Rajasthan

Jaipur-IV

CC/1238/2012

Sanjay Kumar Gupta - Complainant(s)

Versus

Amit Calonizers ltd. - Opp.Party(s)

Vinay Singhavi

09 Feb 2015

ORDER

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                         पीठासीन अधिकारी
     डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-1238/2012 (पुराना परिवाद संख्या 1094/2006)

श्री संजय कुमार गुप्ता पुत्र श्री शाहू गुप्ता, जाति महाजन, उम्र 35 वर्ष, पता- प्लाॅट संख्या 26, तत्कालेश्वर पुरी, हीदा की मोरी, रामगंज बाजार, जयपुर ।  

परिवादी
बनाम

मैसर्स अमित काॅलोनाईजर्स लिमिटेड जरिये प्रबन्ध निदेशक, दुकान संख्या 25 के ऊपर, अनाज मण्डी, घाटगेट बाजार, जयपुर ।
                                विपक्षी

उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री विनय सिंघवी, एडवोकेट
विपक्षी की ओर से श्री रामचन्द्र शर्मा, एडवोकेट

        निर्णय
दिनांकः- 09.02.2015

यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध दिनंाक 25.09.2006 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षी की आवासीय योजना आशियाना डी.1, डी.2, डी.3 एवं डी.4 में से किसी एक में अपने परिवार के लिए एक भूखण्ड 17,550/-रूपये में लेने हेतु सदस्यता ग्रहण की । परिवादी को समस्त राशि 450/-रूपये की 39 किश्तों में जमा करानी थी और 800/-रूपये पिल्लर चार्जेज के रूप में जमा कराने थे । परिवादी द्वारा 25 मासिक किश्तें जमा कराने के बाद सदस्य को भूखण्ड का कब्जा मय साईट  प्लान, कब्जा पत्र एवं विक्रय पत्र देना तय किया । विपक्षी ने परिवादी को डी.2, आशियाना आवासीय योजना, ट्रांसपोर्ट नगर चैराहा से 9 किलोमीटर माली की कोठी, लखेसरा, आगरा रोड, जयपुर में दिये जाने की घोषणा की और तब तक परिवादी ने विपक्षी को 31 किश्तों द्वारा 13,950/-रूपये जमा करवा दिये थे । लेकिन विपक्षी ने परिवादी द्वारा उक्त किश्तों के अतिरिक्त 800/-रूपये पिल्लर चार्जेज के पैसे जमा करा देने के बाद उसे आवंटित भूखण्ड का कब्जा प्रदान नहीं किया । जो विपक्षी का सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षी से परिवाद के मद संख्या 11 में अंकित सभी अनुतोेष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
 विपक्षी की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी नियम एवं शर्तांे के अनुसार किश्तों के भुगतान में चार बार डिफाल्टर रहा हैं । इसलिए डिफाल्टर होने के कारण परिवादी भूखण्ड प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं । परिवादी को आवंटित भूखण्ड वास्तव में राजस्थान सरकार द्वारा अवाप्त कर लिया गया है और इसके लिए परिवादी को विपक्षी की ओर से जारी बुकलेट में अंकित शर्तों के अनुसार अन्य स्थल पर भूखण्ड आवंटित किया जा सकता हैं या राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा प्रचलित ब्याज दर को आधार मानकर परिवादी द्वारा जमा करवाई गई राषि उसे वापस लौटाई जा सकती हैं । चूंकि परिवादी को आवंटित भूमि विपक्षी के पास नहीं रही है और उसे राजस्थान सरकार द्वारा अवाप्त कर लिया गया है इसलिए उसे निम्न तीन विकल्प दिये गये हैंः-
विकल्प नम्बर 1ः- जयपुर शहर के नजदीक रामगढ़ रोड पर ग्राम पालेड़ा के  
                       पास भूखण्ड ।
विकल्प नम्बर 2ः- आगरा रोड पर ग्राम जिरोता में भूखण्ड ।
विकल्प नम्बर 3ः-जो आवेदक दोनों जगह पर भूखण्ड नहीं लेना चाहते, ऐसे    
                     आवदेक कम्पनी नियमानुसार प्रचलित बैंक ब्याज दर सहित  
                     अपनी जमा राशि प्राप्त कर सकते हैं । 
अतः परिवादी को आवंटित भूखण्ड राजस्थान सरकार द्वारा अवाप्त कर लिये जाने एवं परिवादी के किश्तों के भुगतान में डिफाल्टर होने के कारण विपक्षी ने परिवादी के प्रति कोई सेवादोष कारित नहीं किया हैं । इसलिए परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें । 
