राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२०२२/२०१२
(जिला मंच (द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-९७४/२००८ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक ३१-०३-२०१२ के विरूद्ध)
सोनी इण्डिया प्रा0लि0 (A company incorporated under the Companies Act, 1956) रजिस्टर्ड कार्यालय ए-३१, मोहन कोऑपरेटिव इण्डस्ट्रियल ऐस्टेट, मथुरा रोड, नई दिल्ली-११००४४. .............अपीलार्थी/विपक्षी सं0-१.
बनाम
१. आनन्द कुमार निवासी ७/७, डी0एस0 कालोनी, सीतापुर रोड योजना, अलीगंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश। ............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
२. सोनी केयर, अधिकृत सर्विस सेण्टर, ५४६/३, निकट कुकरेल बृज, फैजाबाद रोड, अकबर नगर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश। .............प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-२.
३. सोनी केयर, अधिकृत सर्विस सेण्टर, ३९, वाल्मीकि मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश। .............प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-३.
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजीव सिंह विद्वान अधिवक्ता द्वारा अधिकृत
श्रीमती प्रतिभा सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री राम गोपाल विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- ०१-०५-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच (द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-९७४/२००८ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक ३१-०३-२०१२ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने परिवाद के विपक्षी सं0-१ से २२,९९०/- रू० में दिनांक ०३-०१-२००८ को सोनी हैण्डी कैम खरीदा, जिसकी रसीद उसे प्राप्त हुई। दो से तीन बार उपयोग करने पर हैण्डी कैम में खराबी आने लगी तथा वह हैंग होने लगा जिसकी शिकायत करने पर परिवाद के विपक्षी
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सं0-२ से सम्पर्क करने को कहा गया। परिवादी ने दिनांक २४-०३-२००८ को विपक्षी सं0-२ से सम्पर्क किया तो उन्होंने दो-तीन घण्टे के अन्दर परिवादी उक्त सोनी हैण्डी कैम को यह कहते हुए वापस कर दिया कि इसे ठीक कर दिया गया है। दिनांक १७-०५-२००८ को घर पर रात्रि में एक समारोह में जब परिवादी ने रिकार्डिंग आरम्भ की तो १५ मिनट के बाद हैण्डी कैम बन्द हो गया। दिनांक १९-०५-२०१९ को परिवादी ने पुन: इस सम्बन्ध में विपक्षी को बताया तो उन्होंने यह कहकर वापस कर दिया कि हैण्डी कैम बनने की बजाय बदल कर नया हैण्डी कैम तीन-चार महीने में दे दिया जायेगा किन्तु तीन-चार महीने के भीतर उन्होंने हैण्डी कैम नहीं दिया। परिवादी जब तीन-चार माह बाद विपक्षीगण से मिला तो उन्होंने हैण्डी कैम के पार्ट्स लगाने की बात कही जिस पर परिवादी ने दिनांक ०७-११-२००८ को विपक्षी सं0-३ के पास हैण्डी कैम बनने के लिए दे दिया। दो दिन बाद हैण्डी कैम ठीक होने की सूचना पर परिवादी उसे घर ले गया तथा जब रिकार्डिंग प्रारम्भ की तो स्थिति ज्यो की त्यों थी और हैण्डी कैम ने काम नहीं किया। परिवादी ने दिनांक १४-११-२००८ को विपक्षी सं0-२ के यहॉं हैण्डी कैम पुन: बनने के लिए दिया तब हैण्डी कैम उसे यह कहकर वापस किया गया कि वह सही हो गया है किन्तु हैण्डी कैम सही नहीं हुआ। अत: परिवाद जिला मंच में योजित किया गया।
अपीलार्थी तथा अन्य विपक्षीगण द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया।
जिला मंच ने प्रश्नगत हैण्डी कैम में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि मानते हुए परिवाद अपीलार्थी के विरूद्ध निर्णीत किया तथा अपीलार्थी को निर्देशित किया कि वह परिवादी को निर्णय से दो माह के भीतर २२,९९०/- रू० सोनी हैण्डी कैम की कीमत, सोनी हैण्डी कैम खरीदे जाने की तिथि ०३-०१-२००८ से धनराशि अदा होने की तिथि तक मय ०६ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज के हिसाब से अदा करे। इसके अतिरिक्त अपीलार्थी को यह भी निर्देशित किया कि वह परिवादी को ३,०००/- रू० मानसिक कष्ट एवं २,०००/- रू० वाद व्यय भी अदा करे। उक्त धनराशि अदा करते समय अपीलार्थी परिवादी से खराब हैण्डी कैम वापस ले लेंगे।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी।
