राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2197/2015
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या 243/2012 में पारित आदेश दिनांक 14.07.2015 के विरूद्ध)
Shriram General Insurance Company Limited, E-8, EPIP, RIICO Industrial Area, Sitapura, Jaipur (Rajasthan) -302022 Branch Office 16, Chintal House, Station Road, Lucknow through its Manager. ...................अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
Amar Kumar S/o Banarasi Prasad resident of 1/1300, Sahitya Naka, Ram Nagar, Near Pani Tanki, Thana-Ramnagar, District – Varanasi. ................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अजय वाही,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 02-03-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-243/2012 अमर कुमार बनाम शाखा प्रबंधक श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 14.07.2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने उपरोक्त परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है कि
-2-
वह प्रत्यर्थी/परिवादी को वाहन की बीमित धनराशि से दुर्घटना में हुई क्षति की पूर्ति हेतु 2,46,977/-रू0, 10,000/-रू0 मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति और 2000/-रू0 वाद व्यय के साथ एक माह के अन्दर अदा करे। जिला फोरम ने यह भी आदेशित किया है कि यदि एक माह के अन्दर अपीलार्थी/विपक्षी उपरोक्त धनराशि अदा करने में असफल रहता है तो सम्पूर्ण धनराशि पर वह 08 प्रतिशत वार्षिक की दर से वाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्याज भी देने हेतु उत्तरदायी होगा।
अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री अजय वाही उपस्थित आए।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र में दुर्घटना की तिथि दिनांक 14.10.2011 अभिकथित की है, जबकि सर्वेयर को उसने दुर्घटना की तिथि दिनांक 16.10.2011 बतायी है और बीमा कम्पनी को दुर्घटना की तिथि दिनांक 21.10.2011 बतायी है। ऐसी स्थिति में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित दुर्घटना संदिग्ध है, परन्तु जिला फोरम ने इस बिन्दु पर विचार किए बिना आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि विरूद्ध पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि सर्वेयर ने कुल क्षतिपूर्ति की धनराशि 1,67,190/-रू0 निर्धारित किया है, जबकि जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी को 2,46,977/-रू0 प्रतिकर धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को देने हेतु आदेशित किया है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश इस आधार पर भी त्रुटिपूर्ण है। अत: निरस्त किए जाने योग्य है।
-3-
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश का समर्थन करते हुए तर्क किया कि अपीलार्थी/विपक्षी को जिला फोरम ने पर्याप्त अवसर दिया है, परन्तु उसने अपना लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से कार्यवाही करके कोई गलती नहीं की है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
उभय पक्ष के तर्क एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रत्यर्थी/परिवादी प्रश्नगत वाहन संख्या-यू0पी0 65 बी0टी0 3247 का पंजीकृत स्वामी है और उसका यह वाहन अपीलार्थी/विपक्षी की बीमा कम्पनी से दिनांक 05.08.2011 से दिनांक 04.08.2012 तक की अवधि हेतु बीमाकृत था।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का यह वाहन दिनांक 14.10.2011 को उस समय दुर्घटनाग्रस्त हुआ है, जब इसे चालक गुलाब चन्द्र कुशवाहा चला रहा था, जिसके पास वाहन चलाने का वैध ड्राइविंग लाइसेंस था। अपील मेमो के साथ अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से सर्वेयर आख्या की प्रति प्रस्तुत की गयी है, जिसमें दुर्घटना की तिथि और समय 16.10.2011 करीब 11 बजे दिन अंकित है और चालक का नाम श्री गुलाब चन्द्र कुशवाहा पुत्र श्री संकठा प्रसाद अंकित है। सर्वेयर आख्या की प्रति में दुर्घटना की तिथि और समय में 14.10.2011 पर ओवर राइटिंग कर दिनांक 16.10.2011 अंकित किया गया है और सर्वे की तिथि 24.10.2011 अंकित है। सर्वेयर आख्या में वाहन चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना अंकित है। सर्वेयर आख्या से भी प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित दुर्घटना होना और उक्त दुर्घटना में वाहन क्षतिग्रस्त होना प्रमाणित होता है। सर्वेयर ने भी क्षतिपूर्ति की अनुमानित धनराशि 1,67,190.40/-रू0 निर्धारित किया है। परिवाद पत्र में प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसने क्षतिग्रस्त वाहन को खिंचवाकर फोर्स मोटर्स के अधिकृत सर्विस सेन्टर लहरतारा गोयनका फोर्स ले आया और अपीलार्थी/विपक्षी को सूचित किया तथा फोटोग्राफ अपीलार्थी/विपक्षी को दिया।
-4-
अपील की सुनवाई के दौरान अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की ओर से हमारे समक्ष एक तर्क यह किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने घटना की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी है। अत: इस आधार पर भी घटना संदिग्ध दिखती है। हमने अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क पर भी विचार किया है।
