(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या: 2281/2009
(जिला उपभोक्ता आयोग, देवरिया द्वारा परिवाद संख्या- 478/2006 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05-10-2009 के विरूद्ध)
नोकिया केयर सेन्टर श्री सेलफोन 14-15 राधाकृष्ण ट्रेड सेन्टर, सन प्लाजा होटल के सामने, खोवा मण्डी गली सिनेमा रोड, गोरखपुर द्वारा प्रबन्धक।
.अपीलार्थी
बनाम
- आनंन्द बर्द्धन त्रिपाठी पुत्र श्री सचिदानन्द त्रिपाठी निवासी मौजा- भठवा तिवारी तप्पा हवेली परगना सलेमपुर मझौली, तहसील भाटपाररानी जिला देवरिया।
- आर्शीवाद इलेक्ट्रानिक्स पाठशाला रोड सलेमपुर थाना कोतवाली सलेमपुर, पोस्ट सलेमपुर जिला देवरिया।
- नोकिया इण्डिया प्रा०लि० ।। फ्लोर, कामर्शियल प्लाजा, रेडिसन होटल एन०एच०8 महिपालपुर, न्यू देहली द्वारा प्रबन्ध निदेशक।
प्रत्यर्थीगण
समक्ष :-
माननीय श्री विकास सक्सेना सदस्य
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्या
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित – विद्वान अधिवक्ता श्री बी०के० उपाध्याय
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक : 04.08.2023
माननीय सदस्या श्रीमती सुधा उपाध्याय द्वारा उदघोषित
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी नोकिया केयर सेन्टर द्वारा विद्वान जिला आयोग, देवरिया द्वारा परिवाद संख्या- 478/2006 आनन्द वर्धन त्रिपाठी बनाम आर्शीवाद इलेक्ट्रानिक्स पाठशाला रोड सलेमपुर व
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अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक- 05-10-2009 के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत इस आयोग के सम्मुख योजित की गयी है।
वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक 18-06-2006 को विपक्षी संख्या-1 से एक नोकिया मोबाइल सेट नं० 6270 क्रय किया था। परन्तु उक्त मोबाइल ने दिनांक 25-06-2006 को कार्य करना बन्द कर दिया। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 से सम्पर्क करने पर उपरोक्त मोबाइल हेतु विपक्षी संख्या-2 से सम्पर्क करने को कहा गया। तदोपरान्त परिवादी द्वारा अपना मोबाइल विपक्षी संख्या-2 के पास मरम्मत हेतु भेज दिया गया जिसे विपक्षी संख्या-2 द्वारा दिनांक 25-07-2006 तक मरम्मत करके वापस करने का आश्वासन दिया गया, परन्तु बार-बार मांगे जाने के बावजूद भी अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवादी को मोबाइल प्रदान नहीं किया गया। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया।
जिला आयोग में परिवाद की सुनवाई के समय विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ था। अत: विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए जिला आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया:-
" विपक्षी संख्या-2 प्रश्नगत मोबाइल का मूल्य 16,000/-रू० दिनांक 05-07-2006 से भुगतान की वास्तविक तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करें।
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विपक्षी संख्या-1 परिवादी को 2000/-रू० अदा करें। उक्त दो हजार रूपये पर निर्णयादेश से 45 दिन बाद से 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा।
विपक्षी संख्या-2 परिवादी को एक हजार पांच सौ रूपये वाद व्यय भी अदा करेंगे।"
जिला आयोग द्वारा पारित उपरोक्त निर्णय के विरूद्ध परिवाद के विपक्षी संख्या-2 नोकिया केयर सेन्टर द्वारा यह अपील योजित की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री बी०के० उपाध्याय उपस्थित हुए। दौरान बहस प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
पीठ द्वारा केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक रूप से परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का मोबाइल सेट दिनांक 05-07-2006 को प्राप्त होने के बाद दिनांक 16-07-2007 को पूर्णत: मरम्मत करके रखा गया परन्तु ड्यू डेट दिनांक 17-07-2006 को उक्त मोबाइल लेने कोई नहीं आया। प्रत्यर्थी/परिवादी का मोबाइल सेट पानी में गिर जाने के कारण उसमें नेटवर्क नहीं आ रहा था जिसकी मरम्मत में 1700/-रू० का खर्च आया था। चूंकि प्रश्नगत मोबाइल पानी में गिर जाने के कारण खराब हुआ था अत: यह वारण्टी की शर्त के तहत नहीं था।
पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्र संख्या-17 जॉब शीट का अवलोकन करने से यह पाया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना मोबाइल सेट
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दिनांक 05-07-2006 को अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 के यहॉं जमा किया था तथा ड्यू डेट दिनांक 17-07-2006 अंकित है जिससे अपीलार्थी/विपक्षी के कथन को बल मिलता है। जॉब शीट पर आउट आफ वारण्टी के क्रमांक संख्या-7 पर वाटर डैमेज लिखा है जिससे यह स्पष्ट होता है कि मोबाइल यदि पानी में गिरने से खराब होता है तो वह वारण्टी की शर्त के तहत नहीं आता है। पत्रावली पर उपलब्ध जॉबशीट से अपीलार्थी के कथन की सम्पुष्टि होती है।
उपरोक्त समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए यह पीठ इस मत की है कि विद्वान जिला आयोग ने जॉंबशीट पर उपलब्ध शर्तों को अनदेखा करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया है जो अपास्त किये जाने योग्य है एवं प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती हैं। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 3