(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(जिला उपभोक्ता आयोग संत कबीरनगर द्धारा परिवाद सं0-8/2011 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.06.2012 के विरूद्ध)
अपील संख्या:-1557/2012
सरदार मोटर्स आटो व्हील प्रा0लि0 बी-6, प्लास्टिक कॉम्प्लेक्स तहसील एवं जिला-बस्ती।
........... अपीलार्थी
बनाम
1- अमरनाथ रूंगटा पुत्र श्री राम कृपाल रूंगटा केयर आफ मोहन राम, राम निवास, खलीलाबाद, निवासी गोला बाजार, खलीलाबाद संत कबीरनगर।
2- महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0, गेटवे बिल्डिंग, अपोलो बन्दार, मुम्बई-4000039
…….. प्रत्यर्थी
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री काशीनाथ शुक्ला
प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0 2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री आलोक सिन्हा
अपील संख्या:-1739/2012
महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0, गेटवे बिल्डिंग, अपोलो बन्दार, मुम्बई-4000039
........... अपीलार्थी
बनाम
1- अमरनाथ रूंगटा पुत्र श्री राम कृपाल रूंगटा केयर आफ मोहन राम, राम निवास, खलीलाबाद, निवासी गोला बाजार, खलीलाबाद संत कबीरनगर।
2- सरदार मोटर्स आटो व्हील प्रा0लि0 बी-6, प्लास्टिक कॉम्प्लेक्स तहसील एवं जिला-बस्ती।
…….. प्रत्यर्थी
समक्ष :-
मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता : श्री आलोक सिन्हा
प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता : श्री सुशील कुमार शर्मा
प्रत्यर्थी सं0 2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता : श्री काशीनाथ शुक्ला
दिनांक :-25-8-2021
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मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत दोनों अपीले जिला उपभोक्ता आयोग संत कबीरनगर द्वारा परिवाद सं0-08/2011 अमरनाथ रूंगटा बनाम सरदार मोटर्स व अन्य में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.6.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है, जिसमें अपील सं0-1557/2012 सरदार मोटर्स बनाम अमरनाथ रूंगटा व अन्य को अग्रणी मानकर उक्त दोनों अपीले निस्तारित की जा रही हैं।
संक्षेप में प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी सं0 1 के द्वारा अपीलार्थी से मु0 1,65,000/- में एक आटो व्हील क्रय किया गया था, जिसमें उत्पादन दोष होने के कारण ठीक से नहीं चल रहा था। क्रय करने के एक माह में ही खराबी आ गयी जिसे कई बार प्रत्यर्थी द्वारा ठीक कराने हेतु अपीलार्थी के यहॉ भेजा गया, परन्तु वाहन का दोष ठीक नहीं हो सका। माह जून 2010 में वाहन चलने की स्थिति में नहीं रह गया, जिस कारण प्रत्यर्थी सं0-1 ने अपीलार्थी से शिकायत की तो अपीलार्थी द्वारा कहा गया कि वाहन को वर्कशाप में पहुंचा दो तब प्रत्यर्थी सं0-1 ने उक्त वाहन को ट्राली में लादकर वर्कशाप में पहुंचा दिया गया। अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी सं0-1 को सूचित किया गया कि वाहन में उत्पादन दोष है जो ठीक नहीं हो रहा है। उक्त वाहन के स्थान पर दूसरा वाहन दिया जायेगा जिसके सम्बन्ध में कम्पनी को पत्र लिख दिया गया है। अपीलार्थी द्वारा बेचे गये वाहन के स्थान पर दूसरा वाहन प्रत्यर्थी सं0 1 को नहीं दिया गया, जिससे प्रत्यर्थी सं0-1 को गम्भीर मानसिक, आर्थिक क्षति पहुंची, जिसके सम्बन्ध में प्रत्यर्थी सं0-1 को गम्भीर मानसिक, आर्थिक क्षति पहुंची, जिसके सम्बन्ध में प्रत्यर्थी सं0 1 द्वारा अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0 2 को विधिक नोटिस दी गई, परन्तु अपीलार्थी एंव प्रत्यर्थी सं0 2 द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया और न ही वाहन की कीमत मु0 1,65,000/- रूपया ही वापस किया गया, जिसके कारण क्षतिपूर्ति प्राप्त करने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया गया।
