राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-90/2019
(जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, इटावा द्धारा परिवाद सं0-052/2014 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-04-2018 के विरूद्ध)
उ0प्र0 राज्य द्वारा जिलाधिकारी, इटावा।
........... अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
अमृत लाल पुत्र राम रतन, निवासी-खानपुर, पोस्ट कुसना, थाना भरथना, जिला इटावा।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष :-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री आर0के0 गुप्ता विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री एस0के0 शुक्ला विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- 08-12-2022.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, इस आयोग के सम्मुख अपीलार्थी उ0प्र0 राज्य द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, इटावा द्धारा परिवाद सं0-052/2014 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-04-2018 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसके द्वारा प्रश्नगत परिवाद को विपक्षी उत्तर प्रदेश राज्य/सरकार द्वारा जिलाधिकारी, इटावा के विरूद्ध ससंघर्ष बिना वाद व्यय स्वीकार किया गया और तदनुसार निर्देशित किया गया कि विपक्षी, परिवादी अमृत लाल पुत्र राम रतन को 05.00 लाख रू० क्षतिपूर्ति एक माह में अदा करे, ऐसा न करने की स्थिति में, उसे उपरोक्त क्षतिपूर्ति की धनराशि पर वाद योजन की दिनांक 04-09-2014 से भुगतान की दिनांक तक 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करा होगा।
वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी की पत्नी निर्मला देवी जो कि
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रिकार्डेड भूमिधर थी। उसकी मृत्यु दिनांक 20-06-2013 को मोटर साइकिल से गिरने के कारण हो गई। उसके नाम ग्राम कुसना में खतौनी फसली सन-1420-1425 फसली, खाता संख्या-01022, भूमि संख्या-631, 632 लगान रू० 30/- व हैसियत संक्रमणीय भूमिधर दर्ज थी। उसकी मृत्यु की सूचना पुलिस को दी गई और रजिस्टर्ड डाक से उसकी सूचना दिनांक 21-06-2013 को पुलिस अधीक्षक, इटावा को भी दी गई जिसमें जांच के अन्तर्गत घटना को सही पाया गया और शव का पंचनामा पंचायत सदस्यों के द्वारा करवाकर शव का अन्तिम संस्कार कर दिया गया और पोस्टमार्टम नहीं हुआ था। अन्य आवश्यक कागजात सम्बन्धित अधिकारियों को सुपुर्द कर दिए गए किन्तु दिनांक 03-08-2014 तक कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त नहीं हुई। उत्तर प्रदेश सरकार की कृषक कल्याणकारी योजना के अनुसार 12 से 70 वर्ष की आयु की अवस्था के बीच रिकोर्डेट भूमिधर की दुर्घटना में मृत्यु होने पर 05.00 लाख रू० क्षतिपूर्ति के रूप में देय है, जिसका भुगतान परिवादी को नहीं किया गया। विवश होकर परिवादी ने परिवाद विद्वान जिला आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया।
विपक्षी द्वारा जिला आयोग के सम्मुख अपने प्रतिवाद पत्र में कथन किया गया कि परिवादी द्वारा अपनी मृतक पत्नी की मृत्यु के सम्बन्ध में प्रथम सूचना रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पंचनामा की प्रति प्रस्तुत नहीं की गई और मांगने पर भी परिवादी ने उक्त अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए जबकि उक्ता कागजात कृषक बीमा योजना के अन्तर्गत आवश्यक थे। परिवादी का क्लेम दिनांक 03-10-2013 को निरस्त कर दिया गया। ऐसी स्थिति में विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई।
उभय पक्ष के कथनों/अभिकथनों तथा साक्ष्यों पर विस्तार से विचार करते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा अपने निष्कर्ष में यह पाया गया कि परिवादी की मृतक पत्नी उत्तर प्रदेश राज्य के भू-अभिलेख में अभिलिखित कृषक थी जिसकी मृत्यु दिनांक 20-06-2013 को एक सड़क दुर्घटना में हो गई जिसकी सूचना दिनांक 21-06-2013 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, इटावा को दी गई तथा शव का पंचनामा हुआ। वह इलाज के लिए जी0एल0पी0 प्राइवेट हास्पिटल, इटावा में गई जहॉं से रेफर किया गया लेकिन
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दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु हो गई, जिसका प्रमाण पत्र तत्कालीन प्रधान लीला देवी, सम्बन्धित अधिकारी उत्तर प्रदेश राज्य इत्यादि ने निर्गत किए हैं और उसका शपथ पत्र भी परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया। परिवादी ने उचित माध्यम से अपना आवेदन विपक्षी को प्रस्तुत किया था किन्तु पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अभाव में तत्कालीन उप जिलाधिकारी, भरथना, जिला इटावा ने दिनांक 03-09-2013 को अस्वीकार कर दिया। उक्त योजना के अन्तर्गत प्रीमियम प्रदेश की राज्य सरकार द्वारा अदा किया जाता है। तदनुसार परिवादी द्वारा अपने परिवाद के अभिकथन एवं दावे के समर्थन में प्रस्तुत किए गए मौखिक एवं लिखित दस्तावेजी साक्ष्य को विद्वान जिला आयोग ने विश्वसनीय माना और परिवाद को तदनुसार स्वीकार करते हुए उपरोक्त निर्णय व आदेश पारित किया।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील प्रस्तुत की गई है।
हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 शुक्ला को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि परिवादी की मृतक पत्नी का कोई पोस्टमार्टम नहीं कराया गया और न ही कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई। अपील पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों के परिशीलन से स्पष्ट है कि परिवादी ने अपनी पत्नी की मृत्यु की सूचना पुलिस अधीक्षक, इटावा को दी थी और शव का दाह संस्कार करने से पूर्व उसका पंचनामा भी किया गया। परिवादी की मृतक पत्नी जो निर्विवादित रूप से भूमिधर कृषक थी, की दुर्घटना में मृत्यु से विपक्षी द्वारा इन्कार नहीं किया गया है। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में ग्राम प्रधान द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र का स्पष्ट उल्लेख करते हुए परिवादी की पत्नी की मृत्यु साबित होना पाया एवं तदनुसार परिवादी को कथित योजनान्तर्गत क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी पाया।
उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से विद्वान
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जिला फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि अनुकूल है परन्तु विद्वान जिला फोरम/आयोग द्वारा क्षतिपूर्ति की धनराशि पर जो 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की अदायगी हेतु आदेश दिया गया है वह ब्याज की दर हमारे विचार से अधिक है अत्एव उक्त ब्याज की दर को 07 प्रतिशत से घटाकर 04 प्रतिशत की अदायगी हेतु आदेश पारित किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, इटावा द्धारा परिवाद सं0-052/2014 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-04-2018 मात्र इस सीमा तक संशोधित किया जाता है कि जिला फोरम/आयोग द्वारा आदेशित ब्याज 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर के स्थान पर 04 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज देय होगा। शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-1.
कोर्ट नं0-1.