राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-८२५/२००४
(जिला मंच, मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-१७३/२००० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०२-२००४ के विरूद्ध)
मै0 सुपर इलैक्ट्रॉनिक मुरादाबाद गेट चंदौसी, जिला मुरादाबाद द्वारा दिनेश सरन प्रौपराइटर। ............. अपीलार्थी/विपक्षी सं0-२.
बनाम
१. अमरीश कुमार गोयल पुत्र स्व0 के0जी0 गोयल निवासी कालिज मंदिर क्वाटर्स सुभाष रोड, चन्दौसी, मुरादाबाद। ............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
२.. इलैक्ट्रोलक्स इण्डिया लि0, सी-१८, इण्डस्ट्रियल एरिया, मेरठ रोड, गाजियाबाद द्वारा प्रबन्धक। ............ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-३.
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री मनोज मोहन विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- २७-०२-२०१८.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-१७३/२००० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०२-२००४ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने दिनांक ०१-०६-१९९९ को अपीलार्थी से आलविन रेफ्रिजरेटर मॉडल सं0-१६३ एन-७ ८०००/- रू० में क्रय किया था। कुछ माह पश्चात् इस रेफ्रिजरेटर में कुछ खराबी आ गई। अप्रैल २००० के प्रथम सप्ताह में परिवादी ने अपीलार्थी की दुकान पर उनके रजिस्टर में अपनी शिकायत दर्ज करायी। दूसरेदिन अपीलार्थी का एक मैकेनिक रेफ्रिजरेटर को देखने आया तथा चेक करने पर उसने बताया कि रेफ्रिजरेटर की गैस लीक हो गई है और इसमें गैस पड़ेगी। परिवादी द्वारा बार-बार कहने पर अपीलार्थी द्वारा परिवादी के रेफ्रिजरेटर की
-२-
शिकायत दूर नहीं कराई। परिवादी ने गैस लीक होना एक तकनीकी खराबी बताई तथा गैस लीक होने का यह समय गारण्टी अवधि में उत्पन्न होना बताया। अपीलार्थी द्वारा न तो रेफ्रिजरेटर ठीक किया गया और न ही बदला गया। अत: मूल परिवाद मुख्य प्रबन्धक आलविन वोल्टाज लि0 तथा अपीलार्थी के विरूद्ध योजित किया गया। यह तथ्य निर्विवाद है कि विपक्षी सं0-१ आलविन वोल्टाज लि0 द्वारा रेफ्रिजरेटर का निर्माण एवं बिक्री का कार्य समाप्त कर दिया गया तथा यह कम्पनी इलैक्ट्रोलक्स इण्डिया लि0 में निहित हो गई। इस तथ्य की जानकारी के उपरान्त परिवादी ने परिवाद संशोधित करते हुए इलैक्ट्रोलक्स इण्डिया लि0 को भी विपक्षी के रूप में पक्षकार बनाया।
अपीलार्थी का यह कथन है कि परिवादी द्वारा दिनांक १७-०४-२००० को क्रय किये गये फ्रिज से सम्बन्धित शिकायत होने पर अपीलार्थी ने मैकेनिक भेज कर शिकायत चेक कराई। मैकेनिक द्वारा जांच करने पर यह पाया गया कि किसी बाहरी चोट पहुँचने के कारण फ्रिज की पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण उसकी गैस निकल गई। फ्रिज में उत्पादन सम्बन्धित कोई कमी नहीं थी। परिवादी के घर पर आवश्यक यन्त्र व उपकरणों को ले जाना सम्भव नहीं था। इस कारण अपीलार्थी ने परिवादी को बताया था कि पाइप लाइन के क्षतिग्रस्त स्थान को बेल्डिंग से सही करने के बाद ही गैस चार्जिंग सम्भव है जो परिवादी के घर पर होना सम्भव नहीं होगा लेकिन परिवादी ने अपीलार्थी के मैकेनिक को रेफ्रिजरेटर ले जाने की अनुमति नहीं दी इस कारण रेफ्रिजरेटर ठीक नहीं किया जा सका।
प्रत्यर्थी सं0-२ इलैक्ट्रोलक्स इण्डिया लि0 के कथनानुसार गैस लीक हो जाना कोई तकनीकी खराबी नहीं है। अपीलार्थी से जानकारी प्राप्त होने पर यह ज्ञात हुआ कि रेफ्रिजरेटर में बाहरी चीज की चोट लगने के कारण गैस पाइप लाइन में क्षति पहुँची और उसमें से गैस लीक हो गई और तकनीकी खराबी या उत्पादन में कमी के कारण गैस नहीं निकली। गैस का निकल जाना वारण्टी के अन्तर्गत नहीं आता। प्रत्यर्थी सं0-२ के कथनानुसार परिवादी की शिकायत के निराकरण हेतु दिनांक २३-०२-२००१ को परिवादी के निवास स्थान पर रेफ्रिजरेटर का निरीक्षण कराया। जांच आख्या पर परिवादी द्वारा
-३-
हस्ताक्षर भी किए गये। परिवादी द्वारा शिकायत को दूर करने से इन्कार किया गया।
