(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1531/2011
New India Assurance Company Ltd.
Versus
Smt. Amrita Tiwari wife of Pankaj Tiwari
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आई0पी0एस0 चड्ढा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :20.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-146/2009, श्रीमती अमृता तिवारी बनाम दि न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कमपनी लि0 में विद्वान जिला आयोग, फिरोजाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.06.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमित राशि अंकन 1,00,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति की मोटर साइकिल यू0पी0 83 जे 7488 का बीमा कराया गया था, जिसमें व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा भी शामिल था। बीमा अंकन 1,00,000/-रू0 के लिए था। दिनांक 18.04.2007 को रास्ते में टूटे पड़े बिजली के तार से दुर्घटना के कारण बीमाधारक की मृत्यु हो गयी। बीमा क्लेम इस आधार पर निरस्त कर दिया गया है कि ड्राइवर का डी0एल0 प्रस्तुत नहीं किया गया।
4. विपक्षी की ओर से भी कथन किया गया है कि आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये गये। प्रथम सूचना रिपोर्ट, शव विच्छेदन रिपोर्ट व डी0एल0 प्रस्तुत न करने के कारण क्लेम निरस्त किया गया है।
5. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता आयोग ने यह निष्कर्ष दिया गया है कि प्रस्तुत केस में चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस न होने के आधार पर क्लेम निरस्त नहीं किया जा सकता क्योंकि चालक की लापरवाही के कारण दुर्घटना घटित नहीं हुई थी। रास्ते में बिजली के टूटे हुए तार से दुर्घटना के कारण मृत्यु हुई थी। तदनुसार क्लेम राशि अदा करने का आदेश पारित किया गया।
6. अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्यों तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि यथार्थ में वाहन चालक के पास डी0एल0 नहीं था, इसलिए बीमा स्वीकार नहीं किया जा सकता। विपक्षी की ओर से यह आपत्ति की गयी है कि अपील समयावधि से बाधित है। चालक के पास वैध डी0एल0 था। इन्वेस्टीगेटर द्वारा प्रस्तुत की गयी रिपोर्टसे यह साबित नहीं है कि चालक के पास वैध डी0एल0 नहीं था, इसलिए बीमा कम्पनी की अपील खारिज होने योग्य है।
7. प्रस्तुत केस के संदर्भ में जितेन्द्र कुमार बनाम ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड 2003 सी0टी0जे0 649 में दी गयी व्यवस्था लागू होती है। प्रस्तुत केस में दुर्घटना के कारण ड्राइवर की दक्षता में कमी नहीं थी, अपितु सड़क में बिजली का तार टूटकर गिरने के कारण दुर्घटना कारित हुई थी। इस नजीर में दी गयी विधि-व्यवस्था के अनुसार इस स्थिति में बीमा क्लेम देय माना गया था। अत: जिला उपभोक्ता आयोग आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है क्योंकि प्रस्तुत केस में भी वाहन चालक की दक्षता के कारण दुर्घटना होने का सबूत नहीं है, अपितु प्राकृतिक रूप से घटित दुर्घटना के कारण वाहन चालक की मृत्यु कारित हुई है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2