राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-43/2023
1- यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जनरल मैनेजर, भारतीय रेलवे, नार्थ जोन, बड़ौदा हाउस, नई दिल्ली।
2- स्टेशन अधीक्षक, रेलवे स्टेशन, मैनपुरी जंक्शन, जिला मैनपुरी।
........... अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
श्री अम्बिकेश चन्द्र तिवारी पुत्र स्व0 ब्रहम दत्त तिवारी ( डा0 ए0सी0 तिवारी एडवोकेट, चेम्बर नं0-8 ब्लॉक-ए, सिविल कोर्ट मैनपुरी) निवासी जी0आई0सी0 कम्पाउण्ड, आगरा रोड, मैनपुरी (उ0प्र0)
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थीगण के अधिवक्ता : श्री गनेश चन्द्र राय
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 20.4.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ यूनियन आफ इण्डिया व एक अन्य द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-109/2021 में पारित एक पक्षीय निर्णय/आदेश दिनांक 05.09.2022 एवं रिव्यू प्रार्थना पत्र सं0-06/2022 में पारित आदेश दिनांक 21.11.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपीलार्थी/विपक्षी यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जनरल मैनेजर, भारतीय रेलवे, नार्थ जोन, बड़ौदा हाउस, नई दिल्ली के अधिवक्ता निश्चित तिथि दिनांक 01.8.2022 को उपस्थित नहीं हुए एवं उनकी अनुपस्थिति का कारण उनकी मृत्यु होना
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उल्लिखित किया जाना बताया गया तथा अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से पूर्व में जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख श्री धर्म मित्र अधिवक्ता उपस्थित हो रहे थे, जो निश्चित तिथि पर अनुपस्थित थे क्योंकि उनकी मृत्यु हो गई थी। अपेक्षित सूचना अपीलार्थी/विपक्षीगण को प्राप्त न होने के कारण एक पक्षीय रूप से परिवाद दिनांक 05.9.2022 को स्वीकृत किया गया अर्थात अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध निर्णीत किया गया।
उपरोक्त एक पक्षीय निर्णय/आदेश के विरूद्ध रिव्यू प्रार्थना पत्र सं0-06/2022 द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया, जिसे विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिनांक 21.11.2022 को निरस्त किया गया, जिससे क्षुब्ध होकर भी प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
समस्त प्रपत्रों के परिशीलनोंपरांत मेरे विचार से वास्तव में अपीलार्थी को एक पक्षीय आदेश के विरूद्ध तथ्यों को उल्लिखित करते हुए अर्थात यह कि अपीलार्थी के अधिवक्ता की दौरान परिवाद लम्बन मृत्यु हो गई, जिसके कारण अपीलार्थी को सूचना प्राप्त नहीं हुई एवं एक पक्षीय रूप से उसके विरूद्ध आदेश पारित किया गया, हेतु रिकाल प्रार्थना पत्र उक्त तथ्यों को उल्लिखित करते हुए प्रस्तुत करना था, न कि रिव्यू प्रार्थना पत्र।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा रिव्यू प्रार्थना पत्र उचित रूप से निरस्त किया जाना पाया जाता है, परन्तु न्यायहित में चूंकि अपीलार्थी के अधिवक्ता की अनुपस्थिति के कारण एवं मृत्यु के कारण अपीलार्थी का पक्ष विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया जा सका है अत्एव अपीलार्थी को एक अवसर प्रदान किया जाना उचित
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प्रतीत होता है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार करते हुए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-109/2021 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.09.2022 एवं रिव्यू प्रार्थना पत्र सं0-06/2022 में पारित आदेश दिनांक 21.11.2022 अपास्त किया जाता है तथा प्रकरण सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को इस आग्रह के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग उपरोक्त परिवाद सं0-109/2021 को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित कर उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का गुणदोष के आधार पर निस्तारण, इस आदेश की प्राप्ति से 06 माह की अवधि में बिना किसी पक्ष को स्थगन प्रदान करते हुए करना सुनिश्चित करें।
इस आदेश की प्रति अपीलार्थी द्वारा दिनांक 22.5.2023 अथवा उससे पूर्व जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत की जाए।
इस आदेश की प्राप्ति से प्रत्यर्थी/विपक्षी के अधिवक्ता को इस आदेश की सूचना दो सप्ताह की अवधि में अपीलार्थी/परिवादी के अधिवक्ता द्वारा प्राप्त करायी जावे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1