परिवाद की सुनवाई के मध्य जिला मंच द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के रेफ्रिजरेटर का निरीक्षण कराए जाने हेतु निर्देशित किया गया। विद्वान जिला मंच द्वारा यह मत व्यक्त किया गया कि जिला मंच के निर्देश के बाबजूद परिवादी के फ्रिज का निरीक्षण नहीं किया गया। प्रश्नगत फ्रिज में वारण्टी अवधि के मध्य गैस लीक होने की समस्या उत्पन्न हुई और इस समस्या का निराकरण अपीलार्थी तथा निर्माता कम्पनी द्वारा न किए जाने को सेवा में त्रुटि मानते हुए विद्वान जिला मंच ने परिवादी का परिवाद स्वीकार किया तथा अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-२ को निर्देशित किया कि फ्रिज की कीमत ८,०००/- रू० तथा १,०००/- रू० वाद व्यय कुल ९,०००/- रू० निर्णय की तिथि से ०२ माह के अन्दर अदा करे। धनराशि अदा करने के बाद अपीलार्थी नियमानुसार परिवादी से खराब फ्रिज वापस प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी फ्रिज बिक्रेता द्वारा यह अपील योजित की गयी।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मनोज मोहन के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थीगण को दिनांक ०५-०८-२०१७ को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गईं। प्रत्यर्थी सं0-१ को भेजी गई नोटिस बिना तामील वापस प्राप्त नहीं हुई। प्रत्यर्थी सं0-२ को भेजी गई नोटिस इस पृष्ठांकन के साथ वापस प्राप्त हुई कि प्राप्तकर्ता परिसर छोड़कर चले गये। प्रत्यर्थी सं0-२ को परिवाद में उल्लिखित पते पर नोटिस भेजे जाने के कारण एवं प्रत्यर्थी नं0-१ को नोटिस पंजीकृत डाक से भेजने पर ३० दिन की अवधि बीतने के बाबजूद वापस प्राप्त न होने के कारण प्रत्यर्थीगण पर नोटिस की तामील पर्याप्त मानी गई। प्रत्यर्थीगण की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि अपीलार्थी एक
-४-
डीलर है उत्पादनकर्ता नहीं है। फ्रिज में तकनीकी खराबी का उत्तरदायित्व उत्पादनकर्ता का है डील का नहीं। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच द्वारा इस तथ्य पर विचार नहीं किया गया कि फ्रिज की गैस लीक हो जाने की कोई गारण्टी या वारण्टी कम्पनी द्वारा नहीं दी गई। अपीलार्थी ने अपना मैकेनिक प्रत्यर्थी/परिवादी के घर भेजा और फ्रिज को कारखाने में लाने हेतु अनुमति प्रत्यर्थी/परिवादी से मांगी लेकिन उसने फ्रिज को कारखाने ले जाने की अनुमति नहीं दी इस कारण फ्रिज में गैस नहीं भरी जा सकी। इसके लिए स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी उत्तरदायी है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि फ्रिज में बाहरी चोट के कारण गैस पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी जिसके कारण गैस लीक हो गई। फ्रिज क्रय करने की तिथि के उपरान्त १० माह तक फ्रिज के कार्य में कोई शिकायत नहीं बताई गई। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत फ्रिज के क्रय की रसीद में यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि वारण्टी, सर्विस क्लेम तथा शिकायत की जिम्मेदारी केवल निर्माता की है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि कम्पनी के इंजीनियर ने दिनांक २३-०२-२००१ को परिवादी के निवास स्थान पर जांच कर फ्रिज का निरीक्षण किया और फ्रिज को कारखाने में ले जा कर ठीक करने हेतु अनुमति मांगी लेकिन परिवादी ने फ्रिज को कारखाने में ले जाने से मना कर दिया।
यह तथ्य निर्विवाद है कि दिनांक ०१-०६-१९९९ को प्रश्नगत फ्रिज अपीलार्थी से परिवादी द्वारा क्रय किया गया तथा वारण्टी अवधि के मध्य प्रश्नगत फ्रिज की गैस निकल जाने की समस्या उत्पन्न हो गई जिसके कारण फ्रिज ने कार्य करना बन्द कर दिया। अपीलार्थी के कथनानुसार परिवादी की शिकायत प्राप्त होने के पश्चात् उसने अपना मैकेनिक शिकायत की जांच हेतु भेजा। मैकेनिक ने जांच के उपरान्त यह पाया कि बाहरी चोट के कारण फ्रिज की पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गई जिसका निराकरण परिवादी के निवास पर सम्भव नहीं था। परिवादी ने फ्रिज को ले जाने की अनुमति नहीं दी और न ही स्वयं फ्रिज को कार्यशाला तक पहुँचाया। इस सन्दर्भ में अपीलार्थी ने अपने मैकेनिक श्री कुलदीप कुमार के जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत शपथ पत्र की फोटोप्रति दाखिल की है।
