Uttar Pradesh

StateCommission

A/1401/2019

Ex.Engg. Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Anaar Singh - Opp.Party(s)

Isar Husain

24 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1401/2019
( Date of Filing : 09 Dec 2019 )
(Arisen out of Order Dated 07/08/2019 in Case No. C/02/2019 of District Kanshiram Nagar)
 
1. Ex.Engg. Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd
E.D.D. Kasganj
...........Appellant(s)
Versus
1. Anaar Singh
S/O sri Chetal Singh R/O Mamo Post Tahsil and Distt. Kasganj
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 24 Nov 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1401/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कासगंज द्धारा परिवाद सं0-02/2019 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.8.2019 के विरूद्ध)

अधिशासी अभियंता, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन, कासगंज।                                        

........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम          

अनार सिंह पुत्र श्री छेतल सिंह, निवासी मामों, पोस्‍ट, तहसील व जनपद कासगंज।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष            

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता        : श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री संजय कुमार वर्मा

दिनांक :- 24.11.2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, कासगंज द्वारा परिवाद सं0-02/2019 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.8.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपने जीविकोपार्जन हेतु एक भैंस 80,000.00 रू0 में क्रय की थी एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के घर के पास लगे विद्युत पोल में कई दिनों से विद्युत करेंट आ रहा था, जिसकी शिकायत प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विद्युत विभाग से की गई, परन्‍तु विद्युत पोल से आ रहे करेंट को अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा ठीक नहीं किया गया एवं दिनांक 28.6.2018 को सुबह 4.30 बजे उपरोक्‍त विद्युत पोल में आ रहे विद्युत करेंट के लगने से प्रत्‍यर्थी/परिवादी की भैंस की मृत्‍यु हो गई,

-2-

जिसकी सूचना प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी एवं थाने में दी गई तथा मृत भैंस का पशु चिकित्‍साधिकारी द्वारा पोस्‍टमार्टम भी किया गया तथा मृत भैंस से सम्‍बन्धित समस्‍त प्रपत्र अपीलार्थी/विपक्षी को उपलब्‍ध कराये गये एवं क्षतिपूर्ति दिलाये जाने की मॉग की गई, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा कोई कार्यवाही व क्षतिपूर्ति का भुगतान न किये जाने पर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया कि भैंस की मृत्‍यु स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी की लापरवाही के कारण हुई है एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी का उपभोक्‍ता नहीं है, अत्एव परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"प्रस्‍तुत वाद वादी सव्‍यय आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह दो माह के अन्‍दर मृत भैंस की क्षतिपूर्ति में 80,000.00 रू0 व मानसिक आर्थिक, शारीरिक क्षति तथा वाद व्‍यय के एवज में 5000.00 रू0 (पॉच हजार रूपया) अदा किया जाना सुनिश्चित करें।

उपरोक्‍त निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन न करने की स्थिति में क्षतिपूर्ति धनराशि पर 07 (सात) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज वाद योजित करने की तिथि 03.01.2019 से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक देय होगा।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/ विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है।

-3-

यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी का उपभोक्‍ता नहीं है एवं भैंस की मृत्‍यु स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी की लापरवाही के कारण हुई है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में जो 07 प्रतिशत का ब्‍याज दिलाया गया है, वह बहुत अधिक है एवं शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु प्रदान की गई धनराशि रू0 5,000.00 भी बहुत अधिक है, अत्एव उसे समाप्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के अनुकूल है और उसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि अनुकूल है, परन्‍तु विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश में जो 5,000.00 रू0 शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति एवं वाद व्‍यय की देयता निर्धारित की गई है वह वाद के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते समाप्‍त की जाती है तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में जो क्षतिपूर्ति की धनराशि पर 07 प्रतिशत ब्‍याज की देयता निर्धारित की गई है उसे 05 प्रतिशत के रूप में परिवर्तित किया जाता है। निर्णय/आदेश का शेष भाग

-4-

यथावत कायम रहेगा। तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है।

      अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त निर्णय/आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को नियमानुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                                            (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)               

                                             अध्‍यक्ष                                                                                                             

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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