मौखिक
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2027/2009
महेश चन्द्र अग्रवाल
बनाम
श्रीमती अमरजीत कौर व अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री एस0 के0 शुक्ला,विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री चन्द्रेश यादव, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :27.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी महेश चन्द्र अग्रवाल की ओर से विद्वान जिला आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्या- 483/1994, श्रीमती अमरजीत कौर व एक अन्य बनाम महेश चन्द्र अग्रवाल में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.10.2009 के विरूद्ध योजित की गयी है।
2. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री एस0 के0 शुक्ला तथा प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री चन्द्रेश यादव उपस्थित है। उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क सुने गये एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया।
3. परिवादिनी का कथन है कि उसके द्धारा टैम्पों क्रय करने हेतु दिनांक 29.07.1992 को विपक्षी से अंकन 55,000.00 ऋण लिया गया जिसकी अदायगी 24 मासिक किश्तों में परिवादिनी को करना था जिसमे से एक अग्रिम किश्त भी परिवादिनी द्धारा दिया गया था एवं 23 चेक परिवादिनी ने हस्ताक्षर करके फाइनेन्सर को प्राप्त कराया था। परिवादिनी द्धारा विपक्षी को 20 किश्तों का भुगतान कर दिया गया था केवल 04 किश्तें शेष रह गई थी। विपक्षी फाइनेन्सर ने दिनांक 30.06.1996 को उक्त वाहन परिवादिनी के कब्जे से ले लिया तथा वापस करने से इंकार कर दिया, जिससे क्षुब्ध होकर यह परिवाद योजित किया है।
4. विपक्षी फाइनेन्सर द्धारा ऋण देना स्वीकार किया गया है। विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्धारा 19 किश्तें अदा की गई है। विपक्षी ने जवाबदावा में वाहन का कब्जा स्वयं लेने की बात को स्वीकार करते हुये यह भी कहा है कि अंकन 18,000.00 का चेक दिनांक 16.10.1994 को देने पर विपक्षी ने वाहन, परिवादिनी के सुपुर्द कर दिया। परिवादिनी द्धारा यह परिवाद गलत आधारों पर योजित किया गया है।
5. जिला आयोग ने परिवादी के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरान्त परिवाद को स्वीकार करते हुये विपक्षी फाइनेन्सर को परिवादी की वाहन की कीमत अंकन 80,000.000 रूपये की राशि परिवाद योजित करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया है।
6. परिवादिनी ने विपक्षी फाइनेन्सर को विधिक नोटिस दिनांक 06.07.1994 को दिया फिर भी विपक्षी द्धारा उसके वाहन को वापस नहीं किया गया। विपक्षी द्धारा संभागीय परिवहन अधिकारी, फैजाबाद को पत्र दिनांकित 12.09.1994 द्धारा सूचित किया कि वाहन उसके कब्जे में है और डुप्लीकेट आर. सी. उसे दे दी जाय तथा दिनांक 18.08.1994 को होइपोथिकेशन काटने के लिये संभागीय परिवहन अधिकारी को पत्र लिखा, उसके उपरान्त उक्त वाहन विपक्षी द्धारा श्री सुरेन्द्र बहादुर सिंह को बेंच दिया गया। संलग्नक-5 चेक दिनांक 16.10.1994 से धनराशि अंकन 18,000.00 रूपये का भुगतान परिवादिनी द्धारा विपक्षी फाइनेन्सर को कर दिया गया था जिसको विपक्षी फाइनेन्सर द्धारा अपने उत्तर पत्र में स्वीकार किया गया है। अत: विपक्षी द्धारा बिना नोटिस के परिवादिनी के वाहन को खींच लिया गया और बिना सूचना के वाहन को विक्रय कर दिया गया। विपक्षी द्धारा किया गया यह कृत्य सेवा में कमी को साबित करता है। जिला आयोग द्धारा निर्णय उचित एवं तथ्यों को विश्लेषित करते हुए दिया गया है, जिसमे हस्तक्षेप करने का कोई उचित आधार नहीं है। परन्तु जिला आयोग द्धारा धनराशि अंकन 80,000.00 रूपये पर जो 09 प्रतिशत ब्याज अधिरोपित किया गया है वह तर्क संगत एवं न्यायोचित नहीं है पीठ के मत से 09 प्रतिशत ब्याज दर को परिवर्तित करते हुये धनराशि अंकन 80,000.00 रूपये पर 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक दिया जाना उचित प्रतीत होता है। तद्नुसार, प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से किये जाने योग्य है। तद्नुसार, प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि धनराशि अंकन 80,000.00 रूपये पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज तथा परिवाद व्यय अंकन 1,500.00 देय होगा। शेष निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि राज्य आयोग के समक्ष जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित नियमानुसार वापस की जावेगी।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0,
कोर्ट-03