उक्त परिवाद में अपीलार्थी द्वारा अपना जवाब दावा प्रस्तुत किया गया, जिसमें कहा गया कि प्रत्यर्थी सं0 2 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 सम्बन्धित विक्रित आटो व्हील की निर्माणकर्ता कम्पनी है जो उच्च गुणवत्ता के वाहन निर्माण करती है। प्रत्यर्थी सं0 1 द्वारा पूर्ण संतुष्ट होकर वाहन क्रय किया गया। वाहन क्रय किये जाने के बाद दिनांक 17.3.2010 को प्रथम सर्विसिंग हेतु वर्कशाप में लाया गया। सर्विस के पश्चात उसी दिन वाहन की डिलीवरी दे दी गयी। तत्पश्चात
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दिनांक 31.03.2010 को वाहन को सर्विसिंग हेतु वर्कशाप में लाया गया, बतायी गयी शिकायत को दूर किया गया और उसी दिन वाहन की डिलीवरी दे दी गई। इसके बाद क्रमश: दिनांक 09.4.2010, 25.4.2010, 16.5.2010 को वाहन सर्विसिंग हेतु वर्कशाप लाया गया तथा ग्राहक द्वारा बतायी गयी शिकायत को दूर किया गया। वाहन विक्रय के समय दी गयी निर्देश पुस्तिका के अनुसार वाहन को चलाने के लिए कहा गया था। प्रत्यर्थी सं0-1 द्वारा दिनांक 21.6.2010 को वाहन को वर्कशाप पर लाया गया और उसके द्वारा बतायी गयी शिकायत को दूर कर दिनांक 25.6.2010 को वाहन की डिलीवरी प्रत्यर्थी सं0-1 को दे दी गयी। दिनांक 02.7.2010 को कुछ शिकायत के साथ प्रत्यर्थी सं0-1 ने अपीलार्थी के वर्कशाप में वाहन को लाया, जिसे निर्धारित अवधि में समस्या को दूर किया गया, परन्तु प्रत्यर्थी सं0 1 वाहन को वापस नहीं ले जा रहे है। जिसकी जिम्मेदारी प्रत्यर्थी सं0-1 की है। सम्बन्धित वाहन में कोई उत्पादन दोष नहीं है। सत्यता यह है कि वाहन को निर्देश पुस्तिका के अनुसार नहीं चलाया जा रहा है। छोटा वाहन के बावजूद भी उस पर 500 किलोग्राम से ज्यादा लोड पर चलाया जा रहा है। सम्बन्धित वाहन के सम्बन्ध में प्रत्यर्थी सं0-1 को खलीलाबाद निवासी होने के कारण अनेकों बार वाहन ले जाने की सूचना दी गयी, परन्तु प्रत्यर्थी सं0 1 जानबूझकर वाहन नहीं ले जा रहा है। अत: प्रत्यर्थी सं0 1 का परिवाद के साथ निर्णय एवं आदेश सव्यय खारिज किये जाने योग्य है।
जिला आयोग ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर यह अवधारित करते हुए कहा है कि अपीलार्थी यह कहने को स्वतंत्र नहीं है कि उसके द्वारा वाहन का निर्माण नहीं किया गया है, उसका दायित्व मात्र सर्विस देने का है, जब वाहन को वारण्टी के साथ बेचने के लिए कोई डीलर तत्पर होता है तो फिर उसके और उत्पादक के दायित्व समविस्तीर्ण हो जाते हैं। अत: अपीलार्थी का यह कहना कि उत्पादन दोष के लिये स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। आगे निर्णय में जिला आयोग ने यह भी अवधारित किया है कि निर्देश पुस्तिका में दिये गये निर्देशों के अनुसार वाहन को चलाया नहीं जा रहा है तथा छोटे वाहन को 500 किलोग्राम से ज्यादा के लोड के साथ चलाया जा रहा है, उक्त विवेचना के आधार पर निम्नवत आदेश पारित किया गया है।
"यह परिवाद परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षीगण के विरूद्ध संयुक्त रूप से एवं पृथक-पृथक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को मु0 1,65,000/- रूपया (एक लाख पैसठ हजार) का
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भुगतान तत्काल करें। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण द्वारा परिवादी को मानसिक, शारीरिक क्लेश तथा वाद व्यय के रूप में मु0 15,000/- (पन्द्रह हजार) की अतिरिक्त धनराशि देय होगी। समस्त धनराशि का भुगतान एक माह में अदा कर दिया जाये अन्यथा परिवादी को अधिकार हुआ कि नियमित निष्पादन के माध्यम से उक्त धनराशि विपक्षी से वसूल कर लें।"