-५-
अपीलार्थी का यह भी कथन है कि निर्माता कम्पनी की ओर से इंजीनियर परिवादी के फ्रिज की शिकायत दूर करने हेतु परिवादी के निवास स्थान पर दिनांक २३-०२-२००१ को गया किन्तु परिवादी ने शिकायत दूर करने नहीं दी। इस सन्दर्भ में कम्पनी के इंजीनियर श्री बी0एस0 बारा द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की फोटोप्रति अपील मेमो के साथ पृष्ठ सं0-५० के रूप में दाखिलकी गई है। कम्पनी के इंजीनियर श्री बी0एस0 बारा द्वारा प्रस्तुत आख्या के अवलोकन से यह विदित होता है कि जांच आख्या में उन्होंने यह उल्लिखित किया है कि परिवादी के फ्रिज में ठण्डक न होने की शिकायत थी। परिवादी ने आवश्यक मरम्मत करने से इन्कार किया। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादी ने कम्पनी के इंजीनियर के जांच हेतु आने के तथ्य से इन्कार नहीं किया है किन्तु परिवादी का यह कथन है कि परिवाद योजित कर दिए जाने के कारण उसने फ्रिज की मरम्मत की अनुमति नहीं दी। प्रत्यर्थी सं0-२ के इंजीनियर द्वारा प्रस्तुत की गई आख्या में यह तथ्य उल्लिखित नहीं है कि परिवादी के फ्रिज की मरम्मत हेतु फ्रिज का कार्यशाला में ले जाया जाना आवश्यक था जिसकी अनुमति परिवादी ने नहीं दी। कम्पनी के इंजीनियर द्वारा प्रस्तुत आख्या से यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यद्यपि फ्रिज की मरम्मत किया जाना सम्भव था किन्तु परिवादी द्वारा मरम्मत की अनुमति न दिए जाने के कारण मरम्मत नहीं की जा सकी। प्रत्यर्थी सं0-२ कम्पनी के इंजीनियर की इस आख्या के आलोक में अपीलार्थी द्वारा भेजे गये मैकेनिक कुलदीप कुमार के शपथ पत्र का यह अभिकथन स्वीकार किए जाने योग्य नहीं माना जा सकता कि प्रश्नगत फ्रिज बाहरी चोट लगने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया और पाइप लाइन की मरम्मत हेतु बेल्डिंग की आवश्यकता थी।
जहॉं तक अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क का प्रश्न है कि गैस लीक की समस्या का निराकरण वारण्टी शर्तों से आच्छादित नहीं था। अपीलार्थी ने अपील मेमो के साथ प्रश्नगत फ्रिज से सम्बन्धित वारण्टी अभिलेख के दो पृष्ठ दाखिल किए है जिनमें उल्लिखित तथ्य से यह विदित नहीं होता है कि गैस लीक की समस्या का निराकरण वारण्टी की शर्तों के अनुसार सम्भव नहीं था बल्कि वारण्टी से सम्बन्धित
-६-
वारण्टी कार्ड के ०२ पृष्ठों की उपलब्ध कराई गई फोटोप्रति में यह तथ्य उल्लिखित है कि क्रय की तिथि से एक वर्ष की अवधि के मध्य कम्पनी नि:शुल्क मरम्मत प्रदान करेगी। प्रश्नगत फ्रिज में गैस निकल जाने की समस्या फ्रिज क्रय किए जाने के १० माह में उत्पन्न होना निर्विवाद है। इस प्रकार यह समस्या एक वर्ष के अन्दर ही उत्पन्न हुई। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि गैस लीक होने की समस्या का निराकरण वारण्टी की शर्तों के अन्तर्गत सम्भव नहीं था।
पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों के अवलोकन से यह विदित होता है कि अपीलार्थी अथवा प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा कोई ऐसी साक्ष्य जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई जिससे यह प्रमाणित हो कि प्रश्नगत फ्रिज में गैस निकल जाने की समस्या किसी बाहरी चोट के कारण उत्पन्न हुई। अपीलार्थी द्वारा मात्र अपने मैकेनिक कुलदीप कुमार का शपथ पत्र इस सन्दर्भ में प्रस्तुत किया गया है। यह भी उल्लेखनीय है कि स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी ने राकेश कुमार नाम के मैकेनिक का शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया है जिसमें उसने गैस लीक की समस्या को तकनीकी समस्या होना बताया है। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं माना जा सकता कि किसी बाहरी चोट के कारण प्रश्नगत फ्रिज में गैस निकल जाने की समस्या उत्पन्न हुई।
