्‍दर अदा करें।"

4

        जिला आयोग ने अपने निर्णय में विपक्षी को आदेशित किया है कि वह पुरानी मोटर साइकिल के बदले नई मोटर साइकिल परिवादी को दे दें। इस मामले में प्रथम नि:शुल्‍क सर्विस दिनांक- 06-06-2014  को 651 किमी० पर हुयी। दूसरी नि:शुल्‍क सर्विस 3237 किमी० पर दिनांक 03-09-2014 को हुयी। तीसरी नि:शुल्‍क सर्विस 5472 किमी० पर दिनांक 05-12-2014 को हुयी तथा चौथी नि:शुल्‍क सर्विस 8040 किमी० पर दिनांक 23-03-2015 को हुयी। किसी भी जॉबकार्ड में किसी भी दोष का उल्‍लेख नहीं है। एक पत्र दिनांक 02-04-2015 को परिवादी अनीस अहमद द्वारा प्रबन्‍धक, हीरो मोटरकार्प लि० बसंत लोक बसंत बिहार नई दिल्‍ली को भेजा गया जिसमें परिवादी ने कहा है कि ईंधन की खपत बहुत ज्‍यादा है तथा 30 किलोमीटर का ही माइलेज देती है। इंजन से बहुत तेज आवाज आती है।

          परिवादी का यह कथन कि वाहन में निर्माण संबंधी दोष है, मात्र कहने से ही सिद्ध नहीं होता है क्‍योंकि चार वर्षों में उक्‍त वाहन आठ हजार किलो मीटर से ज्‍यादा चल चुका है। परिवादी ने मोटर साइकिल दिनांक 11-05-2014 को क्रय किया है और शिकायत लगभग एक वर्ष के पश्‍चात की गयी है जबकि परिवादी का कथन है कि वाहन में शुरू से ही निर्माण संबंधी दोष रहा है। वाहन को पूर्ण रूप से बदले जाने के लिए दावा प्रस्‍तुत करने हेतु निश्‍चयात्‍मक और विशेषज्ञ साक्ष्‍य से सिद्ध करना होता है जिसके अनुसार विशेषज्ञ एवं आटोमोबाइल्‍स के इंजीनियर की आख्‍या की भी आवश्‍यकता होती है। यह भार परिवादी को वहन करना था जो उसने नहीं किया। इस मामले में कहीं पर कोई विशेषज्ञ आख्‍या या साक्ष्‍य पत्रावली पर नहीं हैं और न ही कोई ऐसी आख्‍या है जिससे यह स्‍पष्‍ट हो कि वाहन बहुत कम माइलेज देता था। विद्वान जिला आयोग ने इन सब तथ्‍यों पर उचित ढंग से विचार नहीं किया और परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप

 

5

से स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त आदेश पारित किया है जो अपास्‍त होने योग्‍य है, तदनुसार वर्तमान अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

 

             आदेश

         वर्तमान अपील स्‍वीकार की जाती है और विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 13-09-2017 अपास्‍त किया जाता है।

 

(विकास सक्‍सेना)                            (राजेन्‍द्र सिंह)

    सदस्‍य                                     सदस्‍य

     निर्णय आज दिनांक- 17-08-2022 को खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित/दिनां‍कित होकर उद्घोषित किया गया।

 

(विकास सक्‍सेना)                                  (राजेन्‍द्र सिंह)

   सदस्‍य                                          सदस्‍य

कृष्‍णा–आशु0

कोर्ट-2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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