सर्वेयर आख्या से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन की प्रश्नगत घटना अगला टायर बर्स्ट होने के कारण घटित हुई है, जिससे वाहन डिसबैलेंस होकर रोड डिवाइडर से टकराया है। अत: यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत दुर्घटना किसी लापरवाही का परिणाम नहीं है और न ही किसी अन्य के कारण यह दुर्घटना घटित हुई है। अत: प्रश्नगत घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाने में दर्ज कराए जाने का प्रश्न नहीं उठता है। थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट संज्ञेय अपराध की दर्ज की जाती है और असंज्ञेय अपराध की एन0सी0आर0 दर्ज की जाती है, परन्तु वर्तमान प्रकरण में कथित दुर्घटना में न तो कोई संज्ञेय अपराध हुआ है और न ही कोई असंज्ञेय अपराध हुआ है। अत: प्रश्नगत दुर्घटना के सम्बन्ध में प्रथम सूचना रिपोर्ट थाने में दर्ज न होने के कारण कोई प्रतिकूल अवधारणा प्रत्यर्थी/परिवादी के विरूद्ध नहीं बनायी जा सकती है और जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत फोटोग्राफ एवं शपथ पत्र तथा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा तैयार की गयी सर्वे आख्या से यह पूर्णतया प्रमाणित होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रश्नगत वाहन की दुर्घटना हुई है, जिसमें वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है। अत: प्रश्नगत वाहन की दुर्घटना के सम्बन्ध में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा किए गए कथन पर विश्वास न करने का उचित कारण नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत बीमा दावे के आवेदन पत्र में यदि दिनांक 21.10.2011 घटना की तिथि अंकित है तो वह लिपिकीय त्रुटि या आकस्मिक त्रुटि का परिणाम हो सकती है। इसके आधार पर कोई प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है क्योंकि सर्वेयर आख्या से भी दुर्घटना प्रमाणित है।
सर्वेयर आख्या के अवलोकन से भी स्पष्ट है कि सर्वेयर ने भी वाहन की अनुमानित क्षति 2,46,987/-रू0 माना है और स्वयं क्षति का
-5-
आंकलन 1,67,190/-रू0 किया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जो वाहन की मरम्मत का स्टीमेट प्रस्तुत किया है वह वास्तविक है और उसी के अनुसार उसने भुगतान किया है। सर्वेयर आख्या एवं प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत स्टीमेट के अवलोकन के पश्चात् हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि जिला फोरम ने आगरण की धनराशि के आधार पर क्षतिपूर्ति की धनराशि का जो निर्धारण किया है, वह अनुचित नहीं कहा जा सकता है, परन्तु इसके साथ ही यह उल्लेख करना आवश्यक है कि क्षतिग्रस्त वाहन के जो क्षतिग्रस्त हिस्से रिपेयरिंग के बाद निकाले गए हैं उन्हें भी कबाड़ के रूप में बाजार में बेचा जा सकता है और अवश्य बेचा गया होगा। अत: हम इस मत के हैं कि उपरोक्त धनराशि 2,46,977/-रू0 से वाहन के मलबे का मूल्य 20,000/-रू0 घटाकर क्षतिपूर्ति की धनराशि 2,26,977/-रू0 निर्धारित किया जाना उचित है। प्रत्यर्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति की धनराशि पर ब्याज भी दिया गया है, अत: हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो 10,000/-रू0 क्षतिपूर्ति की धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलायी है वह भी उचित नहीं है। उसे अपास्त किया जाना आवश्यक है।
जिला फोरम ने 08 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया है। हमारी राय में ब्याज दर घटाकर 7.5 प्रतिशत वार्षिक किया जाना उचित है।
अपीलार्थी/विपक्षी नोटिस के तामीला के पश्चात् भी बिना किसी उचित कारण के जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध जो एकपक्षीय रूप से कार्यवाही की है, वह उचित और विधिसम्मत है। हमारी राय में जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश में इस आधार पर हस्तक्षेप किया जाना उचित नहीं है कि यह एकपक्षीय निर्णय है।
हमारी राय में अपील उपरोक्त प्रकार से आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित किए जाने योग्य है।
-6-
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 14.07.2015 संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रश्नगत दुर्घटना में हुई उसके प्रश्नगत वाहन की क्षति की पूर्ति हेतु 2,26,977/-रू0 की धनराशि परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 7.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करे। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा आदेशित 2000/-रू0 वाद व्यय भी अदा करेगा।
जिला फोरम द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को स्वीकार की गयी 10,000/-रू0 क्षतिपूर्ति की धनराशि अपास्त की जाती है।
उभय पक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत इस अपील में जमा की गयी धनराशि ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रेषित की जाए कि जिला फोरम उसका निस्तारण इस निर्णय के प्रकाश में विधि के अनुसार करे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1