राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-478/2017
(सुरक्षित)
Smt. Alpana Katiyar adult, wife of Late Prashant Kumar Ashish, resident of House No. 4/281, Vivek Khand Gomti nagar Lucknow (U.P.)
....................परिवादिनी
बनाम
M/S Amrapali Zodiac Developers Pvt. Ltd., Registered Office – 307, 3rd floor, Nipun Towers, Karkardooma, Community Centre, Delhi – 92 and Corporate Office – C-56/40, Sector – 62, Noida, (U.P.), through its Managing Director.
...................विपक्षी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री अंजनी नाथ खरे,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 17-07-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादिनी श्रीमती अल्पना कटियार ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षी मै0 आम्रपाली जोडियेक डेवलपर्स प्रा0लि0 के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
(a) The opposite party may be directed to deliver the possession of the booked flat specified in the allotment agreement contained as annexure no. 1 to the present complaint and in case of failure to deliver
-2-
the possession of the flat the opposite party may be directed to pay Rs:60,00,196/- along with 15% interest per annum from the date of deposit till the date of actual payment.
(b) The opposite party may be directed to pay a compensation of Rs:2,00,000/- for mental agony and physical harassment.
(c) The opposite party may be directed to pay a cost of this complaint Rs:10,000/- to the complainant.
(d) Any other relief, which this Hon’ble Commission may deem fit, proper and justified, may also be awarded to the complainant against the opposite party.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि वर्ष 2013 में उसके पति ने 5,95,000/-रू0 बुकिंग धनराशि जमा कर विपक्षी मै0 आम्रपाली जोडियेक डेवलपर्स प्रा0लि0 की परियोजना में फ्लैट बुक किया और विपक्षी ने इस सन्दर्भ में परिवादिनी के पति से करार दिनांक 24.08.2013 को किया तथा उसे आम्रपाली जोडियेक परियोजना में GH-03, सेक्टर-120, नोएडा में फ्लैट नं0 A-G04 क्षेत्रफल 1325 वर्गफीट एलाट किया, जिसका कुल मूल्य 57,63,750/-रू0 था और 51,500/-रू0 कब्जे के समय दिया जाना था। इस प्रकार फ्लैट की कुल लागत 58,15,250/-रू0 कब्जा देने
-3-
के समय तक थी।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि परिवादिनी के पति ने भुगतान हेतु कांस्ट्रक्श्ान लिंक इंस्टालमेंट प्लान चुना और एलाटमेन्ट एग्रीमेन्ट के प्रस्तर 27(a) के अनुसार निर्माण 36 महीने में पूरा किया जाना था, जो 42 महीना हो सकता था। इस प्रकार फ्लैट का कब्जा फरवरी 2017 तक दिया जाना था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि परिवादिनी के पति ने 9,00,000/-रू0 दिनांक 17.10.2013 को और 6,00,000/-रू0 दिनांक 21.10.2013 को विपक्षी के यहॉं जमा किया। उसके बाद बैंक आफ बड़ौदा, नई दिल्ली से ऋण स्वीकृत कराया। बैंक के ऋण स्वीकृत पत्र दिनांक 21.10.2013 में यह उल्लेख था कि बारोअर के मार्जिन मनी के साथ भुगतान किया जाना है, जो बिल्डर द्वारा फ्लेक्सी (कांस्ट्रक्शन लिंक) पेमेन्ट प्लान के अनुसार मांग किये जाने पर भुगतान होना है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि परिवादिन के पति श्री प्रशान्त कुमार आशीष, बैंक आफ बड़ौदा और विपक्षी आम्रपाली जोडियेक डेवलपर्स प्रा0लि0 के बीच एक त्रिपक्षीय करार दिनांक 02.11.2013 को निष्पादित किया गया और दिनांक 18.11.2013 को बैंक आफ बड़ौदा ने बैंकर्स चेक नं0 25653 दिनांकित 18.11.2013, 34,43,991/-रू0 का विपक्षी आम्रपाली जोडियेक डेवलपर्स प्रा0लि0 के नाम से जारी किया। इसके