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री संजय कुमार गुप्ता ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 12 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये ।  जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी की ओर से श्री विजय कुमार विजयवर्गीय का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजात अभिलेख पर लिये जाने के आदेश दिनंाक 29.01.2010 को दिये गये । विपक्षी की ओर से कुल 15 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
परिवादी एवं विपक्षी दोनों की ओर से लिखित तर्क प्रस्तुत किये गये ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने परिवाद में विपक्षी द्वारा घोषित आशियाना आवासीय योजना डी.2 में उसे विपक्षी द्वारा आवंटित भूखण्ड का कब्जा दिलाये जाने की मांग की हैं । लेकिन विपक्षी द्वारा परिवादी को उक्त भूखण्ड का कब्जा दिलाया जाना अब सम्भव नहीं हैं क्योंकि राजस्थान सरकार द्वारा वह भूमि, जिस पर उक्त भूखण्ड स्थित था, अवाप्त कर ली गई हैं । विपक्षी की यह भूमि राजस्थान सरकार ने अवाप्त की है, इस बिन्दु को सिद्ध करने के लिए विपक्षी की ओर से राजस्थान सरकार की तत्संबंधी अधिसूचना दिनांकित 15.07.2005 की प्रति प्रस्तुत की गई है । और उक्त भूमि अवाप्त किये जाने के फलस्वरूप विपक्षी ने अब परिवादी को निम्न तीन विकल्प दिये हैंः-
विकल्प नम्बर 1ः- जयपुर शहर के नजदीक रामगढ़ रोड पर ग्राम पालेड़ा के  
                       पास भूखण्ड ।
विकल्प नम्बर 2ः- आगरा रोड पर ग्राम जिरोता में भूखण्ड ।
विकल्प नम्बर 3ः-जो आवेदक दोनों जगह पर भूखण्ड नहीं लेना चाहते, ऐसे    
                     आवदेक कम्पनी नियमानुसार प्रचलित बैंक ब्याज दर सहित  
                     अपनी जमा राषि प्राप्त कर सकते हैं । 
इन तीनों विकल्पों में से कोई भी एक विकल्प परिवादी चुनने का अधिकार रखता हैं और इन तीनों विकल्पों को देखने से कोई भी विकल्प ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि विपक्षी परिवादी द्वारा जमा कराई गई राषि का दुरूपयोग करना चाहता हो या उसकी  परिवादी को भूखण्ड आवंटित करने में कोई बदनीयती हो ।
 अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी का कोई सेवादोष प्रस्तुत प्रकरण में प्रमाणित नहीं हैं । लेकिन न्याय हित में विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह इस आदेश के एक माह की अवधि में परिवादी को पत्र लिखकर उससे विकल्प प्राप्त करेगा और परिवादी भी उक्त पत्र प्राप्त होने के एक माह की अवधि में अपना विकल्प विपक्षी को प्रस्तुत करेगा । परिवादी को विपक्षी द्वारा वांछित विकल्प उपलब्ध नहीं कराने की परिस्थिति में पुनः विपक्षी के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार होगा ।
  आदेश
  अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर विपक्षी का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होने से परिवाद, परिवादी विपक्षी के विरूद्ध निरस्त किया जाता है । लेकिन न्याय हित में विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह इस आदेश के एक माह की अवधि में परिवादी को पत्र लिखकर उससे विकल्प प्राप्त करेगा और परिवादी भी उक्त पत्र प्राप्त होने के एक माह की अवधि में अपना विकल्प विपक्षी को प्रस्तुत करेगा । परिवादी को विपक्षी द्वारा वांछित विकल्प उपलब्ध नहीं कराने की परिस्थिति में पुनः विपक्षी के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार होगा ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 09.02.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा            डाॅं0 अलका शर्मा              डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष

 

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