राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-133/2002
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चित्रकूट द्वारा परिवाद संख्या-127/2000 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-12-2001 के विरूद्ध)
- Executive Engineer, Electricity Distribution Division, Banda.
- Sub Divisional Officer, Electricity Department, Karvi, Chitrakoot.
- Junior Engineer, Electricity Department, Manikpur Area, Chitrakoot. अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम्
Balram Gupta, S/o Vansh Gopal, R/o Village Aichware Tehsil Karvi, Distt. Chitrakoot.
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
1- मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - श्री दीपक मेहरोत्रा।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - श्री टी0एच0 नकवी।
दिनांक : 20-11-2014
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलाथी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चित्रकूट द्वारा परिवाद संख्या-127/2000 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-12-2001 के विरूद्ध प्रस्तुत की है जिसमें विद्धान जिला मंच ने परिवाद पत्र इस सीमा तक स्वीकार किया है कि दिनांक 12 जनवरी, 1999 से 06 सितम्बर, 1999 तक के विघुत बिल के भुगतान के लिए वादी उत्तरदायी नहीं है। शेष अनुतोष के लिए परिवाद पत्र निरस्त किया गया है, से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
संक्षेप में इस केस के तथ्य इस प्रकार है कि वह कनेक्शन संख्या-00428 का उपभोक्ता है। जब भी विभाग द्वारा बिल भेजा गया परिवादी उसका नियमित भुगतान करता रहा। जिस ट्रान्सफार्मर के माध्यम से वादी को विघुत प्राप्त होती थी। जिस ट्रान्सफार्मर के माध्यम से वादी को विघुत प्राप्त होती थी वह दिनांक 11 जनवरी, 1999 को जल गया जिसकी सूचना विपक्षी को दिनांक 12 जनवरी, 1999 को दी गयी। ट्रान्सफार्मर के जलने के
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बाद बिजली नहीं मिली। दिनांक 29 अगस्त को दूसरा ट्रान्सफार्मर लगाया गया परन्तु मानकपुर का ट्रान्सफार्मर नहीं बदला गया। जिससे वादी को बिजली नहीं मिली। दिनांक 06 सितम्बर, 1999 से मानकपुर में स्थित ट्रान्सफार्मर सही रूप से रखा गया तभी वादी को बिजली मिलना शुरू हुआ। दिनांक 11 जनवरी, 1999 से 06 सितम्बर, 1999 तक का बिजली का बिल वादी देने के लिए उत्तरदायी नहीं है। विघुत न मिल पाने से 08 माह में 40,000/-रू0 की क्षति हुई उसे भी प्रतिवादी से दिलाया जाए।
प्रतिवादी की ओर से यह कहा गया कि जला हुआ ट्रान्सफार्मर को जनवरी, 1999 में बदल दिया गया था। उत्तर पत्र में यह भी कहा गया है कि परिवादी बराबर विघुत उपभोग कर रहा है उसे किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं उठायी पड़ी। परिवादी किसी भी विघुत बिल से अवमुक्त होने योग्य नहीं है।
विद्धान जिला फोरम ने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण की बहस सुनी व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह पाया कि परिवादी का ट्रॉंसफार्मर दिनांक 11-01-1999 को जला, जिसकी सूचना विपक्षी को दिनांक 12-01-1999 को दी गयी तथा परिवादी के यहॉं दिनांक 06-09-1999 को नया ट्रान्सफाम्रर रखा गया व विघुत आपूर्ति की गयी। इस आधार पर जिला मंच ने यह आदेश दिया कि विपक्षी परिवादी से इस अवधि का बिल वसूल नहीं करेगा तथा फसल के नुकसान के लिए कोई धनराशि देने का आदेश नहीं किया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने विपक्षी/अपीलार्थी की आपत्तियों पर कोई ध्यान दिये बिना ही आदेश पारित किया है जो कि विधि विरूद्ध है तथा परिवादी पर 01-01-1999 में 1637/-रू0 का बकाया बिल था और यह कहा कि ट्रान्सफार्मर जलने के पहले का बिल बकाया था इसलिए न्यूनतम बिल अदा करना पड़ेगा। इसलिए जिला फोरम के आदेश को निरस्त कर अपील स्वीकार की जाए।
विपक्षी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि 01 जनवरी, 1999 से 06 सितम्बर तक ट्रान्सफार्मर जलने के कारण उसे विघुत आपूर्ति नहीं मिल सकी तो इस समय का बिल माफ किया जाये क्योंकि परिवादी/विपक्षी ने जब से विघुत का उपभोग किया तब से ट्रांसफार्मर जलने की तिथि से पहले के बिल समय-समय पर वह अदा करता रहा। विद्धान जिला मंच ने सभी बिन्दुओं पर विचार करके सही आदेश पारित किया है इसलिए अपील निरस्त कर विद्धान जिला फोरम के आदेश की पुष्टि की जाये।
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पीठ ने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्ताओं की बहस सुनी तथा अपील मेमो एवं जिला मंच के आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का परिशीलन किया।
पत्रावली के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने दिनांक 27-04-1992 से लगातार प्रत्येक माह का बिल जमा किया है जिसकी फोटोप्रतियॉं पत्रावली पर दाखिल है यह प्रतियॉं लगभग 50 की संख्या में है। जिसमें अंतिम रसीद दिनांक 27-10-1998 की है। जब कि उपभोक्ता नियमित बिल जमा करता आ रहा है। विद्धान जिला फोरम ने विधि अनुसार निर्णय पारित किया है जिसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है अत: अपील अस्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील अस्वीकार की जाती है। विद्धान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चित्रकूट द्वारा परिवाद संख्या-127/2000 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-12-2001 की पुष्टि की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्ययभार स्वयं वहन करेंगे।
(अशोक कुमार चौधरी) (बाल कुमारी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-3, प्रदीप मिश्रा