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत दोनों अपीले इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।
उक्त दोनों अपीलों के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और दोष पूर्ण है। अपील स्वीकार कर जिला आयोग का निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.6.2012 को अपास्त करते हुये परिवाद को निरस्त किया जाय।
हमने विद्वान अधिवक्ताओं के तर्क को विस्तार पूर्वक सुना एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया।
पत्रावली के अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी सं0 1 ने दिनांक 23.01.2010 को अपीलाथी से वाहन खरीदा, जिसके उपयोग के दौरान उसमें उत्पादन त्रुटियां निरन्तर बनी रही, जिसके कारण वह वर्कशाप पर ठीक कराने के लिये दिनांक 17.3.2010, 21.3.2010, 09.4.2010, 25.4.2010, 16.5.2010, 21.6.2010 और अन्तत: 02.7.2010 अर्थात लगभग सात बार वाहन को अपीलार्थी के वर्कशाप में उत्पादन त्रुटिवश लाना पड़ा। वाहन के क्रय करने के मात्र 7 माह के अन्तर्गत निरन्तर उत्पादन त्रुटि बनी रही जो ठीक नहीं किया जा सका।
जिला आयोग ने अपने निर्णय में यह कहा है कि अपीलार्थी का उत्पादन दोष के लिये दायित्व नहीं है स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। अपीलार्थी प्रत्यर्थी सं0 2 का डीलर है जो प्रत्यर्थी सं0 2 द्वारा निर्माण किये गये वाहनों का विक्रय करता है, यदि वाहन में उत्पादन से सम्बन्धित कोई त्रुटि पायी जाती है, उसके लिये डीलर/अपीलार्थी जिम्मेदार नहीं हो सकता। विद्वान जिला आयोग ने अपीलार्थी को उत्पादन त्रुटि का जिम्मेदार ठहराते हुये जो निर्णय एवं आदेश पारित किया है वह विधि सम्मत नहीं है। जिसके कारण विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 15.6.2012 में संशोधन किया जाना न्यायोचित है।
जिला आयोग द्वारा पारित आदेश में इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि अपीलार्थी सरदार मोटर्स लि0 के विरूद्ध पारित आदेश अपास्त किया जाता है तथा
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सम्पूर्ण जिम्मेदारी महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 पर अवधारित करते हुये अपील आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है।
आदेश
अपील सं0 1557/2012 सरदार मोटर्स आटो व्हील प्रा0लि0 बनाम अमरनाथ रूंगटा व अन्य को स्वीकार किया जाता है तथा अपील सं0 1739/2012 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 बनाम अमरनाथ रूंगटा व अन्य को निरस्त किया जाता है तथा आदेशित किया जाता है कि जिला आयोग द्वारा पारित आदेश की सम्पूर्ण देयता की जिम्मेदारी प्रत्यर्थी सं0 2 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 की होगी।
उभय पक्ष इस अपील का अपना अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील सं0 1557/2012 सरदार मोटर्स आटो व्हील प्रा0लि0 बनाम अमरनाथ रूंगटा व अन्य में धारा 15, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को वापस की जाय।
अपील सं0 1739/2012 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 बनाम अमरनाथ रूंगटा व अन्य में धारा 15, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाएगी।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(गोवर्धन यादव) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
कृष्णा आशु.
कोर्ट नं0-2