(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :890/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-311/2016 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19-09-2017 के विरूद्ध)
शंटी साईकिल स्टोर, निकट डी ब्लाक चौराहा, इन्दिरा नगर, लखनऊ द्वारा प्रोपराइटर श्री अर्श अरोड़ा।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
आनंद सिंह, प्रोपराइटर आइरन बुल जिम, कमला मार्केट खड़गापुर, गोमती नगर विस्तार, थाना गोमती नगर, लखनऊ।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
- मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री विकास अग्रवाल।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री दिलीप शुक्ला।
दिनांक : 28-09-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-311/2016 आनंद सिंह बनाम शंटी साईकिल स्टोर में जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 19-09-2017 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
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‘’ परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादी की मशीन को 45 दिन के अंदर बदले एवं परिवादी अपनी पुरानी मशीन वापस दे देंगे तथा यदि यह सम्भव न हो तो विपक्षी परिवादी को मुबलिग 91,500/-रू0 06 प्रतिशत ब्याज के साथ वाद दायर करने की दिनांक 19-09-2016 से भुगतान की तिथि तक अदा करेंगे। साथ ही साथ विपक्षी परिवादी को 5000/-रू0 क्षतिपूर्ति हेतु भी अदा करें।‘’
विद्धान जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी की ओर से यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने अपनी जीविकोपार्जन हेतु विपक्षी से अपने आयरन बुल जिम के लिए रू0 66,500/- में एक क्रास टेनर खरीदा जिसका बिल उसे दिनांक 12-08-2015 को दिया गया जिसके साथ परिवादी ने अन्य सामान भी क्रय किया था। उपरोक्त क्रास ट्रेनर मशीन क्रय किये जाने के दिन से ही ठीक ढंग से काम नहीं कर रही थी, जिसकी शिकायत करने पर विपक्षी ने उक्त खराब मशीन को बदलकर PRO FIT PFE 600 मशीन परिवादी को दी एवं उसके लिए अतिरिक्त रू0 25,000/- लिये एवं बिल संख्या-3851 दिनांक 22-11-2015 निर्गत किया गया। परिवादी को यह भी बताया गया था कि यह मशीन 150 किलोग्राम तक का भार उठा सकती है, परन्तु उक्त मशीन ने भी ठीक ढंग से काम नहीं किया जिस कारण से उपरोक्त मशीन की मरम्मत करायी गयी।
परिवादी ने विपक्षी से पुन: उक्त खराब मशीन को बदलने की प्रार्थना की परन्तु विपक्षी द्वारा मशीन को नहीं बदला गया। परिवादी ने विपक्षी को दिनांक 01-07-2016 को विधिक नोटिस भी भेजा जिसका कोई जवाब विपक्षी
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द्वारा नहीं दिया गया। परिवादी ने जिस उद्देश्य के लिए विपक्षी से मशीन क्रय की थी उसका वह उद्देश्य ही विफल हो गया जो कि विपक्षी की सेवा में घोर कमी को दर्शाता है अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
जिला आयोग के समक्ष विपक्षी उपस्थित हुए किन्तु उनकी ओर से कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया।
विपक्षी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि मशीन खराब होने की स्थिति में डीलर दोषी नहीं है और परिवादी ने उस कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया है जिसने इस मशीन को बनाया है। अत: परिवादी का वाद खारिज किया जावे।
विद्धान जिला आयोग ने उभयपक्ष के तर्क पर विचार करते हुए अपने आदेश में यह कथन किया कि चूंकि विपक्षी का प्रतिवाद पत्र अभिलेख पर नहीं है और यह मशीन दिनांक 12-08-2015 एवं 20-11-2015 को क्रय की गयी है तथा यह वाद दिनांक 19-09-2016 को दाखिल किया गया है जब कि आखिरी बार मशीन बदलकर परिवादी को दिनांक 20-11-2015 को मिली है। अत:परिवाद समय-सीमा के अन्तर्गत है और परिवादी का दावा स्वीकार किये जाने योग्य है क्योंकि उन्होंने मशीन के विषय में निर्माण संबंधी दोष का जिक्र नहीं किया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री अवनीश पाल उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य की सही विवेचना पर आधारित नहीं है।
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अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को निरस्त किया जावे।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय साक्ष्य की सही विवेचना पर आधारित है। अत: अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
हमने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया।
पत्रावली के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने अपनी जीविकोपार्जन हेतु विपक्षी से एक मशीन क्रय की और मशीन ने प्रारम्भ से ही ठीक ढंग से कार्य नहीं किया जिसकी शिकायत करने पर विपक्षी द्वारा दूसरी मशीन अतिरिक्त धनराशि लेकर परिवादी को दी गयी और उस मशीन ने भी ठीक ढंग से कार्य नहीं किया यानी विपक्षी ने परिवादी को खराब मशीनें बेचकर सेवा में त्रुटि कारित की है जिससे निश्चय ही परिवादी को क्षति के साथ साथ मानसिक कष्ट भी हुआ है।
अत: समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हम यह पाते हैं कि विद्धान जिला आयोग ने समस्त तथ्यों पर भली-भॉंति विचार करते हुए विधि अनुसार निर्णय पारित किया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को एक माह में विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1