जहॉं तक अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता इस तर्क का प्रश्न है कि निर्माण सम्बन्धी त्रुटि के लिए अपीलार्थी उत्तरदायी नहीं है क्योंकि वह मात्र डीलर था निर्माणकर्ता नहीं। इस सन्दर्भ में उल्लेखनीय है कि ऐसा कोई तथ्य अपीलार्थी ने जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत अपने प्रतिवाद पत्र में अभिकथित नहीं किया है, बल्कि प्रतिवाद पत्र में अपीलार्थी द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि परिवादी द्वारा शिकायत प्राप्त होने पर अपीलार्थी ने अपना मैकेनिक शिकायत के निराकरण हेतु भेजा था और उसके मैकेनिक ने अपीलार्थी की कार्यशाला में फ्रिज मरम्मत हेतु पहुँचाने की बात कही थी। अपील के आधारों में भी अपीलार्थी द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि अपीलार्थी फ्रिज के कार्याशाला में उपलब्ध कराए जाने पर गैस डालकर फ्रिज को ठीक कराने को
-७-
तैयार है। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी का यह कथन स्वीकार किए जाने योग्य नहीं माना जा सकता कि वारण्टी अवधि में क्रय किए गये फ्रिज में उत्पन्न त्रुटियों के निराकरण का दायित्व अपीलार्थी का नहीं था।
जहॉं तक प्रश्नगत निर्णय द्वारा प्रदान किए गये अनुतोष का प्रश्न है विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत फ्रिज की पूर्ण विक्रय धनराशि वापस करने हेतु आदेशित किया है। यह तथ्य निर्विवाद है कि फ्रिज में मात्र गैस निकल जाने की समस्या थी। यह तथ्य भी निर्विवादहै कि कम्पनी का इंजीनियर दिनांक २३-०२-२००१ को फ्रिज ठीक करने परिवादी के निवास स्थान पर गया था किन्तु परिवादी द्वारा उसे प्रश्नगत फ्रिज की मरम्मत करने की अनुमति प्रदान नहीं की गई। परिवादी के कथनानुसार परिवाद लम्बित होने के कारण उसने कम्पनी के इंजीनियर को मरम्मत का कार्य करने की अनुमति नहीं दी। यह निर्विवादित तथ्य है कि प्रश्नगत फ्रिज में शिकायत उत्पन्न होने के लगभग १० माह बाद कम्पनी का इंजीनियर फ्रिज की मरम्मत करने हेतु गया। इस अवधि में निश्चित रूप से परिवादी को फ्रिज के उपयोग से वंचित रहना पड़ा होगा किन्तु मात्र परिवाद लम्बित रहने के आधार पर प्रश्नगत फ्रिज की मरम्मत की अनुमति प्रदान न किया जाना तर्कसंगत नहीं माना जा सकता। तत्काल फ्रिज की मरम्मत हेतु प्रभावी कदम अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा नहीं उठाया जाना हमारे विचार से सेवा में त्रुटि माना जायेगा किन्तु मामले की परिस्थितियों के आलोक में प्रश्नगत फ्रिज के क्रय की सम्पूर्ण धनराशि की वापसी हेतु आदेशित किया जाना उपयुक्त नहीं होगा। प्रस्तुत मामले में सेवा में कमी की प्रकृति के सापेक्ष क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायासंगत होगा। हमारे विचार से प्रत्यर्थी/परिवादी ३,०००/- रू० बतौर क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायसंगत होगा। अपील तद्नुसार आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच, मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-१७३/२००० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०२-२००४ निरस्त किया जाता है। परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२
-८-
को पृथक-पृथक एवं संयुक्त रूप से आदेशित किया जाता है कि निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर प्रत्यर्थी/परिवादी को ३,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में तथा १,०००/- रू० परिवाद व्यय के रूप में कुल ४,०००/- रू० अदा करें। निर्धारित अवधि में धनराशि अदा न किए जाने की स्थिति में निर्णय की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक प्रत्यर्थी/परिवादी उपरोक्त धनराशि पर ०८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-३.