-4-
साथ ही विपक्षी के मांग करने पर परिवादिनी के पति ने दिनांक 27.06.2015 को 1,05,764/-रू0 और दिनांक 01.08.2015 को 1,00,000/-रू0 विपक्षी के यहॉं जमा किया। इस प्रकार परिवादिनी के पति ने कुल 57,44,755/-रू0 विपक्षी के यहॉं जमा किया है, जिसकी पुष्टि विपक्षी द्वारा दिनांक 26.05.2016 को जारी लेजर की प्रति से होती है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि जुलाई 2016 में विपक्षी ने 2,55,441/-रू0 का डिमाण्ड लेटर उसके पति के पास भेजा तब उसके पति ने 2,55,441/-रू0 विपक्षी के यहॉं दिनांक 13.07.2016 को जमा किया। इस प्रकार परिवादिनी के पति ने कुल 60,00,196/-रू0 विपक्षी के यहॉं जमा किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसे आवंटित फ्लैट का कब्जा फरवरी 2017 तक दिया जाना था, परन्तु दुर्भाग्यवश उसके पति की मृत्यु दिनांक 23.01.2017 को हो गयी। अपने पति की मृत्यु के सदमें से उबरने के बाद वह मार्च 2017 में विपक्षी के यहॉं गयी और अपने पति की मृत्यु की सूचना व मृत्यु प्रमाण पत्र दिया तथा विपक्षी से फ्लैट के कब्जे के सम्बन्ध में जानकारी चाही तो उसने कहा कि कब्जा हेतु उसे पत्र भेजा जायेगा और उसके बाद कब्जा अप्रैल 2017 में दिया जायेगा, परन्तु न तो विपक्षी ने उसे कोई पत्र भेजा और न ही अप्रैल 2017 में कब्जा दिया। अत: परिवादिनी पुन: विपक्षी के पास मई 2017 में गयी और कब्जे के बारे में जानकारी चाही तो विपक्षी ने कहा कि निर्माण
-5-
पूरा हो चुका है। 15 दिन के अन्दर कब्जा दिया जायेगा। फिर भी उसने निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा नहीं दिया है, जिससे परिवादिनी को काफी मानसिक पीड़ा व कष्ट हुआ। उसे आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ रही है। अत: परिवादिनी ने क्षुब्ध होकर परिवाद राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी है, जो अदम तामील वापस नहीं आयी है। अत: 30 दिन की अवधि समाप्त होने पर नोटिस का तमीला पर्याप्त माना गया है। फिर भी विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न ही लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है। अत: विपक्षी के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
परिवादिनी ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और परिवाद पत्र के संलग्नक-1 के रूप में एलाटमेन्ट कम फ्लैट बायर एग्रीमेन्ट दिनांक 24.08.2013 की प्रति प्रस्तुत की है, जिससे यह स्पष्ट है कि परिवादिनी के पति श्री प्रशान्त कुमार आशीष को प्रश्नगत यूनिट नं0 A-G04 फ्लोर ग्राउण्ड आम्रपाली जोडियेक डेवलपर्स प्रा0लि0 की प्रश्नगत परियोजना में आवंटित किया गया है। आवंटन पत्र से यह भी स्पष्ट है कि परिवादिनी के पति ने 5,82,996/-रू0 विपक्षी को आवंटन करार के पहले अदा किया है। शेष धनराशि 52,32,254/-रू0 का भुगतान फ्लैक्सी पेमेन्ट प्लान के अनुसार किया जाना था।
परिवाद पत्र का संलग्नक-2 बैंक आफ बड़ौदा द्वारा
-6-
परिवादिनी के पति को स्वीकृत लोन का सैंक्शन लेटर है। परिवाद पत्र का संलग्नक-3 परिवादिनी के पति, बैंक व विपक्षी के बीच निष्पादित Tripartite Agreement की प्रति है। परिवाद पत्र का संलग्नक-4 बैंक आफ बड़ौदा द्वारा विपक्षी मै0 आम्रपाली जोडियेक डेवलपर्स प्रा0लि0 को लिखित पत्र दिनांक 18.11.2013 की प्रति है, जिसमें चेक सं0 250653 दिनांकित 18.11.2013 द्वारा विपक्षी को 34,43,991/-रू0 का भुगतान किये जाने का उल्लेख है। बैंक द्वारा विपक्षी को प्रेषित चेक की फोटो प्रति भी पत्रावली के पृष्ठ 35 पर संलग्न है।