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हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री संजीव सिंह द्वारा अधिकृत विद्वान अधिवक्ता श्रीमती प्रतिभा सिंह एवं प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी को सुनवाई का अवसर प्रदान नहीं किया गया। अपीलार्थी पर जिला मंच द्वारा प्रस्तुत प्रकरण के सन्दर्भ में कोई नोटिस की तामील नहीं कराई गई और न ही निर्णय की प्रति प्राप्त कराई गई। अपीलार्थी को प्रश्नगत निर्णय की जानकारी निष्पादन वाद की कार्यवाही के सन्दर्भ में दिनांक ०९-०८-२०१२ को प्राप्त हुई। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि अपीलार्थी एक प्रतिष्ठित हैण्डी कैम निर्माता कम्पनी है तथा अपीलार्थी द्वारा अपने उत्पादों पर ०३ वर्ष की वारण्टी दी जाती है। यह वारण्टी, वारण्टी की शर्तों के अन्तर्गत मूल क्रेता को प्राप्त कराई जाती है। प्रस्तुत प्रकरण में प्रत्यर्थी/परिवादी ने नवम्बर, २००८ में प्रश्नगत हैण्डी कैम मरम्मत हेतु अपीलार्थी के सर्विस सेण्टर में प्रस्तुत किया। अपीलार्थी के सर्विस सेण्टर पर हैण्डी कैम के निरीक्षण के बाद तथा अभिलेखों के अवलोकन के बाद यह पाया गया कि प्रश्नगत हैण्डी कैम वारण्टी से आच्छादित नहीं है। यह भी पाया गया कि प्रश्नगत हैण्डी कैम दिनांक २०-०१-२००५ को सोनी इण्डिया के डीलर द्वारा बेचा गया। अपीलार्थी के अधिकृत सर्विस सेण्टर ने मरम्मत का ऐस्टीमेट परिवादी को प्रस्तुत किया तथा यह सूचित किया कि वारण्टी अवधि बीत जाने के कारण मरम्मत नि:शुल्क नहीं की जा सकती किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने एक फर्जी रसीद दिनांकित ०३-०१-२००८ प्रस्तुत करते हुए नि:शुल्क मरम्मत हेतु आग्रह किया। इस रसीद में कोई टिन नम्बर अंकित नहीं था। अपीलार्थी के अधिकृत सर्विस सेण्टर द्वारा फर्जी रसीद स्वीकार नहीं की गई तथा प्रत्यर्थी/परिवादी को सूचित किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी यदि मरम्मत के ऐस्टीमेट को अनुमोदित करे तो हैण्डी कैम की मरम्मत की जाय क्योंकि प्रश्नगत हैण्डी कैम की मूल बिक्री का रिकार्ड कम्पनी के अधिकृत सेण्टर के सिस्टम में उपलब्ध था। तदोपरान्त प्रत्यर्थी/परिवादी प्रश्नगत हैण्डी कैम बिना मरम्मत कराए ले कर चला गया। अपीलार्थी का यह भी कथन
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है कि अपीलार्थी के अभिलेखों के अनुसार प्रश्नगत हैण्डी कैम श्री सुबीर सरकार द्वारा दिनांक २०-०१-२००५ को क्रय किया गया और उन्हीं के नाम रसीद जारी की गई। श्री सुबीर सरकार के नाम प्रश्नगत हैण्डी कैम की खरीद की रसीद की फोटोप्रति अपील के साथ संलग्नक-ए-५ के रूप में दाखिल की गई है तथा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई रसीद संलग्नक-ए-४ के रूप में दाखिल की गई है जिस पर काई टिन नम्बर अंकित नहीं है। अपीलार्थी के प्रश्नगत उत्पाद के सन्दर्भ में अपीलार्थी द्वारा जारी किए गये वारण्टी कार्ड की फोटोप्रति भी दाखिल की गई है। अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत की गई मूल रसीद दिनांक २०-०१-२००५ की तिथि की है। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपीलार्थी की ओर से प्रश्नगत हैण्डी कैम की बिक्री के सम्बन्ध में प्रस्तुत की गई रसीद के सन्दर्भ में कोई तर्क प्रस्तुत नहीं किया गया और न ही कोई प्रतिशपथ पत्र इस सन्दर्भ में प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत किया गया।
ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से प्रश्नगत प्रकरण वारण्टी की शर्तों से आच्छादित न होने के कारण अपीलार्थी को क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु उत्तरदायी नहीं माना जा सकता। अत: प्रश्नगत निर्णय अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है। अपील तद्नुसार स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच (द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-९७४/२००८ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक ३१-०३-२०१२ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.