राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
परिवाद संख्या:-231/2018
1- Mr. Neerad Mittal, S/o Sri Shanti Bhushan, R/o I-1102, Mont Vert Tropez Waked, Pune-411057.
2- Mrs. Nidhi Mittal, W/o Sri Neerad Mittal, R/o I-1102, Mont Vert Tropez Waked, Pune-411057.
........... Complainant
Versus
Amrapali Leisure Valley Pvt. Ltd. Registered Office at-307, 3rd Floor, Nipun Tower Plot No. 15, Community Center, Karkardooma, Delhi-11009, through its Managing Director/Chairman.
……..…. Opp. Party
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :-09-7-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादीगण श्री नीरद मित्तल और श्रीमती निधि मित्तल ने यह परिवाद विपक्षी आम्रपाली लेजर वैली प्राइवेट लिमिटेड के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
1- To direct the opposite parties to refund the entire deposited amount Rs. 63,73,683/- with 9% interest on the amount deposited by the complainant with the effect from the respective dates of deposit to till the date of filing the complaint case i.e. till 2018 and thereafter 24% interest on the amount deposited by the complainant
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from the date of filing the complaint case to till the date of realization.
2- To direct the opposite parties to pay a sum of Rs. 1,00,000/-(Rupees One Lakh Only) as physical & mental agony and harassment to Complainant.
3- To allow the complaint and direct the opposite parties to pay a sum of Rs. 55,000/- towards cost of the case.
4- Any other order which this Hon’ble State Commission may deem fit and proper in the circumstances of the case may also be passed in fevour of complainant.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षी ने वर्ष-2010 में विज्ञापन प्रकाशित कर अपनी आम्रपाली लेजर वैली परियोजना में विला आवंटन हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित किया, जिसके अनुसार यह आश्वासन दिया गया था कि विला का कब्जा 24 महीने में दिया जायेगा और निर्माण कार्य प्रारम्भ हो चुका है। अत: विपक्षी के विज्ञापन से प्रभावित होकर परिवादी, विपक्षी से मिला और यूनिट नं0-ए-265 आम्रपाली लेजर वैली ग्रेटर नोएडा, जिसका क्षेत्रफल 1825 वर्ग फिट था, के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। विला का कुल मूल्य 61,75,000.00 रू0 था, जो परिवादीगण को संयुक्त रूप से दिनांक 07.11.2010 को आवंटित किया गया और दिनांक 07.11.2010 को विपक्षी ने करार पत्र निष्पादित किया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण ने कुल धनराशि 63,73,683.00 रू0 परिवाद प्रस्तुत करने तक विपक्षी के यहॉ जमा
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किया है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने एच0डी0एफ0सी0 बैंक से ऋण उपरोक्त विला के विरूद्ध लिया है, जिसका भुगतान मासिक किश्तों में वह कर रहा है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि परिवादी जब निर्माणस्थल पर गया तो देखा कि वहॉ कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है। जिस पर परिवादी ने अपनी आपत्ति दर्ज करायी तो उसे विपक्षी ने आश्वासन दिया कि कब्जा नवम्बर, 2012 में दे दिया जायेगा। परन्तु जब पुन: परिवादी नवम्बर, 2012 में गया, तो पता चला कि कोई कार्य शुरू नहीं किया गया है। अत: उसने पुन: अपना विरोध विपक्षी के यहॉ दर्ज कराया। उसके बाद वह विपक्षी के पास गया तो उसे विपक्षी ने दिसम्बर, 2014 तक कब्जा देने को कहा और कहा कि विलम्ब हेतु 5.00 रू0 प्रति वर्ग फिट की दर से बायर एग्रीमेंट के क्लॉज 19 (डी) के तहत उसे मुआवजा दिया जायेगा, फिर भी विपक्षी ने परिवादीगण को कब्जा नहीं दिया। अत: परिवादीगण ने विपक्षी की सेवा में कमी से क्षुब्ध होकर परिवाद प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
परिवाद पत्र के साथ परिवादी ने एलॉटमेंट कम विला बायर एग्रीमेंट एवं दिनांक 13.6.2010 को 5,00,000.00 रू0, दिनांक 03.8.2010 को 1,17,500.00 रू0, दिनांक 12.01.2011 को 5,84,938.00 रू0, 07.02.2011 को 3,80,210.00 रू0, दिनांक 07.02.2011 को 39,971.00 रू0, दिनांक 07.02.2011 को