परिवादिनी ने परिवाद पत्र का संलग्नक-5 अपने एकाउण्ट की विपक्षी के लेजर की प्रति प्रस्तुत की है। परिवाद पत्र का संलग्नक-6 विपक्षी द्वारा परिवादिनी के पति को प्रेषित डिमाण्ड लेटर की प्रति है। परिवादिनी ने अपने पति के मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति, परिवाद-पत्र का संलग्नक-7, भी प्रस्तुत किया है।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अंजनी नाथ खरे उपस्थित आये हैं। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के संलग्नक-1 एलाटमेन्ट कम फ्लैट बायर एग्रीमेन्ट के प्रस्तर 27(a) में उल्लेख है कि डेवलपर निर्माण कार्य 36 महीने में पूरा करेगा, जिसमें 06 महीने की बढ़ोत्तरी हो सकती
-7-
है। इसके साथ ही यह भी उल्लेख है कि यह अवधि फोर्स मेज्योर परिस्थितियों के अधीन होगी। फोर्स मेज्योर परिस्थितियों में विपक्षी निर्माण हेतु और समय ले सकता है। अत: यह स्पष्ट है कि विपक्षी को एलाटमेन्ट करार से 42 महीने के अन्दर कब्जा देना था और यह अवधि एलाटमेन्ट करार पत्र की तिथि दिनांक 24.08.2013 से शुरू होकर फरवरी 2017 में पूरी होती है, परन्तु अब तक परिवादिनी को कब्जा आवंटित फ्लैट पर विपक्षी ने निर्माण पूरा कर नहीं दिया है। विपक्षी को 60,00,196/-रू0 का भुगतान परिवादिनी के पति द्वारा किया जा चुका है। परिवादिनी के पति की मृत्यु भी हो चुकी है। उसे भवन की आवश्यकता है। विपक्षी की ओर से उपस्थित होकर लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथन का खण्डन नहीं किया गया है और न ही परिवादिनी को आवंटित फ्लैट के कब्जे में विलम्ब का कोई कारण बताया गया है।
सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त यह मानने हेतु उचित आधार है कि विपक्षी ने परिवादिनी को आवंटित फ्लैट का कब्जा करार पत्र के अनुसार निर्धारित समय के अन्दर निर्माण पूरा कर नहीं दिया है। अत: उसने सेवा में कमी की है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त यह उचित प्रतीत होता है कि विपक्षी को यह आदेशित किया जाये कि वह परिवादिनी के पति को आवंटित फ्लैट का निर्माण पूरा कर तीन मास के अन्दर परिवादिनी को कब्जा प्रदान करे तथा उसके पक्ष में आवश्यक विलेख निष्पादित करे। यदि इस
-8-
अवधि में विपक्षी द्वारा फ्लैट का निर्माण पूरा कर आवंटित फ्लैट का कब्जा परिवादिनी को नहीं दिया जाता है तो विपक्षी परिवादिनी के पति द्वारा जमा सम्पूर्ण धनराशि 60,00,196/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक परिवाद पत्र में याचित दर 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित परिवादिनी को वापस करे।
परिवादिनी को 10,000/-रू0 वाद व्यय दिया जाना भी उचित प्रतीत होता है।
परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र में याचित अनुतोष ‘बी’ वाद के तथ्यों एवं प्रदान की जा रही अनुतोष के परिप्रेक्ष्य में प्रदान किया जाना उचित नहीं प्रतीत होता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी के पति के नाम आवंटित फ्लैट का निर्माण पूरा कर परिवादिनी को तीन मास के अन्दर कब्जा प्रदान करे और आवश्यक विलेख निष्पादित करे। यदि विपक्षी इस अवधि में परिवादिनी को निर्माण पूरा कर फ्लैट का कब्जा देने में असफल रहता है तो ऐसी स्थिति में वह परिवादिनी के पति द्वारा जमा सम्पूर्ण धनराशि 60,00,196/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ परिवादिनी को वापस करेगा।
विपक्षी, परिवादिनी को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी प्रदान करेगा।
-9-
परिवादिनी अपने पति द्वारा जमा उपरोक्त धनराशि ब्याज सहित विपक्षी से प्राप्त करने हेतु अपने पति का सक्षम न्यायालय द्वारा जारी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1