Uttar Pradesh

StateCommission

A/1140/2017

Star Health alied Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Amit Chaudhary - Opp.Party(s)

Shishir Pradhan

15 Mar 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1140/2017
( Date of Filing : 28 Jun 2017 )
(Arisen out of Order Dated 03/05/2017 in Case No. C/29/2016 of District Ghaziabad)
 
1. Star Health alied Insurance Co. Ltd
Zonal Office 501 Lekhraj Market 3 Faizabad Road Indira Nagar Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Amit Chaudhary
S/O Sri Kehar Singh R/O 522 Village and Post Sadarpur Ghaziabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 15 Mar 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1140/2017

स्‍टार हेल्‍थ एण्‍ड एलाईड इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड

बनाम

अमित चौधरी पुत्र श्री केहर सिंह

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष           

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री शिशिर प्रधान

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : कोई नहीं।

दिनांक :-15.3.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ स्‍टार हेल्‍थ एण्‍ड एलाईड इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-29/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 03.5.2017 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा एक फैमली हैल्थ ओप्टिमा पॉलिसी चार लाख रूपये की अपीलार्थी/विपक्षीगण से ली गई थी, जो दिनांक 15-01-2015 से दिनांक 14-01-2016 तक वैध थी एवं रू0 4,00,000.00 फ्लोटर स्कीम के तहत प्राप्त हो सकता था। दुर्भाग्यवश दिनांक 22-02-2015 को फीवर के कारण गाजियाबाद के गार्गी अस्पताल में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को भर्ती कराया गया, जो अपीलार्थी/विपक्षी के पैनल पर है, जिसमें प्रत्‍यर्थी/परिवादी को लगभग 26,200/- रू0 इलाज में खर्च हुआ, इसके बाद पुनः तबीयत ठीक न होने पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को पुन: भर्ती कराया गया, जिसमें 21,374/- रू0

 

-2-

का खर्च हुआ और जब क्लेम प्रस्‍तुत किया गया तब अपीलार्थी/विपक्षीगण ने यह कहकर क्लेम नहीं दिया कि उसको नौ वर्ष से ANXIETY NEUROSIS AND DEPRESSION था इस कारण भुगतान नहीं किया जा सकता है जबकि ऐसी कोई शर्त बीमा में नहीं थी और नौ वर्ष पहले से ऐसी कोई बीमारी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नहीं थी, न ही अपीलार्थी/विपक्षीगण उसको साबित कर सका है, केवल मौखिक कथन करके क्लेम निरस्त कर दिया गया है अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया मात्र मौखिक कथन कर परिवाद का विरोध किया गया।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह बीमा क्‍लेम धनराशि अंकन 47,574.00 रूपये 06 प्रतिशत ब्‍याज सहित क्‍लेम निरस्‍त करने की दिनांक से 60 दिन के अन्‍दर परिवादी को अदा करे। विपक्षीगण हर्जे के रूप में 5000.00 रूपये तथा वाद व्‍यय के रूप में 2000.00 रू0 भी 60 दिन के अन्‍दर परिवादी को अदा करे।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

 

-3-

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता को विस्‍तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता अनुपस्थिति है।  

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्‍मत है, परन्‍तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध हर्जे के रूप में रू0 5,000.00 (रू0 पॉच हजार) तथा वाद व्‍यय के रूप में रू0 2,000.00 (रू0 दो हजार) की देयता निर्धारित की है, वह वाद के सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए अधिक प्रतीत हो रही है, तद्नुसार हर्जे के रूप में रू0 5,000.00 (रू0 पॉच हजार) की देयता को रू0 2,000.00 (रू0 दो हजार) तथा वाद व्‍यय के रूप में रू0 2,000.00 (रू0 दो हजार) की देयता को रू0 1,000.00 (रू0 एक हजार) में परिवर्तित किया जाना उचित पाया जाता है। तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।

अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि़ में किया जाना सुनिश्चित करें।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय

 

-4-

अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

     आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                  (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    

                                             अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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