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5,54,716.00 रू0, 16.02.2011 को 2,92,469.00 रू0, दिनांक 23.02.2011 को 9,03,190.00 रू0, दिनांक 23.3.2011 को 23,257.00 रू0, दिनांक 27.12.2013 को 1,17,553.00 रू0, दिनांक 23.01.2014 को 7,00,000.00 रू0, दिनांक 05.7.2014 को 3,00,000.00 रू0, दिनांक 09.7.2014 को 3,97,582.00 रू0 और दिनांक 04.01.2016 को 3,31,719.00 रू0 जमा की रसीदों की प्रतियॉ प्रस्तुत की हैं।
परिवादी ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी नीरद मित्तल का शपथपत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी की ओर से नोटिस का तामीला पर्याप्त माने जाने के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न ही कोई लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है। अत: विपक्षी के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एक पक्षीय रूप से की गई है।
परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित आये है। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवादी द्वारा प्रस्तुत एलॉटमेंट कम विला एग्रीमेंट से स्पष्ट है कि यह एलॉटमेंट दिनांक 07.11.2010 को परिवादी के नाम किया गया है और आवंटित विला की बेसिक सेल प्राइज 58,66,250.00
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रू0 और Preferential Location Charges 3,08,750.00 रू0 है, इस प्रकार विला का कुल मूल्य 61,75,000.00 रू0 है।
एलॉटमेंट करार के प्रस्तर 19 (ए) के अनुसार विपक्षी ने विला का निर्माण कार्य प्रारम्भ होने के 24 महीने में पूरा करने का आश्वासन दिया है, जिसमें 06 महीने की बढोत्तरी हो सकती है और निर्माण की उपरोक्त अवधि Force Majeure कारणों की दशा में लागू नहीं मानी जायेगी।
विपक्षी की ओर से परिवाद पत्र के कथन के खण्डन में लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है और न ही कोई शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है। अत: परिवाद पत्र के कथन व परिवादी नीरद मित्तल के शपथपत्र के आधार पर यह मानने हेतु उचित और युक्ति संगत आधार है कि विपक्षी ने अब तक परिवादीगण को आवंटित विला का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है और कब्जा नहीं दिया है जबकि आवंटन पत्र के बाद साढे आठ साल से अधिक समय बीत चुका है। परिवादीगण ने विपक्षी को कुल 52,43,105.00 रू0 की धनराशि के भुगतान की रसीदे प्रस्तुत किया है। जबकि परिवादीगण के अनुसार उन्होंने विपक्षी को 63,73,683.00 रू0 का भुगतान किया है।
परिवादीगण को विपक्षी ने विला का निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा नहीं दिया है और न कब्जा का आफर दिया है। अत: विपक्षी से परिवादीगण की जमा धनराशि वापस दिलाया जाना उचित है। विपक्षी से परिवादीगण ने अपनी जमा धनराशि मात्र 09 प्रतिशत
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वार्षिक ब्याज के साथ वापस चाही है। परिवादीगण द्वारा मॉगी गई 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर उचित और युक्ति संगत है। परिवादीगण ने निर्णय के बाद जो 24 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज मॉगा है, वह स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
परिवादी द्वारा उपरोक्त धनराशि विपक्षी के यहॉ जमा किये जाने के बाद भी परिवादीगण को विला प्राप्त नहीं हुआ है और परिवादीगण की उपरोक्त धनराशि से विपक्षी लाभान्वित हो रहा है, जबकि परिवादीगण उपरोक्त धनराशि के लाभ से वंचित रहे हैं। अत: मैं इस मत का हॅू कि परिवादीगण ने जो 1,00,000.00 रू0 मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति मॉगी है, वह भी उचित और युक्ति संगत है। परिवादीगण को 10,000.00 रू0 वाद व्यय दिया जाना भी उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण की जमा सम्पूर्ण धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित वापस करें। साथ ही 1,00,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु परिवादीगण को अदा करे।
विपक्षी परिवादीगण को 10,000.00 रू0 वाद व्यय भी अदा करेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1